९: लाँग रन्स से दोस्ती
डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|
इस लेख माला को शुरू से पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए|
मई २०१८ में साईकिल यात्रा के बाद जून २०१८ में नियमित रनिंग शुरू की| लगातार छोटे रन शुरू किए| लगातार रन करने का लाभ यह होता है कि पैर बिल्कुल ढिले हो जाते हैं, रनिंग के मसल्स चुस्त हो जाते हैं| फरवरी से जो स्ट्रेंदनिंग शुरू किया था, उसका भी अब अच्छा लाभ मिल रहा है| इसी दौरान चलने के बारे में भी बहुत कुछ पता चला| इससे समझ आया कि चलना- वॉकिंग इस तरह का व्यायाम है जिसे बिल्कुल भी ग्लैमर नही है| लेकीन है तो यह गज़ब का व्यायाम| एक तरह से रनिंग और साईकिलिंग का बेस यही है| मैने उसे जैसे समझा वह कुछ ऐसा है| रनिंग में और कुछ हद तक साईकिलिंग में भी जो ऊर्जा व्यय होती है, वह एक तरह से अधिक उपर से लिए जानेवाले इंटेक की होती है; स्टोअर्ड फैटस उसमें ज्यादा बर्न नही होते हैं| क्यों कि रनिंग और कुछ हद तक साईकिलिंग भी एक रिगरस गतिविधि है, ज्यादा थकानेवाली गतिविधि है, इसलिए शरीर को तुरन्त ऊर्जा चाहिए होती है जो बाहर के पदार्थों से मिलती है| इसकी तुलना में वॉकिंग एक कम थकानेवाली सामान्य गतिविधि है और इसमें शरीर स्टोअर्ड फैटस का इस्तेमाल करता है| इसलिए एक तरह से फैटस को बर्न करने के लिए वॉकिंग बेहतर है| और दूसरा लाभ यह है कि वॉकिंग में हृदय की गति उतनी तेज़ नही होती है जितनी रनिंग में होती है| और अगर हृदय की कम गति पर हम खुद को अभ्यास दे, तो हृदय की गति कम होने की रेंज बढ़ती है| मानो अगर हम लो- इंटेन्सिटी अभ्यास करते हैं, तो हमारी इंटेन्सिटी क्षमता बढती जाती है| इसलिए रनिंग में भी स्लो रनिंग को महत्त्व दिया जाता है| स्टैमिना और एंड्युरन्स इसीसे बढ़ता है| और तीसरी सबसे बड़ी बात यह है कि वॉकिंग से पैरों के मसल्स को अलग किस्म का व्यायाम मिलता है, वे और फुर्तिले, ढिले हो जाते हैं| इसलिए रनिंग के साथ वॉकिंग बहुत रूप से जुड़ा है, उसमें पूरक है|
संयोग से इसी समय मेरी बेटी को स्कूल बस पर रिसीव करने के लिए मै जाने लगा| वहाँ पर बस की प्रतीक्षा के लिए थोड़ी देर रूकना पड़ता है| उस समय में भी बैठने के बजाय या खड़े रहने के बजाय बस आने के स्थान के पास १०० मीटर तक चलना शुरू किया| इससे मुझे चलने का बहुत अच्छा अवसर मिला| लोग जैसे छोटी दूरी के लिए गाड़ी नही निकालते हैं, वैसे मैने भी छोटी दूरी के लिए 'साईकिल' निकालना बन्द किया और जहाँ मौका मिले चलना शुरू किया| चलने की और एक खास बात यह है कि यह ऐसा व्यायाम है जो 'कहीं भी और कभी भी' किया जा सकता है| इसलिए जब भी साईकिलिंग/ रनिंग में गैप होती हो, तो भी चलना जारी रहा| बहुत हद तक वह रनिंग/ साईकिलिंग में सहयोगी है, इसलिए उससे भी लाभ मिलता रहा|
डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|
इस लेख माला को शुरू से पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए|
मई २०१८ में साईकिल यात्रा के बाद जून २०१८ में नियमित रनिंग शुरू की| लगातार छोटे रन शुरू किए| लगातार रन करने का लाभ यह होता है कि पैर बिल्कुल ढिले हो जाते हैं, रनिंग के मसल्स चुस्त हो जाते हैं| फरवरी से जो स्ट्रेंदनिंग शुरू किया था, उसका भी अब अच्छा लाभ मिल रहा है| इसी दौरान चलने के बारे में भी बहुत कुछ पता चला| इससे समझ आया कि चलना- वॉकिंग इस तरह का व्यायाम है जिसे बिल्कुल भी ग्लैमर नही है| लेकीन है तो यह गज़ब का व्यायाम| एक तरह से रनिंग और साईकिलिंग का बेस यही है| मैने उसे जैसे समझा वह कुछ ऐसा है| रनिंग में और कुछ हद तक साईकिलिंग में भी जो ऊर्जा व्यय होती है, वह एक तरह से अधिक उपर से लिए जानेवाले इंटेक की होती है; स्टोअर्ड फैटस उसमें ज्यादा बर्न नही होते हैं| क्यों कि रनिंग और कुछ हद तक साईकिलिंग भी एक रिगरस गतिविधि है, ज्यादा थकानेवाली गतिविधि है, इसलिए शरीर को तुरन्त ऊर्जा चाहिए होती है जो बाहर के पदार्थों से मिलती है| इसकी तुलना में वॉकिंग एक कम थकानेवाली सामान्य गतिविधि है और इसमें शरीर स्टोअर्ड फैटस का इस्तेमाल करता है| इसलिए एक तरह से फैटस को बर्न करने के लिए वॉकिंग बेहतर है| और दूसरा लाभ यह है कि वॉकिंग में हृदय की गति उतनी तेज़ नही होती है जितनी रनिंग में होती है| और अगर हृदय की कम गति पर हम खुद को अभ्यास दे, तो हृदय की गति कम होने की रेंज बढ़ती है| मानो अगर हम लो- इंटेन्सिटी अभ्यास करते हैं, तो हमारी इंटेन्सिटी क्षमता बढती जाती है| इसलिए रनिंग में भी स्लो रनिंग को महत्त्व दिया जाता है| स्टैमिना और एंड्युरन्स इसीसे बढ़ता है| और तीसरी सबसे बड़ी बात यह है कि वॉकिंग से पैरों के मसल्स को अलग किस्म का व्यायाम मिलता है, वे और फुर्तिले, ढिले हो जाते हैं| इसलिए रनिंग के साथ वॉकिंग बहुत रूप से जुड़ा है, उसमें पूरक है|
संयोग से इसी समय मेरी बेटी को स्कूल बस पर रिसीव करने के लिए मै जाने लगा| वहाँ पर बस की प्रतीक्षा के लिए थोड़ी देर रूकना पड़ता है| उस समय में भी बैठने के बजाय या खड़े रहने के बजाय बस आने के स्थान के पास १०० मीटर तक चलना शुरू किया| इससे मुझे चलने का बहुत अच्छा अवसर मिला| लोग जैसे छोटी दूरी के लिए गाड़ी नही निकालते हैं, वैसे मैने भी छोटी दूरी के लिए 'साईकिल' निकालना बन्द किया और जहाँ मौका मिले चलना शुरू किया| चलने की और एक खास बात यह है कि यह ऐसा व्यायाम है जो 'कहीं भी और कभी भी' किया जा सकता है| इसलिए जब भी साईकिलिंग/ रनिंग में गैप होती हो, तो भी चलना जारी रहा| बहुत हद तक वह रनिंग/ साईकिलिंग में सहयोगी है, इसलिए उससे भी लाभ मिलता रहा|