भाग २: पुणे से सातारा (१०५ किमी)
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७ सितम्बर की सुबह| आज इस यात्रा का बड़ा दिन है| आज सौ किलोमीटर से अधिक साईकिल चलाऊँगा| सुबह उजाला होते होते शुरुआत की| आज पहले ही घण्टे में कात्रज घाट या कात्रज टनेल की चढाई होगी| इस रूट पर कुछ दूरी तक पहले भी गया हूँ, इसलिए कोई कठिनाई नही है| पुणे के धायरी इलाके से निकलने के बाद थोड़ी देर में कात्रज टनेल की चढाई शुरू हुई| साईकिल में ब्लिंकर ऑन कर दिया| साथ में साईकिल पर और हेलमेट पर भी कई जगह पर लाल स्टिकर्स चिपकाए हैं| और लाईट में चमकनेवाला रिफ्लेक्टिव जैकेट भी पहना है| आज के दिन जरूर मुझे बरसात मिलेगी, उसकी भी अच्छी तैयारी की है| टनेल तक चढाई है और उसके बाद लम्बी उतराई! टनेल लगभग आठ किलोमीटर की चढाई के बाद आता है| सवा किलोमीटर टनेल में साईकिल चलाई| वाकई यह अनुभव कितने भी बार लिया हो, फिर भी अनुठा है| धीरे धीरे जैसे टनेल खत्म होता है, उजाला फिर से आता है| यह हम सबके जीवन कहानि का भी हिस्सा है! अब यहाँ से निरंतर पच्चीस किलोमीटर तक उतराई|
धीरे धीरे बारीश शुरू हुई| सड़क पर आगे अच्छे खासे बादल दिखाई दे रहे हैं| उतराई खत्म होने के पहले कपूरहोळ गाँव में नाश्ता किया| पीछली बार जब योग- ध्यान साईकिल यात्रा के लिए गया था, तो यहीं से भोर की तरफ गया था| थोड़ी देर चढाई होने के बावजूद बाद में लगातार उतराई के कारण यहाँ तक अच्छी गति से आया हूँ| अब यहाँ से फिर हल्की चढाई शुरू होगी और सातारा के पहले और एक घाट- खंबाटकी घाट मुझे पार करना है| अब अच्छी खासी बरसात भी होने लगी| हालांकी, मै पूरी तरह तैयार हूँ, इसलिए कोई कठिनाई नही है| लैपटॉप भी कई पर्तों के अन्दर सुरक्षित है| बारीश में मोबाईल से फोटो लेने पर जरूर पाबन्दी आई|
खंबाटकी घाट मैने पहले कभी नही चढा है| लेकीन उससे भी बड़ा घाट होनेवाला सिंहगढ़ कई बार चढा है| इसलिए बिना किसी कठिनाई घाट चढने लगा| घाट शुरू होने तक बहुत ज्यादा बरसात है| इसलिए लग रहा है उपर तो कितनी तेज बरसात होगी! लेकीन जैसे ही घाट शुरू हुआ, बरसात खत्म! और फोटो शुरू! अब अच्छे नजारे दिखाई दे रहे हैं| बादल पीछे छूटने के कारण घाट में तो धूप खिली हुई है| वाह! घाट में सड़क गिली न होने के कारण साईकिल फिसलने का भी डर न रहा| देखते देखते घाट पार हो गया| हालांकी, समय जरूर लगा, लेकीन नजारों के कारण महसूस नही हुआ|
घाट में धूप!
अब फिर से उतराई आएगी| यहाँ से और नजारे खुलने लगे हैं| एक बार फिर नाश्ता कर लिया| यहाँ से सातारा सिर्फ ३५ किलोमीटर दूर है| लेकीन मेरा समय का गणित शायद गलत हो रहा है| साईकिल की रफ्तार तो ठीक है, उतराई से चढाई का समय भी कवर हो रहा है, लेकीन बीच बीच में रूकने से समय जा रहा है| इसलिए चाय- बिस्कुट और चिप्स ले कर जल्द निकला| पीछली बार मै भोर- वाई के रास्ते जिस सड़क से सातारा आया था, वह सड़क भी आई| अब फिर से परिचित रूट शुरू हुआ! धीरे धीरे सातारा पास आता गया| पीछली बार मै जिनके पास ठहरा था, उनके ही स्टुडेंटस के पास इस बार ठहरूंगा| पीछली बार सातारा के आर्यांग्ल वैद्यक महाविद्यालय में एक कार्यक्रम भी हुआ था, इस बार इसी कॉलेज के छात्रों की रूम पर ठहरूंगा| हो सके तो उनके साथ कुछ चर्चा भी करूँगा| मुख्य हायवे छोड कर सातारा गाँव की तरफ बढ़ा| अब डरावना और विराट अजिंक्यतारा किला सामने दिखाई दे रहा है! यहाँ के छात्रों को फोन करने के कारण और जगह पूछने के कारण थोड़ा सा समय गया| इसलिए १२ बजे मै सातारा पहुँचूंगा ऐसी अपेक्षा थी, उसके बजाय सवा बजे पहुँचा| लेकीन क्या यात्रा रही!
कृष्णा नदी!
एक तरह से लेट होने से मेरे रूटीन वर्क की भी चिन्ता हुई| लेकीन कोई अर्जंट सबमिशन्स नही हैं और मुझे फ्रेश होने तक समय मिला| लेकीन उसके बाद फिर भोजन करने का मौका भी नही मिला| एक तो सबमिशन शुरू हुए और भोजन करता तो नीन्द आने का भी डर है| और वैसे भी मै साईकिल चलाते समय लगभग लगातार कुछ ना कुछ खा रहा हूँ| इसलिए भोजन टाल कर लैपटॉप पर काम करने लगा| बीच बीच में थोड़ा विश्राम| शाम को मेरे परिचितों से मिलना हुआ| कॉलेज के कुछ छात्रों से बातचीत भी की| लेकीन क्या दिन रहा! कोंकण और पास आ गया है!
आज १०५ किलोमीटर साईकिल चलाई| दो मध्यम श्रेणि के घाट और कुल चढाई ९६० मीटर रही|
अगला भाग: साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ३: सातारा- कराड- मलकापूर (११४ किमी)
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७ सितम्बर की सुबह| आज इस यात्रा का बड़ा दिन है| आज सौ किलोमीटर से अधिक साईकिल चलाऊँगा| सुबह उजाला होते होते शुरुआत की| आज पहले ही घण्टे में कात्रज घाट या कात्रज टनेल की चढाई होगी| इस रूट पर कुछ दूरी तक पहले भी गया हूँ, इसलिए कोई कठिनाई नही है| पुणे के धायरी इलाके से निकलने के बाद थोड़ी देर में कात्रज टनेल की चढाई शुरू हुई| साईकिल में ब्लिंकर ऑन कर दिया| साथ में साईकिल पर और हेलमेट पर भी कई जगह पर लाल स्टिकर्स चिपकाए हैं| और लाईट में चमकनेवाला रिफ्लेक्टिव जैकेट भी पहना है| आज के दिन जरूर मुझे बरसात मिलेगी, उसकी भी अच्छी तैयारी की है| टनेल तक चढाई है और उसके बाद लम्बी उतराई! टनेल लगभग आठ किलोमीटर की चढाई के बाद आता है| सवा किलोमीटर टनेल में साईकिल चलाई| वाकई यह अनुभव कितने भी बार लिया हो, फिर भी अनुठा है| धीरे धीरे जैसे टनेल खत्म होता है, उजाला फिर से आता है| यह हम सबके जीवन कहानि का भी हिस्सा है! अब यहाँ से निरंतर पच्चीस किलोमीटर तक उतराई|
धीरे धीरे बारीश शुरू हुई| सड़क पर आगे अच्छे खासे बादल दिखाई दे रहे हैं| उतराई खत्म होने के पहले कपूरहोळ गाँव में नाश्ता किया| पीछली बार जब योग- ध्यान साईकिल यात्रा के लिए गया था, तो यहीं से भोर की तरफ गया था| थोड़ी देर चढाई होने के बावजूद बाद में लगातार उतराई के कारण यहाँ तक अच्छी गति से आया हूँ| अब यहाँ से फिर हल्की चढाई शुरू होगी और सातारा के पहले और एक घाट- खंबाटकी घाट मुझे पार करना है| अब अच्छी खासी बरसात भी होने लगी| हालांकी, मै पूरी तरह तैयार हूँ, इसलिए कोई कठिनाई नही है| लैपटॉप भी कई पर्तों के अन्दर सुरक्षित है| बारीश में मोबाईल से फोटो लेने पर जरूर पाबन्दी आई|
खंबाटकी घाट मैने पहले कभी नही चढा है| लेकीन उससे भी बड़ा घाट होनेवाला सिंहगढ़ कई बार चढा है| इसलिए बिना किसी कठिनाई घाट चढने लगा| घाट शुरू होने तक बहुत ज्यादा बरसात है| इसलिए लग रहा है उपर तो कितनी तेज बरसात होगी! लेकीन जैसे ही घाट शुरू हुआ, बरसात खत्म! और फोटो शुरू! अब अच्छे नजारे दिखाई दे रहे हैं| बादल पीछे छूटने के कारण घाट में तो धूप खिली हुई है| वाह! घाट में सड़क गिली न होने के कारण साईकिल फिसलने का भी डर न रहा| देखते देखते घाट पार हो गया| हालांकी, समय जरूर लगा, लेकीन नजारों के कारण महसूस नही हुआ|
घाट में धूप!
अब फिर से उतराई आएगी| यहाँ से और नजारे खुलने लगे हैं| एक बार फिर नाश्ता कर लिया| यहाँ से सातारा सिर्फ ३५ किलोमीटर दूर है| लेकीन मेरा समय का गणित शायद गलत हो रहा है| साईकिल की रफ्तार तो ठीक है, उतराई से चढाई का समय भी कवर हो रहा है, लेकीन बीच बीच में रूकने से समय जा रहा है| इसलिए चाय- बिस्कुट और चिप्स ले कर जल्द निकला| पीछली बार मै भोर- वाई के रास्ते जिस सड़क से सातारा आया था, वह सड़क भी आई| अब फिर से परिचित रूट शुरू हुआ! धीरे धीरे सातारा पास आता गया| पीछली बार मै जिनके पास ठहरा था, उनके ही स्टुडेंटस के पास इस बार ठहरूंगा| पीछली बार सातारा के आर्यांग्ल वैद्यक महाविद्यालय में एक कार्यक्रम भी हुआ था, इस बार इसी कॉलेज के छात्रों की रूम पर ठहरूंगा| हो सके तो उनके साथ कुछ चर्चा भी करूँगा| मुख्य हायवे छोड कर सातारा गाँव की तरफ बढ़ा| अब डरावना और विराट अजिंक्यतारा किला सामने दिखाई दे रहा है! यहाँ के छात्रों को फोन करने के कारण और जगह पूछने के कारण थोड़ा सा समय गया| इसलिए १२ बजे मै सातारा पहुँचूंगा ऐसी अपेक्षा थी, उसके बजाय सवा बजे पहुँचा| लेकीन क्या यात्रा रही!
कृष्णा नदी!
एक तरह से लेट होने से मेरे रूटीन वर्क की भी चिन्ता हुई| लेकीन कोई अर्जंट सबमिशन्स नही हैं और मुझे फ्रेश होने तक समय मिला| लेकीन उसके बाद फिर भोजन करने का मौका भी नही मिला| एक तो सबमिशन शुरू हुए और भोजन करता तो नीन्द आने का भी डर है| और वैसे भी मै साईकिल चलाते समय लगभग लगातार कुछ ना कुछ खा रहा हूँ| इसलिए भोजन टाल कर लैपटॉप पर काम करने लगा| बीच बीच में थोड़ा विश्राम| शाम को मेरे परिचितों से मिलना हुआ| कॉलेज के कुछ छात्रों से बातचीत भी की| लेकीन क्या दिन रहा! कोंकण और पास आ गया है!
आज १०५ किलोमीटर साईकिल चलाई| दो मध्यम श्रेणि के घाट और कुल चढाई ९६० मीटर रही|
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