१. चाकण से केडगांव (८४ किमी)
नमस्ते! हाल ही में महाराष्ट्र में १४ दिनों में ११६५ किलोमीटर की साईकिल यात्रा पुरी की| अब उसके अनुभव आपके साथ शेअर करता हूँ| संक्षेप में इस यात्रा की योजना कैसे बनी, यह बताता हूँ| मई २०१८ में योग प्रसार हेतु मैने साधारण सी एटलस साईकिल पर ५९५ किलोमीटर की यात्रा की थी| उस दौरान एक सामाजिक माध्यम के तौर पर साईकिल क्षमता का एहसास हुआ था| इस तरह की और यात्रा करने की इच्छा हुई| और साईकिल चलानी है तो किसी सामाजिक उद्देश्य और सामाजिक सन्देश के साथ ऐसी यात्रा करूँ, यह लगा था| परभणी के मेरे साईकिल मित्र डॉ. पवन चाण्डक कई सालों से एचआयवी इस विषय को लेकर साईकिल यात्रा करते हैं, कई एचआयवी बाल गृहों को सहायता भी करते हैं| इसके साथ मेरी पत्नि आशा पीछले दस सालों से एचआयवी क्षेत्र में कार्य कर रही है| इन दोनों बातों को मिला के इस साईकिल यात्रा की योजना बनी| १ दिसम्बर को विश्व एचआयवी निर्मूलन दिन है, तो उसके उपलक्ष्य में इस यात्रा की तैयारी की गई| यात्रा के उद्देश्य एवम् उसका स्वरूप पहले ही आपको बताया है|
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मेरी पत्नि आशा जिस रिलीफ फाउंडेशन में काम करती है, उसी संस्था ने इस यात्रा में समन्वयन किया| एक तरह से जगह जगह पर वहाँ की टिम से संवाद, उनसे मिलना आदि का समन्वयन किया| संक्षेप में रिलीफ फाउंडेशन के बारे में बताता हूँ| रिलीफ फाउंडेशन मुख्य रूप से स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर काम करती है और उसका मुख्य फोकस एचआयवी पर है| इसके लिए स्वास्थ्य शिविर वे आयोजित करते हैं| एचआयवी और एसटीआई टेस्टिंग के शिविर आयोजित करते हैं| एचआयवी की जोखीम होनेवाले समूहों के साथ काम करते हैं, उन्हे जागरूक करते हैं, उन्हे सहायता दे कर उनके साथ वर्कशॉप्स करते हैं| स्थानान्तरित कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर विशेष कार्य करते हैं| मायग्रंट वर्कर्स के परिवारों के साथ भी काम करते हैं| घरेलू हिंसा, व्यक्तिगत स्वास्थ्य, विवास सम्बन्धित काउंसिलिंग आदि विषयों पर भी संस्था काम करती है| इन सबके लिए उन्हे हाय रिस्क में होनेवाले फिमेल सेक्स वर्कर्स, होमो सेक्सुअल्स, नशिली दवाईयों के सेवन करनेवाले लोग जैसे समूहों में जा कर काफी चुनौतिपूर्ण स्थिति में काम करना होता है|
आशा इस विषय पर काम करती है, लेकीन मै काफी हद तक इस विषय से और एचआयवी इस सामाजिक समस्या से परिचित नही था| पहले तो मुझे ऐसा भी लगता था कि समाज में अन्य कई गम्भीर समस्याएँ है- जैसे रोजगार का अभाव, गरीबी, शाश्वत विकास का अभाव आदि| ऐसे में क्या वाकई एचआयवी पर काम करना जरुरी है? लेकीन धीरे धीरे मेरी समझ बढ़ती गई| एचआयवी इस समस्या के बारे में विस्तार से जानकारी होती गई| मेरे अनुभवों के माध्यम से यह भी आपके साथ शेअर करूँगा| एचआयवी का मतलब सिर्फ वो चार बातें नही है जो अधिकतर लोगों को पता होती हैं| उसमें कई सारी जटिलताएँ हैं- जैसे एचआयवी होनेवाले बच्चों के अलग अलग प्रश्न हैं, शिक्षा से ले कर आजीविका तक प्रश्न है; उनके रिहैबिलीटेशन के मुद्दे है| और सबसे बड़ी बात यह कि एचआयवी और एड्स समानार्थी शब्द नही है| एचआयवी संक्रमित व्यक्ति भी सही ट्रीटमेंट और सही जीवनशैलि के साथ सामान्य जीवन गुजार सकता है| एचआयवी का रुपान्तर एड्स में होने का अवधि बहुत लम्बा किया जा सकता है| ऐसी कई बातें इस यात्रा के दौरान मुझे सीखने को मिली| और व्हायरस के बारे में ऐसा भी एक जगह पर कहा गया कि असली एचआयवी वायरस तो मन में होनेवाली गलत धारणाएँ हैं| समाज के मन में जो भेदभाव का वायरस फैला हुआ है, वह ज्यादा खतरनाक है... खैर|
११ नवम्बर को चाकण में एक छोटे कार्यक्रम में रिलीफ फाउंडेशन के सदस्यों ने मुझे इस लम्बी साईकिल यात्रा के लिए शुभकामनाएँ दी| १२ नवम्बर की सुबह चाकण से निकलना है| ऐसी किसी सोलो साईकिल यात्रा के लिए निकलना मेरे लिए बिल्कुल नया नही है| फिर भी रात गहरी नीन्द नही आई| सुबह ठीक सवा छह बजे निकला| साईकिल यात्रा के पहले तीन दिन अक्सर कठिन होते हैं| क्यों कि शरीर और मन यात्रा की लय में आने के लिए कुछ वक्त लगता है| आज ८४ किलोमीटर साईकिल चलानी है| कोई भी साईकिल यात्रा एक तरह से अनिश्चितता के अन्धेरे में छलाँग जैसी होती है| लेकीन ऐसी अनिश्चितता को स्वीकार करते हुए ही बढ़ना होता है| चाकण से निकलने के बाद तुळापूर के रास्ते लोणीकन्द पहुँचा| छत्रपती सम्भाजी महाराज की स्मृति को मन ही मन वन्दन किया| लोणीकन्द के बाद मेरे लिए पूरा रास्ता नया है| इस यात्रा में जहाँ नाश्ता करूँगा, बीच में ब्रेक लूँगा, वहाँ इस विषय के बारे में लोगों से बात करूँगा| उन्हे बताऊँगा कि स्वास्थ्य और एचआयवी के बारे में जागरुकता के लिए मै साईकिल चला रहा हूँ|
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केसनन्द होते हुए जल्द ही थेऊर गाँव में पहुँचा| यह एक तीर्थ स्थान तो है ही, मराठा इतिहास के और भारत के इतिहास के भी एक मुख्य व्यक्तित्व रहे माधवराव पेशवा की समाधी थेऊर में है| पानिपत के युद्ध के बाद मराठा सत्ता को संवारने में उनकी भुमिका बहुत बड़ी थी| छत्रपती के बहुत बड़े और वीर सेवक होने के बावजूद उनके कार्य को आज कम ही लोग जानते हैं| अब यहाँ से यह सड़क सोलापूर हायवे की तरफ जाएगी| एक जगह पर नदी के पास से सड़क गुजर रही है| इस दृश्य को देख कर मेरी लदाख़ में की हुई साईकिल यात्रा की याद ताज़ा हुई|
काफी देर अन्दरुनी इलाके में साईकिल चलाने के बाद हायवे पर पहुँचा| अब तक लगभग आधी दूरी तय हुई है| हायवे में उरुली कांचन गाँव में दूसरा नाश्ता किया और आगे बढ़ा| हायवे पर अच्छी रफ्तार मिल रही है| दूर पहाड़ भी दिखाई दे रहे हैं| पुणे- सोलापूर हायवे पर पहले कभी साईकिल नही चलाई है| इसलिए इसका अच्छा आनन्द ले रहा हूँ| कई लोग मेरी साईकिल को देख कर स्लो होते हैं, कुछ पास आकर पूछताछ भी करते हैं| मेरे टी शर्ट पर पीछे एक प्रश्न लिखा है, "मैने एचआयवी टेस्ट की है| आपने?" पुछताछ के लिए स्लो हुए कुछ लोग इस प्रश्न को पढ़ कर तुरन्त आगे भी निकल जाते हैं| बच्चे जब मुझे साईकिल चलाते हुए देखते हैं, तो उनकी आँखों में आश्चर्य के भाव होते हैं! आराम से आगे बढ़ता रहा| लेकीन बीच में अन्दरुनी सड़क पर अधिक समय लगा था, इसलिए केडगांव में पहुँचने के लिए अपेक्षा से अधिक समय लगा| ८४ किलोमीटर पूरे हो गए| आज यहीं ठहरूँगा और कल आगे बढ़ूँगा| मै यह यात्रा मेरा रूटीन ऑफीस वर्क- लॅपटॉप का काम करते करते ही करूँगा| इसलिए एक तरह से साईकिल चलाने के लिए समय की पाबन्दी है| सुबह उजाला होने के बाद दोपहर १२ बजे तक ही साईकिल चला पाऊँगा| उसके बाद उस उस पड़ाव के समूहों से मिलूँगा, फिर विश्राम करूँगा और मेरा काम भी करूँगा| अब ऐसा शेड्युल मेरा चौदह दिनों तक रहेगा|
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आज पहले दिन ८४ किलोमीटर साईकिल चलाई|
चूँकि केडगाँव एकदम छोटा सा चौराया है, छोटा कस्बा है, वहाँ पर इस विषय में काम करनेवाली कोई संस्था नही है| संस्था के एक परिचित मित्र के पास मै ठहरा हूँ, उनको पूछा कि कहीं होटल- दुकान में जा कर इस विषय पर बात करते हैं| लेकीन उन्होने कहा कि इस विषय पर बात करने जैसी यह जगह नही है| यहाँ ट्रक ड्रायवर्स के स्थान हैं, लेकीन वे कुछ दूरी पर हैं (ट्रक ड्रायवर्स एचआयवी की परिभाषा में हाय रिस्क ग्रूप में आते हैं)| इसलिए पहले दिन किसी समूह के साथ मिलना नही हो पाया| कल इन्दापूर में किसी प्रोग्राम में शायद हिस्सा ले सकूँगा| देखते हैं| लेकीन आज इस यात्रा का पहला दिन तो अच्छा रहा| समय जरूर अधिक लगा, लेकीन शरीर लय में आने लगा है| और साईकिल यात्रा का मज़ा तो अभी बस शुरू हुआ है| अब भी काफी कुछ अनिश्चित है- योजना के अनुसार ही चला पाऊँगा या कुछ बदलाव होगा, जगह जगह पर मुझे लोग मिलेंगे भी या नही| लेकीन रिलीफ फाउंडेशन और आशा इसके लिए समन्वयन कर रहे हैं| और रही बात साईकिल की, तो साईकिल लोगों तक पहुँचती ही है| साईकिल पर लिखा गया मैसेज- 'क्या आप आपके और सभी के स्वास्थ्य के बारे जें जागरूक है?' और टी शर्ट पर लिखा गया मैसेज- 'मैने एचआयवी टेस्ट की है, आपने?' ये दोनों मैसेज सैकड़ो लोगों ने पढ़े भी होंगे| दोपहर में अच्छा विश्राम किया| आज की थकान आज ही मिटानी है| तो ही लगातार कई दिन साईकिल चला पाऊँगा| अब कल यहाँ से इन्दापूर जाऊँगा|
अगला भाग: एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव २. केडगांव से इन्दापूर (८५ किमी)
मेरी पीछली साईकिल यात्राओं के बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं: www.niranjan-vichar.blogspot.com
नमस्ते! हाल ही में महाराष्ट्र में १४ दिनों में ११६५ किलोमीटर की साईकिल यात्रा पुरी की| अब उसके अनुभव आपके साथ शेअर करता हूँ| संक्षेप में इस यात्रा की योजना कैसे बनी, यह बताता हूँ| मई २०१८ में योग प्रसार हेतु मैने साधारण सी एटलस साईकिल पर ५९५ किलोमीटर की यात्रा की थी| उस दौरान एक सामाजिक माध्यम के तौर पर साईकिल क्षमता का एहसास हुआ था| इस तरह की और यात्रा करने की इच्छा हुई| और साईकिल चलानी है तो किसी सामाजिक उद्देश्य और सामाजिक सन्देश के साथ ऐसी यात्रा करूँ, यह लगा था| परभणी के मेरे साईकिल मित्र डॉ. पवन चाण्डक कई सालों से एचआयवी इस विषय को लेकर साईकिल यात्रा करते हैं, कई एचआयवी बाल गृहों को सहायता भी करते हैं| इसके साथ मेरी पत्नि आशा पीछले दस सालों से एचआयवी क्षेत्र में कार्य कर रही है| इन दोनों बातों को मिला के इस साईकिल यात्रा की योजना बनी| १ दिसम्बर को विश्व एचआयवी निर्मूलन दिन है, तो उसके उपलक्ष्य में इस यात्रा की तैयारी की गई| यात्रा के उद्देश्य एवम् उसका स्वरूप पहले ही आपको बताया है|
मेरी पत्नि आशा जिस रिलीफ फाउंडेशन में काम करती है, उसी संस्था ने इस यात्रा में समन्वयन किया| एक तरह से जगह जगह पर वहाँ की टिम से संवाद, उनसे मिलना आदि का समन्वयन किया| संक्षेप में रिलीफ फाउंडेशन के बारे में बताता हूँ| रिलीफ फाउंडेशन मुख्य रूप से स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर काम करती है और उसका मुख्य फोकस एचआयवी पर है| इसके लिए स्वास्थ्य शिविर वे आयोजित करते हैं| एचआयवी और एसटीआई टेस्टिंग के शिविर आयोजित करते हैं| एचआयवी की जोखीम होनेवाले समूहों के साथ काम करते हैं, उन्हे जागरूक करते हैं, उन्हे सहायता दे कर उनके साथ वर्कशॉप्स करते हैं| स्थानान्तरित कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर विशेष कार्य करते हैं| मायग्रंट वर्कर्स के परिवारों के साथ भी काम करते हैं| घरेलू हिंसा, व्यक्तिगत स्वास्थ्य, विवास सम्बन्धित काउंसिलिंग आदि विषयों पर भी संस्था काम करती है| इन सबके लिए उन्हे हाय रिस्क में होनेवाले फिमेल सेक्स वर्कर्स, होमो सेक्सुअल्स, नशिली दवाईयों के सेवन करनेवाले लोग जैसे समूहों में जा कर काफी चुनौतिपूर्ण स्थिति में काम करना होता है|
आशा इस विषय पर काम करती है, लेकीन मै काफी हद तक इस विषय से और एचआयवी इस सामाजिक समस्या से परिचित नही था| पहले तो मुझे ऐसा भी लगता था कि समाज में अन्य कई गम्भीर समस्याएँ है- जैसे रोजगार का अभाव, गरीबी, शाश्वत विकास का अभाव आदि| ऐसे में क्या वाकई एचआयवी पर काम करना जरुरी है? लेकीन धीरे धीरे मेरी समझ बढ़ती गई| एचआयवी इस समस्या के बारे में विस्तार से जानकारी होती गई| मेरे अनुभवों के माध्यम से यह भी आपके साथ शेअर करूँगा| एचआयवी का मतलब सिर्फ वो चार बातें नही है जो अधिकतर लोगों को पता होती हैं| उसमें कई सारी जटिलताएँ हैं- जैसे एचआयवी होनेवाले बच्चों के अलग अलग प्रश्न हैं, शिक्षा से ले कर आजीविका तक प्रश्न है; उनके रिहैबिलीटेशन के मुद्दे है| और सबसे बड़ी बात यह कि एचआयवी और एड्स समानार्थी शब्द नही है| एचआयवी संक्रमित व्यक्ति भी सही ट्रीटमेंट और सही जीवनशैलि के साथ सामान्य जीवन गुजार सकता है| एचआयवी का रुपान्तर एड्स में होने का अवधि बहुत लम्बा किया जा सकता है| ऐसी कई बातें इस यात्रा के दौरान मुझे सीखने को मिली| और व्हायरस के बारे में ऐसा भी एक जगह पर कहा गया कि असली एचआयवी वायरस तो मन में होनेवाली गलत धारणाएँ हैं| समाज के मन में जो भेदभाव का वायरस फैला हुआ है, वह ज्यादा खतरनाक है... खैर|
११ नवम्बर को चाकण में एक छोटे कार्यक्रम में रिलीफ फाउंडेशन के सदस्यों ने मुझे इस लम्बी साईकिल यात्रा के लिए शुभकामनाएँ दी| १२ नवम्बर की सुबह चाकण से निकलना है| ऐसी किसी सोलो साईकिल यात्रा के लिए निकलना मेरे लिए बिल्कुल नया नही है| फिर भी रात गहरी नीन्द नही आई| सुबह ठीक सवा छह बजे निकला| साईकिल यात्रा के पहले तीन दिन अक्सर कठिन होते हैं| क्यों कि शरीर और मन यात्रा की लय में आने के लिए कुछ वक्त लगता है| आज ८४ किलोमीटर साईकिल चलानी है| कोई भी साईकिल यात्रा एक तरह से अनिश्चितता के अन्धेरे में छलाँग जैसी होती है| लेकीन ऐसी अनिश्चितता को स्वीकार करते हुए ही बढ़ना होता है| चाकण से निकलने के बाद तुळापूर के रास्ते लोणीकन्द पहुँचा| छत्रपती सम्भाजी महाराज की स्मृति को मन ही मन वन्दन किया| लोणीकन्द के बाद मेरे लिए पूरा रास्ता नया है| इस यात्रा में जहाँ नाश्ता करूँगा, बीच में ब्रेक लूँगा, वहाँ इस विषय के बारे में लोगों से बात करूँगा| उन्हे बताऊँगा कि स्वास्थ्य और एचआयवी के बारे में जागरुकता के लिए मै साईकिल चला रहा हूँ|
केसनन्द होते हुए जल्द ही थेऊर गाँव में पहुँचा| यह एक तीर्थ स्थान तो है ही, मराठा इतिहास के और भारत के इतिहास के भी एक मुख्य व्यक्तित्व रहे माधवराव पेशवा की समाधी थेऊर में है| पानिपत के युद्ध के बाद मराठा सत्ता को संवारने में उनकी भुमिका बहुत बड़ी थी| छत्रपती के बहुत बड़े और वीर सेवक होने के बावजूद उनके कार्य को आज कम ही लोग जानते हैं| अब यहाँ से यह सड़क सोलापूर हायवे की तरफ जाएगी| एक जगह पर नदी के पास से सड़क गुजर रही है| इस दृश्य को देख कर मेरी लदाख़ में की हुई साईकिल यात्रा की याद ताज़ा हुई|
काफी देर अन्दरुनी इलाके में साईकिल चलाने के बाद हायवे पर पहुँचा| अब तक लगभग आधी दूरी तय हुई है| हायवे में उरुली कांचन गाँव में दूसरा नाश्ता किया और आगे बढ़ा| हायवे पर अच्छी रफ्तार मिल रही है| दूर पहाड़ भी दिखाई दे रहे हैं| पुणे- सोलापूर हायवे पर पहले कभी साईकिल नही चलाई है| इसलिए इसका अच्छा आनन्द ले रहा हूँ| कई लोग मेरी साईकिल को देख कर स्लो होते हैं, कुछ पास आकर पूछताछ भी करते हैं| मेरे टी शर्ट पर पीछे एक प्रश्न लिखा है, "मैने एचआयवी टेस्ट की है| आपने?" पुछताछ के लिए स्लो हुए कुछ लोग इस प्रश्न को पढ़ कर तुरन्त आगे भी निकल जाते हैं| बच्चे जब मुझे साईकिल चलाते हुए देखते हैं, तो उनकी आँखों में आश्चर्य के भाव होते हैं! आराम से आगे बढ़ता रहा| लेकीन बीच में अन्दरुनी सड़क पर अधिक समय लगा था, इसलिए केडगांव में पहुँचने के लिए अपेक्षा से अधिक समय लगा| ८४ किलोमीटर पूरे हो गए| आज यहीं ठहरूँगा और कल आगे बढ़ूँगा| मै यह यात्रा मेरा रूटीन ऑफीस वर्क- लॅपटॉप का काम करते करते ही करूँगा| इसलिए एक तरह से साईकिल चलाने के लिए समय की पाबन्दी है| सुबह उजाला होने के बाद दोपहर १२ बजे तक ही साईकिल चला पाऊँगा| उसके बाद उस उस पड़ाव के समूहों से मिलूँगा, फिर विश्राम करूँगा और मेरा काम भी करूँगा| अब ऐसा शेड्युल मेरा चौदह दिनों तक रहेगा|
आज पहले दिन ८४ किलोमीटर साईकिल चलाई|
चूँकि केडगाँव एकदम छोटा सा चौराया है, छोटा कस्बा है, वहाँ पर इस विषय में काम करनेवाली कोई संस्था नही है| संस्था के एक परिचित मित्र के पास मै ठहरा हूँ, उनको पूछा कि कहीं होटल- दुकान में जा कर इस विषय पर बात करते हैं| लेकीन उन्होने कहा कि इस विषय पर बात करने जैसी यह जगह नही है| यहाँ ट्रक ड्रायवर्स के स्थान हैं, लेकीन वे कुछ दूरी पर हैं (ट्रक ड्रायवर्स एचआयवी की परिभाषा में हाय रिस्क ग्रूप में आते हैं)| इसलिए पहले दिन किसी समूह के साथ मिलना नही हो पाया| कल इन्दापूर में किसी प्रोग्राम में शायद हिस्सा ले सकूँगा| देखते हैं| लेकीन आज इस यात्रा का पहला दिन तो अच्छा रहा| समय जरूर अधिक लगा, लेकीन शरीर लय में आने लगा है| और साईकिल यात्रा का मज़ा तो अभी बस शुरू हुआ है| अब भी काफी कुछ अनिश्चित है- योजना के अनुसार ही चला पाऊँगा या कुछ बदलाव होगा, जगह जगह पर मुझे लोग मिलेंगे भी या नही| लेकीन रिलीफ फाउंडेशन और आशा इसके लिए समन्वयन कर रहे हैं| और रही बात साईकिल की, तो साईकिल लोगों तक पहुँचती ही है| साईकिल पर लिखा गया मैसेज- 'क्या आप आपके और सभी के स्वास्थ्य के बारे जें जागरूक है?' और टी शर्ट पर लिखा गया मैसेज- 'मैने एचआयवी टेस्ट की है, आपने?' ये दोनों मैसेज सैकड़ो लोगों ने पढ़े भी होंगे| दोपहर में अच्छा विश्राम किया| आज की थकान आज ही मिटानी है| तो ही लगातार कई दिन साईकिल चला पाऊँगा| अब कल यहाँ से इन्दापूर जाऊँगा|
अगला भाग: एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव २. केडगांव से इन्दापूर (८५ किमी)
मेरी पीछली साईकिल यात्राओं के बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं: www.niranjan-vichar.blogspot.com
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