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Thursday, March 17, 2016

दोस्ती साईकिल से २१: चढाई पर साईकिल चलाने का आनन्द


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!
दोस्ती साईकिल से: १९: हौसला बढ़ानेवाली राईडस!
दोस्ती साईकिल से: २०: इंज्युरी के बाद की राईडस


चढाई पर साईकिल चलाने का आनन्द

एक छोटी सी लगभग सवा किलोमीटर की चढाई-

१. साईकिल पर जाना नामुमकिन जैसा है| मुश्किल से एक चौथाई दूरी साईकिल पर चलायी और अब पैदल जाने की नौबत आयी. . .
२. साईकिल पर जा पा रहा हूँ, लेकिन तीन बड़े विश्राम के लिए रूकना पड़ रहा है. . .
३. बिना रूके पूरी चढाई पार करता तो हूँ, लेकिन बड़ा थक जाता हूँ. . .
४. लगातार चार बार यही चढाई अब सहजता से पार कर सकता हूँ. . .
५. अब यही चढाई सबसे लोअर (१-१) गेअर के बजाय २-१ गेअर पर भी लगातार कई बार पार कर सकता हूँ. . .
६. अब यह चढाई चढते समय २-१ गेअर में मुंह बन्द रख कर सामान्य श्वसन में भी‌ साईकिल चला सकता हूँ. . .

. . .२०१५ वर्ष की शुरुआत छोटी राईडस के साथ हुई| साईकिल चलाना जारी रहा| देखा जाए तो छोटी राईडस में मज़ा तो आता हैं, लेकिन हमारा मन सन्तुष्ट नही होता है| मन को चाहिए कुछ बड़ा- भव्य! रह रह कर २०१५ में लदाख़ में साईकिल चलाने की इच्छा हो रही है| बार बार वही सपना देख रहा हूँ| इस सपने ने इतना बुरी तरह पकड़ लिया जिससे धीरे धीरे उस दिशा में कदम उठने लगे| लदाख़ में साईकिल चलानी हो तो सबसे पहली बात चढाई पर साईकिल चलाना आना चाहिए| बिल्कुल प्राथमिक पात्रता| इसलिए अब चढाई पर साईकिल चलाने का अभ्यास करना चाहता हूँ और वैसा मौका भी आया|





Tuesday, March 15, 2016

दोस्ती साईकिल से २०: इंज्युरी के बाद की राईडस

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!
दोस्ती साईकिल से: १९: हौसला बढ़ानेवाली राईडस!



इंज्युरी के बाद की राईडस

सितम्बर २०१४ में काफी साईकिल चलाने के बाद कुछ दिन गैप आयी| जब भी‌ ऐसा होता है, तो फिर से नयी शुरुआत करनी होती है| धीमे धीमे लय प्राप्त करनी होती है| अक्तूबर में फिर राईडस शुरू की| छोटी राईडस का मज़ा लिया| परभणी के पास की सड़कों पर साईकिल चलाने का मज़ा लिया| अब फिर थोड़ी दूर की राईड करने के लिए निकला| अब ये रास्ते बिल्कुल पक्के पता हो गए हैं| कौनसी सड़क पर कितनी दूर गड़्ढा है, कहाँ हल्की चढाई है, यह सब पक्का याद हुआ है| परभणी से तीस किलोमीटर तक की राईडस तो लोकल राईड हो गई हैं| यह फर्क होता है विश्वास का|

३० अक्तूबर की सुबह निकला| कुछ दिनों तक गैप होने के बावजूद अच्छी गति मिली| इस राईड में कुल ६० किलोमीटर करने का लक्ष्य है| परभणी से मानवत रोड़ नाम के गाँव तक जा रहा हूँ| वहाँ एक स्थान पर मेरे पसंदीदा पोहे मिलते हैं| पहले एक घण्टे में करीब बीस किलोमीटर दूरी पार कर ली| अधिक रूका भी नही| अगले घण्टे बाद दाए पैर के घुटने में थोड़ा दर्द होने लगा| पैर सीधा किया; पैर को थोड़ा विश्राम दिया, फिर भी कुछ फर्क नही हुआ| पोहे खाने के लिए रूका तब पैर को थोड़ा आराम मिल गया| लेकिन जैसे ही वापसी की यात्रा शुरू की, फिर दर्द शुरू हुआ और धीरे धीरे बढ़ने लगा| पैर को अलग अलग कोण से पेडल पर रख कर चलाने की कोशिश की| लेकिन दर्द बढ़ता ही जा रहा है| हालाकि साईकिल चला पा रहा हूँ| परभणी पास आता गया| इसलिए लिफ्ट लेने का विचार नही किया| बाद में साईकिल से उतरने में और फिर बैठने में भी तकलीफ होने लगी| परभणी में पहुँचते पहुँचते ऐसी स्थिति आयी कि आखरी दो किलोमीटर- बस स्टैंड से घर तक- आटो से जाना पड़ा| बड़ी कठिन स्थिति बनी| दाए घुटने को हिला भी नही पा रहा हूँ| बेतहाशा दर्द हो रहा है| अब क्या करें?






Saturday, March 12, 2016

दोस्ती साईकिल से १९: हौसला बढानेवाली राईडस

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!


हौसला बढानेवाली राईडस

तोरणमाळ ट्रेक करने के बाद हौसला बहुत बढ़ गया| इसके बाद लगातार राईडस शुरू हुई| सितम्बर २०१४ में कई यादगार राईडस हुई| कुछ अर्धशतक और कुछ छोटी राईडस लगातार जारी रही| अब ऐसी छोटी रेग्युलर राईडस का महत्त्व पता चला है| जितनी नियमित राईडस करते हैं, उतना शरीर अभ्यस्त होता जाता है| विशेष रूप से एक छोटी राईड ऐसी हुई जब तेज़ बरसात में साईकिल चलायी| राईड छोटी ही है, मुश्किल से चालिस किलोमीटर होगी| वापस आते समय आखरी बारह किलोमीटर में बहुत तेज बरसात आयी| एकदम विजिबिलिटी कम हो गई और सड़क पर धुन्द फैल गई| इस वजह से शाम होते होते अचानक जैसे रात हो गई| हायवे पर रात में साईकिल चलाना बहुत कठिन होता है| लेकिन साईकिल चलाता गया और थोड़ी ही देर बाद शहर पहूँचा| उस समय का मजा और ही है! अन्धेरी सड़क, झमाझम बरसात और साईकिल!







Wednesday, March 9, 2016

दोस्ती साईकिल से १८: तोरणमाळ हिलस्टेशन पर साईकिल ट्रेक!


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार


तोरणमाळ हिलस्टेशन पर साईकिल ट्रेक!


सातपुडा के पास साईकिल चलाने की बहुत इच्छा है| जल्द ही तोरणमाळ ट्रेक करना है| इसे ले कर बहुत उत्सुकता मन में होगा| यह मेरा आज तक का सबसे बड़ा माउंटेन ट्रेक होगा| पहले दो बार सिंहगढ़ किया है, पर यह उससे भी बड़ा होगा| ५० किलोमीटर तक चढाई और ७-८ किलोमीटर का बड़ा घाट| मज़ा आएगा और एक तरह से मै कहाँ खड़ा हूँ, यह भी पता चलेगा| तोरणमाळ जाने के पहले नंदुरबार के पास और एक छोटी राईड की| यहाँ से गुजरात बार्डर पास ही है, इसलिए गुजरात जा के आया साईकिल पर! जहाँ मै ठहरा हूँ, वहाँ से तोरणमाळ हिल स्टेशन करीब ७६ किलोमीटर दूरी पर है| इसलिए सीधा नही जाऊँगा| पहले इस हिल स्टेशन के बेस तक पहुँचूँगा, वहाँ एक हाल्ट करूँगा और अगले दिन तोरणमाळ जाऊँगा| यह निर्णय बाद में बड़ा सही साबित हुआ|

२४ अगस्त को प्रोजेक्ट का काम पूरा होने के बाद साईकिल ले कर निकला| यहाँ से तीस किलोमीटर दूर शहादा नाम की जगह है जहाँ मै लॉज पर रूकूँगा| यह राईड अच्छी रही| मात्र डेढ घण्टे में शहादा पहुँच गया| रास्ते में तापी नदी क्रास की| पहली बार किसी राईड के लिए होटल में हाल्ट करूँगा| लैपटॉप और सारा सामान भी साईकिल पर साथ ले गया| शाम होते होते लॉज मिल गया| अब अच्छे से विश्राम करना है ताकि सुबह जब निकलूँ, तब शरीर बिल्कुल ताज़ा हो| लेकिन अच्छा विश्राम कर पाना भी एक कुशलता है और यह इतनी सरल नही होती है| इसलिए देर रात तक अच्छी नीन्द नही लगी| उपर से नई जगह- नया गाँव| और सुबह जल्द उठने का तनाव| इसलिए नीन्द बेहद कम हुई| सुबह ५ बजे उठा| एक दुविधा यह है कि क्या सामान यहीं छोड जाऊँ या साथ ले जाऊँ? सामान छोडने में दिक्कत यह है कि लॉज पर इतना सेफ नही रहेगा| और अगर ले जाता हूँ तो घाट चढते समय दिक्कतें बढेगी| क्यों कि लैपटाप और सब सामान का वजन तो सात- आठ किलो होगाही| बड़ी दुविधा रही| लेकिन बाद में सुरक्षित विकल्प चुना और सामान साथ ही लिया और साढ़ेपाँच बजे बाहर निकला| यह भी निर्णय बाद में सही साबित हुआ| सुबह के साढ़ेपाँच और एक अन्जान राह पर राईड का आग़ाज़!








Thursday, March 3, 2016

दोस्ती साईकिल से १७: एक ड्रिम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम


एक ड्रिम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार

जब जून- जुलाई २०१४ में महाराष्ट्र के नन्दुरबार में फिल्ड एसाईनमेंट कर रहा था, तब कई बार आसपास के पहाड़ में साईकिल चलाने का सपना देखता था| सातपुड़ा पर्वत शृंखला वहाँ से दूर न थी! काफी डे ड्रिमिंग करता रहा| आखिर वैसा मौका आया| फिल्ड एसाईनमेंट के आखरी चरण में जाने के लिए परभणी से निकला तब साईकिल भी साथ थी| १७ अगस्त को अच्छा शतक होने से हौसला बढ़ा है| २० अगस्त की दोपहर को परभणी से निकला| यहाँ से सिधी बस नंदुरबार नही जाती है| नंदुरबार के पास साक्री नाम के गाँव तक जाती है| वहाँ तक साईकिल बस पर लाद कर ले जाऊँगा और वहाँ से साईकिलिंग शुरू करूँगा| पहली बार बस से इतनी दूर राईड के लिए साईकिल ले जा रहा हूँ!

रास्ते में जहाँ कभी देखने का मौका मिले, साईकिल की स्थिति देखने की कोशिश कर रहा हूँ| छाँव से पता चले की साईकिल सकुशल उपर बँधी है या किसी शोरूम की ग्लास से दिखे की साईकिल ठीक है, तब थोड़ा सुकून मिलता है| सरकारी बस के झटके साईकिल कैसे झेल रही होगी, यह प्रश्न जरूर मन में है! लेकिन यात्रा ठीक रही| अपेक्षाकृत सुबह चार बजे साक्री गाँव के बस अड्डे पर पहूँचा| अब पहला सवाल साईकिल नीचे उतारने का है| घोर रात होने के कारण बस बस अड्डे के बाहर ही रूकी है| साईकिल नीचे उतारने के लिए कोई भी नही है! मैने उपर जा कर उतारने का सोचा| लेकिन कोई आयडीया नही था| फिर कंडक्टर ने ही थोड़ी सहायता की| उसने उपर जा कर साईकिल नीचे मेरे हाथ में दी| जैसे तैसे साईकिल नीचे आ गई| वहाँ कुछ सैलानी बैठे हैं| उनकी सहायता माँगी, पर वे भौचक्के देखते रहें| खैर|









Monday, February 29, 2016

दोस्ती साईकिल से १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५ दोस्ती साईकिल से १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक

पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम

१२ अगस्त २०१४ को नई साईकिल से पहला शतक करने के बाद साईकिलिंग जारी रही| छोटी छोटी राईडस लगातार करता रहा| जल्द ही अगले शतक के लिए साईकिल उठायी| इस बार करीब ६० किलोमीटर दूर स्थित लोअर दुधना डैम देखने जाऊँगा| कुल मिला कर १२० किलोमीटर होंगे| लगातार कई दिन साईकिल चलाने के कारण अब शरीर काफी हद तक अभ्यस्त भी हो गया है|

१७ अगस्त की भोर में निकला| अब पंक्चर किट साथ में ले कर जा तो रहा हूँ, लेकिन उसका प्रयोग करना ही नही जानता! सुबह की ठण्ड में मेरे साथ और भी कुछ साईकिलबाज हैं जो कुछ देर तक साथ रहेंगे| चलने के कुछ देर बाद लगा की साईकिल की सीट और उपर करनी चाहिए जिससे पेडल पर अधिक बल आएगा| सीट अधिकतम ऊँची कर ली| शुरू में बैठने में और साईकिल चलाने में दिक्कत हुई| लेकिन जल्द ही जैसे पैर लय में आ गए, पहले से अधिक बल मिलने लगा| अधिक ऊँचाई से पैर नीचे आने के दो लाभ अब मिलेंगे- एक तो पेडल पर फोर्स अधिक होगा और दूसरा पैर पूरा नीचे आएगा और इसलिए घूटने में दर्द भी नही होगा| हालाकि अब इतनी साईकिलिंग करने के बाद कुछ गुर्र तो सीख गया हूँ| साईकिल चलाते चलाते बीच बीच में बारी बारी से एक एक हाथ और पैर को थोड़ा विश्राम भी देता हूँ| उतराई हो तब बारी बारी से पैर नीचे सीधा कर के रखता हूँ| बारीश तो नही है, लेकिन बारीश जैसा खुशनुमा मौसम जरूर है|





Friday, February 26, 2016

दोस्ती साईकिल से १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत


औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक

अगस्त २०१४ के पहले हप्ते में नई साईकिल की अच्छी राईडस शुरू की| पहले एक ३८ किलोमीटर की राईड थोड़े कम स्तर के रोड पर की| वहाँ पहले घण्टे में सोलह किलोमीटर चला पाया और उसके बाद रफ्तार एकदम धिमी हो गई| जरूर अभी तक इस साईकिल से शरीर अभ्यस्त नही हुआ है| अगली राईड फिर झिरो फाटा की तरफ की| इस बार तो पहले से अधिक समय लगा| पहले घण्टे की रफ्तार और दूसरे घण्टे की रफ्तार के बीच बड़ा अन्तर रहा|

अब एक बड़ी राईड करने का मन है| इस साईकिल में बड़ी राईड सहज तो नही होगी|‌ इसलिए मात्र सौ किलोमीटर की योजना बनायी- घर से औंढा नागनाथ इस ज्योतिर्लिंग तक| १०२ किलोमीटर होंगे| नई साईकिल से अभ्यास भी हो जाएगा और इस साईकिल चलाने के बारे में समझ भी बढ़ेगी| १२ अगस्त को सुबह छह बजे घर से निकला| बारिश के दिन तो हैं, पर बारिश आँखमिचौली खेल रही है| सुबह के ताज़गीभरे माहौल में साईकिलिंग करने का बड़ा मज़ा आ रहा है| आज साईकिल तिसरे गेअर पर नही चलाऊँगा| ज्यादा तर २-५, २-६ काँबीनेशन्स ही इस्तेमाल करूँगा| परभणी के कुछ साईकिलिस्ट भी साथ हैं|करीब एक घण्टे में झिरो फाटा क्रॉस कर लिया| यहाँ से आगे रास्त भी थोड़ा कम स्तर का है और अब सोलो राईड होगी|




Tuesday, February 23, 2016

दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड




दोस्ती साईकिल से १४: "नई साईकिल" से नई शुरुआत

मार्च २०१४ में काफी साईकिल चलायी थी| लेकिन जैसे तय हो गया की इस बार लदाख़ को साईकिल पर नही जा सकूँगा, एकदम से बड़ा अन्तराल आ गया| साईकिल रूक ही गई| मार्च में एक लय में साईकिल चलायी थी, एक टेंपो आ गया था और अचानक से बड़ा विराम आया| जैसे कोई बल्लेबाज इनिंग की बुनियाद खड़ी करने के बाद अचानक आउट हो जाए! लेकिन ऐसा ही होता है! हमको लगता है कि हम सब करते हैं, सब हम ही कर रहे हैं| लेकिन वास्तव में बहुत कुछ 'होता' है या हम जो 'करते' है; वह भी 'होता' ही है| इसलिए जब साईकिल चलाना नही हो रहा था, तो नही हुआ| बड़े अन्तराल के बीच मई महिने में सिर्फ एक बार साईकिल उठायी थी| बेमौसम बारीश में साईकिल का लुफ्त लिया था| खैर





Wednesday, November 11, 2015

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक

पहला अर्धशतक

साईकिल! एक सामान्य सी चीज! २००३ में जीवन से साईकिल विदा हो गई| कालेज में पढ़ते समय कुछ दिनों तक साईकिल का प्रयोग किया| लेकिन बड़े शहर की भीड़- भाड़ में साईकिल नही चला पाया और २००३ में साईकिल छूट गई| लेकिन उसी जीवन ने फिर एक बार साईकिल से मिलवाया- २०१३ में! और दस सालों की यह गैप काफी कारगर रही| यदि यह गैप न होती, तो शायद साईकिल से इतना कुछ किया जा सकता है, उसका इतना आनन्द लिया जा सकता है, यह भी अनुभव में नही आता| २०१३ में‌ साईकिल लेते समय उद्देश्य था कि इससे घूमा जाए, ट्रेकिंग की जाए, स्वास्थ्य के साथ पर्यटन भी हो| इंटरनेट पर मिले कई साईकिलबाजों ने इसके लिए प्रेरणा दी थी| इस प्रकार दोबारा साईकिल जीवन में आयी| और साईकिल के साथ धीरे धीरे जीवन की वह पर्त उघड़ गई जो आम तौर पर बहुत कम जानी थी| प्रस्तुत है साईकिल के साथ हुई दोस्ती की दास्ताँ. . .

जुलाई २०१३ में साईकिल ली| आज यह साईकिल मुझे लगभग बच्चों की साईकिल लगती है! ५५०० रूपए की क्रॉस कंपनी की बाईक| गेअर की सबसे सस्ती साईकिल| सामने के तीन और पीछे के छह गेअर्स| लेते समय दुकान में जब चलायी, तब पहले प्रयास में सन्तुलन बनाना कठिन गया| लेकिन चूँकि दस साल की गैप होने पर भी अतीत में कम से कम सात- आंठ साल (स्कूल और कॉलेज के दिनों में) साईकिल चलायी हुई होने के कारण तुरन्त चला पाया| अब यह देखना है कि कितनी दूरी पार कर सकता हूँ, कहाँ तक चला सकता हूँ| इसलिए पहले दिन थोड़ी ही चलायी| दुकान से घर तक और घर के आस- पास. फिर दो दिनों के बाद दस किलोमीटर चला पाया| हौसला बढ़ा| फिर दो दिनों के बाद पच्चीस किलोमीटर किए| पैर थोड़े थक गए, लौटते समय गति कम हुई| फिर भी हौसला बहुत बढ़ा| पच्चीस के बाद चालिस किलोमीटर किए| जाते समय तो कुछ भी कठिनाई नही आयी, लेकिन लौटते समय आखरी दस किलोमीटर बड़े कठिन लगे| बार बार रूकना पड़ा| जाते समय तो सवा घण्टा लगा था; आते समय दो- सवा दो घण्टे लगे| लेकिन बड़ा मज़ा आया- धीमी गति से सड़क से जाना; पेड- पौधे करीब से देखना; खेतों के तरफ देखते हुए आगे जाना. . .

अब धीरे धीरे एहसास हो रहा है कि साईकिल चलाना क्या है| इन दो- तीन राईडस में ही अतीत में एक बार में कभी भी जितनी नही चलायी थी, उससे अधिक साईकिल चलायी| स्कूल- कॉलेज के दिनों में कभी भी बीस किलोमीटर से अधिक साईकिल नही चलायी थी| लेकिन अब चला पाया! क्यों कि अब आनन्द के लिए चला रहा हूँ| उससे बहुत फर्क पड़ता है| आप यदि दफ्तर जा रहे हो तो आपके चलने जो ढंग होगा, वह मॉर्निंग वॉक के ढंग से अलग होगा| अभी मै जिस तरह एंजॉय कर रहा हूँ, उसे वे लोग नही एंजॉय कर सकेंगे जो काम के लिए साईकिल चला रहे हैं| शायद बीच में दस साल का गैप न होता, तो मै भी कभी यह देख नही पाता| खैर|

चालीस किलोमीटर जाने के बाद अगला लक्ष्य है पचास किलोमीटर से उपर चलाना| पहला अर्धशतक! इसलिए योजना बनायी| घर से लगभग बत्तीस किलोमीटर दूरी पर गोदावरी नदी है| इससे कुल मिलाकर चौसठ किलोमीटर हो जाएंगे| मजा आएगा| और क्षमता का एहसास भी होगा| योजना के अनुसार सुबह सात बजे निकला| २० जुलाई २०१३! बारीश का मौसम है और थोड़ी बूँदाबाँदी भी हो रही है| इसलिए रेन कोट पहन कर निकला| लेकिन उससे जबर्दस्त पसीना आया| एकदम से थकान भी होने लगी| जैसे तैसे गाँव के बाहर निकला और एक होटल पे चाय नही थी पर काफी मिल गई| बारीश तो रूक गई है| अब रेन कोट निकाल पर केरिअर पे लगा दिया| यह साधारण सी गेअरवाली साईकिल होने के कारण ही इसमें केरिअर था| अन्यथा और एडव्हान्स्ड गेअर साईकिलों में केरिअर नही आता है|

जैसे ही आगे निकला, ताजगी आ गयी| थकान कम हो गई| बारीश भी‌ रूकी रही और आगे बढ़ता गया| रास्ते में लोग गेअर की साईकिल देख कर चौंक रहे है| बच्चे तो घूर घूर के देखते हैं! अब आसानी से पैर चल रहे हैं| ऐसा लग रहा है मानो यह टेस्ट क्रिकेट की बल्लेबाजी जैसा है| पहले घण्टे में गेन्द नयी होती है; स्विंग होती है; घूमती है| उसके बाद धीरे धीरे बल्लेबाजी करना आसान होता है| इस प्रकार अब साईकिल चलाना सहज हुआ जा रहा है| शायद नीन्द के कारण पैर और शरीर कड़ा था; जो अब हलका हो रहा है| इसलिए कठिनाई नही हो रही है| जल्द ही आगे बढ़ता गया| एक होटल में नाश्ते के लिए रूका| किसी के मोबाईल पर रिंग टोन में गाना बजा- होशवालों को खबर क्या. . . एकदम से माहौल ही बन गया| आगे निकलने पर भी वही गाना जेहन में चलता रहा| कम भीड़ वाली सड़क पर साईकिल चलाने का आनन्द और ही है!

कहते है चलनेवालों को मन्जिल निश्चित ही मिलती है; बस चलते रहना जरूरी है| जल्द ही नदी किनारे पर पहुँच गया| थोड़ी देर वहाँ रूका और मूडा| वहा रेत में से सोना ढूँढनेवाले लड़के मिलें| उन्हे अचरज हुआ- बत्तीस किलोमीटर साईकिल पर? लौटते समय शुरू में दिक्कत नही हुई| धीरे धीरे आगे बढ़ता गया| जल्द ही अर्धशतक पूरा हो गया! पहला अर्धशतक! गति काफी कम है और अब तो और भी कम होगी| लेकिन फिर भी बड़ा आनन्द आ रहा है| आखरी के पन्द्रह किलोमीटर बहुत थकानेवाले लगे| कब घर आ जाए, यही भाव मन में आ रहा है| अन्तिम दस किलोमीटर में भी बहुत रूकना पड़ा| अन्त में घर पहूँच गया और ६४ किलोमीटर की यात्रा पूरी हुई! पहला अर्धशतक पूरा हुआ| पैर बिल्कुल भारी हो गए है| लंगडे जैसा चल रहा हूँ| शायद यह पहली बड़ी राईड है, इसलिए शरीर उसका आदि हो रहा होगा| इसके बाद ऐसी तकलीफ नही आएगी| ६४ किलोमीटर! साढ़े पाँच घण्टे जरूर लगे; क्यों कि अभी मै बड़ी राईड के लिए तैयार हो रहा हूँ| इसलिए गति कम होना स्वाभाविक है| लेकिन साढ़े पाँच घण्टे और ६४ किलोमीटर तक साईकिल चला सकता हूँ, यह विश्वास मिल गया है| इस हिसाब से एक दिन में तो शतक भी किया जा सकता है| देखते हैं|












































गोदावरी नदी


 


३२ किमी दूरी में‌ मामुली चढाई- उतराई| लेकिन उस समय

मामुली चढाई भी बड़ी लगी|


ये तो शुरुआत है










































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