Thursday, July 25, 2019

स्पीति- लदाख़ साईकिल यात्रा!

पुणे की मंथन फाउंडेशन द्वारा दुर्गम प्रदेश- स्पीति एवम् लदाख़ में सोलो साईकिल अभियान
पुणे स्थित मंथन फाउंडेशन यह स्वयंसेवी संस्था स्वास्थ्य और पर्यावरण पर काम करती है| यह सोलो साईकिल अभियान स्पीति व लदाख़ में होगा जहाँ अत्यधिक दुर्गम मानी जाती है| स्पीति और लदाख़ में सड़क की ऊँचाई ५००० मीटर्स से अधिक होती है और ऐसी उंचाई पर ऑक्सीजन का अनुपात ५०% से कम होता है| यहाँ चलना भी कठिन होता है| ऐसे दुर्गम क्षेत्र में यह सोलो साईकिल अभियान किया जाएगा और वह शिमला से २८ जुलाई को शुरू होगा और शिमला- नार्कंडा- रामपूर- टाप्री- स्पेलो- नाको- ताबो- काजा- लोसर- बाटाल- ग्राम्फू- केलाँग- पांग- त्सो कार- लेह इस रूट पर पूरा किया जाएगा और सम्भवत: १७ अगस्त को साईकिलिस्ट निरंजन वेलणकर (मोबाईल क्रमांक 09422108376) लेह पहुँच जाएगा| हर रोज औसतन ६० किलोमीटर साईकिल चलाने की योजना है|

इस अभियान के उद्देश्य

1. साईकिल यह स्वास्थ्य और फिटनेस का संदेश देनेवाला माध्यम है|

2. साईकिल चलाना पर्यावरण- अनुकूल जीवनशैलि की ओर ले जानेवाला एक कदम है| पर्यावरण के प्रति आदर और पर्यावरण संवर्धन का संदेश उसमें दिया जाता है|

3. स्पीति और लदाख़ भारत के दुर्गम क्षेत्र हैं और वहाँ का लोकजीवन वैविध्यपूर्ण है| यहाँ साईकिल चलाते समय स्थानीय लोगों के साथ संवाद किया जा सकता है|

4. यहाँ साईकिल चलाना एक तरह से राष्ट्रीय एकात्मता और विविधता में एकता भी दर्शाता है|

5. ये हिस्से सीमा से सटे होने के कारण यहाँ साईकिल चलाते समय आर्मी के जवानों से भी मिलना होता है और उनसे अनौपचारिक संवाद भी किया जा सकता है| ये कितने विपरित स्थिति में काम करते हैं, यह जाना जा सकता है| उनसे मिलना भी उन्हे किया जानेवाला एक तरह का सैल्यूट ही है|

सोलो साईकिल योजना

यह सोलो साईकिलिंग सपोर्ट वाहन के बिना की जाएगी| उसकी शुरुआत शिमला में होगी और उसका समापन लेह, जम्मू- कश्मीर में होगा| लगभग २५ दिनों में साईकिलिस्ट १२०० किलोमीटर की दूरी तय करेगा और जगह जगह लोगों से और स्थानीय संस्थाएँ/ कार्यकर्ताओं से मिलेगा| उपर बताए गए विषयों पर मंथन करना भी उसमें होगा| अभियान पूरा होने के बाद साईकिलिस्ट यह अनुभव विविध फोरम्स पर लोगों के साथ साझा करेगा|

इस साईकिल यात्रा को रिलीफ फाउंडेशन, महा एनजीओ फेडरेशन, माहिती सेवा समिती, हरित सेना, महाराष्ट्र आदि विविध संस्थाओं का और कई व्यक्तियों का सहभाग मिला है|

मंथन फाउंडेशन सम्पर्क क्रमांक: आशा भट्ट 07350016571.
साईकिलिस्ट: निरंजन वेलणकर 09422108376

Tuesday, July 23, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी- १४ (अन्तिम): जीवनशैलि में दौड़ने का अन्तर्भाव

१४ (अन्तिम): जीवनशैलि में दौड़ने का अन्तर्भाव
 

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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मुम्बई मैरेथॉन पूरी होने के बाद यह तय किया कि रनिंग तो जारी रखनी ही है, लेकीन महिने में एक लाँग रन करना है| तभी मैरेथॉन फिटनेस/ स्टैमिना बरकरार रहेगा| इसलिए जनवरी के बाद मार्च में एक बार २५ किलोमीटर दौड़ की और उसके बाद अप्रैल में २२ किलोमीटर दौड़ की| छोटे रन्स भी जारी रहे| और साईकिल चलाना,  चलना, योग, स्ट्रेंदनिंग आदि तो अब जीवन का हिस्सा बन चुके हैं| और अब उन्हे 'करने की' जरूरत नही पड़ती है| बल्की अब उन्हे न किए बिना चलता ही नही है|  



Friday, July 19, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी- १३: मुंबई मैरेथॉन के अन्य पहलू

१३: मुंबई मैरेथॉन के अन्य पहलू
 

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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जनवरी २०१९ की मुम्बई मैरेथॉन! ए दिल है मुश्किल यहाँ, जरा हट के जरा बचके ये है बम्बई मैरेथॉन! अपेक्षाकृत एक तरह से यह ईवंट कुछ हद तक डरावनी लगती रही| और ईवंट की तुलना में बाकी चीजें- जैसे मुम्बई में यात्रा करना, मैरेथॉन के लिए बिब कलेक्शन आदि चीजें मानसिक रूप से थोड़ी थकानेवाली लगी| मैरेथॉन की पूर्व संध्या तक बहुत तनाव लगा, लेकीन जब उस विषय पर बहुत बातचीत हुई, बार बार उस पर सोचा गया, तो एक समय आया कि मन उस तनाव से हल्का हुआ| या एक तरह से उस विषय से थक गया/ बोअर हुआ| उससे राहत मिली| और बाद में मैरेथॉन तो बहुत ही अच्छी रही| इस लेखमाला के पहले लेख में उस मैरेथॉन के अनुभव बता चुका हूँ|

अब चर्चा करता हूँ उसके कुछ अन्य पहलूओं की| सबसे बड़ी बात तो लोगों द्वारा दिया जानेवाला प्रोत्साहन- लगातार घण्टों तक सड़क पर खड़े रहना और पानी, एनर्जाल, फल आदि देते रहना बहुत बड़ी बात है| यह एक मुंबई का कल्चर का हिस्सा लगा| मैरेथॉन का रूट जापानी दूतावास के पास से जाता है, तो वे लोग भी आए थे| इसी मैरेथॉन के दौरान राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय एलिट रनर्स (रेसर) भी देखने को मिले| आम रनर्स से दो घण्टा बाद में शुरू कर भी वे बहुत जल्द रेस पूरी कर गए! मेरे जैसे आम रनर और वे रेसर्स इनमें शायद संजय मंजरेकर और विरेंदर सेहवाग के स्ट्राईक रेट जितना अन्तर होगा!



फोटो: इंटरनेट से साभार


मैरेथॉन के उत्तरार्ध में सड़कों पर बहुत कुछ फेंका गया| कई बोतलें, एनर्जाल आदि के पाउच भी रनर्स फेंकते गए| उससे कुछ हद तक सड़क भी फिसलनेवाली हो गई| पानी पिने के बाद वजन नही ढोना पड़े इसलिए रनर्स उसे फेंकना था तो कूड़ेदान में भी फेंक सकते थे, लेकीन ऐसा शायद कम हुआ| बाद में तो कूड़े का ढेर लग गया| बेचारे वालंटीअर्स उसे सम्भालने का प्रयास करते दिखे|

Tuesday, July 2, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी- १२: मुंबई मैरेथॉन की तैयारी

१२: मुंबई मैरेथॉन की तैयारी
 

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नवम्बर २०१८ में फिर एक बार लाँग रन्स शुरू किए| २० जनवरी २०१९ की मैरेथॉन के लिए तैयारी करनी है| उसके पहले एक बार ३६ किलोमीटर तक मुझे पहुँचना है| अगस्त- सितम्बर में जब लगातार हर हफ्ते २५- ३० किमी दौड़ा था, तो दिक्कत हुई थी और इंज्युरी भी हुई थी| इसलिए इस बार सोचा कि हर हफ्ते के बजाय हर पखवाड़े लाँग रन करूँगा और बीच बीच में छोटे रन ही करूँगा| इसके साथ मैरेथॉन के पहले कुछ चीजें भी थोड़ी ठीक करनी है| शूज का निर्णय लेना है और तकनीक भी थोड़ी ठीक करनी है| इसी समय मेरे रनिंग के मार्गदर्शक बनसकर सर ने मुझे अदिदास के शूज गिफ्ट किए| मेरे लिए वह बिल्कुल अच्छे लगे| अब इन शूज के साथ लाँग रन कर के देखना होगा| साथ ही एक तरह से २५ किलोमीटर के बाद जो दिक्कत आती है, उसे भी पार करना है|

कई रनर्स के साथ इसके बारे में चर्चा भी कर रहा हूँ| २५ किलोमीटर के बाद रनिंग करना कठिन होता है और चलना पड़ता है, इसके कई कारण हो सकते हैं| जैसे ठीक डाएट ना होना, रनिंग की तकनीक गलत होना या मानसिक अवरोध भी! उस तरह से कुछ बदलाव भी करता गया| प्रोटीन का इन्टेक बढ़ाया| कुछ और व्यायाम शुरू किए| इसी दौरान बनसकर सर ने मुझे पुश अप्स करने की ट्रिक भी बताई| पहले कभी भी पुश अप्स नही किए थे, इसलिए उन्हे करना बहुत कठिन लग रहा था| क्यों कि उसमें पूरे शरीर का आधा वजन दो हाथों पर उठाना होता है| तब सर ने मुझे एक बार रनिंग के बाद एक फूट या दो फूट ऊँची फर्श पर पुश अप करने के लिए कहे| वे मै कर पाया| उसी से धीरे धीरे वह ट्रिक आ गई और वह क्षमता भी आ गई| रनिंग के लिए कुछ जिम के अभ्यास, योग, प्राणायाम, चलना, साईकिलिंग बहुत उपयोगी है| मसल्स भी तैयार होते हैं, स्टैमिना भी बढ़ता है| इसी कारण इस दौरान बड़े बड़े वॉक भी किए और आगे भी करता रहा| इससे फास्ट वॉकिंग की स्पीड भी बढ़ गई और २५ किलोमीटर या ३० किलोमीटर की दूरी के बाद चलना भी पड़े तो आसानी से बाकी की दूरी पार कर लूँगा, यह हौसला मिला|