Monday, December 27, 2021

हिमालय की गोद में... (रोमांचक कुमाऊँ भ्रमंती) ६: गूंजी का हँगओव्हर

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२९ अक्तूबर की रात गूंजी‌ में सभी के लिए कठीन रही! एक तो अत्यधिक ठण्ड थी, साथ ही ऊँचाई लगभग ३३०० मीटर होने के कारण साँस लेने में भी कुछ दिक्कत हो रही थी| इसी कारण सोते समय कंबल सिर के उपर लेना सम्भव नही था, उसमें खतरा था| सभी लोग एक ही कमरे में अधिकसे अधिक कंबल आदि ले कर सोए| कितने अप्रत्याशित जगह पर हम है! और बिल्कुल भी अनप्लैन्ड तरीके से! लेकीन यह भी सच है कि अगर प्लैन किया होता तो शायद हम आते ही नही| क्यों कि सभी लोग उस अर्थ में घूमक्कड़ या ट्रेकर नही हैं| टूरीस्ट ही हैं| इसीलिए प्लैन नही किया, इसी लिए आ पाए| सभी लोग एक ही कमरे में होने से कुछ गर्मी मिली और छत लकड़ी का होने से भी लाभ मिला| हालांकी ठीक से नीन्द किसी की भी नही हुई| भोर होते होते सब जग गए थे| यहाँ के भोर का आकाश छूट न जाए, इसलिए मै बाहर आया! चाँद आसमाँ में‌ आया है और उसकी रोशनी में पास के शिखर अच्छे से चमक रहे हैं| बादल है, इसलिए तारे उतने ज्यादा नही दिखे|‌ लेकीन ठण्ड से उंगलियाँ जैसी ठिठुर गई हैं| और उससे भी बड़े मज़े की बात तो होटल के द्वार के पास रखी हुई बकेट का पानी जम गया है!! रात में होटलवाले ने थोड़ा दूर होनेवाला बाथरूम दिखाया था| वहाँ अन्दर प्लास्टीक के ड्रम का पानी लेकीन नही जमा है| उस ठण्ड में ब्रश करना भी टेढ़ी खीर है| जैसे तैसे अनिवार्य चीज़ें निपटा दी| कुछ मिनटों तक उंगलियाँ अकड़ सी गई थी| और साँस छोड़ना तो जैसे धुम्रपान ही बन गया है|





Wednesday, December 22, 2021

हिमालय की गोद में... (रोमांचक कुमाऊँ भ्रमंती) ५: है ये जमीं गूंजी गूंजी!


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२९ अक्तूबर की दोपहर! धारचुला पार करते ही मोबाईल नेटवर्क चला गया| अब सड़क भी पहाड़ में उपर उठ रही है और संकरी हो रही है| गूंजी जाना है, लेकीन सड़क कितनी दूर तक चल रही है, इसका अन्दाज़ा नही है| यहाँ के जानकार बता रहे हैं कि गूंजी तक अब गाडी चलती है| लेकीन मुझे शक है| इसलिए इसके आगे जो भी मिलेगा, पूरी तरह अप्रत्याशित होगा| तवा घाट के पास हमें एक परिचित मिले, वे सड़क पर हमारे लिए ही रूके थे| वे एक अर्थ में हमारी इस गूंजी यात्रा के संयोजक थे| उन्होने ही कहा था कि गूंजी जाईए, ॐ पर्वत देख आईए| वे हमारे लिए रूके थे और मिलते ही उन्होने हमारी गाडी चलाना शुरू किया| धीरे सड़क टूटने लगी थी, इसलिए हमारे ड्रायवर को उनके आने से राहत मिली| अब शुरू होता है एक रोमांचकारी यात्रा! 




यहाँ जॉईन हुए जितू जी वैसे तो पेशे से ड्रायवर हैं, लेकीन बिल्कुल ऑल राउंडर इन्सान| ड्रायवर, टूअर ऑपरेटर, टूरीस्ट गाडी, किसान, ट्रेकर इन सबमें कुशल| उन्होने फिर गूंजी के बारे में जानकारी दी| एक बार मैने उनसे पूछा कि अगर वास्तव में गूंजी तक जाया जात हो, तो इनर लाईन परमिट लगता होगा ना| उस पर उन्होने कहा कि उनकी पहचान है, इसलिए नही‌ लगेगा| फिर यहाँ की भीषण सड़कें, ड्रायवर्स कैसे चलाते हैं इसको ले कर वे बात करते रहें| तवा घाटच्या के कुछ आगे गूंजी की सड़क का अन्तिम होटल होनेवाला गाँव लगा| वहाँ दल- सब्जी राईस खा लिया| अब लोगों के चेहरे की शैलि में फर्क साफ नजर आ रहा है! और अब सड़क पर वाहनों में अधिक वाहन मिलिटरी के वाहन हैं!


 


Tuesday, December 14, 2021

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) ४: गूंजी की ओर प्रयाण...

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२८ अक्तूबर की सुबह बुंगाछीना- अग्न्या परिसर में अच्छा ट्रेक हुआ| यह गाँव ठीक पहाड़ के बीचोबीच है| बस बैठ कर नजारों को आँखों में संजोना है! सबके साथ बातें हो रही हैं| बातों बातों में बाघ के बारे में बहुत कुछ सुनने में आया| यहाँ उत्तराखण्ड और कुमाऊँ में शेर अक्सर दिखाई देते हैं| शेर यहाँ बिल्कुल भी अपरिचित नही है| बल्की तो नरभक्षक शेरों की कहानियाँ और उनकी शिकार करनेवाला विख्यात शिकारी जिम कॉर्बेट की कर्म भूमि कुमाऊँ ही है| हाल ही के वर्षों में शेर की दहशत फिर से बढ़ रही है| एक समय तो शेर थोड़े कम हो गए थे| जंगल जैसे टूटता गया, वैसे वन्य प्राणियों पर मुश्कील समय आया| उसमें शेर भी थे| लेकीन अब फिर से उनकी दहशत बढ़ गई है| सत्गड़ और इस अग्न्या जैसे गाँवों में भी शेर आता है और दिन में जो गाँव सुहावना और रमणीय लगता है, वह रात में सुनसान हो जाता है! रात में कोई आँगन के बाहर तक नही जाता है!


 

Monday, December 6, 2021

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण)३: अग्न्या और बुंगाछीना गाँव में ट्रेक

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२७ अक्तूबर! रात जल्द सोने से नीन्द जल्द खुली| बड़ी भयंकर ठण्ड है! लेकीन भोर का माहौल और आकाश भी देखनी की बड़ी इच्छा है| इसलिए ठिठुरते हुए बाहर आया| आसमान में तारों के खूबसूरत नजारे हैं| अष्टमी का चन्द्रमा ठीक उपर है, जिससे सितारे कुछ कम दिखाई दे रहे है| कुछ देर तक मेरे छोटे टेलिस्कोप से आकाश दर्शन किया| सुबह भी नही हुई है और घर घर लोग उठे हुए दिखाई दे रहे हैं| सत्गड का आज दूसरा दिन| लेकीन आज यहाँ से दूसरे गाँव में जाना है| वापस यही आएंगे, इसलिए थोड़ा ही सामान ले जाएंगे| सब उठ कर तैयार होने के पहले जैसे तैसे सुबह का टॉर्चर- टास्क निपट दिया और छोटे ट्रेक के लिए निकला|





























Thursday, December 2, 2021

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) २: सत्गड परिसर में भ्रमण

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२६ अक्तूबर का दिन! अत्यधिक थकानेवाली यात्रा के बाद अच्छी नीन्द हुई| अलार्म ऑफ करने के बावजूद सुबह जल्दी नीन्द खुली| उजाला होने के पहले ही बाहर आया| अहा हा! सामने एक ही नजर में शब्दश: हजारो वृक्ष और घनी हरियाली! सत्गड से एक ही नजर में करीब तीन हजार देवदार वृक्ष तो दिख ही रहे हैं! अब पता चल रहा है कि हम देर रात कहाँ आए हैं| और महसूस हो रहा है कि हम कितने किस्मतवाले हैं| यहाँ के परिसर और दृश्यों का आनन्द लेते समय बड़ी ठिठुरन हो रही है| ब्रश करना भी जैसे एक टास्क है| टास्क नही, टॉर्चर! सुबह का फ्रेश होना सज़ा जैसे लग रहा है| ठण्ड पानी अत्यधिक ठण्डा जैसे वह जला रहा है| बड़ा दाह लग रहा है| दो दिनों की यात्रा के कारण कम से कम आज नहाना आवश्यक है| थोड़ी देर बाद सूर्य उपर आने पर और तपमान थोड़ा बढ़ने पर नहा लिया| लेकीन नहाने के लिए हुआ उबलता पानी भी सौम्य नही, शीतल लग रहा है! अर्थात् अत्यधिक ठण्डा पानी जला रहा है और उबलता हुआ पानी शीतल लग रहा है!