Tuesday, April 26, 2016

दोस्ती साईकिल से २८: फिर नई शुरुआत


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!
दोस्ती साईकिल से: १९: हौसला बढ़ानेवाली राईडस!
दोस्ती साईकिल से: २०: इंज्युरी के बाद की राईडस
दोस्ती साईकिल से: २१: चढाई पर साईकिल चलाने का आनन्द
दोस्ती साईकिल से: २२: सिंहगढ़ राउंड ३ सिंहगढ़ पर फतह!
दोस्ती साईकिल से: २३: नई हैं मन्जिलें. . नए है रास्ते नया नया सफर है तेरे वास्ते. . .
दोस्ती साईकिल से: २४: अप्रैल की गरमी में १४८ किलोमीटर
दोस्ती साईकिल से: २५: आँठवा शतक
दोस्ती साईकिल से: २६: २०१५ की लदाख़ साईकिल यात्रा की तैयारी
दोस्ती साईकिल से २७: २०१५ की लदाख़ साईकिल यात्रा पर दृष्टिक्षेप. . .

फिर नई शुरुआत

जून २०१५ में लदाख़ में साईकिल चलाने के बाद बड़ा अन्तराल आया| इस यात्रा के बाद हौसला बहुत बढ़ गया था, लेकिन फिर भी तुरन्त बड़ी राईड नही चला पाया| उसके कुछ ही दिन बाद टायफाईड होने के कारण साईकिल रोकनी पड़ी| मन में तो बहुत इच्छा थी, लेकिन बीमारी के कारण साईकिल से दूर रहना पड़ा| टायफाईड से सेहत ठीक होने में करीब दो महिने लगे| इस कारण जून के बाद सितम्बर तक बहुत ही कम साईकिल चलायी| सितम्बर में भी जो राईडस किए, वहाँ पर लगा कि शरीर बहुत जल्द थक रहा है| इसलिए फिर कुछ दिन साईकिल नही चलायी| आखिर कर अक्तूबर में साईकिल चलाना दोबारा शुरू किया| तब अहसास हुआ कि इन तीन- चार महिने के अन्तराल ने मेरी सभी तैयारी को परास्त किया है| अब फिर से स्टैमिना बढ़ाना होगा| फिर से लय प्राप्त करनी है|







जीवन में यही तो होता है| हर बार एक नई शुरुआत करनी होती है| एक इनिंग में किए हुए रन्स दूसरी इनिंग में मान्य नही किए जा सकते हैं| इन दिनों जब साईकिल नही चला पा रहा था, तब भी जैसे सेहत ने साथ दिया, योगासन शुरू किए| प्राणायाम जारी रहा| और पहले जिस प्रकार स्टैमिना प्राप्त किया था, उससे पता था कि किस तरह धीरे धीरे आगे बढ़ना है| इसलिए मन में किसी तरह की अशान्ति नही है| बस कुछ ही हप्तों की बात है| जैसे साईकिल चलाता जाऊँगा, फिटनेस बढ़ेगा, लय फिर से मिलेगी|







१५ अक्तूबर के दिन परभणी में रखी साईकिल पुणे के पास चाकण में ले आया| बस स्टैंड से चाकण तक ले जाने के लिए ३३ किलोमीटर साईकिल चलायी| वैसे कई हप्तों के अन्तराल के बाद शुरू में १०- १५ किलोमीटर चलाने से शुरू करनी चाहिए थी| लेकिन बस स्टैंड दूर होने के कारण इसे टाल नही सका| और अपेक्षाकृत इस ३३ किलोमीटर के लिए तीन घण्टे लगे| शरीर के साईकिलिंग सम्बन्धित मसल्स पर और फिटनेस पर जैसे जंग चढा है| धीरे धीरे इसे हटाना होगा| इस राईड में पंक्चर ने भी तकलीफ दी| पंक्चर भी अप्रत्याशित था| क्यों कि इन ट्युब्ज और टायर्स से मुश्किल से छहसौ किलोमीटर साईकिल चलायी होगी| फिर भी पंक्चर! चलो, इस बहाने पंक्चर ठीक करने की भी रिविजन हो जाएगी| पंक्चर निकालते समय पहली बार ट्युब अन्दर फिट करने के लिए स्क्रू ड्रायवर की जगह हाथ का प्रयोग किया| बड़ा अच्छा लगा| पहले जब स्क्रू ड्रायवर से ट्युब फिट करता था, तो स्क्रू ड्रायवर के कारण भी पंक्चर होने का खतरा होता था (सिख्खड होने के कारण)| अब इस तरह हाथ से ही लगाता हूँ, तो वह खतरा नही रहेगा|







अगले दिन एक ३ स्तर के घाट पर साईकिल चलायी| घाट तो चला पाया, लेकिन अधिक ब्रेक लेने पड़े| आते समय भी थकान ज्यादा हुई| लेकिन थोडा जंग भी हट गया| अब इसी क्रम को आगे जारी रखना है| अगर थोडी थोडी लेकिन नियमित रूप से साईकिल चलाता हूँ, तो एक महिने में मेरा स्टैमिना वापस मिलेगा| लेकिन तब तक शरीर का मानना होगा| और यह बहुत कठिन लग रहा है| मै, जिसने लदाख़ में साईकिल चलायी है, कैसे इतना धीमा चला रहा हूँ! सब कुछ नए से करना होगा| लेकिन मन इसके लिए तैयार नही है|

साईकिल चलाना शुरू रहा| लेकिन बड़ी राईड जल्दी नही करनी है| छोटी २०- ३० किलोमीटर की ही राईड करनी चाहिए| इस समय और एक गल्ती की| नई सड़क पर साईकिल चलाने की इच्छा हुई, इसलिए एक साधारण किस्म की सड़क पर साईकिल चलायी| नई सड़क देखी, नया नजारा तो देखा, लेकिन ऐसी राईड का साईकिलिंग का हौसला बढ़ाने के लिए लाभ नही होता है| उल्टा, ऐसी सड़कों पर अधिक समय लगता है और थोड़ी सी हताशा भी होती है| इसी वजह से लय प्राप्त करने के लिए ऐसी राईडस बेहतर सड़क पर और परिचित जगह पर करनी चाहिए| खैर|

चूँकि बीमारी के कारण कई दिन गए थे, अब साईकिल चलाने में कोई कसर नही छोड रहा हूँ| एक दिन भी गैप नही आने दे रहा हूँ| हर रोज छोटी राईड कर रहा हूँ| जल्द ही लय मिलेगी, शरीर अभ्यस्त हो जाएगा| लेकिन इसमें भी एक तकनिकी खामी यह रही कि शरीर को विश्राम नही मिल पाया| हप्ते में सात में से सात दिन साईकिल चलाना सही नही होता है| कम से कम एक या दो दिन शरीर को ब्रेक चाहिए| लेकिन जल्दी स्टैमिना हासिल करने के चक्कर में वह सोचा नही और लगातार छोटी राईडस करता रहा| धीरे धीरे शरीर लय में आ रहा है| कितनी तेज़ी से चला रहा हूँ, कौनसे गेअर में चला रहा हूँ, आदी पर ज्यादा न सोचते हुए चलाता गया| हौसला वापस आ रहा है| रोज यह देख कर भी अच्छा लग रहा है कि पीछले छह- आठ दिनों में रोज औसतन १८ किलोमीटर साईकिल चला रहा हूँ| साथ में आगामी बड़ी साईकिल यात्रा का प्लैन भी कर रहा हूँ| अब एक बड़ी एक्सपिडिशन करनी है जिसमें लगातार आठ- दस दिन साईकिल चलाऊँगा| हालाकि स्टैमिना अभी बहुत बढ़ाना होगा| देखते हैं|





अगला भाग २९: नई साईकिल यात्रा की तैयारी की राईडस

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-04-2016) को "हम किसी से कम नहीं" (चर्चा अंक-2325) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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