दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . .
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . .
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . .
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . .
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २!
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . .
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड
ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
२०१४ के मार्च में अच्छी साईकिलिंग जारी रही| शतक करने के दो दिन बाद और एक राईड हुई| पुणे जिले के ग्रामीण इलाकों में गाँवों को जोडनेवाली सड़कों पर भी साईकिल चलायी| हर एक राईड का अपना अलग मज़ा होता है| और यदि एक ही रूट पर भी साईकिल चला रहे हैं, तो भी हर दिन का अलग मज़ा होता है|
इस राईड के लिए दोपहर साढ़े तीन बजे निकला| बड़ी राईड की योजना नही है, बस चालिस किलोमीटर तक घूमना है| गूगल मैप पर रूट तय किया और निकला| इस राईड में दो डैम दिखेंगे| भामा असखेड डैम के रोड पर जाऊँगा और उसे दूर से ही देख कर वापस आऊँगा| आते समय जाधववाडी डैम के पास से और फिर भण्डारा हिल के पीछे से आनेवाली सड़क से आऊँगा| सामान्य, कच्ची और खराब सड़क पर से साईकिल जाएगी| मार्च महिना होने के कारण गर्मी बढ़ रही है और इसलिए हरियाली के बजाय रुखापन अधिक दिखा|
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हाल ही में दिवंगत हुए किसान नेता शरद जोशी जी का घर
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इस इलाके में इंडस्ट्रियलायजेशन बहुत बढ़ रहा है| इसलिए मुख्य हायवे से काफी अन्दर तक भी कंपनीज दिखती हैं| धीरे धीरे इंडस्ट्रियल एरिया खतम हुआ और सड़क ठेट ग्रामीण इलाके में प्रवेश कर गई| दोपहर होने के कारण गर्मी तो है, लेकिन धीरे धीरे मौसम सुहावना होता जा रहा है| जैसे ही मानवीय क्षेत्र से दूर प्रकृति के पास पहुँचते हैं, तो ताज़गी मिलती है| एक सायलेन्स| और यही हमें रिचार्ज कर देता है|
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भामचन्द्र गिरी- यहाँ जाना बाकी है|
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आगे जाने पर बिल्कुल कच्ची सड़क मिली| कुछ देर तक सम्भ्रम की स्थिति बनी| लेकिन फिर आगे रास्ता मिल गया| इस परिसर में होटल नही हैं| मुझे नाश्ते के लिए प्रतीक्षा करनी होगी| आगे बढ़ता गया| एक जगह थोड़ी चढाई मिली| तेज़ धूप में उस चढाई को पार किया| यहाँ छोटा घाट जैसा कुछ लग रहा है| एक तिराहा है| दो लोग बैठे मिल गए, लेकिन होटल नही मिला| यहाँ से थोड़ा आगे जाने पर भामा असखेड डैम दिखाई दिया| सुबह आता तो वहाँ जा सकता था| अब और आगे बढ़ना सम्भव नही है क्यों कि लौटते समय मुझे हायवे से जाना है और उस पर हेवी ट्रैफिक चलता है| इसलिए रात होने के पहले हायवे से जान ठीक रहेगा| खैर|
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दूर से भामा असखेड डैम
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तिराहे के बाद मिली सड़क अच्छी है| अब जाधववाडी डैम से होते हुए इन्दुरी जाऊँगा| यहाँ भी कई कंपनीज हैं| एक जगह छोटा होटल भी मिल गया| यहाँ छोटे छोटे गाँव और बस्ती भी है| आगे बढ़ने पर जाधववाडी डैम पास आता गया| लेकिन जल्द ही सड़क बिल्कुल कच्ची हो गई| हालाकि इन्दुरी सिर्फ पाँच किलोमीटर लिखा है और भण्डारा हिल भी सामने दिख रही है| कुछ समय डैम के पास रूक कर आगे बढ़ा| डैम का पानी बन्द होने के बाद भी सुन्दर है|
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जाधववाडी डैम और भण्डारा हिल दूर से
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आगे की सड़क और खराब हुई और वो भण्डारा हिल के पीछे पहुँचने तक वैसी ही रही| धीरे धीरे इन्दुरी गाँव की बस्ती शुरू हुई और अच्छी सड़क मिली| मन कितना अस्वस्थ होता है| अच्छी सड़क मिलने के बाद और आगे हायवे है, इससे आश्वस्त होने से कितना सुकून मिला! वैसे भी मै था सड़क ही पर, किसी खाई में- किसी दर्रे में भटका नही था, फिर भी मन चिन्तित था! खैर| इन्दुरी में फिर अच्छा नाश्ता किया| बस अब अन्धेरा होने के पहले घर पहुँचना है| और खराब सड़कों पर साईकिल चलाने के बाद हायवे पर साईकिल चलाना अच्छा ही लगता है| बाकी यात्रा जल्द पूरी हुई और मै अन्धेरा फैलने के पहले घर पहुँच गया| बाद में देखा तो पता चला करीब ४८ किलोमीटर मात्र साढ़े तीन घण्टों में पूरे हुए| और बीच में कई जगह पर सड़क कच्ची या खराब भी थी|
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इन दिनों अच्छी साईकिलिंग तो हो रही है, लेकिन धीरे धीरे एक कटु सत्य सामने आ रहा है| मै जिस चीज़ के लिए इतनी साईकिल चला रहा था, वो नही होनेवाली है| २०१४ में लदाख़ जाना मेरे लिए सम्भव नही| बल्कि मैने उसे इस बार कैंसिल कर दिया है| उसका प्लैन बनाया था, कहाँ कैसे कैसे जाना है उसका गणित कर रखा था| लेकिन कुछ कारणों से नही जा पाऊँगा| जब यह बात तय हो गई, तो कुछ समय के लिए साईकिल पंक्चर हुई! या कहिए साईकिल यात्रा के ख्वाब का गुब्बारा फट गया! इस कारण मार्च में इतनी अच्छी साईकिल चलाने के बाद और अच्छा टेम्पो मिलने के बाद भी बड़ा गैप आया| बाद में चाकण से पुणे की एक ही बड़ी राईड हुई| उसके बाद लगभग दो महिना साईकिल खड़ी थी|
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भण्डारा हिल के नीचे से गुजरनेवाली सड़क
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रूट का पहला हिस्सा
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रूट का दूसरा हिस्सा
अक्सर हम जब कुछ चेष्ठा करते हैं, तो उसका एक लक्ष्य होता है| अगर वह लक्ष्य न हो, तो हम ठिठक से जाते हैं| यही हुआ| कुछ समय के लिए साईकिल रूक गई| लेकिन जब इतनी अच्छी दोस्ती हुई हो, तो इतनी जल्दी साथ कैसे छुटेगा| साईकिल चलाना तो तय ही है| जो भी होता है अच्छा ही होता है| अगर हमें गलत लगता हैं, तो अक्सर उसका मतलब होता हैं हमारी धारणाओं में कुछ गलत हैं| अगर लदाख़ जाता भी तो भी तैयारी बहुत कम थी| और इस दो- तीन महिनों के गैप का भी फायदा हुआ| बाद में जब नए सीरे से साईकिल चलानी शुरू की, तो कई बातें समझ में आयी| खैर|
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अगला भाग १४: :"नई साईकिल" से नई शुरुआत
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