Friday, December 21, 2018

एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव: ११. कळमनुरी से वाशिम

११. कळमनुरी से वाशिम
 

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२१ नवम्बर को कळमनुरी में अच्छा कार्यक्रम तो हुआ ही, साथ में कई लोगों से मिलना हुआ| शाम को भी कार्यक्रम में आए डॉ. धाण्डे जी मिलने के लिए आए| आज २२ नवम्बर को हिंगोली में भी कुछ लोग मिलेंगे| कळमनुरी से सुबह निकलने में थोड़ी देर हुई| कल अधिक ऊर्जा देनेवाले लड्डू थोड़े ज्यादा खाए थे, जिससे पेट को तकलीफ हुई थी| और कळमनुरी में जहाँ रूका था, वह गेस्ट हाऊस ठीक हायवे पर ही है, इसलिए पूरे उजाले का इन्तजार किया और आगे बढ़ा| यहाँ का परिसर बहुत अच्छा लग रहा है| यह एक हिली एरिया ही है| कुछ लोगों को शायद लगता होगा कि हर रोज साईकिल चलाने में क्या विशेष अनुभव आता होगा, क्या अलग होता होगा| मेरा तो यही अनुभव है कि हर दिन और हर राईड अलग होती है| हर दिन के दृश्य अलग होते हैं, हर दिन हमारा मन और हमारे मन में दिखनेवाले दृश्य भी अलग ही होते हैं| और इस यात्रा में तो हर दिन नए लोगों से मिलना हो रहा है| और रोज के साईकिलिंग या रनिंग के बारे में तो मेरा यही अनुभव है कि हर कोई राईड या रन बिल्कुल अलग ही होता है| चाहे रूट एक ही हो, समय एक ही हो, वातावरण एक जैसा हो, हर दिन का अनुभव अलग होता है| बस उसे देखना आना चाहिए| उपर से बोअरिंग जैसा दिखाई देनेवाला यह क्रम बिल्कुल भी बोअरिंग नही होता है| बस उसके भीतर छिपी चीज़ें हमें दिखाई पड़नी चाहिए|






आज का पहला चरण अठारह किलोमीटर पर हिंगोली हैं जहाँ मै कुछ लोगों से मिलूंगा| कई साल पहले हिंगोली‌ में जिनके पास कुछ महिने रहा था वे मकान मालिक और उस समय के कुछ परिचित लोग| थोड़ी देर उनसे मिलना हुआ| उन्हे तो लग रहा है वे जिसे जानते थे, वह मै हूँ ही नही! बात सच भी हैं! कहते हैं कि एक ही नदी में दोबारा हाथ नही डाल सकते! नदी तो भागी जाती ही है, हम भी आगे जाते हैं| छोटी लेकीन बहुत उत्साह देनेवाली यह मुलाकात रही| आज भी वैसे कम ही‌ साईकिल चलानी है| सिर्फ ६६ किलोमीटर| हिंगोली से निकलने के बाद कुछ देर तक लगातार चढाई है|  धीरे धीरे सड़क कुछ पहाडियों में से उपर उठती जाती हैं| और कुछ देर तक काफी विरान परिसर भी हैं| इस चढाई पर भी मै अच्छी स्पीड से साईकिल चला पा रहा हूँ, हायर गेअर्स का इस्तेमाल कर पा रहा हूँ! कल जैसे डोंगरकडा गाँव लगा था, वैसे आज और एक गाँव दिखा- सिरसम| स्कूल में मेरा मित्र था- सिरसमकर| यहाँ का प्रदेश काफी हिली है| हिंगोली के आगे २१ किलोमीटर पर कन्हेरगाँव में जा कर पहला बड़ा गाँव लगा| यहाँ दूसरा ब्रेक लिया| यहाँ से एक सड़क येलदरी की तरफ जाती है, जहाँ मै इस यात्रा के अन्तिम दिन जाऊँगा|





कन्हेरगाँव के आगे विदर्भ विभाग शुरू हुआ! चार साल पहले इसी रोड़ से गाड़ी में शेगाँव गया था, वह याद ताज़ा हुई| उस बार कन्हेरगाँव के पहले तक सड़क बड़ी डरावनी थी, इस बार बहुत अच्छी मिली| अब धूप निकली है, लेकीन वाशिम अब ज्यादा दूर नही है| और वाकई, बिना अतिरिक्त ब्रेक लेने की आवश्यकता हुए मै वाशिम में पहुँच गया| यहाँ जिले की एचआयवी पर काम करनेवाले कर्मियों की टीम और विहान प्रोजेक्ट, लिंक वर्कर प्रोजेक्ट आदि के लोग मुझे रिसीव करने के लिए हिंगोली कॉर्नर पर आगे आए थे! और यहाँ मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि भिसे सर ने मुझे इलेक्ट्रॉल दिया| यहाँ से जिला अस्पताल की तरफ जाते जाते वाशिम की साईकिलिस्ट अलका जी गि-हे भी मिलने आई| वे यहाँ की बड़ी साईकिलिस्ट है, साईकिल स्टुडीओ भी चलाती है| उनसे मेरा कैसे परिचय हुआ यह बताने लायक है| जब मैने योग- प्रसार हेतु साईकिल यात्रा की थी, तब मै सिंदखेड राजा गाँव में एक सज्जन के पास रूका था| तब उन्होने बताया था कि उनकी रिश्तेदार अलका जी भी साईकिलिस्ट है| तब उनसे सम्पर्क हुआ था| और आज वे मुझे मिलने के लिए भी आईं! 



यहाँ का कार्यक्रम अच्छा हुआ| चर्चा में बहुत सी बातें कही गई| एचआयवी होनेवाले लोगों को ट्रीटमेंट तक लाने में होनेवाली दिक्कतें, उन्हे सरकारी लाभ दिलाने में आनेवाली दिक्कतें इन पर चर्चा हुई| जिले में अलग अलग जगहों पर काम करनेवाले कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव बताए| इस जिले में मायग्रंट वर्कर्स भी बड़ी संख्या में हैं| ऐसे मायग्रंट वर्कर्स के बीच जा कर उन्हे जाँच के लिए तैयार करना, पॉजिटीव पाए जाने पर उनसे संपर्क करना और उन्हे ट्रीटमेंट तक लाना, ये बड़ा कठिन काम होता है| ऐसा ही काम रिलीफ फाउंडेशन पुणे के भोसरी क्षेत्र में करता है| इसके अलावा विहान सपोर्ट ग्रूप भी अलग तरह से एचआयवी पॉजिटीव व्यक्तियों के साथ काम करता है| उन्हे सहायता देना, हौसला देना, सरकारी मदद देना यह सब तो होता है, लेकीन ये करते समय जो एक शब्द बीच में आता है- कलंक या धब्बा उसे भी दूर रखना होता है| इसलिए लोगों को सेवा देते समय गोपनीयता भी बनाई रखनी होती है| और जो लोग रिस्क जोन में होते हैं, जैसे सेक्स वर्कर्स या उनके क्लाएंटस, उन्हे सुरक्षित तरीकों के बारे में बताना होता है| कई बार कार्यकर्ताओं को एचआयवी होनेवाले व्यक्ति के घर जाने के बाद लोगों को बताना होता है कि वे किसी काम से वहाँ गए थे, जैसे संस्था की तरफ से नही, बल्की घर के लिए कामवाली चाहिए क्या, यह पूछने के लिए गए थे इस तरह| इस क्षेत्र में काम करनेवाले लोग एक अर्थ में unsung heros and heroines ही हैं! चर्चा में इन सब मुद्दों को देख कर अलका जी भी प्रभावित हुईं| उनके पति डॉक्टर हैं, फिर भी उन्हे ये सब पता नही था| मुझे भी यात्रा के पहले पता नही था| एक तरह से यह क्षेत्र अस्पृश्य या वर्जित दुनिया जैसे है| खैर|





वाशिम में मेरे ठहरने का इन्तेजाम विहान प्रोजेक्ट के दफ्तर में ही किया गया| वाशिम में हुई चर्चा के बाद अलका जी ने सभी से कहा कि १ दिसम्बर को जागतिक एड्स निर्मूलन दिन पर इस बार साईकिल रैली करते हैं| हर साल यहाँ पर पैदल रैली ही होती है जो छोटे से हिस्से में चलती है| पूरा शहर भी कवर नही हो पाता है| अलका जी ने हाल ही में २०० से अधिक साईकिलिस्टस की एक ईवेंट किया था| उन्होने कहा कि १ दिसम्बर के कार्यक्रम के लिए इतने ही‌ साईकिलिस्टस को वे बुलाएगी| अलकाजी की साईकिलिंग के तरफ आने की यात्रा भी विशेष हैं| वे कुछ साल पहले उनके एक मित्र नारायण व्यास जी के कारण साईकिलिंग की तरफ आई| धीरे धीरे उनके मार्गदर्शन में आगी बढ़ी| और बाद में २०० किमी, ३०० किमी ऐसी एन्ड्युरन्स सायकल यात्राएँ भी उन्होने की! वे इस सबके लिए नारायण जी को अपना गुरू कहते हैं| नारायण जी कुछ देर कार्यक्रम में भी आए थे| और मुझे और यह विशेष लगा कि वे सिर्फ खुद साईकिल चला कर नही रुकी, वे साईकिलिंग की ईवेंटस भी आयोजित करती हैं! और गृहिणी से आगे बढ़ कर वे नारायण जी के साथ मिल कर साईकिल स्टुडिओ भी चलाती हैं| वाकई यह आम बात नही है| उन्होने उनके स्टुडिओ में भी बुलाया था, लेकीन शाम को विश्राम और काम के चलते नही जा पाया| शाम को भी कुछ कार्यकर्ताओं से बात होती रही| अब कल अकोला! इस यात्रा का एक तरह से शिखर बिन्दु होगा| चौथे बालगृह में विजिट करूँगा|

अगला भाग: एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव १२. वाशिम से अकोला

मेरी पीछली साईकिल यात्राओं के बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं: www.niranjan-vichar.blogspot.com

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