Tuesday, February 22, 2022

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) १३: एक अविस्मरणीय ट्रेक (२६ किमी)

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८ नवम्बर की सुबह| जल्द ही हिमालय से विदा होना है! पिथौरागढ़ जिले में पाताल भुवनेश्वर एक अतिशय सुन्दर गुफा- मन्दिर है| वहाँ जाने की योजना बन रही है| वहाँ अगले दिन जाएंगे, ऐसा तय हुआ|‌ इसलिए आज मै मनचाहा बड़ा ट्रेक कर सकता हूँ| कल २१ किलोमीटर चला था| आज २६ किलोमीटर घुमूँगा| उस दिन जीप में से देखे हुए बिल्कुल अन्दर के बेहद खूबसूरत रास्ते पर चलूँगा| थोड़ा सोच के तय किया कि कहाँ तक और कैसे जाऊँगा| यहाँ विद्यालय खुल गए हैं| इसलिए शुरू में सत्गड से कनालीछीना तक बच्चों के साथ पगडण्डी पर जाऊँगा| उस दिन गया था, वही पगडण्डी, लेकीन थोड़ी दूसरी तरफ से| और कनालीछीना से आगे सड़क पर चलूँगा| वापसी में कनालीछीना से सड़क से होते हुए ही आऊँगा| ऐसे कुल मिला कर २६ किलोमीटर और लगभग सवा चार घण्टे होंगे| सुबह ८ बजे बच्चों के साथ निकला| खेतों और पहाड़ के बीच से गुजरनेवाली राह! ये क्षण मन में सम्हाल के रख रहा हूँ!


Friday, February 18, 2022

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) १२: रमणीय चण्डाक हिल पर २० किमी ट्रेक

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७ नवम्बर की सुबह| कल पिथौरागढ़ में ही ठहरे थे| दो-मंजिला घर, आँगन और आँगन में सुन्दर बगीचा और फूल! यहाँ पूरब की तरफ बड़ा पहाड़ नही है, इसलिए धूप सुबह ६ बजे ही मिली| यह घर थोड़ी ऊँचाई पर है, इसलिए सामने पिथौरागढ़ शहर फैला दिखाई देता है| साथ में शहर से सटे छोटे पहाड़ भी दिखाई देते हैं| यहाँ से चण्डाक हिल की दूरी लगभग ८ किलोमीटर है| वहाँ से थोड़ा आगे मोस्टा मनू मन्दिर है| वहाँ तक घूमने का तय किया| कुल मिला कर लगभग १८- २० किलोमीटर का ट्रेक होगा| कभी भी न देखे हुए परिसर में ट्रेक होगा| पानी की बोतल, कुछ गूड़पापड़ी आदि सामान पीठ पर ले कर निकला| रास्ता पहले पिथौरागढ़ शहर में जाता है और वहाँ के मेन मार्केट सिल्थाम से चण्डाक हिल की तरफ सड़क निकलती है| यहाँ कई जगह पर आईटीबीपी और बीआरओ के केन्द्र हैं| मिलिटरी की यातायात चलती रहती है| तेज़ी से चलते हुए बीस मिनट में मेन सिटी में पहुँचा| यहाँ नाश्ता मिलने की उम्मीद थी| लेकीन आगे देखता हूँ, ऐसा सोचते सोचते होटल पीछे छूट गए| और सुबह के आठ बजे ज्यादा होटल खुले भी नही थे| आगे चण्डाक के पास होटल मिलेगा, ऐसा पता चला| साथ में लायी गूड़पापड़ी खा कर आगे बढ़ा| धीरे धीरे पिथौरागढ़ शहर पीछे होता गया और निर्जन इलाका शुरु हुआ| यहाँ सुबह टहलने के लिए निकले हुए लोग दिखे| बाहर आने पर दूर से चण्डाक हिल का परिसर दिखाई देने लगा|

 


Tuesday, February 15, 2022

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) ११: उद्ध्वस्त बस्तड़ी गाँव के पास ट्रेक

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६ नवम्बर की शाम शिंगाली गाँव में पहुँचे| तब मन में बस्तड़ी गाँव की यादें उमड़ पड़ी| इसी गाँव के रिश्तेदारों के पास दिसम्बर २०११ में मै एक बार आया था| पहाड़ की ढलान पर और खाई के थोड़ा पहले यह गाँव बंसा है| यह पूरा क्षेत्र पहाड़ में ही है| यहाँ चोटियों के साथ खाई भी होती है| सड़कें तो निरंतर घाट की ही होती हैं| यह गाँव ऐसे स्थान पर है कि पिथौरागढ़ वापस जाते समय सड़क जब कुछ दूरी चढ़ कर फिर खाई के आगे सामने आती है, तब वहाँ से भी बस्तड़ी का परिसर दिखाई देता है| ३० जून २०१६ की रात्र यहाँ काल की रात साबित हुई| अत्यधिक बारीश चल रही थी| बादल फटा, बिजलियाँ कड़की और पानी आने लगा| लोगों को डर महसूस हुआ| सब लोग जग गए और हमारे जो रिश्तेदार गाँव में थे, वे सब एक घर में‌ इकठ्ठा हुए| और पूरे गाँव पर ही पहाड़ टूट पड़ा! अचानक आयी तेज़ बारीश के कारण पानी की बड़ी धारा तेज़ी से नीचे बहने लगी और वह इस पहाड़ की क्षमता से अधिक थी| इसलिए पहाड़ गिर पड़ा (लैंड स्लाईड) और उसके नीचे बंसा बस्तड़ी गाँव उसमें समा गया| गाँव के २१ व्यक्तियों ने अपने प्राण खोए और लगभग पूरा गाँव तबाह हुआ| पहाड़ से इतनी मिट्टी बह कर आयी थी कि कई दिनों की खोज के बाद भी मृतकों के अवशेष भी नही मिल पाए| हमारे उस समय वहाँ होनेवाले कई रिश्तेदार उसमें गुजर गए| संयोग से जो बाहर थे, वही बच गए| महाराष्ट्र में २०१४ में माळीण नाम के गाँव में भी कुछ इसी तरह का हादसा हुआ था...



Monday, February 7, 2022

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) १०: ध्वज मन्दिर का सुन्दर ट्रेक

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४ नवम्बर को बूँगाछीना गाँव में‌ पूजा सम्पन्न हुई| उत्तराखण्ड के सामुदायिक लोक जीवन का अनुभव ले सका| उस कारण रिश्तेदारों से मुलाकातें हुईं- बातचीत हुई| आज लक्ष्मी पूजन है, इसलिए रात सत्गड पहुँचना है| सभी रिश्तेदारों से और बूँगाछीना के रमणीय परिसर से विदा ले कर हम निकले| दिवाली का दिन होने के कारण पिथौरागढ़ जानेवाली जीपें मिल नही रही हैं|‌ साथ ही यहाँ सरकारी रोडवेज बसों के कुछ ड्रायव्हर्स का स्ट्राईक भी चल रहा है| इसलिए बहुत देर तक सड़क पर राह देखते रहे| दोपहर की धूप में तो अच्छा लगा, लेकीन जब धीरे धीरे शाम ढलने लगी, तब स्वेटर पहनना पड़ा| अन्त में बूँगाछीना के ही एक सज्जन उनकी जीप से छोड़ने के लिए तैयार हुए| यहाँ पहाड़ी सड़कें हैं, इससे वाहनों के रेट बहुत ज्यादा हैं| सरकारी बस में लगभग एक किलोमीटर के लिए दो रूपए लगते हैं, तो शेअर जीप चार या पाँच रूपए लेती हैं| साथ ही पेट्रोल के दाम बढ़े है| और कोरोना के कारण आई हुई मन्दी| यहाँ का पर्यटन भी प्रभावित हुआ है| खैर|




Wednesday, February 2, 2022

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) ९: अदू के साथ किया हुआ ट्रेक

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३ नवम्बर २०२१! हिमालय से लौट कर ढाई महिने हो गए हैं, फिर भी वे दिन आँखों के सामने हैं| आप सब ठीक होंगे, ऐसी आशा करता हूँ और आगे के अनुभव शेअर करता हूँ| बुंगाछीना गाँव में होनेवाली पूजा, यही इस पारिवारिक यात्रा का मुख्य कारण था| उसके लिए सब बुंगाछीना पहुँचे| सत्गड- पिथौरागढ़- बुंगाछीना ऐसी यात्रा में दूरी सिर्फ ५० किलोमीटर होगी, लेकीन ढाई घण्टे लगे| बुंगाछीना में कुछ दिन पहले आए थे, तब प्रदीपजी के साथ पास के पहाड़ पर और पगडण्डियों पर अच्छा सा घूमना हुआ था| अब उसी पहाड़ के मन्दिर पर अदू को ले जाना है| जब हम गूंजी गए थे, तब वह यहाँ अच्छे से ठहरी थी| घर की भेड़- बकरियाँ, खेत का वातावरण, रिश्तेदार और अलग लोग, अत्यधिक ठण्ड, रात में बाघ का डर यह सब माहौल उसने बहुत एंजॉय किया| अत्यधिक ठण्ड से उसका चेहरा काला हो गया है| हम सभी का! उसके गाल बाद में लाल होने की मै राह देख रहा हूँ!