४: परतूर- अंबड
योग साईकिल यात्रा का तिसरा दिन, १३ मई की सुबह| रात में अच्छा विश्राम हुआ है और कल जो योग साधकों से मिलना हुआ था, उससे भी बहुत ऊर्जा मिली है| इस यात्रा के लिए उत्साह और भी बढ़ गया है| कल जहाँ ठहरा था वह परतूर गाँव! इसे वैसे तो परतुड़ भी कहा जाता है| और महाराष्ट्र और भारत के इतिहास में भी इस गाँव से जुड़ा एक घटनाक्रम है| १७६१ में पानिपत में मराठा सेना और अब्दाली के बीच पानिपत का तिसरा युद्ध हुआ| जब मराठा सेना इस युद्ध के लिए निकली थी, तो तब वह यहाँ परतूड़ में थी| परतूड़ में पेशवा सदाशिवरावभाऊ की अगुवाई में मराठा सेना ने निज़ाम की सेना को मात दी थी| यहीं मराठा सेना को अब्दाली और नजीबखान रोहीला की सेना ने मराठा सरदार दत्ताजी शिंदे को मात देने की की खबर मिली और सीधा परतूड़ से ही मराठा सेना दिल्ली के लिए निकली थी|


योग साईकिल यात्रा का तिसरा दिन, १३ मई की सुबह| रात में अच्छा विश्राम हुआ है और कल जो योग साधकों से मिलना हुआ था, उससे भी बहुत ऊर्जा मिली है| इस यात्रा के लिए उत्साह और भी बढ़ गया है| कल जहाँ ठहरा था वह परतूर गाँव! इसे वैसे तो परतुड़ भी कहा जाता है| और महाराष्ट्र और भारत के इतिहास में भी इस गाँव से जुड़ा एक घटनाक्रम है| १७६१ में पानिपत में मराठा सेना और अब्दाली के बीच पानिपत का तिसरा युद्ध हुआ| जब मराठा सेना इस युद्ध के लिए निकली थी, तो तब वह यहाँ परतूड़ में थी| परतूड़ में पेशवा सदाशिवरावभाऊ की अगुवाई में मराठा सेना ने निज़ाम की सेना को मात दी थी| यहीं मराठा सेना को अब्दाली और नजीबखान रोहीला की सेना ने मराठा सरदार दत्ताजी शिंदे को मात देने की की खबर मिली और सीधा परतूड़ से ही मराठा सेना दिल्ली के लिए निकली थी|