Wednesday, October 31, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ६: देवगड़ बीच और किला

६: देवगड़ बीच और किला

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देवगड़ में‌ पहुँचने की‌ उत्तेजना काफी देर रही| फार्म हाउस के विरान इलाके में वह दिन बिता| पाँच दिनों में ४१३ किलोमीटर से अधिक दूरी पार हो गई! इस साईकिल को कैसे धन्यवाद दूं? यह फार्म हाऊस मुख्य सड़क से लगभग आधा किलोमीटर अन्दर है और यहाँ की सड़क बिल्कुल कच्ची और पथरिली है| आते समय पहले तो लगा कि साईकिल पैदल ही लानी ठीक होगी| लेकीन इतने दिन साईकिल चलाने से हौसला बढ़ गया था| इसलिए धीरे धीरे उस कच्ची सड़क या ट्रेल पर भी साईकिल चला के घर पहुँचा था| मेरे रिश्तेदार कल आएंगे, इसलिए घर में‌ भी खामोशी है| यहाँ ठहरना एक तरह से बाहरी दुनिया से सम्पर्क क्षीण करने जैसा है| टिवी नही, इंटरनेट भी‌ धिमा और कभी भी रूक जाएगा ऐसा| लेकीन रिलैक्स करने के लिए बहुत बेहतर माहौल| अब एक तरह से इस यात्रा का मुख्य हिस्सा पूरा हुआ है| इसलिए मन से भी रिलैक्स महसूस कर रहा हूँ| अच्छे विश्राम के बाद ११ सितम्बर  को अब देवगड़ किला और बीच देखना है|








Monday, October 29, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ५: राजापूर- देवगड़ (५२ किमी)

भाग ५: राजापूर- देवगड़ (५२ किमी)
 

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१० सितम्बर की सुबह| आज बहुत छोटा सा चरण है- सिर्फ ५१ किलोमीटर है| लेकीन एक तरह से आज मेरा सपना पूरा होने जा रहा है, इसलिए मन में बहुत उत्तेजना है| लगातार चार दिनों में ३५० किलोमीटर से अधिक दूरी पार करने से आज की दूरी बहुत मामुली हो गई है| हालांकी समय तो लगेगा, लेकीन चिन्ता बिल्कुल नही होगी| जैसे औपचारिकता बची है| लेकीन सुबह जब निकला तो मन में भाव सिर्फ एंजॉय करने का है| रोशनी होते होते जब निकला, तो दूर आसमान में अन्धेरा दिख रहा है| एक बार बरसात का डर भी लगा| लेकीन थोड़ी ही‌ देर में पता चला कि यह तो धुन्ध है| और इसका मतलब यह भी है कि अब बारीश आने की सम्भावना एकदम कम हो गई है| राजापूर से निकल कर जैसे ही‌ मुंबई- गोवा हायवे छोड दिया, तो बहुत ही सुन्दर और उपर चढ़नेवाली सड़क मिली| और थोड़ा आगे जाने के बाद जैसे कोहरे का समुद्र लगा! आज समुद्र तो मिलेगा ही, लेकीन उसके पहले कोहरे का समुद्र! वाह, अद्भुत नजारा! और कितनी रोमँटीक और लगभग निर्जन सड़क!







Friday, October 26, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ४: मलकापूर- आंबा घाट- लांजा- राजापूर (९४ किमी)

भाग ४: मलकापूर- आंबा घाट- लांजा- राजापूर (९४ किमी)
 

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९ सितम्बर की सुबह| कल रात अच्छा विश्राम होने से बहुत ताज़ा महसूस कर रहा हूँ| आज रविवार है, इसलिए थोड़ी देरी से निकलना है| लेकीन सुबह नीन्द जल्द खुल गई, इसलिए लॉज के बाहर आकर थोड़ा मॉर्निंग वॉक लिया| बाहर सब शान्ति शान्ति है, चाय का होटल तक खुला नही है| फिर आराम से सात बजे बाहर निकला| अब होटल खुला मिला| नाश्ता करते समय मेरी साईकिल देख कर कई बस ड्रायवर और कंडक्टर मुझसे मिलने लगे! यहाँ पास ही तो बस स्टैंड है| कुछ देर तक उनसे बात की और लगभग पौने आठ बजे मलकापूर से निकला| विगत चार दिनों से क्या यात्रा रही है! और आज का पड़ाव बहुत अहम होगा| आज लगभग ९२ किलोमीटर ही जाना है, लेकीन यह भी सफर चढने- उतरनेवाले रास्तों के बीच होगा| इसी रोड़ पर लगभग आठ साल पहले एक बार आया हूं, इसलिए कुछ तो याद है| इतिहास में प्रसिद्ध विशालगढ़ के पास से यह सड़क गुजरती हैं| मलकापूर से आगे आते ही नजारों की झड़ी जैसे शुरू हुई!







Sunday, October 21, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ३: सातारा- कराड- मलकापूर (११४ किमी)

३: सातारा- कराड- मलकापूर (११४ किमी)

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८ सितम्बर की सुबह| जब नीन्द खुली तो बाहर झाँक के देखा| पूरे आसमान में बादल छाए हैं और जल्द ही बून्दाबून्दी शुरू हुई! आज बारीश के आसार है| लेकीन जब तैयार हो कर साईकिल ले कर निकला, तो आसमान बिल्कुल साफ हुआ है! इसे ही तो सावन की रिमझिम बारीश कहते हैं! सातारा! शहर में सामने अजिंक्यतारा किला जैसे निगरानी करने के लिए खड़ा है! बड़ा विराट नजर आता है! पीछली बार की सातारा यात्रा की याद ताज़ा करते हुए अजिंक्यतारा के पास से निकला| और सातारा शहर का सौंदर्य फिर एक बार देखने को मिला| अजिंक्यतारा के पीछे के रास्ते से हायवे की तरफ बढ़ने लगा| क्या नजारे हैं! वाकई, सातारा जिले के साथ सातारा शहर भी एक घूमक्कडों का और फिटनेस प्रेमियों का डेस्टीनेशन है! अच्छी संख्या में लोग मॉर्निंग वॉक कर रहे हैं, कोई कोई साईकिल पर भी हैं और दौड़ भी रहे हैं! बहुत हरियाली और उसमें से गुजरती विरान सड़क! इस बार भी सातारा का अच्छा भ्रमण हो रहा है! लगभग दस साल पहले इसी परिसर में जकातवाडी गाँव में एक मीटिंग के लिए आया था, वह याद भी ताज़ा हो गई! शहर के इतना करीब होने के बावजूद इतना कुदरती सौंदर्य! अजिंक्यतारा दूसरी तरफ से देखते हुए आगे बढ़ा और जल्द ही हायवे पर पहुँच गया| अब यहाँ से कराड़ तक सीधा हायवे है|








Tuesday, October 16, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग २: पुणे से सातारा (१०५ किमी)

भाग २: पुणे से सातारा (१०५ किमी)
 

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७ सितम्बर की सुबह| आज इस यात्रा का बड़ा दिन है| आज सौ किलोमीटर से अधिक साईकिल चलाऊँगा| सुबह उजाला होते होते शुरुआत की| आज पहले ही घण्टे में कात्रज घाट या कात्रज टनेल की चढाई होगी| इस रूट पर कुछ दूरी तक पहले भी गया हूँ, इसलिए कोई कठिनाई नही है| पुणे के धायरी इलाके से निकलने के बाद थोड़ी देर में कात्रज टनेल की चढाई शुरू हुई| साईकिल में ब्लिंकर ऑन कर दिया| साथ में साईकिल पर और हेलमेट पर भी कई जगह पर लाल स्टिकर्स चिपकाए हैं| और लाईट में चमकनेवाला रिफ्लेक्टिव जैकेट भी पहना है| आज के दिन जरूर मुझे बरसात मिलेगी, उसकी भी अच्छी तैयारी की है| टनेल तक चढाई है और उसके बाद लम्बी उतराई! टनेल लगभग आठ किलोमीटर की चढाई के बाद आता है| सवा किलोमीटर टनेल में साईकिल चलाई| वाकई यह अनुभव कितने भी बार लिया हो, फिर भी अनुठा है| धीरे धीरे जैसे टनेल खत्म होता है, उजाला फिर से आता है|‌ यह हम सबके जीवन कहानि का भी हिस्सा है! अब यहाँ से निरंतर पच्चीस किलोमीटर तक उतराई|









Saturday, October 13, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग १: प्रस्तावना

भाग १: प्रस्तावना

नमस्ते! कोंकण में साईकिल पर घूमना मेरा कई बरसों का सपना सा था| पहले एक बार इसका असफल प्रयास भी किया था| लेकीन इस बार यह सपना सच हुआ| साईकिल पर कोंकण में घूम सका- अकेले सोलो साईकिलिंग करते हुए| अब इसके बारे में विस्तार से बात करता हूँ| पहली बात तो यह की यह यात्रा मेरी नई हायब्रिड साईकिल मेरीडा स्पीडर 100 पर पहली यात्रा है| मार्च में यह हायब्रिड साईकिल ली| इसपर दो शतक भी हुए, लेकीन हर बार पंक्चर हुआ| मेरी पुरानी एमटीबी साईकिल और यह हायब्रिड साईकिल में पुराने ज़माने का नोकिया का शुद्ध फोन- 3315 और अभी के जनरेशन का आई फोन सेवन जैसा अंतर है! इसलिए यह साईकिल सीखने में, समझने में और उसे अपनानें में बहुत दिक्कत हुई| साईकिल ही हो कर भी बहुत आधुनिक और अलग किस्म की साईकिल होने के कारण बहुत कुछ एडजस्ट करना पड़ा जैसे टायर प्रेशर, एक्सेसरीज के साथ तालमेल, सड़क पर ग्रिप आदि| धीरे धीरे यह सब सीखता गया| और इस प्रक्रिया में मेरे साईकिल मित्र आशिष फडणीस जी ने बहुत मार्गदर्शन दिया और साथ भी दिया! मेरे सभी सवालों और शंकाओं का धैर्य के साथ निरसन किया! वाकई मेरे सवाल बहुत थे और बहुत समस्याएँ भी आईं! कई बार तो लगता भी था कि इस नाज़ुक सी और बहुत रिजर्व किस्म की साईकिल के बजाय मेरी पुरानी एमटीबी साईकिल ही अच्छी जिसकी हर समस्या का इलाज हर अच्छे साईकिल दुकान में उपलब्ध है जबकी इस साईकिल को 'कुछ' भी हो गया, तो उसके लिए सीधे उसके शोरूम तक जाना पड़ रहा है| इसलिए मानसिक तौर पर भी काफी मशक्कत कर के साईकिल की बेसिक्स सीखनी पड़ी| लेकीन इन सबके दौरान आशिषजी ने बहुत मार्गदर्शन दिया और धीरे धीरे इस साईकिल से भी दोस्ती हो गई! इस साईकिल को मैने नाम भी दिया- मेरी!









Thursday, October 11, 2018

'योग जिज्ञासा: एटलस सायकलीवर योग यात्रा विशेषांक'

नमस्कार. नुकतंच जालना येथे 'योग संमेलन' झालं. चैतन्य योग केंद्र जालना व निरामय योग प्रसार व संशोधन केंद्रातर्फे आयोजित ह्या योग संमेलनामध्ये 'योग जिज्ञासा: एटलस सायकलीवर योग यात्रा विशेषांक' प्रकाशित करण्यात आला. गेल्या मे महिन्यामध्ये परभणी- जालना- औरंगाबाद व बुलढाणा जिल्ह्यात ५९५ किमी सायकल प्रवासातून विविध योग साधकांसोबत झालेल्या भेटी, त्यांचे अनुभव, ठिकठिकाणची योग केंद्रे/ योग साधक ह्यांचे पत्ते व संपर्क क्रमांक ह्यांचे तपशील असलेला हा विशेषांक आहे. योगामुळे आयुष्यात काय फरक पडला, हे २७ साधक- साधिकांच्या अनुभवातून आपल्याला कळतं. त्याबरोबरच मराठवाडा भागातल्या अनेक ठिकाणच्या योग केंद्रांची व योग- साधकांची माहितीही मिळते. हा विशेषांक प्रत्येक योग प्रेमी व सायकल प्रेमीच्या संग्रही असावा असा आहे.

हे पुस्तक कुठे मिळेल:

निरामय योग प्रसार व संशोधन संस्था, गोरेकाका भवन, अक्षदा मंगल कार्यालयाजवळ, विद्यापीठ रस्ता, परभणी ४३१४०१. सहभाग मूल्य रू. १००/-.
हे पुस्तक ऑनलाईन हवं असल्यास संस्थेच्या खात्यात पेमेंट करून पुढील मेलवर पावती व आपला पूर्ण पत्ता पाठवून संपर्क करता येईल. कूरियरने आपल्याला पुस्तक पाठवले जाईल.

डॉ. धीरज देशपांडे 09420033773, 08329595332 drdddeshpande@gmail.com
श्री. राहुल झांबड 09028968879, 09422968870 rahulzambad2014@gmail.com

संस्थेच्या बँक खात्याचे तपशील:

A/c no. 60116294640 Nirmaya yog Prasar and sanshodhan Kendra Parbhani Bank of Maharashtra Parbhani main branch, Parbhani IFSC code MAHB0000103

धन्यवाद! हे पुस्तक आपण घेऊ शकता किंवा आपल्या जवळच्या सायकलप्रेमी/ योग प्रेमींना भेट म्हणूनही देऊ शकता.
 
 

Wednesday, October 3, 2018

पिथौरागढ़ में भ्रमण ८ (अन्तिम): पिथौरागढ़ से वापसी

८ (अन्तिम): पिथौरागढ़ से वापसी
 

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२ दिसम्बर २०१७ की सुबह| कल रात की यात्रा कर पिथौरागढ़ पहुँचे| आज मुझे यहाँ से निकलना है, क्यों कि कल दोपहर को दिल्ली से ट्रेन है| वैसे तो कल लोहाघाट से ही मै जा सकता था, लेकीन उसके लिए एक रात लोहाघाट में ठहरना पड़ता| उसके बजाय सभी के साथ वापस पिथौरागढ़ आया, रात की यात्रा का भी अनुभव लिया| मेरे साथ में आए हुए लोग और कुछ दिन यहाँ रूकेंगे| लेकीन मुझे छुट्टियों की कमी के कारण निकलना होगा| लेकीन ये सांत दिन बेहद अनुठे रहे| लगभग ढाई सालों के बाद हिमालय का दर्शन हुआ और सद्गड़ और कांडा के रोमांचक ट्रेक हुए| हिमालय की गोद में होनेवाले गाँवों में रहने का मौका मिला! अब इन्ही यादों को संजोते हुए यहाँ से निकलना है|








Monday, October 1, 2018

पिथौरागढ़ में भ्रमण भाग ७: लोहाघाट यात्रा

७: लोहाघाट यात्रा
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१ दिसम्बर २०१७ की दोपहर लोहाघाट जाने के लिए जीप से निकले| सुबह अच्छा ट्रेक हुआ है और अब जीप से यात्रा करनी है| यहाँ पहाड़ी सड़कों पर वाहन से जाना भी एक तरह का ट्रेक होता है| रास्ते में कल रखा हुआ सामान एक दुकान से वापस लिया और आगे बढ़े| जीप से और भी नजारे दिखाई देते रहे| थोड़ी देर में पिथौरागढ़ पहुँचे| यहाँ से लोहाघाट ६० किलोमीटर है| लेकीन सड़क पूरी पहाड़ी होने के कारण यह थकानेवाली यात्रा होगी| पिथौरागढ़ से आगे गुरना माता मन्दीर के आगे एक जगह जीपें बहुत देर तक रूकी| यहाँ सड़क पर निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसके लिए सड़क रोकी गई और वाहनों की लम्बी कतार हो गई| इस स्थान से कुछ दूरी पर नीचे खाई में रामगंगा बह रही है| थोड़ी देर नजारों का आनन्द लिया| दोपहर होते हुए भी दिसम्बर का दिन होने के कारण अब ठण्ड लग रही है|