Sunday, October 21, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ३: सातारा- कराड- मलकापूर (११४ किमी)

३: सातारा- कराड- मलकापूर (११४ किमी)

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८ सितम्बर की सुबह| जब नीन्द खुली तो बाहर झाँक के देखा| पूरे आसमान में बादल छाए हैं और जल्द ही बून्दाबून्दी शुरू हुई! आज बारीश के आसार है| लेकीन जब तैयार हो कर साईकिल ले कर निकला, तो आसमान बिल्कुल साफ हुआ है! इसे ही तो सावन की रिमझिम बारीश कहते हैं! सातारा! शहर में सामने अजिंक्यतारा किला जैसे निगरानी करने के लिए खड़ा है! बड़ा विराट नजर आता है! पीछली बार की सातारा यात्रा की याद ताज़ा करते हुए अजिंक्यतारा के पास से निकला| और सातारा शहर का सौंदर्य फिर एक बार देखने को मिला| अजिंक्यतारा के पीछे के रास्ते से हायवे की तरफ बढ़ने लगा| क्या नजारे हैं! वाकई, सातारा जिले के साथ सातारा शहर भी एक घूमक्कडों का और फिटनेस प्रेमियों का डेस्टीनेशन है! अच्छी संख्या में लोग मॉर्निंग वॉक कर रहे हैं, कोई कोई साईकिल पर भी हैं और दौड़ भी रहे हैं! बहुत हरियाली और उसमें से गुजरती विरान सड़क! इस बार भी सातारा का अच्छा भ्रमण हो रहा है! लगभग दस साल पहले इसी परिसर में जकातवाडी गाँव में एक मीटिंग के लिए आया था, वह याद भी ताज़ा हो गई! शहर के इतना करीब होने के बावजूद इतना कुदरती सौंदर्य! अजिंक्यतारा दूसरी तरफ से देखते हुए आगे बढ़ा और जल्द ही हायवे पर पहुँच गया| अब यहाँ से कराड़ तक सीधा हायवे है|








हायवे पर साईकिल चलाते समय भी बहुत दूर के नजारे दिखाई दे रहे हैं| दूर विंड मिल दिखी, पीछली बार का सज्जनगढ़ का परिसर भी पहचान सका| उस समय मिली उरमोड़ी नदी भी हायवे पर मिलने आई! और साथ में यह भी पता चला की अब चढाई शुरू होनेवाली है| लेकीन हायवे होने के कारण चढाई बिल्कुल तिखी नही है| चढाई- उतराई जारी रही| लेकीन कल मैने दोपहर का भोजन टाला था, इस वजह से ऊर्जा में गिरावट साफ तौर पर पता चल रही है| जल्द ही नाश्ता करने के लिए उंब्रज  में रूकना पड़ा| आगे बढ़ा, लेकीन मन में कुछ चिन्ता हो रही है| लेकीन फिर स्वयं को समझाया की, अभी पूरी यात्रा- सभी चरणों के बारे में सोचना ही नही है| अभी तो सिर्फ अगले पन्द्रह- बीस किलोमीटर के बारे में ही सोचूँगा| इससे कुछ शान्ति मिली और साथ ही अभी चल रहे नजारों का आनन्द ले सका| सातारा के आगे इस तरफ साईकिल पर कभी नही‌ आया हूँ, इसलिए अब मेरे लिए साईकिल का बिल्कुल नया रोड़ है| कराड़ से आगे आकर मलकापूर की सड़क के मोड़ पर आ कर दूसरा नाश्ता किया| अब तक ६० किलोमीटर पूरे हुए हैं| यहाँ नाश्ता करने के साथ चिक्की बार- बिस्कीटस आदि भी ले लिए| क्यों कि यहाँ से मलकापूर लगभग पचास किलोमीटर होगा और बीच में कोई ठीक होटल भी शायद नही मिलेगा|







हायवे के बाद अब यहाँ से आगे छोटी सड़क होगी| और सड़क का स्तर भी धीरे धीरे निम्न होता जाएगा| कराड़ से कुछ दूरी तक सड़क अच्छी रही, और गाँव भी लगते रहे| लेकीन अब सड़क बिल्कुल कम बस्तीवाले इलाके से जा रही है| लगनेवाले गाँव भी धीरे धीरे छोटे कस्बे जैसे रह गए| यहाँ से मलकापूर तक की सड़क की एक बात यह है कि यह एक ही सड़क नही है| अलग अलग सड़कों को मिला कर यह सड़क बनती है| इसलिए मिल के पत्थर पर भी सिर्फ अगले एक गाँव का ही नाम है| इसलिए मैप पर बीच बीच में सड़क की पड़ताल करता रहा| अब मै सातारा जिले के सीरे पर पहुँच गया हूँ| यहाँ से यह सड़क बहुत दुर्गम इलाके से जाएगी| कोल्हापूर, सातारा और सांगली जिलों की सीमाएँ यहाँ करीब है| सुबह के बाद बारीश का बिल्कुल आसार नही है| बल्की अच्छी खासी गर्मी हो रही है| इससे थकान भी होने लगी| और बीच में चाय पीने तक का होटल नही मिला| साथ में जो लिया है, उसे थोड़े अन्तर पर खाता रहा| लेकीन जल्द ही ऊर्जा स्तर में फिर गिरावट होने लगी| और सड़क भी निम्न दर्जे की होने के कारण अभी भी मलकापूर बहुत दूर है|







आगे बढ़ते हुए एक समय ऐसा आया कि फिर से डिहायड्रेशन का डर लगने लगा| और ऐसे समय अचानक शेडगेवाडी नाम के गाँव में एक मेडीकल स्टोअर मिला| वहाँ दो लिक्विड एनर्जाल भी मिले| उन्हे तुरन्त पी लिया| हालांकी होटल यहाँ भी नही मिला, लेकीन दो एनर्जाल मिलने से कुछ हद तक राहत मिली| मलकापूर पास तो आ रहा है, लेकीन बीच बीच में चढाई जारी रही| अब चांदोली राष्ट्रीय उद्यान के करीब पहुँचा हूँ| यहाँ सड़क सांगली जिले में प्रवेश कर गई| बहुत विरान जगह है| अब और बहुत सुन्दर नजारे खुल गए हैं! दूर विंड मिल दिखाई दे रही हैं| बरसात का सीजन खतम होने को है और इस कारण बहुत हरियाली भी है| यहाँ अपेक्षाकृत एक छोटा घाट भी आया| लेकीन बिल्कुल तीखी चढाई नही है| इसलिए टहलते टहलते पार हो गया| सड़क पवन चक्कियों के पास से ही गुजरने लगी| घाट पार करने के बाद दूर नीचे मलकापूर दिखाई भी देने लगा| अन्त में मलकापूर पहुँच गया| तीसरे दिन भी यात्रा योजना के अनुसार ही पूरी हुई| लेकीन समय बहुत ज्यादा लगा| आज ११४ किलोमीटर पूरे हो गए (और तीन दिनों में लगभग २६८), लेकीन पहुँचते पहुँचते दोपहर के सवा तीन बज रहे हैं| कुल लगभग नौ घण्टे लगे, जिसमें विश्राम छोड कर लगभग सात घण्टे साईकिल चलाई| आज ११४ किलोमीटर में १२४७ मीटर की बड़ी चढाई भी रही|





पहुँचने के बाद तुरन्त अच्छा लॉज मिला| आज शनिवार होने के कारण कोई अर्जंट सबमिशन नही आई और इससे कुछ राहत मिली| लेकीन स्थिति ठीक नही लग रही है| कुछ कुछ बुखार जैसा लग रहा है| पूरे चेहरे और हाथ- सिर पर क्षार निकल आए हैं| शरीर में डिहायड्रेशन के पूरे लक्षण दिखाई दे रहे हैं| और कुछ समय तो मन में कल के दिन विश्राम लेने तक के बारे में इच्छा हुई| क्यों कि तबियत ठीक न हो तो आगे बढ़ना हानिकारक ही होगा| और कोंकण में भी लगातार चढाईभरे रास्ते आनेवाले हैं| शाम को अच्छा विश्राम हुआ| पानी पिते रहने से और नाश्ता करने से कुछ ऊर्जा वापस आयी| शाम को अच्छा भोजन किया और तब जा कर ठीक लगने लगा| कल की योजना में कुछ परिवर्तन किया| पहले सोचा था चौथे दिन मलकापूर से सीधा देवगड़ जाऊँगा जिसमें १४६ किलोमीटर हो जाते| लेकीन लगातार चढाई- उतराई युक्त और औसत गुणवत्ता की सड़कों के कारण इस योजना को बदल दिया| अब कल रविवार को मलकापूर से सिर्फ राजापूर तक जाऊँगा जिसमें लगभग ९२ किलोमीटर होंगे और अगले दिन मात्र ५२- ५३ किलोमीटर की दूरी रह जाएगी और वह मै सोमवार को भी आराम से पार कर सकूँगा| या अगर राजापूर समय रहते पहुँचा, तो आगे भी‌ बढ़ सकता हूँ| शाम को कुछ साईकिल मित्रों से बात की| आगे घाट उतरने के बाद एक साईकिल मित्र मुझे मिलेंगे| कल मै राजापूर अर्थात् कोंकण में पहुँचूँगा! शाम को कल आगे बढ़ सकता हूँ, यह विश्वास वापस लौट आया| आज जीवन में पहली बार लगातार दो दिनों में दो शतक किए! मेरीडा पर चौथा शतक और वह भी पंक्चर हुए बिना! और नजारों के बारे में तो क्या कह सकता हूँ!




आज का लेखाजोखा!


आज का रूट और चढाई





अगला भाग: साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ४: मलकापूर- आंबा घाट- लांजा- राजापूर (९४ किमी)

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 21/10/2018 की बुलेटिन, विरोधाभास - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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