Tuesday, February 23, 2016

दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड




दोस्ती साईकिल से १४: "नई साईकिल" से नई शुरुआत

मार्च २०१४ में काफी साईकिल चलायी थी| लेकिन जैसे तय हो गया की इस बार लदाख़ को साईकिल पर नही जा सकूँगा, एकदम से बड़ा अन्तराल आ गया| साईकिल रूक ही गई| मार्च में एक लय में साईकिल चलायी थी, एक टेंपो आ गया था और अचानक से बड़ा विराम आया| जैसे कोई बल्लेबाज इनिंग की बुनियाद खड़ी करने के बाद अचानक आउट हो जाए! लेकिन ऐसा ही होता है! हमको लगता है कि हम सब करते हैं, सब हम ही कर रहे हैं| लेकिन वास्तव में बहुत कुछ 'होता' है या हम जो 'करते' है; वह भी 'होता' ही है| इसलिए जब साईकिल चलाना नही हो रहा था, तो नही हुआ| बड़े अन्तराल के बीच मई महिने में सिर्फ एक बार साईकिल उठायी थी| बेमौसम बारीश में साईकिल का लुफ्त लिया था| खैर





ऐसा विराम एक तरह से लाभदायक ही सिद्ध हुआ| इतने गैप के कारण साईकिल चलाने की इच्छा फिर से जी उठी| धीरे धीरे इच्छा इकठ्ठी होती गई| एक विचार मन में आने लगा की यह साईकिल तो बहुत छोटी है; बहुत प्राथमिक है| क्यों ना दूसरी साईकिल ले लूं? हो सकता है कि यह बिल्कुल औसतन साईकिल (क्रॉस बाईक की सस्ती साढे पाँच हजार की ६ X ३ गेअर की साईकिल) है; इसलिए चलाने में कठिनाई भी होती होगी| जैसे ही मन में आया, परभणी के साईकिल मित्र से पूछा| और उन्होने कहा कि एक मित्र एक सेकंड हैंड साईकिल बेचना चाहते हैं| फिर क्या था! उन मित्र से वह साईकिल खरिदी| टारगेट फायरफॉक्स ७ X ३ गेअर्स! और उन्होने ही उसे एक साल पहले सेकंड हैंड खरिदा था, इसलिए मैने जो खरिदा वह थर्ड हैंड हुआ| इसलिए और भी सस्ते में मिल गई| उन मित्र ने तो रेट बोला भी नही; जो भी लगता हो दे दो; एक रूपया भी दिया तो रख लूँगा, इतना कहा! बड़े ही दिलदार मित्र! ओरिजिनल पन्द्रह- सोलह हजार की साईकिल उन्होने नौ हजार में ली थी| थर्ड हैंड होने के कारण मैने साढ़ेतीन हजार दिए| इस तरह से एक 'नई साईकिल' के साथ साईकिलिंग फिर शुरू हुआ| नई साईकिल के साथ पंक्चर किट और पंप भी ले लिया|


"नई" साईकिल!


जून में साईकिल ले ली| लेकिन फिर भी कई दिन चला नही पाया| इधर- उधर काम के लिए यात्रा होती रही| और भी गैप हुई| लगभग मॉर्निंग वॉक जितनी ही साईकिल चला रहा हूँ| फिर भी नई और तथा कथित 'स्टैंडर्ड' साईकिल चलाने का मज़ा जरूर आता था! मार्च के बाद जुलाई आया, फिर भी बड़ी साईकिलिंग अब भी नही हो पा रही है| आखिर कर ३ जुलाई को मौका आया जब अच्छी साईकिलिंग कर सका| परभणी के घर से राष्ट्रीय महामार्ग २२२ पर 'झिरो फाटा' नाम की जगह तक साईकिल चलाना शुरू किया| बड़ा मजा आ रहा है! और इस समय परभणी के साईकिलिस्ट भी साथ हैं| लेकिन वे सब मुझसे आगे दौड़ रहे हैं| जाते समय के बीस किलोमीटर में मैने मेरा रफ्तार का रिकार्ड तोड़ा| एक घण्टे से कम ही समय में २० किलोमीटर पूरे किए| पुरानी साईकिल में कभी भी बीस किलोमीटर मूव्हिंग स्पीड प्राप्त नही की थी! जरूर यह नई साईकिल का लाभ है| और होगा ही, क्यों कि यह साईकिल बड़ी एडव्हान्स है, ऊँची है, थोड़ी हल्की भी है| मेरी ऊँचाई का इसमें अधिक लाभ मिल रहा है|


परभणी के पास की पूर्णा नदी 



झिरो फाटा नाम के स्थान पर मित्रों के साथ नाश्ता किया| उन्होने साईकिल की टिप्स भी बतायी| मैने ३- ४ काँबीनेशन पर साईकिल चलायी थी| उन्होने कहा कि २-५ या २-६ अधिक ठीक रहेगा| -४ पैरों को और घुटने को तकलीफ दे सकता है| वापसी की यात्रा शुरू हुई| जल्द ही सभी मित्र आगे निकल गए| अब इस साईकिल का असली मज़ा पता चल रहा है| पैर एकदम से थक गए| आते समय ५७ मिनट में २० किलोमीटर आया था| रास्ता समतल ही है| लेकिन अब ऐसे फ्लॅट रोड पर भी हालत खराब हो गई| अब मुश्किल से १५- १६ किलोमीटर रफ्तार से साईकिल चला पा रहा हूँ| यह साईकिल उठाने में हल्की है, लेकिन अब चलाते समय हेव्ही लग रही है| जरूर यह ऐसा इंजिन है जो दौडता तो तेज है, लेकिन उसे उतना ज्यादा इन्धन भी चाहिए! और मेरे पैरों को तो पुराने साईकिल का अभ्यास है| जरूर इस साईकिल के साथ शरीर को अभ्यस्त बनाना होगा| आते समय सब साथ होने के कारण मेरी प्राकृतिक रफ्तार से भी अधिक रफ्तार से साईकिल चलायी थी| अब खामियाजा भुगतना पड़ा| जैसे तैसे जाता रहा| डेढ़ घण्टा लगा घर पहुँचने में| शायद और कुछ राईडस तक यही हाल रहे| देखते हैं|




अगला भाग १४: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक

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