Wednesday, May 15, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी: १० फुल मैरेथॉन फिटनेस के करीब

१० फुल मैरेथॉन फिटनेस के करीब
 

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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अगस्त २०१८ में फुल मैरेथॉन की तैयारी के लिए २५ किलोमीटर और ३० किलोमीटर के लाँग रन्स कर रहा था| सितम्बर के अन्त में फुल मैरेथॉन के लिए बूकिंग किया है| इसी दौरान मुंबई के फुल मैरेथॉन के लिए भी बूकिंग किया| लेकीन इसका उद्देश्य अलग था| पीछली बार २०१८ की मुंबई मैरेथॉन के फोटोज देखे थे तब लोगों को बांद्रा- वरली सी- लिंक पर दौड़ते देखा था| वैसे तो सी लिंक पर कभी साईकिल चलाने की या चलने की अनुमति भी नही होती है| लेकीन मैरेथॉन के समय यहाँ दौड़ सकते हैं| इसलिए इस मैरेथॉन में दौड़ने की इच्छा हुई| साथ ही यह बहुत प्रसिद्ध मैरेथॉन है, इसलिए भी इच्छा थी| जनवरी २०१९ की इस मैरेथॉन का बूकिंग किया था, लेकीन उसके पहले सितम्बर २०१८ की त्र्यंबकेश्वर मैरेथॉन की तैयारी कर रहा था|

५ अगस्त को ३० किलोमीटर दौड़ना था, २५ ही दौड़ पाया और अन्तिम पाँच किलोमीटर चल कर पूरे किए| इससे कुछ बातों पर गौर किया| २८ जुलाई के बाद एक हफ्ते के भीतर यह लम्बी दौड़ की थी| इसलिए अगला बड़ा रन चौदह दिनों के अन्तराल के बाद तय किया| साथ ही इंटरनेट पर कुछ जगह पर यह पढ़ा कि बीच बीच में रनिंग के बजाय कुछ दूरी चल कर पार की, तो उससे पैरों में कम दर्द होता है| इसलिए इस बार योजना बनाई कि हर आठ किलोमीटर के बाद का नौवा किलोमीटर चलूंगा|

Thursday, May 9, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ९: लाँग रन्स से दोस्ती

९: लाँग रन्स से दोस्ती

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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मई २०१८ में साईकिल यात्रा के बाद जून २०१८ में नियमित रनिंग शुरू की| लगातार छोटे रन शुरू किए| लगातार रन करने का लाभ यह होता है कि पैर बिल्कुल ढिले हो जाते हैं, रनिंग के मसल्स चुस्त हो जाते हैं| फरवरी से जो स्ट्रेंदनिंग शुरू किया था, उसका भी अब अच्छा लाभ मिल रहा है| इसी दौरान चलने के बारे में‌ भी बहुत कुछ पता चला| इससे समझ आया कि चलना- वॉकिंग इस तरह का व्यायाम है जिसे बिल्कुल भी ग्लैमर नही है| लेकीन है तो यह गज़ब का व्यायाम| एक तरह से रनिंग और साईकिलिंग का बेस यही है| मैने उसे जैसे समझा वह कुछ ऐसा है| रनिंग में और कुछ हद तक साईकिलिंग में भी जो ऊर्जा व्यय होती है, वह एक तरह से अधिक उपर से लिए जानेवाले इंटेक की होती है; स्टोअर्ड फैटस उसमें ज्यादा बर्न नही होते हैं| क्यों कि रनिंग और कुछ हद तक साईकिलिंग भी एक रिगरस गतिविधि है, ज्यादा थकानेवाली गतिविधि है, इसलिए शरीर को तुरन्त ऊर्जा चाहिए होती है जो बाहर के पदार्थों से मिलती है| इसकी तुलना में वॉकिंग एक कम थकानेवाली सामान्य गतिविधि है और इसमें शरीर स्टोअर्ड फैटस का इस्तेमाल करता है| इसलिए एक तरह से फैटस को बर्न करने के लिए वॉकिंग बेहतर है| और दूसरा लाभ यह है कि वॉकिंग में हृदय की गति उतनी तेज़ नही होती है जितनी रनिंग में होती है| और अगर हृदय की कम गति पर हम खुद को अभ्यास दे, तो हृदय की गति कम होने की रेंज बढ़ती है| मानो अगर हम लो- इंटेन्सिटी अभ्यास करते हैं, तो हमारी इंटेन्सिटी क्षमता बढती जाती है| इसलिए रनिंग में भी स्लो रनिंग को महत्त्व दिया जाता है| स्टैमिना और एंड्युरन्स इसीसे बढ़ता है| और तीसरी सबसे बड़ी बात यह है कि वॉकिंग से पैरों के मसल्स को अलग किस्म का व्यायाम मिलता है, वे और फुर्तिले, ढिले हो जाते हैं| इसलिए रनिंग के साथ वॉकिंग बहुत रूप से जुड़ा है, उसमें पूरक है|

संयोग से इसी समय मेरी बेटी को स्कूल बस पर रिसीव करने के लिए मै जाने लगा| वहाँ पर बस की प्रतीक्षा के लिए थोड़ी देर रूकना पड़ता है|‌ उस समय में भी बैठने के बजाय या खड़े रहने के बजाय बस आने के स्थान के पास १०० मीटर तक चलना शुरू किया| इससे मुझे चलने का बहुत अच्छा अवसर मिला| लोग जैसे छोटी दूरी के लिए गाड़ी नही निकालते हैं, वैसे मैने भी छोटी दूरी के लिए 'साईकिल' निकालना बन्द किया और जहाँ मौका मिले चलना शुरू किया| चलने की और एक खास बात यह है कि यह ऐसा व्यायाम है जो 'कहीं भी और कभी भी' किया जा सकता है| इसलिए जब भी साईकिलिंग/ रनिंग में गैप होती हो, तो भी चलना जारी रहा| बहुत हद तक वह रनिंग/ साईकिलिंग में सहयोगी है, इसलिए उससे भी लाभ मिलता रहा|

Monday, May 6, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ८: हाफ मॅरेथॉन से आगे का सफर

८: हाफ मॅरेथॉन से आगे का सफर

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फरवरी २०१८ में हाफ मैरेथॉन ईवेंट बेहतर तरीके से हुआ| अब निगाहें है फुल मैरेथॉन पर| लग रहा है कि जब सवा दो घण्टों में हाफ मैरेथॉन कर सकता हूँ, तो फुल मैरेथॉन भी कट ऑफ (७ घण्टे) के भीतर आराम से कर लूंगा| पहले तो फुल मैरेथॉन के डेटस देखे| पहला ओपन बूकिंग जून में था वो भी सातारा नाईट मैरेथॉन का| तब मेरे परिचित दिग्गज रनर्स का मार्गदर्शन लिया| और धीरे धीरे उनके मार्गदर्शन में कई सारी चीजें पता चली| और इसके साथ हाफ मैरेथॉन तक मेरी जो यात्रा बहुत अर्थ में ad hoc थी, वह धीरे धीरे व्यवस्थित होने लगी| मेरे रिश्तेदार और दिग्गज रनर परागजी जोशी ने मुझे विस्तार से बताया और कहा कि फुल मैरेथॉन के लिए मुझे पहले कोअर- स्ट्रेंदनिंग करना चाहिए| दौड़ने में शरीर के जो मुख्य अंग होते हैं- उन्हे मजबूत करना चाहिए| उसके लिए इंटरनेट पर विडियो देखे और जल्द ही वह करने लगा| स्टैमिना/ एंड्युरन्स सिर्फ ऊर्जा की नही, बल्की मसल्स मजबूत होने की भी बात है| इसके लिए उन मसल्स को सही‌ व्यायाम दे कर तैयार करना जरूरी होता है|

शुरू में ये एक्सरसाईज बहुत कठिन लगे| लेकीन ७- मिनट के ये एक्सरसाईज धीरे धीरे ठीक से करने लगा| और कुछ दिनों में उनके परिणाम भी मिले| मानो ऐसा लगा कि अगर ये एक्सरसाईज नियमित अन्तराल से (हफ्ते में दो- तीन बार) करता रहूँ, तो रनिंग में कुछ गैप हुआ, तो भी वह महसूस नही हो रहा है| मै जो ७ मिनट के ७ एक्सरसाईजेस कर रहा था वे ये थे- ४५ सेकैंड के स्ट्रेंदनिंग- बॉडी वेट स्क्वॅटस, बॅकवर्ड लंज, साईड लेग रेझ, प्लँक, साईड प्लँक, ग्लूट ब्रिज, बर्ड- डॉग एक्सरसाईजेस| हर एक्सरसाईज के बाद १५ सेकैंड का विराम| इसमें बहुत विविधताएँ भी हैं, विकल्प भी हैं| मुझे जो ठीक लगे, वो मै करता गया| उसके साथ योग- प्राणायाम- ध्यान में भी नियमितता लाई| क्यों कि सिर्फ वर्क- आउट करना ठीक नही, उसे सन्तुलित करने के लिए वर्क- इन भी करना चाहिए| साईकिलिंग तो चल ही रहा है|

Thursday, May 2, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ७: पहली और अन्तिम हाफ मैरेथॉन ईवेंट

७: पहली और अन्तिम हाफ मैरेथॉन ईवेंट

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नवम्बर २०१७ में अच्छे समय में सोलो हाफ मैरेथॉन दौड़ने के बाद फुल मैरेथॉन का इन्तजार था| लेकीन उस समय मेरी एक साईकिल यात्रा की तैयारी चल रही थी| इसलिए कुछ दिनों तक सिर्फ छोटे रन्स पर ही ध्यान दिया| फुल मैरेथॉन के लिए सात घण्टों का कट ऑफ समय होता है, इसलिए मन में लगता था कि जब ढाई घण्टों में आधी दूरी पार हो रही है, तो बाकी दूरी भी समय में ही पूरी हो सकती है| लेकीन यह सिर्फ एक भ्रम था| अभी फुल मैरेथॉन के लिए बहुत बड़ी यात्रा करनी बाकी थी| जनवरी २०१८ में जिस साईकिल यात्रा की योजना थी, उसे कुछ कारण से ऐन समय पर रद्द करना पड़ा| लेकीन उस यात्रा की तैयारी में जो सीखने को मिला, वह तो लाभ रहा| और रनिंग भी उसी की तैयारी का एक हिस्सा था| जब वह यात्रा न हो पाई, तब पहली बार हाफ मैरेथॉन ईव्हेंट के बारे में सोचा| और जल्द ही ११ फरवरी २०१८ को हाफ मैरेथॉन के लिए रजिस्ट्रेशन भी किया| उसके लिए कोई क्वालिफिकेशन नही होता है (कुछ ईव्हेंटस में होता भी है, ऐसा बाद में पता चला)| इसकी तैयारी के लिए मेरे पास बीस दिन हैं|

रनिंग ठीक कर तो पाता हूँ, लेकीन अभी इसमें उतना नियमित नही हूँ| हफ्ते में सिर्फ दो बार और महिने में सात- आठ बार दौड़ता हूँ| हालांकी साईकिल- योगा भी करता हूँ, जो रनिंग में लाभ देते हैं| जब हाफ मैरेथॉन का बूकिंग किया, तब रनिंग में नियमितता लाई| कुछ छोटे रन किए और फिर एक बार हाफ मैरेथॉन के लिए निकला| हाफ मैरेथॉन इवेंट के पन्द्रह दिन पहले की यह दौड़ कुछ अलग रही| एक तरह से काफी गलतियाँ भी हुई| फिर समझ में आया कि मै हाफ मैरेथॉन को बड़ा ही छोटा मान रहा था, नियमितता कम थी, इसलिए तकलीफ हुई| एक तो इस हाफ मैरेथॉन के लिए कट ऑफ लिमिट से अधिक समय लगा, २:४५ के बजाय २:४८ समय लगा जिससे कुछ दर्द हुआ| इसके साथ अन्त में रफ्तार भी कम हुई थी, तकलीफ भी हुई थी और अन्तिम चारसौ मीटर चलने की नौबत आई थी| इसके बाद काफी कुछ सोचा| मेरे रनिंग के गुरू और मित्र संजय बनसकर जी से मार्गदर्शन लिया| उन्होने हाफ मैरेथॉन लगभग दो घण्टों में की है| उनके साथ चर्चा करते हुए कुछ बातें समझ में आई|