Sunday, October 26, 2014

जन्नत को बचाना है: जम्मू कश्मीर राहत कार्य के अनुभव १

आपदा प्रभावित क्षेत्र में आगमन

जम्मू- कश्मीर में सितम्बर माह के पहले सप्ताह में‌ भीषण बाढ़ और तबाही आई| वहाँ मिलिटरी, एनडीआरएफ, अन्य बल और आम जनता द्वारा बड़े पैमाने पर राहत कार्य किया गया| उसमें स्वयंसेवी संस्थाएँ अर्थात् एनजीओज भी पीछे नही रहें| जम्मू- कश्मीर में २४० से अधिक गाँवों में काम करनेवाली संस्था- सेवा भारती जम्मू- कश्मीर के साथ जुड़ने का अवसर मिला और कुछ दिन राहत कार्य में सहभाग लिया गया| इस राहत कार्य से जुड़े अनुभव यहाँ शेअर करना चाहता हुँ| जम्मू- कश्मीर में आयी तबाही का अभी भी ठीक आंकलन किया जा रहा है और इसलिए सभी से विनम्र अनुरोध है कि इस भीषण आपदा के पुनर्निर्माण कार्य में यथा सम्भव सहायता जरूर किजिए| हालाकि अब डेढ माह बीत गया है, फिर भी नुकसान की मात्रा बहुत अधिक है| भवन फिर से खड़े करना, आजीविका पुनर्स्थापित करना, स्वास्थ्य सेवएँ पुनर्स्थापित करना आदि कई चुनौतियों का सामना वहाँ के लोग कर रहे हैं| इसमें अब भी सहायता की आवश्यकता है| खास कर चिकित्सकों की और फार्मसिस्टस के कार्य की आवश्यकता है| अत: सबसे अनुरोध है कि इसमें आगे आने की कृपा किजिए|

. . आज २६ अक्तूबर २०१४. अर्थात् आज जम्मू- कश्मीर के देश में औपचारिक विलय को ६७ वर्ष पूरे हुए हैं| एक तरह से यह कश्मीर से जुड़ी बातों को फिर से समझने का समय है|अत: इस राहत कार्य के अनुभव के परिप्रेक्ष्य में इस पूरे विषय पर भी कुछ चर्चा करेंगे|

५ अक्तूबर  प्रात: २ बजे जम्मू पहूँचा| ट्रेन से लुधियाना तक और फिर बस से जलंधर पठानकोट के रास्ते जम्मू| रास्ते में पंजाब की हरियाली वाकई प्रसन्न करनेवाली थी| यदी ऊँचीं चोटियाँ हिमालय की ऊँचाई है तो पंजाब जैसे उपजाऊ प्रदेश उसी हिमालय की गहराई दर्शाते हैं. . जम्मू में थोडी देर विश्राम करने के पश्चात् श्रीनगर के लिए जीप ढूंढी| वैसे तो १६ सितम्बर  तक जम्मू- श्रीनगर राजमार्ग को सीमा सडक संगठन ने ठीक किया था; फिर भी श्रीनगर जाते समय पता चला की, यह मार्ग फिलहाल कुछ जगह बन्द है और बड़ा जाम लगा है और इसलिए जीप और छोटे वाहन राजौरी होते हुए एक दूसरे रास्ते से जा रहे हैं| बसें तो जा ही नही रहीं हैं और जीप भी कम ही जा रहीं  हैं| और इसलिए किराया भी बढाया गया है| आगे की सीटों के आठसौं और पीछे के सीटों के सांतसौ| यह किराया कुछ ही दिन पहले मात्र ढाईसौं था|

सुबह के धुंदले उजाले में जीप चल पड़ी| इस दूसरे रास्ते के बारे में कभी सुना नही था| साथ में जो कश्मिरी सहयात्री थे, वे कुछ भी बात नही कर रहे हैं| जैसे आगे यात्रा हुई, तभी इस सड़क से परिचय होता गया| रास्ता किन जगहों से जाता है, यह पूछा तो वे कह रहे हैं कि उन्हे भी पता नही है| जम्मू से निकलने के बाद अखनूर और फिर नौशेरा आया| नौशेरा वही जगह है जहाँ १९४७ के अक्तूबर में पाकिस्तानी कबिलेवालों की आड़ में पाकिस्तानी फौज ने हमला किया था और स्थानीय जनता पर जुल्म ढाए थे| लगभग उन्ही हमलावरों के रास्ते यह सड़क जा रही है! राजौरी के रास्ते थाना मंडी, बाफ्लियाज़, पीर की गली, शोपियाँ, पुलवामा और फिर श्रीनगर ऐसा यह रास्ता है! राजौरी तक सीमा सडक संगठन (बीआरओ) और सेना की बड़ी उपस्थिति थी| अब तक जिन जगहों के बारे में सिर्फ सुना था वहीं पहले ही दिन जाना हुआ! सड़क करीब ठीक है| राजौरी के बाद बाफ्लियाज़ तक थोड़ी संकरी ज़रूर थी, पर अच्छी ही है| बाफ्लियाज़ के बाद मुघल रोड शुरू हुआ जो बिल्कुल चौडा और दो लेन का है| नजारा बदल रहा है| अब पीर पंजाल के पहाड़ के पार जाना है| सुबह ६ बजे जम्मू से निकले हैं; मध्याह्न होने तक आधा ही रास्ता पार हुआ है| कश्मिरी सहयात्री अब भी बातचीत में नही रस ले रहे हैं| कुछ पूछा तो एक शब्द में जवाब दे कर खामोश हो जाते हैं| और आँख भी मिलाने से मना कर रहे हैं. . ऊँचाई और बढती गई और फिर इस मुघल रोड का सर्वोच्च बिन्दु आया- पीर की गली जो करीब साढे तीन हजार मीटर ऊँचाई पर है! यहाँ से श्रीनगर करीब सौ किलोमीटर है और अब सीधी उतराई है| सेब के लिए प्रसिद्ध शहर शोपियाँ और फिर पुलवामा के रास्ते शाम को छह बजे श्रीनगर के हायवे पर जीप ने छोडा| वैसे तो चालक और नजदीक छोडनेवाला था, पर ईद के जश्न के कारण भीडवले इलाकों में आने से उसने मना किया| 

श्रीनगर में पहुँचने पर भी बाढ़ से हुई हानि इतनी अधिक नही दिख रही है| कुछ घर जरूर क्षतिग्रस्त हुए है; फिर भी बहुत ज्यादा हानि नही दिख रही है| ऐसा लग रहा है कि अब तक लोग सम्भल गए हैं| सफाई भी शायद कुछ हद तक हो चुकी है| संस्था का पता श्रीनगर के मध्य में है| अब ऑटो से जाना होगा| ऑटोवाले से बात किया तो सबसे पहले उसने यह पूछा, तुम मुसलमान हो या हिन्दु? फिर संस्था में बात करा दी और पता बताया| उसने ठीक तरिके से गंतव्य स्थान पर छोडा| पचास रूपए लिए, जो कि दूरी देखते हुए न के बराबर है, ऐसा संस्थावालों ने बताया| रास्ते में कुछ सड़कों पर जरूर किचड़ है और कुछ जगहों पर अब भी गंदा पानी जमा हुआ है| श्रीनगर में ईद का माहौल है| मगरमल बाग़! संस्था की दो एम्बुलन्सेस यहाँ खड़ी है| सुना है कि यहाँ अभी पचास से अधिक व्होलंटिअर्स  काम में जुटे हैं| अब धीरे धीरे सब पता चलेगा|


मुघल रोड से जा रहे वाहन




सेवा भारती का राहत कार्य दर्शाने वाला विडिओ

सहायता हेतु सम्पर्क सूत्र:
SEWA BHARTI J&K
Vishnu Sewa Kunj, Ved Mandir Complex, Ambphalla Jammu, J&K.
www.sewabhartijammu.com 
Phone:  0191 2570750, 2547000
e-mail: sewabhartijammu@gmail.com, jaidevjammu@gmail.com

क्रमश:

6 comments:

  1. Good initiative Niranjan... We're proud of all of you who're trying to help people in distress!

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  2. Jeep ka kiraya pahle bhi 700-800 hi tha. Mughal road famous to nahi hai lekin Kashmir jane ka achha option hai.

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  3. धन्यवाद अनुनोय जी और नीरज जी! जीप का किराया कम था ऐसे बताया गया था| मुघल रोड वाकई अच्छा है; पर अभी ट्रक- बस के लिए पूरा खुला नही है| छोटे वाहन ही जाते है|

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  4. Proud on you Niranjan...Keep it up.

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  5. good opening..waiting for big inning

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