Showing posts with label टनकपूर. Show all posts
Showing posts with label टनकपूर. Show all posts

Wednesday, October 3, 2018

पिथौरागढ़ में भ्रमण ८ (अन्तिम): पिथौरागढ़ से वापसी

८ (अन्तिम): पिथौरागढ़ से वापसी
 

इस लेखमाला को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए|

२ दिसम्बर २०१७ की सुबह| कल रात की यात्रा कर पिथौरागढ़ पहुँचे| आज मुझे यहाँ से निकलना है, क्यों कि कल दोपहर को दिल्ली से ट्रेन है| वैसे तो कल लोहाघाट से ही मै जा सकता था, लेकीन उसके लिए एक रात लोहाघाट में ठहरना पड़ता| उसके बजाय सभी के साथ वापस पिथौरागढ़ आया, रात की यात्रा का भी अनुभव लिया| मेरे साथ में आए हुए लोग और कुछ दिन यहाँ रूकेंगे| लेकीन मुझे छुट्टियों की कमी के कारण निकलना होगा| लेकीन ये सांत दिन बेहद अनुठे रहे| लगभग ढाई सालों के बाद हिमालय का दर्शन हुआ और सद्गड़ और कांडा के रोमांचक ट्रेक हुए| हिमालय की गोद में होनेवाले गाँवों में रहने का मौका मिला! अब इन्ही यादों को संजोते हुए यहाँ से निकलना है|








Monday, July 23, 2018

पिथौरागढ़ में भ्रमण भाग १: प्रस्तावना

प्रस्तावना

उत्तराखण्ड! हिमालय! पिथौरागढ़! लगभग ढाई साल के बाद अब फिर हिमालय का बुलावा आया है! नवम्बर- दिसम्बर २०१७ में पिथौरागढ़ में घूमना हुआ| उसके बारे में आपसे बात करता हूँ| यह एक छोटी पर बहुत सुन्दर यात्रा रही| इसमें दो छोटे ट्रेक किए और पिथौरागढ़ के कुछ गाँवों में जाना हुआ| मेरी पत्नि मूल रूप से पिथौरागढ़ से है, अत: उनके यहाँ एक विवाह समारोह में जाना हुआ| पारिवारिक यात्रा, लोगों से मिलना और छुट्टियों की कमी इस कारण वश वैसे तो यह यात्रा एक सप्ताह की ही रही| लेकीन फिर एक बार हिमालय और खास कर सर्दियों में हिमालय की ठण्ड और रोमांच का अनुभव मिल सका| पुणे से २६ नवम्बर २०१७ को निकले| मुंबई में बांद्रा टर्मिनस जा कर दिल्ली की ट्रेन ले ली| २७ नवम्बर की दोपहर दिल्ली‌ में निजामुद्दीन उतर कर दिल्ली परिवहन निगम की बस से आनन्द विहार टर्मिनस गए| यहाँ से पिथौरागढ़ के लिए बस चलती हैं| इस बस अड़्डे पर बहुत से शहरों के लिए बसें निकलती हैं जिनमें वाराणसी, गोरखपूर, महेन्द्रनगर (नेपाल) आदि भी है| कुछ देर प्रतीक्षा करने के बाद पिथौरागढ़ की बस मिली| दिवाली की छुट्टियाँ होने के कारण बहुत भीड़ भी है| जैसे ही‌ बस में बैठे, एक मज़ेदार वाकया हुआ| बस में एक तृतीयपंथी आया और उसने मेरे और अन्य कुछ लोगों के सिर पर हात लगा कर पैसे मांगे| तभी उसने मेरी पत्नि को देखा और नमस्कार बोला (बोली)! मेरी पत्नि भी उसे जानती है, क्यों कि उसने मुंबई में इस विषय पर काम करनेवाली संस्था में काम किया है| दोनों में एकदम परिचित की तरह बातें हुई| वह तृतीयपंथी नेपाल का (की) है और वही जा रहा (रही) है! कहाँ कहाँ कैसे पहचान के लोग मिल जाते हैं!