दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . .
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . .
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . .
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . .
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २!
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . .
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!
नई सड़कों पर साईकिल यात्रा
२०१४ के फरवरी माह में सिर्फ दो राईडस की- ११२ और ९३ किलोमीटर की| लेकिन अब धीरे धीरे लग रहा है कि नियमित रूप से साईकिल चलानी चाहिए| मार्च में कुछ दिन पुणे के चाकण के पास रहना हुआ| वहाँ साईकिल ले कर ही गया| इस दौरान काफी साईकिल चलायी| कई नई सड़कों पर यात्रा की| पुणे के डिएसके विश्व से निकलने के पहले लगातार दो बार डिएसके का क्लाईंब पार किया| अब ऐसी साधारण चढाई की आदत हो गई है| उसी दिन पुणे से चाकण जाते समय ही एक घाट रास्ते से गया- विश्रांतवाडी- आळंदी- चाकण| विश्रांतवाडी के आसपास मिलिटरी के कई स्थान है- बाँबे सॅपिअर्स, मिलिटरी इंजिनिअरिंग कॉलेज और अन्य| मिलिटरी के परिसर से जाते समय एक अलग अहसास होता है! जल्द ही लदाख़ में साईकिल चलाने के बारे में सोच रहा हूँ| मिलिटरी के जवान देख कर और हौसला बढ़ता है| आळंदी के बाद का घाट छोटा ही है| मुश्किल से ढाई किलोमीटर लम्बाई होगी और चढाई भी कम है| लेकिन नजारा बहुत सुन्दर| और खास बात यह कि सड़क पर यातायात बहुत कम है| साईकिल चलानेवालों के लिए ट्रैफिक की दिक्कत बहुत होती है| हायवेज पर सड़क की गुणवत्ता अच्छी होने के बावजूद ट्रैफिक का डर लगता है| लेकिन ऐसे रास्ते हो तो बहुत मज़ा आता है| बिना कोई तकलीफ हुए पचास से अधिक किलोमीटर हो गए और चाकण पहुँच गया|
. . अब हर रोज साईकिल चलाने की इच्छा है| चाकण के पास साईकिल पर एक्स्प्लोर करने के लिए भी बहुत कुछ है| इंटरनेट पर भी बहुत जानकारी उपलब्ध है| आज ट्रेकिंग और साईकिलिंग की बहुत सुन्दर जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है| इसलिए कहा जाऊँ, यह सवाल ही नही उठा| अगले दिन, ३ मार्च को चाकण का किला और चक्रेश्वर मन्दीर और एक गुरुद्वारा देखा| यह राईड छोटी ही रही- बस ११ किलोमीटर| लेकिन इसमें जो देखा वह महत्त्वपूर्ण लगा| इतिहास में चाकण किले की लड़ाई में फिरंगोजी नरसाळे का नाम सुना था| यह किला जमीन पर बंसा किला है| आज बस कुछ अवशेष बचे हैं. . . इतिहास के समय से यह स्थान महत्त्व का रहा| जरूर चक्रेश्वर मन्दीर के कारण ही इसे 'चाकण' नाम मिला होगा| आज यहाँ सब इंडस्ट्रियल और नए रेसिडंशिअल एरियाज का बड़ा केन्द्र है| खैर|
चक्रेश्वर मन्दीर
चाकण का किला. . .
फिरंगोजी नरसाळे की वीरता का गवाह
इस ब्लॉग पर थोड़ी जानकारी देखी तब भण्डारा हिल का पता चला| अगले दिन भण्डारा हिल और साथ में इन्दुरी गाँव का प्लॅन बनाया| कॉलेज के दिनों में इन्दुरी गाँव के पास फिल्ड वर्क के लिए आता था| वह भी याद ताज़ा हो गई| भण्डारा हिल वह स्थान है जहाँ सन्त तुकाराम जी ने उनकी गाथा लिखी थी| सुबह की कोमल धूप में निकला| यह हिल मेरे स्थान से पास ही है| दस किलोमीटर जाने पर चढाई शुरू हुई| आज यह मान्यताप्राप्त तीर्थ स्थान होने के कारण सड़क बड़ी ही सुन्दर बनी है| साईकिल के लिए यह एक आदर्श अभ्यास स्थान है| लगभग तीन किलोमीटर की चढाई है| अच्छी चढाई है| प्रॅक्टिस के लिए बिल्कुल बढिया| एकदम सुनसान सड़क और सुन्दर नजारे! यह चौथे ग्रेड का घाट है| बिना कोई अडचन उसे पार किया| बस बीच बीच में साँस लेने के लिए थोड़ा रुकना पड़ा| उपर चढते समय चारों ओर सुन्दर दृश्य दिखता है! उपर पहुँचने पर पीछे जाधववाडी डैम दिखता है| थोड़ी देर पावन स्थल का दर्शन किया और फिर चल पड़ा|
पीछे मूड कर देखने पर
अब इन्दुरी किला देखना है| भण्डारा हिल के कॉर्नर से मुश्किल से पाँच किलोमीटर| यह भी जमीन पर स्थित किला है| यह भी स्थान आज खण्डहर जैसा ही हुआ है| हमारे सिस्टम में ऐतिहासिक धरोहरों के लिए आज स्थान ही कहाँ है? कितने लोग आज ऐसे स्थानों में रुचि लेते होंगे? और सरकार को भी ऐसे स्थानों का ख्याल रख कर मिलेगा क्या? लेकिन हम अगर अन्य देशों की बात करते हैं तो फ्रान्स में फ्रान्सिसीयों को उनके हर एक धरोहर के बारे में पूरी जानकारी होती है| खैर. . . वापसी के समय कोई दिक्कत नही हुई| अब ऐसी तीस- चालिस किलोमीटर की राईड के लिए शरीर बिल्कुल आदी हो गया है| गर्मी बढ़ने के पहले पहुँच गया| अब आगे और सड़कों पर राईडस करनी है| देखते हैं|
शाहू महाराज के सेनापति खण्डेराव दाभाडे का यह इन्दुरी किला
खण्डेराव दाभाडे को दिया हुआ वतन एक तालाब का गाँव था- जिसके कारण आज उसे तळेगाँव दाभाडे कहते हैं!
इन्द्रायणी नदी और पीछे दूर तळेगाँव
भण्डारा हिल का एलेवेशन
रूट मैप
अगला भाग १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड
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