Friday, January 25, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी २: लडखडाते कदम

२: लडखडाते कदम
 

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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मार्च २०१६ में एक साईकिल यात्रा की तैयारी के लिए पहली बार रनिंग शुरू की| इसमें बहोत सारी दिक्कतें आई| कई सालों से मेरी माँ कहती थी, भोर दौड़ने जाओ, लेकीन कभी मन नही हुआ| लेकीन जब २०१३ में साईकिल शुरू की थी, तब धीरे धीरे फिटनेस के प्रति लगाव होने लगा| बाद में साईकिल के ग्रूप्स में कई लोग रनिंग करते नजर आते थे| और साईकिल चलाने में स्टॅमिना बढ़ाने की बहुत इच्छा थी| तब जा कर रनिंग करना तय किया| क्यों कि रनिंग में कम समय में ही ज्यादा एनर्जी लगती है| आम भाषा में तो साईकिल चलाने से दोगुनी ऊर्जा लगती है| इसलिए अगर रनिंग का अभ्यास किया तो स्टॅमिना बढता है| और अगर रनिंग का अच्छा अभ्यास हुआ, रनिंग से स्टॅमिना बढा तो साईकिल चलाने में आसानी होती है| क्यों कि शरीर अगर अधिक थकान को आदि हो गया तो फिर साईकिल में वह कम थकता है| इस सोच से मार्च २०१६ में रनिंग का आगाज़ किया|

लेकीन कठिनाईयाँ बहुत थी| पहली बात तो लोग क्या कहेंगे, मै रनिंग करता हुआ कैसा दिखूंगा? स्कूल के दिनों से लोग हंसते थे! रनिंग तो दूर, मेरे चलने के बारे में भी लोग बहुत बोलते थे- ऐसे मत चलो, सिधा चलो आदि| तो ये सब बातें‌ मन में थी| उसका बहुत डर था| इसलिए शुरू में तो सिर्फ भोर के अन्धेरे में ही रनिंग को जाने का मन होता था| फिर कई दिन आलस के कारण सुबह उठना नही होता था| इसलिए रनिंग करने का तय करने के बाद रनिंग शुरू करने में भी बहुत वक्त लग गया| लेकीन चूँकी साईकिल चला कर धीरे धीरे एक तरह से शर्म दूर कर चूका था- जैसा भी दिखूंगा, साईकिल तो चलानी है| इससे मन तैयार हुआ और रनिंग के लिए निकला| पहले दिन तो साढे पाँच किलोमीटर चला- उसमें मुश्कील से पाँचसो मीटर रनिंग हुआ होगा| क्यों कि शरीर को बिल्कुल भी अभ्यास नही है| इसलिए थोड़ा सा दौड़ने पर बहुत रूकना या चलना होता था| लगातार दो- तीन दिनों तक ऐसा ही करता रहा- मुश्कील से सौ मीटर रनिंग और बाद में वॉकिंग| आखिर कर पाँचवे दिन ज्यादा दूरी तक रनिंग कर सका| लेकीन इसे रनिंग भी नही कहना चाहिए- यह तो वॉक जैसा ही जॉग था| कुछ दिनों बाद लगातार एक किलोमीटर दौड पाया| लेकीन फिर ब्रेक लेना आवश्यक हुआ| पसीना भी बहुत ज्यादा आता था, इसलिए साथ में पानी की बोतल रखनी पड़ी| इस तरह बिल्कुल गलत तरीके से मगर रनिंग की शुरुआत तो हुई| कई दिनों के प्रयास के बाद जग लगातार पाँच किलोमीटर दौड़ सका, तो बड़ी खुशी हुई! हालांकी इस जॉगिंग की स्पीड लगभग चलने जैसी ही थी| क्यों कि बीच बीच में रूकना पड़ रहा था|

बीच बीच में गॅप भी पड़ती रही| अप्रैल २०१६ में कुछ रन करने के बाद आखिर कर एक बार दस किलोमीटर तक दौड़ पाया| लेकीन समय कितना लगा, यह मत पूछिए| लगभग पौने दो घण्टे लगे! आज हंसी आती है| शुरू में कई महिनों तक मै जिस स्पीड से दौड़ता था, उससे फास्ट तो आज मै चलता हूँ| स्पीड छोडिए, लेकीन रनिंग का मज़ा जरूर आने लगा| किसी भी हुनर को अपनाने में सबसे कठिन चरण मज़ा आने तक का होता है| एक बार जिसे स्वाद मिल जाए, वह फिर नही छोडा जाता है| धीरे धीरे छोटे हिल पर भी रनिंग करने की हिम्मत आ गई| बहुत पसीना बहता था, लेकीन मज़ा भी आता था| लेकीन... इसी दौरान साईकिल चलाने में भी खण्ड आया, सो कुछ महिनों तक रनिंग बन्द भी रहा| २०१६ वर्ष में मार्च में रनिंग शुरू करने के बावजूद पूरे वर्ष में सिर्फ २६ दिन ही रनिंग कर पाया| लेकीन हम जो भी कर के सीखते हैं, उसे कभी नही भूलते हैं| जल्द ही रनिंग फिर से शुरू होनेवाला था और अब आगे भी बढ़नेवाला था|

अगला भाग: “भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ३: धिमी रफ्तार से बढते हुए

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रयास... जीवन में कुछ न कुछ नया करते रहने से जीवन में उत्साह और प्रफुल्लता बनी रहती है...

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