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Saturday, December 29, 2018

एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव १५. यात्रा के अनुभवों पर सिंहावलोकन

१५. यात्रा के अनुभवों पर सिंहावलोकन

इस लेख माला को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए|
 

एचआयवी और स्वास्थ्य इस विषय पर की हुई‌ साईकिल यात्रा मेरे लिए बहुत अनुठी रही| मुझे बहुत कुछ देखने का और सीखने का मौका मिला| यह सिर्फ एक साईकिल टूअर नही रहा, बल्की एक स्टडी टूअर भी हुआ| यह समस्या कितनी बड़ी है और इस पर काम भी कितना चल रहा है, यह मै समझ पाया और उसमें थोड़ा सहभाग भी‌ ले सका| कई‌ मायनों में मेरे लिए यह यात्रा अनुठी रही| साईकिलिंग के सम्बन्ध में भी‌ बहुत कुछ सीखने को मिला| आज तक की सबसे बड़ी और लगातार ज्यादा दिनों की साईकिल यात्रा हुई| और यह काफी‌ चुनौतिपूर्ण भी रही| शारीरिक कष्ट तो अभ्यास से हो जाते हैं, लेकीन मानसिक रूप से मै इतनी दूरी तक साईकिल चला पाया, यह मेरे लिए सन्तोष की‌ बात है| कई बार ऐसा लगा कि मेरी साईकिल यात्रा से लोग अपनी प्रसिद्धी भी चाह रहे हैं| लेकीन फिर सोचा कि चलने दो, क्या हर्ज है| मुझे इस यात्रा में इतना आनन्द आ रहा है, उन्हे उसमें आता होगा| कई बार ऐसे परीक्षा के क्षण आए जहाँ मन में लगा कि क्या वाकई मै साईकिल से प्रेम करता हूँ? साईकिल के प्रेम की कसोटी पर तो मै खरा उतरा! इस लिहाज़ से तो मै इस यात्रा में साईकिल की एक कक्षा से पास हो कर अगली कक्षा में पहुँचा! कई ऐसे क्षण आए जहाँ साईकिल चलाना कठिन हुआ| कई बार लगा भी कि यात्रा पूरी नही हो पाएगी| शुरू के दिन ऐसी कठिन स्थिति थी| पंक्चर ने भी तकलीफ दी, लेकीन इस यात्रा के बाद अब पंक्चर का डर कभी नही‌ लगेगा| कई दिनों तक लगातार चलनेवाली साईकिल यात्रा के लिए किस तरह शारीरिक एवम् मानसिक तैयारी करनी चाहिए, इसका बहुत अच्छा उदाहरण मुझे मिला|





अब बात करता हूँ इस पूरे विषय की| किसी भी समस्या या समाधान के लिए समाज की मानसिकता में गहराई तक जाना होता है| यह पूरा विषय कई मायनों में अन्य कुछ विषयों से जुड़ा है| जैसे स्त्री- पुरुष सम्बन्ध, स्त्री- पुरुष समानता और हमारे समाज की परिपक्वता| इसलिए इन पर भी थोड़ा विचार करना चाहिए| कुछ दशक पहले तक भारतीय सिनेमा में चुम्बन के दृश्यों पर सेंसॉर की पाबन्दी थी| लेकीन हत्या या गोली से मार डालने के दृश्यों पर कभी भी पाबन्दी नही थी| यह गलत तो है ही, लेकीन ऐसा क्यों है, यह भी समझना चाहिए| समाज में जिस चीज़ की बहुत छुपी आकांक्षाएँ होती हैं, दमन होता हैं, उसी को हम औपचारिक या सामाजिक मंच में गाली देते हैं; निन्दा करते हैं| स्वाभाविक प्रेम के अनुभव के प्रति समाज में बहुत ज्यादा दमन का भाव है| और शायद इतने ज्यादा दमन के कारण ही कुछ समय तक इस तरह के प्रेम- दृश्यों पर पाबन्दी होती थी या आज भी समाज की आँखों में ऐसे दृश्यों पर अलिखित पाबन्दी होती ही है| आज भी 'प्रेम' को एक सामाजिक मूल्य के रूप में देखा नही जाता है| प्रकृति की तरफ से देखा जाए तो पुरुष और स्त्री एक ही अखण्ड के दो खण्ड हैं और उनमें एक दूसरे के प्रति आकर्षण होता ही है| प्रकृति भी उन्हे पास लाना चाहती है| लेकीन हमारे आधुनिक समाज में कई बार बचपन से बच्चे- बच्ची एक दूसरे के साथ नही रहते हैं| साथ रहना मतलब सिर्फ घर में साथ होना नही है, बल्की साथ खेलना, साथ सोना, साथ रहना भी है| ऐसा न होने पर दोनों में एक दूरी और एक खाई बनती है| बाद में इसी के कारण तरह तरह के अफेअर्स होते हैं, महिलाओं पर अन्याय होता है; अत्याचार होता है| लेकीन एक उल्लेखनीय यह बात है कि आज भी जिन समुदायों में बचपन से बच्चे- बच्ची साथ रहते हैं और बाद में भी युवा लड़कें- लड़कियाँ पास ही रहते हैं; एक दूसरे के निकट होते हैं; वहाँ महिला अत्याचार का अनुपात बहुत ही कम है| आज भी ऐसे कई ग्रामीण और आदिवासी समाज हैं| जहाँ प्रकृति को जिस तरह स्त्री- पुरुष निकटता चाहिए वैसी रखी गई है, तोड़ी नही गई है, वहाँ हमें महिला पर अत्याचार या महिला पुरुषों से पीछड़ी होना आदि चीजें सुनने में भी नही मिलेगी| क्यों कि दोनों बिल्कुल साथ ही है| अगर लड़की लड़के के पास ही होती है, तो उसे उसके साथ छेडखानी की जरूरत ही नही पड़ेगी| जहाँ स्वाभाविक रूप से हाथ हाथ में लिया जा सकता हो, वहाँ छेडना असम्भव हो जाता है| लेकीन हम इतने प्राकृतिक ढंग से जीने से भटक चुके हैं| कई चीजें प्यार से; सॉफ्ट तरीके से की जा सकती हैं- जैसे दो बर्तन आपस में फंस जाते हैं| हम क्या करते हैं? थोड़ी देर उन्हे निकालने की कोशिश करते हैं और फिर ठोक- पीट करने लगते हैं| लेकीन अगर हम प्यार से उन्हे अलग करें, तो ठोक पीट की जरूरत भी नही होती है|

Thursday, March 17, 2016

दोस्ती साईकिल से २१: चढाई पर साईकिल चलाने का आनन्द


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!
दोस्ती साईकिल से: १९: हौसला बढ़ानेवाली राईडस!
दोस्ती साईकिल से: २०: इंज्युरी के बाद की राईडस


चढाई पर साईकिल चलाने का आनन्द

एक छोटी सी लगभग सवा किलोमीटर की चढाई-

१. साईकिल पर जाना नामुमकिन जैसा है| मुश्किल से एक चौथाई दूरी साईकिल पर चलायी और अब पैदल जाने की नौबत आयी. . .
२. साईकिल पर जा पा रहा हूँ, लेकिन तीन बड़े विश्राम के लिए रूकना पड़ रहा है. . .
३. बिना रूके पूरी चढाई पार करता तो हूँ, लेकिन बड़ा थक जाता हूँ. . .
४. लगातार चार बार यही चढाई अब सहजता से पार कर सकता हूँ. . .
५. अब यही चढाई सबसे लोअर (१-१) गेअर के बजाय २-१ गेअर पर भी लगातार कई बार पार कर सकता हूँ. . .
६. अब यह चढाई चढते समय २-१ गेअर में मुंह बन्द रख कर सामान्य श्वसन में भी‌ साईकिल चला सकता हूँ. . .

. . .२०१५ वर्ष की शुरुआत छोटी राईडस के साथ हुई| साईकिल चलाना जारी रहा| देखा जाए तो छोटी राईडस में मज़ा तो आता हैं, लेकिन हमारा मन सन्तुष्ट नही होता है| मन को चाहिए कुछ बड़ा- भव्य! रह रह कर २०१५ में लदाख़ में साईकिल चलाने की इच्छा हो रही है| बार बार वही सपना देख रहा हूँ| इस सपने ने इतना बुरी तरह पकड़ लिया जिससे धीरे धीरे उस दिशा में कदम उठने लगे| लदाख़ में साईकिल चलानी हो तो सबसे पहली बात चढाई पर साईकिल चलाना आना चाहिए| बिल्कुल प्राथमिक पात्रता| इसलिए अब चढाई पर साईकिल चलाने का अभ्यास करना चाहता हूँ और वैसा मौका भी आया|





Tuesday, March 15, 2016

दोस्ती साईकिल से २०: इंज्युरी के बाद की राईडस

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!
दोस्ती साईकिल से: १९: हौसला बढ़ानेवाली राईडस!



इंज्युरी के बाद की राईडस

सितम्बर २०१४ में काफी साईकिल चलाने के बाद कुछ दिन गैप आयी| जब भी‌ ऐसा होता है, तो फिर से नयी शुरुआत करनी होती है| धीमे धीमे लय प्राप्त करनी होती है| अक्तूबर में फिर राईडस शुरू की| छोटी राईडस का मज़ा लिया| परभणी के पास की सड़कों पर साईकिल चलाने का मज़ा लिया| अब फिर थोड़ी दूर की राईड करने के लिए निकला| अब ये रास्ते बिल्कुल पक्के पता हो गए हैं| कौनसी सड़क पर कितनी दूर गड़्ढा है, कहाँ हल्की चढाई है, यह सब पक्का याद हुआ है| परभणी से तीस किलोमीटर तक की राईडस तो लोकल राईड हो गई हैं| यह फर्क होता है विश्वास का|

३० अक्तूबर की सुबह निकला| कुछ दिनों तक गैप होने के बावजूद अच्छी गति मिली| इस राईड में कुल ६० किलोमीटर करने का लक्ष्य है| परभणी से मानवत रोड़ नाम के गाँव तक जा रहा हूँ| वहाँ एक स्थान पर मेरे पसंदीदा पोहे मिलते हैं| पहले एक घण्टे में करीब बीस किलोमीटर दूरी पार कर ली| अधिक रूका भी नही| अगले घण्टे बाद दाए पैर के घुटने में थोड़ा दर्द होने लगा| पैर सीधा किया; पैर को थोड़ा विश्राम दिया, फिर भी कुछ फर्क नही हुआ| पोहे खाने के लिए रूका तब पैर को थोड़ा आराम मिल गया| लेकिन जैसे ही वापसी की यात्रा शुरू की, फिर दर्द शुरू हुआ और धीरे धीरे बढ़ने लगा| पैर को अलग अलग कोण से पेडल पर रख कर चलाने की कोशिश की| लेकिन दर्द बढ़ता ही जा रहा है| हालाकि साईकिल चला पा रहा हूँ| परभणी पास आता गया| इसलिए लिफ्ट लेने का विचार नही किया| बाद में साईकिल से उतरने में और फिर बैठने में भी तकलीफ होने लगी| परभणी में पहुँचते पहुँचते ऐसी स्थिति आयी कि आखरी दो किलोमीटर- बस स्टैंड से घर तक- आटो से जाना पड़ा| बड़ी कठिन स्थिति बनी| दाए घुटने को हिला भी नही पा रहा हूँ| बेतहाशा दर्द हो रहा है| अब क्या करें?






Saturday, March 12, 2016

दोस्ती साईकिल से १९: हौसला बढानेवाली राईडस

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!


हौसला बढानेवाली राईडस

तोरणमाळ ट्रेक करने के बाद हौसला बहुत बढ़ गया| इसके बाद लगातार राईडस शुरू हुई| सितम्बर २०१४ में कई यादगार राईडस हुई| कुछ अर्धशतक और कुछ छोटी राईडस लगातार जारी रही| अब ऐसी छोटी रेग्युलर राईडस का महत्त्व पता चला है| जितनी नियमित राईडस करते हैं, उतना शरीर अभ्यस्त होता जाता है| विशेष रूप से एक छोटी राईड ऐसी हुई जब तेज़ बरसात में साईकिल चलायी| राईड छोटी ही है, मुश्किल से चालिस किलोमीटर होगी| वापस आते समय आखरी बारह किलोमीटर में बहुत तेज बरसात आयी| एकदम विजिबिलिटी कम हो गई और सड़क पर धुन्द फैल गई| इस वजह से शाम होते होते अचानक जैसे रात हो गई| हायवे पर रात में साईकिल चलाना बहुत कठिन होता है| लेकिन साईकिल चलाता गया और थोड़ी ही देर बाद शहर पहूँचा| उस समय का मजा और ही है! अन्धेरी सड़क, झमाझम बरसात और साईकिल!







Wednesday, March 9, 2016

दोस्ती साईकिल से १८: तोरणमाळ हिलस्टेशन पर साईकिल ट्रेक!


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार


तोरणमाळ हिलस्टेशन पर साईकिल ट्रेक!


सातपुडा के पास साईकिल चलाने की बहुत इच्छा है| जल्द ही तोरणमाळ ट्रेक करना है| इसे ले कर बहुत उत्सुकता मन में होगा| यह मेरा आज तक का सबसे बड़ा माउंटेन ट्रेक होगा| पहले दो बार सिंहगढ़ किया है, पर यह उससे भी बड़ा होगा| ५० किलोमीटर तक चढाई और ७-८ किलोमीटर का बड़ा घाट| मज़ा आएगा और एक तरह से मै कहाँ खड़ा हूँ, यह भी पता चलेगा| तोरणमाळ जाने के पहले नंदुरबार के पास और एक छोटी राईड की| यहाँ से गुजरात बार्डर पास ही है, इसलिए गुजरात जा के आया साईकिल पर! जहाँ मै ठहरा हूँ, वहाँ से तोरणमाळ हिल स्टेशन करीब ७६ किलोमीटर दूरी पर है| इसलिए सीधा नही जाऊँगा| पहले इस हिल स्टेशन के बेस तक पहुँचूँगा, वहाँ एक हाल्ट करूँगा और अगले दिन तोरणमाळ जाऊँगा| यह निर्णय बाद में बड़ा सही साबित हुआ|

२४ अगस्त को प्रोजेक्ट का काम पूरा होने के बाद साईकिल ले कर निकला| यहाँ से तीस किलोमीटर दूर शहादा नाम की जगह है जहाँ मै लॉज पर रूकूँगा| यह राईड अच्छी रही| मात्र डेढ घण्टे में शहादा पहुँच गया| रास्ते में तापी नदी क्रास की| पहली बार किसी राईड के लिए होटल में हाल्ट करूँगा| लैपटॉप और सारा सामान भी साईकिल पर साथ ले गया| शाम होते होते लॉज मिल गया| अब अच्छे से विश्राम करना है ताकि सुबह जब निकलूँ, तब शरीर बिल्कुल ताज़ा हो| लेकिन अच्छा विश्राम कर पाना भी एक कुशलता है और यह इतनी सरल नही होती है| इसलिए देर रात तक अच्छी नीन्द नही लगी| उपर से नई जगह- नया गाँव| और सुबह जल्द उठने का तनाव| इसलिए नीन्द बेहद कम हुई| सुबह ५ बजे उठा| एक दुविधा यह है कि क्या सामान यहीं छोड जाऊँ या साथ ले जाऊँ? सामान छोडने में दिक्कत यह है कि लॉज पर इतना सेफ नही रहेगा| और अगर ले जाता हूँ तो घाट चढते समय दिक्कतें बढेगी| क्यों कि लैपटाप और सब सामान का वजन तो सात- आठ किलो होगाही| बड़ी दुविधा रही| लेकिन बाद में सुरक्षित विकल्प चुना और सामान साथ ही लिया और साढ़ेपाँच बजे बाहर निकला| यह भी निर्णय बाद में सही साबित हुआ| सुबह के साढ़ेपाँच और एक अन्जान राह पर राईड का आग़ाज़!








Thursday, March 3, 2016

दोस्ती साईकिल से १७: एक ड्रिम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम


एक ड्रिम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार

जब जून- जुलाई २०१४ में महाराष्ट्र के नन्दुरबार में फिल्ड एसाईनमेंट कर रहा था, तब कई बार आसपास के पहाड़ में साईकिल चलाने का सपना देखता था| सातपुड़ा पर्वत शृंखला वहाँ से दूर न थी! काफी डे ड्रिमिंग करता रहा| आखिर वैसा मौका आया| फिल्ड एसाईनमेंट के आखरी चरण में जाने के लिए परभणी से निकला तब साईकिल भी साथ थी| १७ अगस्त को अच्छा शतक होने से हौसला बढ़ा है| २० अगस्त की दोपहर को परभणी से निकला| यहाँ से सिधी बस नंदुरबार नही जाती है| नंदुरबार के पास साक्री नाम के गाँव तक जाती है| वहाँ तक साईकिल बस पर लाद कर ले जाऊँगा और वहाँ से साईकिलिंग शुरू करूँगा| पहली बार बस से इतनी दूर राईड के लिए साईकिल ले जा रहा हूँ!

रास्ते में जहाँ कभी देखने का मौका मिले, साईकिल की स्थिति देखने की कोशिश कर रहा हूँ| छाँव से पता चले की साईकिल सकुशल उपर बँधी है या किसी शोरूम की ग्लास से दिखे की साईकिल ठीक है, तब थोड़ा सुकून मिलता है| सरकारी बस के झटके साईकिल कैसे झेल रही होगी, यह प्रश्न जरूर मन में है! लेकिन यात्रा ठीक रही| अपेक्षाकृत सुबह चार बजे साक्री गाँव के बस अड्डे पर पहूँचा| अब पहला सवाल साईकिल नीचे उतारने का है| घोर रात होने के कारण बस बस अड्डे के बाहर ही रूकी है| साईकिल नीचे उतारने के लिए कोई भी नही है! मैने उपर जा कर उतारने का सोचा| लेकिन कोई आयडीया नही था| फिर कंडक्टर ने ही थोड़ी सहायता की| उसने उपर जा कर साईकिल नीचे मेरे हाथ में दी| जैसे तैसे साईकिल नीचे आ गई| वहाँ कुछ सैलानी बैठे हैं| उनकी सहायता माँगी, पर वे भौचक्के देखते रहें| खैर|









Monday, February 29, 2016

दोस्ती साईकिल से १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५ दोस्ती साईकिल से १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक

पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम

१२ अगस्त २०१४ को नई साईकिल से पहला शतक करने के बाद साईकिलिंग जारी रही| छोटी छोटी राईडस लगातार करता रहा| जल्द ही अगले शतक के लिए साईकिल उठायी| इस बार करीब ६० किलोमीटर दूर स्थित लोअर दुधना डैम देखने जाऊँगा| कुल मिला कर १२० किलोमीटर होंगे| लगातार कई दिन साईकिल चलाने के कारण अब शरीर काफी हद तक अभ्यस्त भी हो गया है|

१७ अगस्त की भोर में निकला| अब पंक्चर किट साथ में ले कर जा तो रहा हूँ, लेकिन उसका प्रयोग करना ही नही जानता! सुबह की ठण्ड में मेरे साथ और भी कुछ साईकिलबाज हैं जो कुछ देर तक साथ रहेंगे| चलने के कुछ देर बाद लगा की साईकिल की सीट और उपर करनी चाहिए जिससे पेडल पर अधिक बल आएगा| सीट अधिकतम ऊँची कर ली| शुरू में बैठने में और साईकिल चलाने में दिक्कत हुई| लेकिन जल्द ही जैसे पैर लय में आ गए, पहले से अधिक बल मिलने लगा| अधिक ऊँचाई से पैर नीचे आने के दो लाभ अब मिलेंगे- एक तो पेडल पर फोर्स अधिक होगा और दूसरा पैर पूरा नीचे आएगा और इसलिए घूटने में दर्द भी नही होगा| हालाकि अब इतनी साईकिलिंग करने के बाद कुछ गुर्र तो सीख गया हूँ| साईकिल चलाते चलाते बीच बीच में बारी बारी से एक एक हाथ और पैर को थोड़ा विश्राम भी देता हूँ| उतराई हो तब बारी बारी से पैर नीचे सीधा कर के रखता हूँ| बारीश तो नही है, लेकिन बारीश जैसा खुशनुमा मौसम जरूर है|





Friday, February 26, 2016

दोस्ती साईकिल से १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत


औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक

अगस्त २०१४ के पहले हप्ते में नई साईकिल की अच्छी राईडस शुरू की| पहले एक ३८ किलोमीटर की राईड थोड़े कम स्तर के रोड पर की| वहाँ पहले घण्टे में सोलह किलोमीटर चला पाया और उसके बाद रफ्तार एकदम धिमी हो गई| जरूर अभी तक इस साईकिल से शरीर अभ्यस्त नही हुआ है| अगली राईड फिर झिरो फाटा की तरफ की| इस बार तो पहले से अधिक समय लगा| पहले घण्टे की रफ्तार और दूसरे घण्टे की रफ्तार के बीच बड़ा अन्तर रहा|

अब एक बड़ी राईड करने का मन है| इस साईकिल में बड़ी राईड सहज तो नही होगी|‌ इसलिए मात्र सौ किलोमीटर की योजना बनायी- घर से औंढा नागनाथ इस ज्योतिर्लिंग तक| १०२ किलोमीटर होंगे| नई साईकिल से अभ्यास भी हो जाएगा और इस साईकिल चलाने के बारे में समझ भी बढ़ेगी| १२ अगस्त को सुबह छह बजे घर से निकला| बारिश के दिन तो हैं, पर बारिश आँखमिचौली खेल रही है| सुबह के ताज़गीभरे माहौल में साईकिलिंग करने का बड़ा मज़ा आ रहा है| आज साईकिल तिसरे गेअर पर नही चलाऊँगा| ज्यादा तर २-५, २-६ काँबीनेशन्स ही इस्तेमाल करूँगा| परभणी के कुछ साईकिलिस्ट भी साथ हैं|करीब एक घण्टे में झिरो फाटा क्रॉस कर लिया| यहाँ से आगे रास्त भी थोड़ा कम स्तर का है और अब सोलो राईड होगी|




Tuesday, February 23, 2016

दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड




दोस्ती साईकिल से १४: "नई साईकिल" से नई शुरुआत

मार्च २०१४ में काफी साईकिल चलायी थी| लेकिन जैसे तय हो गया की इस बार लदाख़ को साईकिल पर नही जा सकूँगा, एकदम से बड़ा अन्तराल आ गया| साईकिल रूक ही गई| मार्च में एक लय में साईकिल चलायी थी, एक टेंपो आ गया था और अचानक से बड़ा विराम आया| जैसे कोई बल्लेबाज इनिंग की बुनियाद खड़ी करने के बाद अचानक आउट हो जाए! लेकिन ऐसा ही होता है! हमको लगता है कि हम सब करते हैं, सब हम ही कर रहे हैं| लेकिन वास्तव में बहुत कुछ 'होता' है या हम जो 'करते' है; वह भी 'होता' ही है| इसलिए जब साईकिल चलाना नही हो रहा था, तो नही हुआ| बड़े अन्तराल के बीच मई महिने में सिर्फ एक बार साईकिल उठायी थी| बेमौसम बारीश में साईकिल का लुफ्त लिया था| खैर