Sunday, December 29, 2019

साईकिल कैसे चलाएं?

नमस्कार!

कई मित्र अक्सर बताते हैं कि उन्हे साईकिल चलानी है| कैसे चलानी है, यह भी पूछते हैं| उनके लिए यह एक लिख रहा हूँ| इसे कोई नियम नही समझा जाना चाहिए| ये सिर्फ मेरे अनुभव हैं| साईकिलिंग सीखते सीखते मैने जो अनुभव किया, उसके आधार पर आपसे यह बोलना चाहता हूँ| साईकिल चलाने में सबसे पहले बात आती है साईकिल की| लोग पूछते हैं कौनसी साईकिल चलानी चाहिए? इसका उत्तर अलग अलग हो सकता है| हर तरह की साईकिल बाज़ार में मिलती है| इसलिए पहले यह देखना चाहिए कि, हम कितनी चलानी चाहते हैं, किस प्रकार चलाना चाहते हैं| शहर में ही बस १०- १५ किलोमीटर तक ही चलाना चाहते हैं या ५० किलोमीटर और उसके आगे चलाना चाहते हैं| लोग अक्सर नई साईकिल की तरफ आकर्षित होते हैं| लेकीन ऐसे भी बहुत हैं जिन्होने बहुत महंगी साईकिलें खरीदी हैं और वे सब वैसी ही पड़ी हैं| इसलिए मेरा एक सुझाव रहता है कि शुरु में जो साईकिल मिलती हो, घर में हो, पडौसी के पास हो, जो भी उपलब्ध हो, उसे चलाना शुरू कीजिए| कम से कम एक महिने तक यह साईकिल चला कर देखिए कि आपको कितना मज़ा आता है| फिर आपकी जो रुचि होगी, आपको जितना मज़ा आएगा, उससे आप यह तय कर सकते हैं कि आपको कौनसी साईकिल चाहिए| और जब मैने एटलस साईकिल पर ५०० किलोमीटर का टूअर किया, तब से मै जानता हूँ कि साईकिल कोई भी हो, साईकिल के बजाय साईकिलिंग ज्यादा बड़ा होता है‌| साईकिल से साईकिल चलाना बढ़ कर होता है| साईकिल कौनसी भी हो, उसे चलाईए तो!

तो फिर शुरुआत कैसे करें? उसके लिए आपके फिटनेस के हिसाब से, आपकी सेहत के हिसाब से देखना होगा| जहाँ तक आप बहुत आसानी से साईकिल चला सकते हैं, चलाईए और शुरू कीजिए| किन किन लोगों के लिए यह आसानी सिर्फ दो- चार किलोमीटर तक होगी| कुछ लोग पहले दिन से १० किलोमीटर की राईड कर सकेंगे| जो भी आपके लिए आसान हो, उतनी दूरी तक साईकिल चलाईए| एकदम बहुत ज्यादा चलाने की जिद मत कीजिए| साईकिल या कोई भी व्यायाम हो, उसमें 'एकदम अचानक बहुत ज्यादा' कभी नही करना चाहिए और 'सहज- आसान' जो होगा, जहाँ तक होगा, उसे ही करते रहना चाहिए| अपने आप धीरे धीरे, ‘सहज- आसन' ही बहुत ज्यादा हो जाता है| और साईकिल चलाने के पहले और बाद में स्ट्रेचिंग करना चाहिए| स्ट्रेचिंग से पाँव के मसल्स ढिले हो जाते हैं, हल्के हो जाते हैं| जिससे बाद में पैर नही दुखते हैं| साईकिल चलाने के पहले और बाद में स्ट्रेचिंग और जहाँ सम्भव हो, वॉकिंग भी करना चाहिए| वॉकिंग भी‌ एक बहुत सुन्दर लेकीन unglamorous व्यायाम है| साईकिल के साथ वॉकिंग हो तो साईकिलिंग आगे बढ़ाने में आसानी होगी| और साईकिल चलाते समय आप आपकी राईड strava app पर रेकॉर्ड कर सकते हैं| इस app पर आपके मित्र साईकिलिस्ट या रनर भी मिल सकते हैं| App के इस्तेमाल से हमें सही समय, दूरी, स्पीड आदि का पता चलता है और हम प्रगति साफ देख सकते हैं|





















और जब आपको साईकिलिंग अच्छा लगने लगेगा, २० किलोमीटर से भी आगे साईकिल चलाने में मज़ा आने लगेगा, तब आप दूसरी साईकिल के बारे में सोच सकते हैं| सिंगल गेअर में भी फायरफॉक्स फिक्सी, बीएसए फोटॉन ऐसी अच्छी साईकिलें मिलती हैं| अगर आपको किसी चढाई के रास्ते पर साईकिल चलानी है या छोटे हिल रोड पर साईकिल चलानी है, तो आप गेअरवाली साईकिल ले सकते है‌ं| मार्केट में गेअर की साईकिलें लगभग आठ हजार रूपए के दाम से आगे मिलती हैं| आप उन्हे सेकंड हैंड भी खरीद सकते हैं| अगर आपके पास पहाड़ी या चढ़ाईवाली सड़क नही है, तो आपको गेअर के साईकिल की आवश्यकता नही है| लेकीन अगर आप गेअरवाली साईकिल लेना चाहते हैं, तो उसके बारे में भी बताता हूँ|

साईकिल के गेअर्स का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
किसी भी गेअरवाली साईकिल चलाने के ये कुछ प्राथमिक नियम है| साईकिल के गेअर वो चीज़ होती है, जिसके कारण चढाई पर पेडलिंग करना आसान होता है और उतराई पर पेडलिंग का फोर्स बढ़ा कर गति से बढ़ सकते हैं| सामान्य एमटीबी/ हायब्रिड या रोड बाईक्स को 3 ~ 6, 3 ~ 7 किंवा 3 ~ 8 गेअर्स होते हैं| 3 ~ 7 में सामने का तीसरा और पीछे का सांतवा गेअर दर्शाया जाता है| गेअर का वास्तविक शब्द- Deraileur हैं, अर्थात् चेन को डिरेल कर अलग रेंज में डालन, यह उसका अर्थ होता है|

पार्किंग गेअर
सायकल खड़ी करते समय सम्भवत: 2 ~ 3 या 2 ~ 2 ऐसा लोअर गेअर डालिए| टूव्हीलर शुरू करते समय और बन्द करते समय न्युट्रल गेअर डालना होता है| इसी तरह यह होता है| अगर शुरू में गेअर हायर होगा, जैसे 2 ~ 5 या 3 ~ 4 होगा, तो उससे साईकिल शुरू करते समय गेअर सेटिंग पर लोड़ तो आता है ही, साथ में आपके घुटने पर भी उतना ही तनाव होता है| इसी कारण साईकिल रोकते समय और शुरू करते समय ध्यान रख कर 2 ~ 3 या 2 ~ 2 ऐसा लोअर गेअर होना चाहिए (अर्थात् सामने का दुसरा/ मिडल और पीछे का दूसरा या तीसरा)| ये गेअर के पॅनल पर दिखाई देता है| साईकिल पार्क करने के बाद कभी कभी कोई गेअर से छेड़खानी करता है| इसलिए साईकिल शुरू करने के पहले हमेशा जाँचना चाहिए कि गेअर वही तो है ना| अगर गेअर बदल दिया गया हो, तो पीछे का टायर उपर उठा कर पेडल मार कर सही गेअर डालना चाहिए| पीछला टायर स्थिर होने की स्थिति में कभी भी गेअर चेंज नही करना चाहिए| अगर खड़े खड़े गेअर चेंज करने पड़े, तो टायर को तिरछा उठा कर पेडल मार कर ही बदलना चाहिए|

गेअर का क्रम
सम्भवत: सामने का गेअर जो होगा, उसके हिसाब से ही पीछला गेअर होना चाहिए| सामने का गेअर एकदम छोटा और पीछला गेअर बड़ा ऐसा नही होना चाहिए या सामने का गेअर एकदम हाय और पीछला गेअर लो ऐसा नही होना चाहिए| सम्भवत: अलग अलग स्थिति के लिए गेअर्स ऐसे होने चाहिए-

1 ~ 1 (जब भी बड़ा घाट/ तिखी चढ़ाई हो, तब)
1 ~ 2; 1 ~ 3

2 ~ 2 व 2 ~ 3 (साईकिल शुरू और पार्क करते समय)

2 ~ 4 व 2 ~ 5 (साईकिल जब गति में होगी; सामने गति कम करनेवाली स्थिति जब नही होगी, तब)

3 ~ 4; 3 ~ 5 और अगले हायर गेअर्स (जब बहुत अच्छी गति मिलती हो और दूर तक गति कम करने की आवश्यकता नही हो/ ट्रैफिक न हो और निरंतर उतराई होने पर)

टूव्हीलर्स में जैसे स्थिति के अनुसार गेअर्स बदलने पड़ते हैं, वैसे ही साईकिल में भी बदलने पड़ते हैं| जैसे 3 ~ 5 गेअर में होते समय एकदम उसी गेअर में रूकना ठीक नही होता है| इसलिए 2 ~ 5 और मग 2 ~ 3 ऐसे लोअर गेअर्स डालने होते हैं| इससे पैर और साईकिल पर भी कोई तनाव नही आता है| स्पीड ब्रेकर्स/ सिग्नल/ ट्रॅफिक जाम ऐसे समय पर भी पार्किंग गेअर्स या 2 ~ 3/ 2 ~ 4 का इस्तेमाल किया जा सकता है|

गेअर्स का इस्तेमाल कैसे करें?
साईकिल जब नई नई चला रहे होंगे, तब पैर और घुटने पर तनाव नही होगा, इस प्रकार 2 ~ 3, 2 ~ 4 और 2 ~ 5 इन्ही गेअर्स का इस्तेमाल करना चाहिए| धीरे धीरे पैरों के मसल्स गेअर्स के भार के लिए तैयार होते हैं| वॉकिंग का यहाँ पर बहुत लाभ होता है| जब साईकिल नियमित चलाते होंगे और जब सड़क अच्छी हो, तभी 2 ~ 5 का इस्तेमाल करते समय 3 ~ 4 और बाद में 3 ~ 5 इस काँबीनेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है| लेकीन इस गेअर पर गति से जाते समय या ट्रैफिक होने पर या फ्लाय ओवर आदि होने पर तुरन्त 2 ~ 3 गेअर की तरफ लौटना चाहिए| तीसरा (3 ~) गेअर अच्छी सड़क पर और ट्रैफिक कम होने की स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए| अगर गेअर कौनसा रखें, यह समझ न आ रहा हो, तो जो पैरों को ठीक लगता है, उसे रखना चाहिए| वह काँबीनेशन बहुत हल्का नही होना चाहिए (पेडल्स का रोटेशन्स बहुत जल्द नही होना चाहिए) और बहुत हेवी भी नही होना चाहिए (पेडलिंग कठीन नही होना चाहिए)| इसमें कुछ हद तक हर एक की मसल्स के अनुसार कुछ फर्क भी हो सकता है| नियमित साईकिल चलाते हो, तो हायर गेअर्स का इस्तेमाल करने की क्षमता पैरों में आती है| पर उसकी आदत न होने की स्थिति में हायर गेअर्स का इस्तेमाल करेंगे तो पैरों पर ज्यादा लोड आता है| सड़क की स्थिति और पैरों की स्थिति इसे देखते हुए ऐसे गेअर्स का इस्तेमाल करें जो कम से कम बदलने पड़ेंगे|

साईकिल की देखभाल


साईकिल की सीट इतनी ऊँचाई पर होनी चाहिए, जिससे साईकिल पर बैठने पर आपके पैरों की सिर्फ दो उंगलियाँ जमीन को स्पर्श करें| अगर सीट इससे नीचे होती है, तो उससे घुटने में तकलीफ हो सकती है| साईकिल में ऊंगलियों से बहुत थोड़ा प्रेस हो, इतनी टाईट हवा होनी‌ चाहिए| अगर आप ५० किलोमीटर से अधिक साईकिल चलाना चाहते हैं, तो आपको छोटा पंप, पंक्चर किट और टूल कीट लेना चाहिए और इन चीजों के इस्तेमाल को सीखना भी चाहिए| साईकिल की चेन में कुछ दिनों के अन्तराल के बाद क्लीन्सर (मैकेनिक के शब्दों मेंवॉशिंग) का इस्तेमाल करना चाहिए| WD 40 ऑटोमोबाईल दुकान में मिलता है| उसका हल्का स्प्रे करना चाहिए| एक- दो हफ्तों के अन्तराल के बाद सादे तेल की दो- तीन बून्दे चेन पर एक- दो जगहों पर डालनी चाहिए| लेकीन चेन को तेल से भिगाना नही है| चेन और गेअर्स समय समय पर डिझेल/ केरोसीन से धोने चाहिए| गेअर्स की देखभाल में एक बात का ध्यान जरूर रखे कि जब साईकिल खड़ी हो, तो किसी ने भी गेअर से छेड़खानी नही करनी चाहिए| और हमेशा शुरू करते समय और पार्क करते समय गेअर2 ~ 2 या 2 ~ 3 गेअर हैं, इस पर ध्यान दीजिए|

आपकी साईकिल यात्रा के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ! मेरे ब्लॉग पर मेरे साईकिल के अनुभव से जुड़े १०० से अधिक लेख भी आप पढ़ सकते हैं| इन लेखों में मैने मेरे अनुभव विस्तार से दिए हैं, तकनीकी बातों पर भी चर्चा की है| बहुत बहुत धन्यवाद| 

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