Friday, December 25, 2015

दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  


तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड


२०१४ के मार्च माह में पुणे जिले के चाकण क्षेत्र में अच्छी राईडस हुई| कुछ दिन लगातार साईकिल चलायी- लगभग हर रोज तीस चालिस किलोमीटर साईकिल चलायी| अब फिर बड़ी राईड की योजना बनायी- इस बार पुणे जिले में नारायणगाँव के पास जीएमआरटी अर्थात् Giant Meterwave Radio Telescope देखने जाना है| यह एक रेडिओ दुरबीन है और उसे देखने की इच्छा बरसों से थी| अब सोच रहा हूँ कि साईकिल पर ही वहाँ जाऊँ| चाकण में मै इन दिनों जहाँ रह रहा हूँ, वहाँ से यह करीब बावन किलोमीटर होगा|

सुबह सूरज उगने के समय निकला| पुणे- नाशिक हायवे पर ट्रैफिक कम है| सुबह की ताज़गी और रमणीय माहौल! भामा और भीमा नदियों को पार कर राजगुरूनगर पहूँच गया| यह क्रांतिकारी राजगुरू का गाँव है| अब यहाँ से यह हायवे सिंगल लेन होगा| इसपर बड़ी हेवी ट्रैफिक रहती है| पहले कुछ डर लगा, लेकिन फिर कोई दिक्कत नही आयी| गाँव में होटल ढूँढे, पर वे अभी बन्द है| कई बार ऐसा होता है कि हम होटल पसन्द करने में समय लगाते हैं और सभी होटल पीछे छूट जाते हैं! कुछ ऐसा ही हुआ और गाँव पीछे गया, लेकिन 'अच्छा' होटल नही मिला| थोड़ी देर बाद हायवे पर एक होटल मिला| नाश्ता कर आगे बढ़ा| यहाँ अब एक छोटा घाट है|








साईकिल चलाने के अच्छे अभ्यास के कारण घाट चढने में कोई दिक्कत नही हुई| सुन्दर दृश्यों के बीच साईकिल चलाता रहा और आगे बढ़ता गया| एक जगह से बड़ी उतराई मिली| धीरे धीरे धूप बढ़ रही है| बीच बीच में चाय के ब्रेक्स ले कर आगे बढ़ता गया| अब कळंब नाम की जगह से मुझे यह हायवे छोड कर अन्दरूनी सड़क से आगे जीएमआरटी की तरफ जाना होगा| हायवे छोडने के बाद ट्रैफिक से राहत मिली|














गाँवों को जोडनेवाली सड़कें! ऐसी सुनसान सड़कों पर साईकिल चलाने का मजा भी और है! बीच बीच में रास्ता पूछना पड़ रहा है| सड़क पर हल्की चढाई और उतराई है| ग्रामीण जीवन की अन्दरुनी झलक दिखाई दे रही है| करीब चार घण्टों में जीएमआरटी के पास पहूँच गया| एक छोटे कस्बे में फिर नाश्ता कर लिया और जीएमआरटी के लिए आगे बढ़ा| जीएमआरटी- जायंट मीटरवेव्ह रेडिओ टेलिस्कोप! यह एक मीटर वेव्हलेंथ का सम्भवत: विश्व का सबसे बड़ा रेडिओ टेलिस्कोप है| बेसिक सायन्स में खोजबीन करनेवाली भारत की यह बड़ी महत्त्वपूर्ण रेडिओ दुरबीन है| आगे बढ़ता रहा और जल्द ही दूर खेत में पहला एंटेना दिखाई दिया! बड़ी सी डिश! यहाँ पच्चीस किलोमीटर के क्षेत्र में 45 मीटर व्यास की ऐसी 30 डिश यहाँ है| जल्द ही एंटेना पास आने लगे| एक एंटेना सड़क पर ही लगा| वहाँ जा कर फोटो खींचा| एक बड़ी पुरानी इच्छा पूरी हुई|















जीएमआरटी का गेट बन्द है| वैसे भी अन्दर जाने के लिए परमिशन लगती है और कुछ चुनिन्दा दिनों पर ही यह दुरबीन आम जनता के लिए खुलती है| लेकिन डिश करीब से देखने के बाद और आगे जाने की इच्छा नही हुई| अब वापस लौटना है| लौटते समय थोड़ा आगे बढ़ कर नारायणगाँव से जाऊँगा, क्यों कि ग्रामीण सड़कों पर साईकिल चलाने का मज़ा तो बहुत आया, पर समय भी अधिक लगा| उसके बजाय हायवे बेहतर रहेगा| और वैसे भी अब पचास से अधिक किलोमीटर पूरे हो चुके है, अब पैर थकने लगेंगे|







नारायणगाँव में अच्छा भोजन कर लिया| यहाँ से फिर राष्ट्रीय राजमार्ग ५० पर आगे बढ़ने लगा| अब गति बिल्कुल कम हो गई है| एक बार तो मन में निराशा भी आयी कि इतना थक गया हूँ, और पचास किलोमीटर कैसे चलाऊँगा? लेकिन बिना रूके चलाने लगा| सड़क कुल मिला कर समतल ही है| लेकिन दोपहर की तेज़ धूप और पाँच घण्टे साईकिल चलाने के बाद थका हुआ शरीर. . इस वजह से आगे एक लम्बी चढ़ाई पर पैदल भी जाना पड़ा| बार बार रूकना भी पड़ रहा है| गति प्रति घण्टा दस किलोमीटर इतनी कम हो गई है| लेकिन बड़े ब्रेक लिए बिना आगे बढ़ना जारी रहा|






सरे आम हत्या. .

बाद में थकान और बढ़ती गई और मामुली‌ सी चढ़ाई पर भी पैदल जाने की नौबत आयी| लेकिन अब घर पास भी आता जा रहा है| सौ किलोमीटर भी सम्भवत: पूरे हुए हैं! शाम ढलने से पहले थका- मान्दा घर पहूँच गया| कुल दूरी देखी तो ११२ किलोमीटर हो गए हैं! मेरा तिसरा शतक पूरा हुआ! अब लग रहा है कि साईकिलिंग में और आगे बढ़ सकूँगा|

अगला भाग १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-12-2015) को "पल में तोला पल में माशा" (चर्चा अंक-2203) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुन्दर नयनाभिराम प्रस्तुति

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आपने ब्लॉग पढा, इसके लिए बहुत धन्यवाद! अब इसे अपने तक ही सीमित मत रखिए! आपकी टिप्पणि मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है!