Tuesday, January 2, 2018

जनवरी में लदाख़ में साईकिलिंग की योजना

जनवरी में लदाख़ में साईकिलिंग

जनवरी में जम्मू- कश्मीर राज्य के लदाख़ क्षेत्र में तपमान -२० से -२५ तक नीचे जाता है| इस क्षेत्र का मुख्य नगर लेह सिर्फ हवाई जहाज से दुनिया से जुड़ा रहता है| ऐसे स्थिति में भी कुछ लोग लदाख़ में जाते है और सर्दियों में भी वहाँ घूमते हैं| पहले दो बार लेह देखा है, लेकीन वह गर्मियों के महने में देखा है| इसलिए एक बार वहाँ सर्दियों में जाकर देखना है| ऐसे प्रतिकूल मौसम में जितनी हो सके, उतनी साईकिल चलानी है| लेह के आसपास की सड़के खुली रहती है, इसलिए लेह से कारू, निम्मू और हो सके तो खार्दुंगला भी जाया जा सकता है| खार्दुंगला सड़क मिलिटरी के लिए बहुत अहम है, इसलिए उसे हर स्थिति में चालू रखा जाता है| ५३०० मीटर ऊँचाई का खार्दुंगला दर्रा सर्दियों में भी चालू रहता है| हालाकी बीच बीच में भारी बर्फबारी के चलते कभी कभी बन्द हो सकता है|

ऐसे समय में लदाख़ जाने के कुछ उद्देश्य भी है-
१. सर्दियों के विषम मौसम में वहाँ के लोग किस प्रकार रहते हैं और वहाँ जवान और सेना के अन्य लोग किस प्रकार काम करते हैं, इसका अनुभव लेना|
२. वहाँ के लोग और जवानों के साथ २६ जनवरी के कार्यक्रम में अनौपचारिक रूप से संवाद करना|
३. शरीर की क्षमताओं को चुनौति देना और उसकी क्षमता की परख करना|
४. साईकिल चलाना हमेशा कुछ सन्देश देता है- पर्यावरण के प्रति संवेदना और फिटनेस के बारे में जागरूकता|



फोटो स्रोत: http://travel.paintedstork.com/blog/2013/02/leh-ladakh-winter.html

तैयारी

इस यात्रा की इच्छा हाल ही में अच्छी साईकिलिंग करने के बाद हुई| जो घाट और चढाईयाँ कभी कठिन लगती थी, वहाँ जब आसानी साईकिल पर जा सका, तब लगने लगा कि अब इससे भी ऊँचे पर्वत पर भी साईकिल चला सकता हूँ- अर्थात् लदाख़ में साईकिल चला सकूँगा| तैयारी कुछ इस तरह से की है-

- नियमित रूप से साईकिल चलाना; चढाई की सड़कों पर साईकिल बार बार चलाना|
- साईकिल का स्टैमिना बढ़ाने के लिए रनिंग शुरू की जिसका पीछली साईकिल यात्रा में बहुत लाभ मिला| धीरे धीरे रनिंग बढाता गया और २१ किलोमीटर तक दौड सका| इसके बाद ग्रेड १ की चढाई पर भी रनिंग कर सका| इस तरह साईकिल चलाने के साथ रनिंग करना भी तैयारी का हिस्सा रहा|
- योगासन और प्राणायाम

ठण्ड के लिए तैयारी अभी जारी है| कम से कम कपडों के तीन- चार लेअर लेह में पहनने पड़ेंगे| थर्मल और इनर के साथ तीन जुराब- सड़क पर चलते समय गम बूट और नाक छोड कर पूरे शरीर को ढाकने का इन्तजाम करना होगा| और ठण्ड की वास्तविक तैयारी मानसिक होगी| ठण्ड का इतना बड़ा तो नही; पर छोटा- मोटा अनुभव है जब दिसम्बर में बद्रीनाथ के पास गया था| वहाँ लेकीन ऊँचाई बहुत कम थी; फिर भी शाम को साढ़ेपाँच बजे जैसे रात होती थी| और एक तरह का आलस आ जाता था|

इस बार भी शायद यही चुनौति सबसे बड़ी है| इसके साथ लेह में सर्दियों में कारोबार बहुत कम चालू रहता है| इसलिए सुविधाओं की भी दिक्कते हैं| साईकिल उपलब्ध होने से दिक्कते हैं| दिन देर से शुरू होता है और जल्द डूबता है, साईकिल चलाने के लिए मुश्कील से आठ- नौ घण्टे होंगे| इन सबकी तैयारी कर रहा हूँ| लेह में पीछली बार जहाँ ठहरा था, वहाँ चोगलमसर क्षेत्र के मित्र के पास रूकूँगा|

साईकिलिंग की योजना
पुणे- दिल्ली- लेह हवाई जहाज से २४ जनवरी की सुबह लेह आगमन|
२६ जनवरी तक पूरी तरह विश्राम जिससे शरीर उस मौसम से तालमेल बिठा सके|
२६ जनवरी के कार्यक्रम में सहभाग लेना और लेह घूमना- साईकिल का जुगाड़|
२७ जनवरी- लेह शहर में १० किलोमीटर साईकिल चलाना|
२८ जनवरी- लेह- सिन्धू घाट परिसर में १० किलोमीटर साईकिल चलाना|
२९ जनवरी- लेह से निम्मू- चिलिंग जाना (४५ किलोमीटर)| चिलिंग में ठहरना
३० जनवरी-  चिलिंग- निम्मू- लेह वापसी (४५ किलोमीटर)|
३१ जनवरी- लेह से खर्दुंगला रोड़ पर साउथ पुल्लू तक जाना|
१ फरवरी- खार्दुंगला जाने का प्रयास| खार्दुंगला जाना सड़क खुली होने पर निर्भर करेगा|

२- ३ फरवरी अतिरिक्त दिन रखे हैं| और ४ फरवरी को लेह- दिल्ली- पुणे हवाई जहाज से वापसी|

ऐसी योजना तो बनाई है, लेकीन इसमें बहुत से if and buts हैं| शरीर इतने ठण्ड को कितना सह पाता है, ऐसी स्थिति में साईकिल कितनी चला सकता हूँ, यह कुछ भी कह नही सकता हूँ| वहाँ जाने पर ही पता चलेगा|  शायद यह भी हो सकता है कि साईकिल ना मिले या बहुत महंगे रेट से मिले, क्यों कि सभी दुकान बन्द होते हैं|| साईकिल न मिलने की स्थिति में लेह के आसपास पैदल घूमना हो सकता है| या अगर त्सोमोरिरी गाड़ी जा रही हो, तो वहाँ भी जा सकता हूँ| पर सड़क कई दिनों के लिए कभी भी बन्द हो सकती है| इसलिए सब कुछ उस समय की स्थिति पर निर्भर करेगा|

लेकीन जो भी हो, एक बहुत अविस्मरणीय अनुभव जरूर आनेवाला है. . . . 

2 comments:

  1. शुभकामनाएं।
    उम्मीद पर दुनिया कायम है। बेहतर ही होगा।

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    1. Hello all. As my father in law had a stroke of paralysis and he was admitted in the hospital, I had to cancel my Ladakh tour. Now he is recovering. I have cancelled this cycle tour. But in future, will continue my cycling rides. Thanks once again for your wishes. You can read about my other rides, trekking and other experiences here- www.niranjan-vichar.blogspot.in. Thank you.

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