Sunday, March 20, 2022

प्रीसिशन सर्जिकल स्ट्राईक करनेवाला और मधुमख्खियों के झुण्ड पर हमला बोलनेवाला कश्मीर फाईल्स!!

नमस्ते| आप सब कैसे हैं? हाल ही में कश्मीर फाईल्स फिल्म देखी| उसके बारे में मेरे विचार शेअर करता हूँ| शायद आप कुछ मुद्दों से सहमत होंगे, कुछ से सहमत न भी होंगे| लेकीन अलग अलग सोच, विचार और नज़रिए कम से कम सुनने या पढ़ने तो चाहिए होते हैं ना| इसलिए यह शेअर करने का मन हुआ|

कभी ट्रेकिंग, कभी घूमना, कभी राहत कार्य के लिए कश्मीर जाना हुआ| कश्मीर घाटी में कई जगहों पर जाने का मौका मिला- श्रीनगर, पुलवामा, अनन्तनाग, छत्तीसिंगपोरा (जहाँ बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के समय ३६ सीख्खों का कत्ल मिलिटरी के भेस में आए आतंकवादियों ने किया गया था) और शंकराचार्य हिल भी! बचपन से कश्मीर के बारे में बहुत पढ़ा भी था| यह फिल्म देखते समय कश्मीर में देखी हुई बातें, वहाँ के अनुभव और वहाँ की घटनाएँ याद आ रही थी| जम्मू से टैक्सी द्वारा श्रीनगर जाते समय साथ में होनेवाले कश्मिरियों की खामोशी और उनका बातचीत में उत्सुक न होना, श्रीनगर में ऑटो रिक्षावाले ने सबसे पहले पूछना- हिन्दु की मुसलमान हो, श्रीनगर में गोलीबारी की आवाज, पथराव (स्टोन पेल्टिंग), छत्तीसिंगपोरा में अब भी सीख्खों का घूमना- रहना, अनन्तनाग को इस्लामाबाद और शंकराचार्य हिल को सुलेमान टॉप कहा जाना, कुछ स्थानीयों द्वारा अक्सर एक तरह की दूरी रखी जाना, मिलिटरी की भारी गतिविधियों के कारण स्थानीयों को असुविधा होना भी देखा था| यह भी देखा की, सब तरह के फर्क, भिन्न पृष्ठभूमि, अलग किस्म का रहन- सहन होने के बावजूद लोगों में अपनापन और सरलता देखी| मिठी सी कश्मीरी भाषा में हिन्दी और संस्कृत के शब्द भी सुने थे| इन सब अनुभवों के आधार पर कह सकता हूँ कि इस फिल्म ने एक ऐसे सच को सबके सामने पटक दिया है जो अधिकांश लोगों के सामने अब तक नही आया था|

(जम्मू- कश्मीर में २०१४ में आयी आपदा के दौरान राहत कार्य में सहभाग के अनुभव यहाँ पढ़ सकते हैं|  निरंजन वेलणकर 09422108376, niranjanwelankar@gmail.com)

फिल्म देख कर लगा कि बहुत सोच समझ कर यह एक तरह का सर्जिकल स्ट्राईक ही किया गया है| यह हमला उस सिस्टीम पर सीधा बोला गया है जिस सिस्टीम ने अब तक यह सच सामने नही आने दिया था| फिल्म की प्रस्तुति, अदाकारों के अभिनय, कहानि आदि के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नही है| बस इतना कहना चाहता हूँ कि फिल्म बहुत सटिक चोट करनेवाली है और एक तरह से मधुमख्खियों के झुंड को ध्वस्त करती है| निश्चित ही अलग अलग पहलु इस पूरे विषय में है ही| लेकीन फिल्म का उद्देश्य एक ही कोण को सामने लाना है| और फिल्म उसमें सफल हुई है| किसी भी विषय को ३६० डिग्री में देखने पर अलग अलग पहलू नजर आते हैं, अलग कोण होते हैं| वे सब हैं| फिर भी फिल्म में जो सच बताया गया है, वह ज्वलंत सत्य है| और वह ज्वलंत हमें इसलिए लगता है क्यों कि उस दिशा में अब तक घना अन्धेरा था|

अन्त में इतना ही कहना चाहूँगा कि, यह फिल्म जो परस्पेक्टीव देती है, वह किसी के खिलाफ नही है| जो है, उसे बिल्कुल प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत किया गया है| और सच तो हमेशा कड़ुआ ही होता है| सच सहने के लिए तो बड़ी हिम्मत और हौसला चाहिए| इस फिल्म की निर्मिति के लिए विवेक अग्निहोत्री जी और अन्य सभी का मै अभिनन्दन करता हूँ| प्रकाश में आए हुए इस सच के जिम्मेदार हम सब हैं| हमारे देश की पूरी सिस्टीम, पूरा प्रशासन और समाज का तन्त्र इसके लिए जिम्मेदार है| यही अपेक्षा करता हूँ हम सब में अलग अलग दृष्टिकोण और परस्पेक्टिव्हज सुनने की और उन पर सोचने की क्षमता हो और सच को सीधा देखने का साहस हो| तभी हम इस फिल्म से सीख ले सकते हैं| धन्यवाद|

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