Sunday, April 18, 2021

चंद्रमा और मंगल की लुका छुपी

सभी को नमस्ते| सब लोग ठीक होंगे ऐसी आशा करता हूँ| कल १७ अप्रैल की शाम को आकाश में चंद्रमा और मंगल ग्रह की सुन्दर लुका छुपी दिखाई दी| कुछ देर तक मंगल चंद्रमा के पीछे छुप गया था और बाद में बाहर आया| इसे वैज्ञानिक भाषा में occultation- पिधान कहते हैं| यह एक तरह का चंद्रमा ने किया मंगल ग्रह का ग्रहण ही था|

शाम को जब सूरज डूबा तब पहले से ही मंगल चंद्रमा के पीछे जा चुका था| ठीक ७ बज कर २१ मिनट पर वह चंद्रमा के बिम्ब के पीछे से दिखाई देने लगा| मेरी टेलिस्कोप से इस सुन्दर दृश्य के फोटो और विडियोज लेने का अवसर मिला| आँखों से भी यह दृश्य दिखाई दिया| लेकीन चंद्रमा मंगल से अत्यधिक तेजस्वी होने के कारण मंगल खुली आँखों से दिखाई देने के लिए और समय लगा और चंद्रमा से कुछ दूर आने के बाद ही मंगल दिखाई देने लगा| इन फोटोज और विडियोज का जरूर आनन्द लीजिए|



कल पंचमी थी और चंद्रमा और मंगल वृषभ राशि में अग्नि सितारे से दक्षिण की तरफ लगभग साढ़ेपाँच अंश की दूरी पर अर्थात्- हमारा हाथ फैलाने पर तीन उंगलियाँ होंगी, इतनी दूरी पर थे| इस समय मृग नक्षत्र, ब्रह्महृदय तारका समूह, रोहिणी- कृत्तिका, व्याध, पुनर्वसू, प्रश्वा, सप्तर्षि आदि तारका समूह और तेजस्वी तारे भी दिखाई दिए| चंद्रमा हम से लगभग ३ लाख ८४ हजार किलोमीटर दूरी पर है और मंगल इस समय लगभग २९ करोड़ किलोमीटर की दूरी पर| फिर भी इन दोनों के साथ पृथ्वी का एक रेखा में आने की घटना को हम आसानी से देख सकते हैं| हमारी मामुली आँखें भी बहुत दूर के और अद्भुत दृश्य देखने में समर्थ है| 




 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

चंद्रमा और उसे सट कर मंगल

और इस तरह के कई खगोलीय दृश्य हम खुली आँखों से भी देख सकते हैं| और इस तरह के कई खगोलीय दृश्य हम खुली आँखों से भी देख सकते हैं| लेकीन उसके लिए हमारी आँखें "खुली" होनी चाहिए| अक्सर हम हमारी समस्याएँ और अहंकार में फंसे हुए होते हैं| लेकीन जब हम आकाश के ऐसे नजारे और इतने विराट दूरी के दृश्यों को या हमसे लाख- करोड़ गुना बड़े तारे या हमारे सूरज से हजार प्रकाश वर्ष दूर होनेवाले सितारे देखते हैं, तब हमें पता चलता है कि इस महा विराट विश्व में हमारी पृथ्वी तो बिल्कुल ही मामुली है! और हम खुद तो इतने इतने छोटे हैं| हमारा अहंकार कितना छोटा और हमारी समस्याओं का पैमाना कितना यह भी समझ मिलती है| साथ ही हमें यह समझ आता है कि हमारी छोटी आँखों से भी‌ हम इस विराट रंग मंच के ऐसे अनुठे दृश्य देखने में समर्थ हैं! हजार प्रकाश वर्ष दूर होनेवाले तारे या आकाशगंगा हमारी छोटी आँखों से देख पाने से बढ़ कर कोई चमत्कार और क्या होगा!

 

 

 

 

 

 

 

 



 

 

 

 

 


 








 

 

 

 

 

 

 

 

 

कल की घटना के बारे में और एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस घटना को देखने के लिए जैसे चंद्रमा और मंगल एक रेखा में आना आवश्यक था, उसी प्रकार इसे देखनेवाले दर्शक का मौजुद होना भी आवश्यक था| इस घटना के निरीक्षण में देखनेवाला भी अहम होता है| जब सजग दर्शक और दृश्य जुड़े हुए होते हैं, तभी यह घटना देखी जा सकती है| और जहाँ हम सजग हो कर देखते नही हैं, वहाँ हम छोटी घटनाओं को देखने से भी चूक जाते हैं| इसी से जुड़ी और एक बात यह है कि कोई भी चीज़ देखना या न देखना भी हम पर निर्भर होता है| जैसे जब कोई फूटबॉल खेलता है, तो उसे पैर में चोट लगने के बाद भी दर्द महसूस नही होता है, क्यों कि पैर पर ध्यान मौजुद नही होता है, ध्यान तो खेलने में ही होता है| जैसे ही वह घर आएगा और उसका ध्यान पैर पर जाएगा, तब उसे दर्द महसूस होगा| इसी तरह अगर हम ठीक से सजग हो कर देखते हैं, तो हम अवांछित चीज़ों पर से हमारा ध्यान हटा सकते हैं| और जब भी हम देखना बन्द करते हैं, तो वह दृश्य हमारे लिए मौजुद नही रह जाता है| अगर हम दु:ख, परेशानी, तकलीफें आदि से हमारा ध्यान हटाते हैं, तो हम ऐसे दृश्यों से मुक्त हो सकते हैं|

लेखक: निरंजन वेलणकर (niranjanwelankar@gmail.com, ०९४२२१०८३७६). २१ डिसेंबर २०२० के गुरू शनि के ग्रेट कंजंक्शन के फोटोज व्हिडिओ यहाँ देखे जा सकेंगे|

1 comment:

आपने ब्लॉग पढा, इसके लिए बहुत धन्यवाद! अब इसे अपने तक ही सीमित मत रखिए! आपकी टिप्पणि मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है!