८ (अन्तिम): पिथौरागढ़ से वापसी
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२ दिसम्बर २०१७ की सुबह| कल रात की यात्रा कर पिथौरागढ़ पहुँचे| आज मुझे यहाँ से निकलना है, क्यों कि कल दोपहर को दिल्ली से ट्रेन है| वैसे तो कल लोहाघाट से ही मै जा सकता था, लेकीन उसके लिए एक रात लोहाघाट में ठहरना पड़ता| उसके बजाय सभी के साथ वापस पिथौरागढ़ आया, रात की यात्रा का भी अनुभव लिया| मेरे साथ में आए हुए लोग और कुछ दिन यहाँ रूकेंगे| लेकीन मुझे छुट्टियों की कमी के कारण निकलना होगा| लेकीन ये सांत दिन बेहद अनुठे रहे| लगभग ढाई सालों के बाद हिमालय का दर्शन हुआ और सद्गड़ और कांडा के रोमांचक ट्रेक हुए| हिमालय की गोद में होनेवाले गाँवों में रहने का मौका मिला! अब इन्ही यादों को संजोते हुए यहाँ से निकलना है|



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२ दिसम्बर २०१७ की सुबह| कल रात की यात्रा कर पिथौरागढ़ पहुँचे| आज मुझे यहाँ से निकलना है, क्यों कि कल दोपहर को दिल्ली से ट्रेन है| वैसे तो कल लोहाघाट से ही मै जा सकता था, लेकीन उसके लिए एक रात लोहाघाट में ठहरना पड़ता| उसके बजाय सभी के साथ वापस पिथौरागढ़ आया, रात की यात्रा का भी अनुभव लिया| मेरे साथ में आए हुए लोग और कुछ दिन यहाँ रूकेंगे| लेकीन मुझे छुट्टियों की कमी के कारण निकलना होगा| लेकीन ये सांत दिन बेहद अनुठे रहे| लगभग ढाई सालों के बाद हिमालय का दर्शन हुआ और सद्गड़ और कांडा के रोमांचक ट्रेक हुए| हिमालय की गोद में होनेवाले गाँवों में रहने का मौका मिला! अब इन्ही यादों को संजोते हुए यहाँ से निकलना है|