८ (अन्तिम): देवगड़ से वापसी...
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कोस्टल रोड़ से कुणकेश्वर जाने के बाद अगले दिन सबके साथ और कुछ जगह पर घूमना हुआ| साईकिल के बिना देवबाग बीच और तारकर्ली बीच देखना हुआ| समय की कमी के कारण साईकिल पर और कहीं जाना नही हुआ| कम से कम देवगड़- आचरा बीच जाने की इच्छा थी| बीच के साथ कोंकण के अन्दरूनी गाँवों का दर्शन होता| पर वह सम्भव नही हो सका| पत्नि और बेटी साथ में होने की वजह से वापसी के रूट पर कम से कम गगनबावडा तक जाने की इच्छा भी अधूरी रह गई| उनके साथ ही जाना पड़ा| वैसे तो कुणकेश्वर- जामसंडे की सड़क पर जो तिखी चढाई आती है, वह मैने साईकिल पर पार की थी| पीछली बार गाडी पर जाते समय यही चढाई गगनबावडा घाट से भी अधिक खतरनाक मालुम पड़ी थी| इसलिए गगनबावडा घाट साईकिल पर न जाने का मलाल नही हुआ| वैसे भी इन दिनों में इतनी चढाईयाँ पार की है कि एक घाट इतना मायने नही रखता है| खैर|




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