Sunday, December 2, 2018

एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव: २. केडगांव से इन्दापूर (८५ किमी)

२. केडगांव से इन्दापूर (८५ किमी)

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१३ नवम्बर की भोर| आज इस यात्रा के दूसरे दिन केडगाँव से निकलना है| अच्छा विश्राम होने पर सुबह ताज़गी महसूस हो रही है| उजाला होते होते तैयार हो कर निकला| आज इन्दापूर तक मुझे यही हायवे होगा| कल के मुकाबले मुझे आज कम समय लगेगा| लेकीन साईकिल यात्रा में अक्सर अपेक्षा के विपरित होता रहता है| आज भी इसका अनुभव आनेवाला है| जब निकला तब काफी ठण्ड है| इस यात्रा में हर रोज मुझे सुबह एक- डेढ घण्टे तक ठण्ड मिलनेवाली है| और दोपहर में काफी गर्मी भी मिलेगी| सुबह की ठण्डक में हायवे पर साईकिल चलाने का आनन्द लेता रहा| सूर्योदय का अच्छा दृश्य दिखाई दिया|









कुरकुम्भ के पास एक घाट लगा| यहाँ साईकिल बहुत धिमी रफ्तार से चलने लगी| घाट आसानी से ही पार किया, लेकीन तब पता चला की साईकिल पंक्चर हुई है| तब बड़ा झटका लगा! इस यात्रा के दूसरे ही दिन पंक्चर का अनुभव! पास ही सर्विस रोड़ है, इसलिए साईकिल उठा कर वहाँ ले गया| पंक्चर का पूरा सामान तैयार है| हालांकी मानसिक तौर पर मै पंक्चर की अपेक्षा नही कर रहा था| लेकीन जल्द ही साईकिल का पहिया अलग किया| टायर जब जाँचा तो उस पर कई सारे ग्लास के टुकड़े चिपके मिले| जरूर इसीमें से किसी ने पंक्चर किया होगा| धीरे धीरे उन सबको निकाल दिया| मेरे पास स्पेअर ट्युब है इसलिए सिर्फ ट्युब बदल दी| पंक्चर हुई ट्युब को इन्दापूर पहुँचने पर ठीक करूँगा| स्पेअर ट्युब बदलते बदलते कुछ लोग इकठ्ठा हो गए| ये लोग पास के पाटस एमआयडीसी के कर्मी होंगे| उनसे मेरे उद्देश्य के बारे में कुछ बात की| थोड़ी ही देर में साईकिल फिर से तैयार है| लेकीन इस पंक्चर में लगभग ४५ मिनट चले गए| एक तरह से खुद को कोसा भी कि निकलने के पहले नए टायर क्यों नही डाले| मै नए टायर लेने के लिए गया भी‌ था, लेकीन साईज मैच न होने से नही डाले थे| खैर|

पंक्चर के कारण कुछ उदासी लग रही है| वैसे ही बढ़ता रहा| बीच बीच में टायर भी चेक कर रहा हूँ| आसपास अब अच्छे नजारे दिखाई देने लगे हैं| सह्याद्री के पहाड़ अब धीरे धीरे पीछे छूट रहे हैं और जैसे मै पुणे जिले के सीरे की तरफ आ रहा हूँ, सारा लैंडस्केप समतल हो रहा है| प्राकृतिक सुन्दरता ने जल्द ही मन से पंक्चर का तनाव निकाल दिया! साईकिल का यह लाभ जरूर होता है| आसपास के नजारे बदलते रहते हैं, जिससे मन में एक ही भाव ज्यादा देर तक नही रहता है| सोच रहा हूँ, जिस प्रकार एचआयवी प्रीवेंटीबल हैं, टाला जा सकता है, वैसे क्या पंक्चर टाला जा सकता है? एचआयवी तो पूरी जानकारी हो तो शत प्रतिशत प्रीवेंटीबल है| लेकीन पंक्चर का फिफ्टी- फिफ्टी है| पचास प्रतिशत तो प्रीवेंटीबल है, बाकी किस्मत पर होता है| हम सिर्फ टायर में सही प्रेशर रख सकते हैं, बार बार उसे जाँच सकते हैं| कुछ पत्थर या कांच के टुकड़े आदि लगे हो तो उन्हे निकाल सकते हैं|





धीरे धीरे नजारे और बदलते गए| सड़क भी बेहद शानदार बनी है| यह सड़क अब बड़े जलाशयों के पास से गुजरेगी| इसलिए कुछ ढलान भी मिल रही है| भिगवण के करीब सुन्दर जलाशय देखने को मिला| यह एक पक्षी- अभयारण्य भी है| सड़क पर से भी बहुत सारे पक्षी दिखे| मै अब जैसे पण्ढरपूर की तरफ जा रहा हूँ, तो वहाँ जानेवाले तीर्थयात्रियों के समूह भी मिल रहे हैं| जैसे इन्दापूर करीब आ रहा है, वैसे लैंडस्केप पूरी तरह समतल हो रहा है| लेकीन अब गर्मी भी बढ़ रही है| पंक्चर में ४५ मिनट तो चले ही गए, कुछ लय भी टूटी| इसलिए इन्दापूर पहुँचने में दोपहर का एक बज गया| यहाँ मै स्थानीय महाविद्यालय के रेस्ट हाऊस में ठहरूँगा| आज ८५ किलोमीटर पूरे हो गए| इन्दापूर में पहुंचने पर भी कई लोग निरंतर मेरी पूछताछ कर रहे हैं| गेस्ट हाऊस पहुँच कर अच्छा विश्राम किया|





शाम को इसी महाविद्यालय में मै मेरे विचार रखूँगा- एक छोटा सा कार्यक्रम भी होगा| एनएसएस के पूर्व सदस्यों ने उसका आयोजन किया है| दोपहर में विश्राम के बाद पंक्चर ठीक कर दिया| अब दूसरी स्पेअर ट्युब मेरे पास तैयार है| मेरा पंक्चर का हुनर अब भी उतना परफेक्ट नही है| हाल ही में दीपावली हुई है, इसलिए महाविद्यालय में छात्र कम ही है| लेकीन एनएसएस के पूर्व सदस्यों ने कार्यक्रम की अच्छी तैयारी की| विनोदजी गायकवाड सर ने कम समय में भी आयोजन किया| एनएसएस के कुछ लोग और कुछ छात्राएँ कार्यक्रम में आई थी| उनके पास कम समय था, इसलिए संक्षेप में मेरे अभियान के बारे में बताया| इस महाविद्यालय में पहले एचआयवी जागरूकता से सम्बन्धित शिविर भी हुए हैं| आयोजकों ने रिलीफ फाउंडेशन के साथ मिल कर इस विषय पर और स्वास्थ्य के बारे में भविष्य में भी कार्य करने की इच्छा व्यक्त की|


आज दूसरे दिन ८५ किलोमीटर हुए|

इस तरह दूसरा दिन पंक्चर के बावजूद योजना के अनुसार बिता| कल पण्ढरपूर जाना है| और कल बाल दिवस भी होगा और मै इस यात्रा के मेरे पहले बाल गृह पर पहुँचूँगा| कल वहाँ के बच्चों से मिलना होगा और काफी कुछ देखने को मिलेगा| इसी विचारों के साथ जल्द सो गया|

अगला भाग: एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव ३. इन्दापूर से पंढरपूर 

मेरी पीछली साईकिल यात्राओं के बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं: www.niranjan-vichar.blogspot.com

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (04-12-2018) को "गिरोहबाज गिरोहबाजी" (चर्चा अंक-3175) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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