Monday, January 3, 2022

हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) ७: सत्गड- कनालीछीना ट्रेक

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३१ अक्तूबर की सुबह! गूंजी से वापस आने के बाद सत्गड की ठण्ड कितनी सुखद लग रही है| सुबह की मिठी धूप लेते समय बहुत अच्छा लग रहा है|‌ गूंजी की अनुगूँज अब भी मन में सुनाई‌ दे रही है और वह इतनी जल्द रूकनेवाली भी नही है! लगातार दो दिनों की थकानेवाली यात्रा के बाद सभी को विश्राम चाहिए| गूंजी की‌ यात्रा जीप से की थी, फिर भी‌ वह ट्रेकिंग जैसे ही थकानेवाली है| इसलिए आराम तो करना है ही| लेकीन इतना शानदार पहाड़ और प्राकृतिक सुन्दरता पास हो तो घूमने का मन तो होगा ही| तैयार हो कर घूमने के लिए निकला| साथ में होनेवाले दोस्त और बाकी लोगों को कनालीछीना इस पास के गाँव में किसी से मिलने जाना है| इसके अनुसार मैने मेरे ट्रेकिंग का प्लैन बनाया| कनालीछीना गाँव सड़क से छह किलोमीटर की दूरी पर है| लेकीन वहाँ से आते समय ट्रेक की एक पगडण्डी आती है| बिल्कुल गाँवों के बीच से आती हुई पगडण्डी| संयोग से मुझे कनालीछीना की स्कूल में जानेवाले एक लड़के का साथ भी मिल रहा है| ऐसी पगण्डण्डियों पर जानकार होना जरूरी है, अन्यथा दिशाएँ समझ में नही आती हैं| इस तरह आज का ट्रेकिंग तय हुआ| फैमिली‌ और ग्रूप साथ होने से समय की सीमा तो है, लेकीन उसमें भी अच्छा खासा घूमना हो रहा है|





सुबह तैयार हो कर सत्गड से नीचे हायवे पर टहलने के लिए निकला| पिथौरागढ़- धारचुला हायवे! सत्गड के पास यह बहुत ही अच्छी स्थिति में है| कुछ देर तक हायवे पर घूमने का आनन्द लिया| आगे जा कर फिर एक बार हिम शिखरों का दर्शन किया! साथ के लोग जीप से निकलनेवाले हैं, उन्हे सड़क पर ही मिला| कल परसो के अनीलजी ही जीप से कनालीछीना छोड़नेवाले है| कनालीछीना यहाँ का तहलील का केन्द्र है| सत्गड के कई लड़कें- लड़कियाँ कनालीछीना के ही स्कूलों में जाते हैं| वे रोड़ से नही जाते हैं, बल्की बीच के शॉर्ट कट से जाते हैं| सत्गड का चेतन नाम का पडौस का लड़का है| उसे कनालीछीना में कुछ काम है, इसलिए वह भी साथ आया है| आते समय मै उसी के साथ आ सकता हूँ! और दो- तीन दिनों से साथ क्रिकेट खेल रहे हैं, तो उससे अच्छी दोस्ती भी हुई है| जीप से पन्द्रह मिनट में कनालीछीना पहुँच गए| वहाँ कुछ देर तक एक सज्जन से मिलना हुआ| कनालीछीना तहसील होने पर भी गाँव ही है| लेकीन कुछ दुकान हैं, कुछ विद्यालय और सरकारी दफ्तर आदि हैं| यहाँ पहाड़ों में समतल जमीन की कमीं के कारण जहाँ कहाँ समतल जमीन मिलती है, वहाँ सम्भव उतने सरकारी दफ्तर, दुकान, मिलिटरी के युनिट आदि दिखाई देते हैं| और ऐसे छोटे गाँवों में भी शहर में मिलनेवाली काफी चीज़ें मिलती हैं|




यहाँ हम जिनसे मिले, उनका बड़ा बगीचा है| उनके बगीचे में सन्तरे जैसे माल्टा फल दिखे| उन्होने यहाँ पॉली हाऊस भी खड़े किए हैं| पॉली हाऊस के भीतर जाने पर एकदम से अच्छी गर्मी महसूस हुई| यहाँ तपमान नियंत्रित किया हुआ होता है| कुछ दिन पहले जो तेज़ बरसात आयी थी, तब इनका भी नुकसान हुआ था ऐसा उन्होने कहा| यहाँ मिलने के बाद सब लोग वापस जाने के लिए निकले| चेतन का कनालीछीना का काम होने के बाद उससे बात करते हुए मै भी निकला| कनालीछीना गाँव के उपर की बस्ती से ही पगडण्डी शुरू हुई| मेरे शूज के बारे में मज़ेदार बात हुई है| कुछ ही दिन पहले बुंगाछीना में मेरे शूज के सोल फट गए थे| इसलिए नए शूज लेने पड़े| यहाँ शूज- कम चप्पल ऐसे फ्लाईट के शूज सभी लोग इस्तेमाल करते दिखे| मैने भी ऐसे शूज लिए| बिल्कुल सादे| लेकीन ग्रीप अच्छी है| मिट्टी या पत्थर पर बिल्कुल नही फिसलते हैं| इस पगडण्डी पर लोगों का आना- जाना चलता है| बस्ती भी पास ही है| बीच बीच में पेड़ों के पार दूर के शिखर दिखाई दे रहे हैं| यहाँ सब ओर इतनी सुन्दर प्रकृति है कि कहीं‌ भी जाओ, कहीं भी घूमो, लॉटरी ही लॉटरी है| इसी प्रसन्नता और शान्ति का आनन्द लूँ, उतना कम है| इसलिए यहाँ होने तक जब और जितना सम्भव हो, घूमता ही रहूँगा|





आगे जा कर पगडण्डी सड़क से मिली| कुछ दूर तक सड़क पर चलने के बाद फिर वह पहाड़ में निकली और सत्गड की चढाई शुरू हुई| घर और खेत भी लगे| ऐसा करते करते आराम से घण्टे भर में सत्गड पहुँच गए| छोटा लेकीन शानदार ट्रेक हुआ| सत्गड के घर छत पर बैठ कर सामने के अद्भुत नजारे का और धूप का आनन्द लेता रहा| बाद में बच्चों के साथ क्रिकेट भी खेला| दोपहर नीचे दुकान में कुछ काम था तो, फिर एक बार रोड़ पर जा आया, १० मिनट का छोटा मगर बेहतरीन सत्गड ट्रेक हुआ| रात को ठण्ड में कुछ देर तक आकाश दर्शन किया और जल्द सो गया| यहाँ का समय वैसे तो बाकी देश से दो घण्टा आगे है| दिन सुबह ५ बजे शुरू होता है और रात ८ बजे खत्म भी‌हो जाता है! अगले दिनों में अभी और कई जगहों पर घूमना और ट्रेकिंग करना है|




       आज के दो छोटे ट्रेक

 



अगला भाग: हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) : गाँव के जीवन की झलक

 

मेरे ध्यान, हिमालय भ्रमंती, साईकिलिंग, ट्रेकिंग, रनिंग और अन्य विषयों के लेख यहाँ उपलब्ध: www.niranjan-vichar.blogspot.com

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