Tuesday, December 25, 2018

एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव: १३. अकोला से रिसोड

१३. अकोला से रिसोड
 

इस लेख माला को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए|

२४ नवम्बर की सुबह| आज अकोला से निकलना है| अन्तिम दो दिन बचे हैं और दोनो दिन मै शतक करूँगा| आज रिसोड तक १०५ किलोमीटर हो जाएंगे| लेकीन इसमें मुझे काफी हद तक चढाई होगी| कल शाम की चर्चा अब भी याद आ रही है| शिवराज पाटील जी ने कहा था कि महाराष्ट्र में ऐसे एचआयवी बच्चों के १९ बाल गृह है| उनमें से कुछ तो बन्द भी हो चुके हैं| ये सब निजी हैं, एक भी‌ सरकारी नही है| हालांकी सरकार से इन्हे कुछ सहायता जरूर मिलती है| कल श्रीकान्त जी से मिलना हुआ था, वे आज भी सुबह मुझे सड़क दिखाने के लिए आए| यह अकोला के एक तरफ पड़ता है, यहाँ से वाशिम हायवे तक का शॉर्ट कट वे बताएंगे| उनके साथ साईकिल चलानी शुरू की| कुछ दूरी तक मुंबई- नागपूर हायवे पर साईकिल चलाई| कोहरा है और सभी वाहनों के लाईटस जल रहे हैं| थोड़ी देर में वाशिम हायवे के मोड़ पर पहुँचा| मुझे सड़क दिखा कर श्रीकान्तजी ने विदा किया| कुछ कच्ची सड़क से साईकिल चलाई और फिर हायवे पर आ पहुँचा| यहाँ से मालेगांव जहांगीर तक कल वाली ही सड़क है| आज शनिवार है, इसलिए थोड़ी‌ राहत महसूस कर रहा हूँ| चढाई से अधिक समय लग भी गया तो कोई दिक्कत नही है| आज सड़क पर मुझे कुछ लोग भी मिलेंगे, छोटी मुलाकात होगी|




 


हम कोई भी काम करते हैं, तो उसमें मन की भुमिका बहुत अहम होती है| मन का सहयोग मिलना बहुत अहम होता है| एक तरह से इसे सम्मोहन कहा जा सकता है| अगर मन राज़ी हुआ, तो कौनसा भी कठिन काम किया जा सकता है| इसलिए मन को राज़ी करने के कई तरीके अपनाए जाते हैं| जैसे अगर अध्ययन करना हो तो अकेले करने के बजाय ग्रूप में किया जाता है| जिससे एक तरह का सम्मोहन बनता है, धारा बनती है| या कई खेलों में स्पर्धा या रेस होती हैं, जिसमें एक दूसरे से लोग प्रभावित होते हैं, प्रेरित होते हैं| अभी इस यात्रा तेरहवा दिन होने के कारण मन बिल्कुल राज़ी है, सहमत है! इससे मानो लग ही नही‌ रहा है कि आज कुछ ज्यादा किलोमीटर साईकिल चलानी है| और पैरों ने तो मुझे बहुत चकित कर दिया है| मानो पैरों में बैल जैसी ताकत आ गई है| हर पेडल पर बहुत फोर्स मिल रहा है| इतने दिनों के मूमेंटम के कारण नॉर्मल की तुलना में २०% बेहतर साईकिल चला पा रहा हूँ| इसलिए चढाई पर भी आराम से बढ़ता रहा| पहला ब्रेक पातूर के पास लिया| यहाँ मेरे साईकिल का बोर्ड देख कर एक मित्र ने फ्री‌ में चाय पिलाई| डबल चाय पिनी पड़ी| ऐसे लोग पूरी यात्रा में मिलते ही रहे हैं|





पातूर के आगे का घाट तो छोटा ही है| देखते देखते पार हो गया| अब मेडशी तक उतराई है| यहीं पर एक मोटरसाईकिल मेरे पास आकर रूकी और उन्होने मुझे भी रुकने के लिए कहा| वे विपरित दिशा में जा रहे थे, मुझे देख कर रूक गए| वे वाशिम के ही साईकिलिस्ट हैं और विशेष बात यह थी कि पति- पत्नि है और दोनों साईकिल चलाते हैं| दोनों ने २०० किलोमीटर की साईकिल ईवंट की है| कुछ पल उनसे मिल कर आगे बढ़ा| आगे मालेगांव जहांगीर में उस तहसील के एचआयवी पर काम करनेवाले लोग और कुछ पत्रकार मिले| उन्होने मेरा स्वागत भी किया और अपने काम के बारे में भी बताया| वाशिम जिले में कल कार्यक्रम हुआ था, इसलिए वे भी मुझे मिलने आए| थोड़ी देर उनसे बातचीत की, चाय पी और आगे बढा| यहाँ से सड़क थोड़ी छोटी हो गई है| लेकीन फिर भी ठीक है| अब हायवे की ट्रैफिक का टेंशन नही| पहले कभी जहाँ नही गया हूँ, वहाँ जा रहा हूँ| यहाँ भी सड़क का काम चल रहा है, लेकीन सड़क उखाड दी नही है, इसलिए कोई परेशानी नही हुई| आगे एक जगह बोर्ड दिखा मिला कि यहाँ से गोदावरी बेसिन शुरू हो रहा है| तापी बेसिन से गोदावरी बेसिन में प्रवेश हुआ! यानी की इसके बाद का सारा बहनेवाला पानी अब गोदावरी नदी की तरफ जाएगा| और आज मेरे १००० किलोमीटर भी पूरे हो गए! वाह! रिसोड के कुछ पहले शिरपूर गाँव में भी एक परिचित डॉ. जाधव जी से मिलना हुआ| यहाँ भी स्वागत हुआ, थोड़ी देर बातचीत हुई|‌स्वागत से तो मै अब थक गया हूँ, लेकीन यहाँ जो एनर्जाल मिला, वह मुझे चाहिए ही था! शिरपूर गाँव में से ही आगे जा कर फिर रिसोड की सड़क पर पहुँचा| अपेक्षा से पहले मै रिसोड पहुँचूंगा| आज ज्यादा चढाई होने पर भी समय उतना ज्यादा लगा नही|





रिसोड गाँव में पहुँचने पर लोगों ने बहुत पूछताछ की| तारीफ भी कि| दो बजे के पहले रिसोड पहुँचा| इस यात्रा का पहला शतक! १०५ किलोमीटर हो गए| रिसोड के ग्रामीण रुग्णालय में कार्यक्रम हुआ| इस कार्यक्रम में डॉक्टर, लैब टेक्निशिअन्स, एएनएम आदि सम्मीलित हुए| यहाँ पे बताया गया कि जब एचआयवी की टेस्टिंग होती है, तो करनेवाले को बहुत चिन्ता होती है| टेक्निशिअन आदि लोग तो प्रार्थना करते हैं कि टेस्ट का परिणाम निगेटीव आए| यहाँ एक दिदी ने यह भी कहा कि अगर लोगों को, समाज को एचआयवी संक्रमण के यौन सम्बन्ध के अतिरिक्त के जो कारण हैं, उनका ठीक से पता चलेगा, तो कलंक का दृष्टिकोण बदल सकता है| इसमें‌ कुछ सचाई तो जरूर है| लेकीन फिर भी एचआयवी संक्रामण के कारणों में मुख्य रूप से यौन सम्बन्ध ही होते हैं| जो बाकी के कारण हैं या कहना चाहिए थे जैसे ब्लड ट्रान्सफ्युजन, माता से शिशु को संक्रामण ये अब तकनीक की प्रगति के कारण समाप्त हो रहे हैं| अगर तकनीक का सही इस्तेमाल और सावधानी रहे, तो ब्लड ट्रान्सफ्युजन से एचआयवी संक्रामण रोका जा सकता है| ऐसी चर्चा में कहीं पर एक बात कही गई थी| कहा गया था कि एचआयवी का वायरस वास्तव में उतना खतरनाक नही है जितना विषमता और भेदभाव का वायरस खतरनाक है| क्यों कि एचआयवी वायरस तो शरीर में ही होता है, लेकीन भेदभाव और विषमता की जड़ें बहुत गहरी पहुँच जाती हैं|‌ जैसे बाल गृहों में देखा, भेदभाव, विषमता, जागरूकता का अभाव और अज्ञान यही मुख्य समस्या है| अगर चमत्कार हो कर ये समस्याएँ दूर हो जाएंगी, तो चुटकी में उन बच्चों की समस्याएँ भी कम हो जाएंगी| बीमारी तो बस बीमारी होनी चाहिए| शरीर का अर्थ ही तो क्षय होनेवाला होता है| एक जगह की चर्चा में यह भी कहा गया कि आज डायबेटीस भी तो लाईलाज बीमारी है, लेकीन उसे "वैसी" नजरों से बिल्कुल भी नही देखा जाता है| खैर| अच्छी चर्चा हुई और फिर मेरे ठहरने का इन्तजाम रुग्णालय के पास ही होनेवाले स्टाफ क्वार्टर में किया गया| बहुत अच्छी तरह व्यवस्था की गई और निखाडे जी ने बहुत ख्याल रखा|

शाम को मेरे पुराने परिचित डॉ. गणेश देशमुख जी मुझे मिलने के लिए रिसोड में आए| रिसोड से जिन्तूर की सड़क के बारे में बहुत चर्चा हुई| कल इस यात्रा का अन्तिम दिन होगा और मुझे रिसोड से परभणी जाना है| लेकीन बीच में सड़क शायद ठीक नही होगी| काफी चर्चा के बावजूद सस्पेन्स बरकरार रहा| मैने तय किया है कि जो लॉजिकली सबसे पास की सड़क होगी, वही से जाऊँगा| देखते हैं कैसे होता है| लेकीन आज बड़ी बात यह रही कि मेरे एक हजार किलोमीटर पूरे हो गए! अब बचा सिर्फ एक दिन है| लेकीन यात्रा का रोमांच और सस्पेन्स बरकरार है! 



अगला भाग: एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव १४. रिसोड से परभणी

मेरी पीछली साईकिल यात्राओं के बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं: www.niranjan-vichar.blogspot.com

No comments:

Post a Comment

आपने ब्लॉग पढा, इसके लिए बहुत धन्यवाद! अब इसे अपने तक ही सीमित मत रखिए! आपकी टिप्पणि मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है!