Friday, October 14, 2016

उबंटू- लिनक्स के साथ तीन साल पूरे हुए . . .


लिनक्स (Linux) इस प्रकार की ऑपरेटिंग सिस्टम उबंटू (UBUNTU) साथ तीन साल पूरे हुए! हम में से अधिकतर लोग लैपटॉप या डेस्कटॉप पे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करते होंगे| मोबाईल पर आज कल एंड्रॉईड ऑपरेटिंग सिस्टम अधिकतर चलती है| जब तीन चार साल पहले उबंटू लिनक्स के बारे में पता चला तो लगता नही था कि मै इसका इस्तेमाल कर सकूँगा| लेकिन धीरे धीरे इसे आत्मसात कर लिया और इसके फल भी चखे! थोड़े कड़वे और ज्यादा मिठे! आज इस सफर को याद करता हूँ|

उबंटू यह लिनक्स या युनिक्स बेस की ऑपरेटिंग सिस्टम का एक इंटरफेस हैं| या कहिए लिनक्स/ युनिक्स पद्धति का एक वर्शन है| उबंटू शब्द झुलू- आफ्रिकी भाषा से आता है और उसका अर्थ मानवीय परस्पर नाता या मानवीय दया होता है| यह एक दूसरे के साथ जुड़ाव दर्शाता है| सॉफ्टवेअर में काम करनेवाले मेरे प्रिय मित्र ने मेरी जानकारी में पहली बार उबंटू का अंगीकार किया| पहले वह भी विंडोज का प्रयोग करता था, फिर उसने विंडोज छोड कर उसके कंप्युटर पर उबंटू‌ डाल दिया| तब उसने मुझे धीरे धीरे उबंटू के बारे में बताना शुरू किया|





































ऐसी कौनसी खास बात है उबंटू में? पहली बात तो हम में से अधिकतर लोग जिस विंडोज प्रणाली का उपयोग करते हैं, वह एक क्लोज्ड सिस्टम है| अर्थात् उसके प्रोग्राम्स और उसकी विधियाँ सिक्रेट होती हैं, वह पारदर्शी नही होती है और निजि प्रॉपर्टी है| माईक्रोसॉफ्ट के पास वह होती है| विंडोज और लिनक्स में मूल फर्क यह है कि लिनक्स पूरी तरह पारदर्शी, सार्वजनिक और खुली सिस्टम है| विश्व भर के टेक्निशिअन्स के योगदान द्वारा लिनक्स विकसित की गई है और वह ओपन सोर्स है| अर्थात् पूरी तरह खुली| इसलिए यहाँ पे किसी सॉफ्टवेअर में कोई सीक्रेसी नही है| आम युजर के लिए यह बात इतनी मायने नही रखती होगी, लेकिन जो लोग कंप्युटर का इस्तेमाल अत्यधिक महत्त्व के लिए करते हैं, जैसे सेक्युरिटी सिस्टम्स, बैंकिंग सिस्टम्स, उन लोगों के लिए लिनक्स ही अधिक सुरक्षित होती हैं| क्यों कि उसमें सब कुछ ओपन है, उपलब्ध है| विंडोज में अगर एक बदलाव किया जाए, तो आप उसके लिए कुछ नही कर सकते हैं| जैसे विंडोज एक्सपी बन्द होने के कारण कई कंप्युटर्स को अपनी ऑपरेटिंग सिस्टम बदलनी पड़ी|

दूसरी बात यह है कि लिनक्स प्रणाली और उस पर आधारित उबंटू जैसी ऑपरेटिंग सिस्टम आपको बहुत ज्यादा स्वतन्त्रता देती है| आप जितना चाहे अपने कंप्युटर को कस्टमाईज कर सकते हैं| अगर आप डेवलपर हो, तो आप बहुत अच्छे से अपने लैपटॉप या कंप्युटर को अलग रंगरूप दे सकते हैं| उसकी शैलि और उसका इंटरफेस बदल सकते हैं| विंडोज में आपके हाथ में गिने चुने ही नियंत्रण है| क्यों कि विंडोज सामान्य युजर के लिए बनाई गई है और लिनक्स मूल रूप से डेवलपर के लिए बनायी गई है|

तिसरी बात यह है कि लिनक्स आधारित उबंटू में आपको कोई सॉफ्टवेअर खरिदना नही पड़ता है| यह पूरी तरह मुफ्त में इंटरनेट पर उपलब्ध है| आसानी से डाउनलोड की जा सकती है और उसके सभी अपडेट मुफ्त उपलब्ध होते हैं| एक तरह से यह ओपन सोर्स सिस्टम नॉन- प्रॉफिट संस्था जैसा काम करता है| और अगर आपको कुछ मदद चाहिए, तो विश्व भर के टेक्निशिअन्स और एक्स्पर्ट उबंटू फोरम पर आपकी सहायता करते हैं| विंडोज में आपको एम एस ऑफिस, ग्राफिक्स के सॉफ्टवेअर्स आदि पर्चेस करने पडते हैं| लेकिन लिनक्स में उनके पॅरलल सॉफ्टवेअर मुफ्त उपलब्ध होते हैं| और उसके अलावा भी कई सारे सॉफ्टवेअर्स और उनमें अधिक फीचर्स उपलब्ध होते हैं|

चौथी बात यह कि विंडोज में आपको वायरस से बचना पड़ता है| अँटी वायरस डालना पड़ता है| यह भी एक मज़े की बात है| वायरस और अँटी वायरस बाहर से दुश्मन लगते होंगे, तो भी‌ भीतर से वह जुड़े होते हैं| वायरस लानेवाले सॉफ्टवेअर्स और अँटी‌ वायरस कंपनी का आपस में गठजोड होता है| ये वायरस और अँटी वायरस एक तरह से हप्ता वसूली ही होता है| लेकिन लिनक्स में यह सब नही चलता है| लिनक्स की निर्मिति इस प्रकार की होती है, कि उसमें‌ वायरस की गुंजाईश ही नही होती है| और अगर आपके पेन ड्राईव में वायरस हो भी, तो लिनक्स में आप उन्हे फाईल्स जैसा देख कर डीलीट कर सकते हैं| इसलिए उबंटू वायरस से पूरी तरह मुक्त है| विंडोज के वायरस इसमें बेकार होते हैं और उबंटू ओपन सोर्स होने के कारण इसमें वायरस की सम्भावना न के बराबर है|

लेकिन विंडोज से उबंटू शिफ्ट करना इतना आसान भी‌ नही है| मुझे स्वयं को यह करने में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा| पहले तो उबंटू का एक विंडोज जैसा इंटरफेस (उबंटू डेस्कटॉप) उसी मित्र द्वारा डाउनलोड किया और उसे इन्स्टॉल किया| वैसे यह है तो विंडोज के पैरलल ही, लेकिन कई भेद भी हैं| एक तो विंडोज के कोई भी सॉफ्टवेअर यहाँ नही आ सकते हैं| बेशक, उनके पॅरलल और उनके बेहतर विकल्प अपने आप उपलब्ध होते हैं, लेकिन फिर भी उनके इस्तेमाल में अभ्यस्त होने के लिए समय लगता है| जैसे अगर आप विंडोज में माईक्रोसॉफ्ट वर्ड इस्तेमाल करते हो, तो उबंटू में उसके लिए ओपन ऑफिस या लिब्र ऑफिस और उसका रायटर है| उपर से समान है| लेकिन माईक्रोसॉफ्ट वर्ड के कुछ शॉर्ट कट इसमें काम नही करेंगे| माईक्रोसॉफ्ट वर्ड की फाईल इसमें ओपन होगी, लेकिन फॉरमॅटिंग में कुछ फर्क आ जाएगा| उसे ठीक करना होगा| इसलिए उबंटू आत्मसात करते समय ऐसी बहुत सी बातें सीखनी पड़ी| एडजस्ट करना पड़ा| हिन्दी टाईपिंग के लिए युनिकोड उबंटू‌ में इन्स्टॉल करना काफी कष्टपूर्ण रहा| लेकिन धीरे धीरे सब ठीक होने लगा| लेकिन पहली बार तो एक महिना उबंटू का इस्तेमाल कर उसे छोड भी दिया और फिर खिड़की का अर्थात् विंडोज का सहारा लिया| फिर रहा न गया तो तीन महिने बाद फिर उबंटू शुरू किया| शुरू में कुछ समय तक विंडोज और उबंटू पैरलल चलाए, जिससे कुछ प्रोग्राम्स के लिए विंडोज में जाना पड़ता था|

लेकिन धीरे धीरे विंडोज में जाने की जरूरत कम होती गई| शुरू के महिने बहुत कठिन गए| अक्सर प्रॉब्लेम आता था और उसका सोल्युशन इंटरनेट पर ढूँढना होता था| कई बार उसके कमांड डाल कर एक्सिक्युट करने होते थे| मित्र की सलाह और इंटरनेटर पर उपलब्ध मार्गदर्शन के कारण हर एक समस्या हल होती गई| लेकिन समस्याएँ अब तीन साल के बाद भी खतम नही हुई हैं| कभी‌ कभी कहीं अटक जाता हूँ| लेकिन उसके लिए मार्गदर्शन हमेशा इंटरनेट पर उपलब्ध रहता है| और जो समस्या मुझे आती है, वह पहले भी किसी को आई थी, उसने वह पूछी थी और किसी एक्सपर्ट ने उसका उत्तर दिया था| इसलिए समस्याएँ जल्द ही‌ हल होती हैं|

तीन साल उबंटू के इस्तेमाल के बाद कह सकता हूँ कि इस प्रणालि में आपको बहुत ज्यादा स्वतन्त्रता, प्रायवेसी और कंट्रोल उपलब्ध है| आप जैसा चाहे अपने लैपटॉप को सजा सकते हैं| अर्थात् मैने उसे सामान्य युजर जैसा ही इस्तेमाल किया| अगर आप सॉफ्टवेअर के एक्सपर्ट या डेवलपर हैं, तो आप और भी‌ बहुत कुछ कर सकते हैं| मैने तो बस इतना पाया कि इसमें हार्डवेअर के लिए भी अनुकूल पहलू है| जैसे आपके हार्ड ड्राईव्ह पर चार पार्टिशन हो तो विंडोज में अक्सर चारो पार्टिशन्स अपने आप माउंट हो जाते हैं| लेकिन उबंटू में आपको उन्हे माउंट करने की स्वतन्त्रता है| अगर आपको एक ही पार्टिशन पर काम करना हो, तो बाकी अनमाउंट रहेंगे| इससे बैटरी की बचत होगी और लैपटॉप की स्पीड भी अच्छी रहेगी| उसके साथ उबंटू में मुफ्त मिलनेवाले कई प्रोग्राम्स में आप वो सब कुछ कर सकते हैं जिसके लिए विंडोज में शायद आपको सॉफ्टवेअर खरिदना होता हो- जैसे ग्राफिक्स में आपको इमेज पर प्रोसेसिंग करनी हैं, उसे कन्वर्ट करना है, उसे रिसाईज करना है, तो यह सब एक ही एप्लिकेशन में आराम से होता है| तथा उसके जैसे ही अगर आपको विंडोज में डॉक. फाईल से पीडीएफ बनानी है, तो आपको पीडीएफ क्रिएटर नाम का प्रोग्राम अलग से इन्स्टॉल करना पड़ता है| उबंटू में‌ लिब्र ऑफिस रायटर में अपने आप पीडीएफ का बटन पहले से आता है| आपको म्युजिक और विडियो में भी कन्वर्शन के कई सारे ऑप्शन्स उपलब्ध होते हैं| उबंटू सॉफ्टवेअर सेंटर से आप जरूरत के हर सॉफ्टवेअर मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं. . .

इसलिए विंडोज की तुलना में यह सिस्टम बेहद लाभदायी है| और सबसे बड़ी बात यह है कि यह ओपन सोर्स है, ट्रान्सपरंट हैं और पूरा हमारे नियंत्रण में है| एक तरह से पूरी तरह डीसेंट्रलाईज्ड मॉडल है| इसलिए अब इसे अपनानेवालों की संख्या बढ़ रही है| आप भी इसे अपना सकते हैं और वायरस, स्लो होनेवाला लैपटॉप और बार बार पर्चेस करनेवाले सॉफ्टवेअर से मुक्त हो सकते हैं| बस इतनी‌ चेतावनी जरूर दू कि यह विंडोज जैसा रेडीमेड नही‌ होता है, आपको उसे सीखना पड़ता है, उसे अपनाना होता है| इसके लिए सिर्फ कुछ महिने ही‌ लगते हैं| उसके बाद आप इसे स्वयं एंजॉय करने लगते हैं. . . .

डिस्क्लेमर: मै कोई कंप्युटर एक्सपर्ट नही हूँ| उबंटू के अपने अनुभव के बारे में ही निवेदन कर रहा हूँ| कुछ पूछना हो तो सम्पर्क कर सकते हैं: niranjanwelankar@gmail.com धन्यवाद!

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