६: काण्डा गाँव से वापसी
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१ दिसम्बर २०१७ की सुबह| काण्डा गाँव में विवाह का माहौल है| रातभर लोग जगते रहे| नाच- गाना भी हुआ| सुबह जल्दी निकलने की तैयारी है| यहीं से बारात निकलेगी| सुबह रोशनी आने के पहले अन्धेरे में इस गाँव का अलग दर्शन हुआ| चाय- नाश्ता ले कर यहाँ से निकलने के लिए चले| अब कल वाला ट्रेक फिर उल्टी दिशा में करना है| ट्रेक तो छोटा सा ही है| एक दो जगहों पर ही एक्स्पोजर है या पैर फिसलने जैसी सम्भावना है| कल आते समय मेरी बेटी को आशा ने लाया था| बहुत दूरी वह पैदल चली और फिर गोद में बैठ कर| ट्रेक तो मै आराम से कर लूँगा, लेकीन ऐसी जगह बेटी को उठा कर ले जाने का साहस मुझमें नही है| उसे तो यहाँ की स्थानीय दिदी उठा कर ले जाएगी, ऐसा तय हुआ| मैने कुछ सामान उठा लिया| और सुबह की ओस की उपस्थिति में ही निकल पड़े| साथ ही बारात भी निकली| एक जगह मन्दीर में दर्शन ले कर वे आगे आएंगे| यहाँ कोई भी वाहन नही आ सकता है| इसलिए सबको पैदल ही चलना है| अगर कुछ बड़ा सामान होता है, तो उसके लिए घोडा है|
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१ दिसम्बर २०१७ की सुबह| काण्डा गाँव में विवाह का माहौल है| रातभर लोग जगते रहे| नाच- गाना भी हुआ| सुबह जल्दी निकलने की तैयारी है| यहीं से बारात निकलेगी| सुबह रोशनी आने के पहले अन्धेरे में इस गाँव का अलग दर्शन हुआ| चाय- नाश्ता ले कर यहाँ से निकलने के लिए चले| अब कल वाला ट्रेक फिर उल्टी दिशा में करना है| ट्रेक तो छोटा सा ही है| एक दो जगहों पर ही एक्स्पोजर है या पैर फिसलने जैसी सम्भावना है| कल आते समय मेरी बेटी को आशा ने लाया था| बहुत दूरी वह पैदल चली और फिर गोद में बैठ कर| ट्रेक तो मै आराम से कर लूँगा, लेकीन ऐसी जगह बेटी को उठा कर ले जाने का साहस मुझमें नही है| उसे तो यहाँ की स्थानीय दिदी उठा कर ले जाएगी, ऐसा तय हुआ| मैने कुछ सामान उठा लिया| और सुबह की ओस की उपस्थिति में ही निकल पड़े| साथ ही बारात भी निकली| एक जगह मन्दीर में दर्शन ले कर वे आगे आएंगे| यहाँ कोई भी वाहन नही आ सकता है| इसलिए सबको पैदल ही चलना है| अगर कुछ बड़ा सामान होता है, तो उसके लिए घोडा है|