Thursday, May 9, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ९: लाँग रन्स से दोस्ती

९: लाँग रन्स से दोस्ती

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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मई २०१८ में साईकिल यात्रा के बाद जून २०१८ में नियमित रनिंग शुरू की| लगातार छोटे रन शुरू किए| लगातार रन करने का लाभ यह होता है कि पैर बिल्कुल ढिले हो जाते हैं, रनिंग के मसल्स चुस्त हो जाते हैं| फरवरी से जो स्ट्रेंदनिंग शुरू किया था, उसका भी अब अच्छा लाभ मिल रहा है| इसी दौरान चलने के बारे में‌ भी बहुत कुछ पता चला| इससे समझ आया कि चलना- वॉकिंग इस तरह का व्यायाम है जिसे बिल्कुल भी ग्लैमर नही है| लेकीन है तो यह गज़ब का व्यायाम| एक तरह से रनिंग और साईकिलिंग का बेस यही है| मैने उसे जैसे समझा वह कुछ ऐसा है| रनिंग में और कुछ हद तक साईकिलिंग में भी जो ऊर्जा व्यय होती है, वह एक तरह से अधिक उपर से लिए जानेवाले इंटेक की होती है; स्टोअर्ड फैटस उसमें ज्यादा बर्न नही होते हैं| क्यों कि रनिंग और कुछ हद तक साईकिलिंग भी एक रिगरस गतिविधि है, ज्यादा थकानेवाली गतिविधि है, इसलिए शरीर को तुरन्त ऊर्जा चाहिए होती है जो बाहर के पदार्थों से मिलती है| इसकी तुलना में वॉकिंग एक कम थकानेवाली सामान्य गतिविधि है और इसमें शरीर स्टोअर्ड फैटस का इस्तेमाल करता है| इसलिए एक तरह से फैटस को बर्न करने के लिए वॉकिंग बेहतर है| और दूसरा लाभ यह है कि वॉकिंग में हृदय की गति उतनी तेज़ नही होती है जितनी रनिंग में होती है| और अगर हृदय की कम गति पर हम खुद को अभ्यास दे, तो हृदय की गति कम होने की रेंज बढ़ती है| मानो अगर हम लो- इंटेन्सिटी अभ्यास करते हैं, तो हमारी इंटेन्सिटी क्षमता बढती जाती है| इसलिए रनिंग में भी स्लो रनिंग को महत्त्व दिया जाता है| स्टैमिना और एंड्युरन्स इसीसे बढ़ता है| और तीसरी सबसे बड़ी बात यह है कि वॉकिंग से पैरों के मसल्स को अलग किस्म का व्यायाम मिलता है, वे और फुर्तिले, ढिले हो जाते हैं| इसलिए रनिंग के साथ वॉकिंग बहुत रूप से जुड़ा है, उसमें पूरक है|

संयोग से इसी समय मेरी बेटी को स्कूल बस पर रिसीव करने के लिए मै जाने लगा| वहाँ पर बस की प्रतीक्षा के लिए थोड़ी देर रूकना पड़ता है|‌ उस समय में भी बैठने के बजाय या खड़े रहने के बजाय बस आने के स्थान के पास १०० मीटर तक चलना शुरू किया| इससे मुझे चलने का बहुत अच्छा अवसर मिला| लोग जैसे छोटी दूरी के लिए गाड़ी नही निकालते हैं, वैसे मैने भी छोटी दूरी के लिए 'साईकिल' निकालना बन्द किया और जहाँ मौका मिले चलना शुरू किया| चलने की और एक खास बात यह है कि यह ऐसा व्यायाम है जो 'कहीं भी और कभी भी' किया जा सकता है| इसलिए जब भी साईकिलिंग/ रनिंग में गैप होती हो, तो भी चलना जारी रहा| बहुत हद तक वह रनिंग/ साईकिलिंग में सहयोगी है, इसलिए उससे भी लाभ मिलता रहा|


धीरे धीरे रनिंग में हिम्मत बढ़ती गई| और एक तरह से विश्वास था कि फुल मैरेथॉन कर सकता हूँ| अत: सितम्बर २०१८ में महाराष्ट्र में नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर में फुल मैरेथॉन का बूकिंग भी कर लिया| और बरसात शुरू होने के बाद उसकी तैयारी चालू कर दी| पहला लक्ष्य है कि धीरे धीरे आगे बढ़ कर २५, ३० और फिर ३५ किलोमीटर की‌ दौड़ करनी है| २१ किलोमीटर तो लगभग पाँच बार दौड़ चूका ही हूँ, इसलिए पहला पड़ाव २५ किलोमीटर का रखा| जून- जुलाई में अच्छी बरसात होने के बाद जब तपमान कम हो गया और बरसात की ठण्डक आ गई, तब यह लाँग रन्स शुरू किए| 

पहला रन २५ किलोमीटर दौड़ना है| मैप पर देख कर इसका रूट बनाया| पुणे के चाकण से वाकड तक दौड़ूंगा| वहाँ मित्र के पास थोड़ी देर ठहर कर बस से वापस आऊँगा| पहले कई बार २१ किलोमीटर दौड़ने के कारण यह कठिन नही जाएगा| फिर भी थोड़ी झिझक महसूस हुई| एक तो इतनी दूरी पार करनी है, तो साथ में तीन एनर्जाल, २ लीटर पानी, चाकलेट, चिक्की आदि रखना पड़ा| और लम्बी दूरी होने के कारण एक तरह से ईजी पेस से रनिंग शुरू किया| अन्त तक ऊर्जा रहनी चाहिए, इसलिए ज्यादा जोर लगाए बिना दौड़ने लगा| अपेक्षा के अनुसार यह रन आसान रहा| लगभग हाफ मैरेथॉन के गणित के अनुसार ब्रेक लेता गया, बीच बीच में खुद को रिचार्ज करता रहा| २१ किलोमीटर के लिए लगभग २:२० का समय लगा| उसके बाद दौड़ना बिल्कुल नया लग रहा है| अन्त में कुछ दिक्कत हुई, रफ्तार कम हुई और २५ किलोमीटर होते होते लगा कि शायद और दौड़ना होता तो शायद नही दौड़ पाता| मूविंग टाईम २:५२ और एलैप्स्ड टाईम ३:०७ रहा| २८ जुलाई को यह रनिंग की और अगले दो दिनों में चाकण में इतनी रायट हुई जिससे चाकण सुर्खियों में छाया रहा| एक बात यह रही कि रनिंग तो अच्छी हुई, लेकीन थकान बहुत ज्यादा हुई| दिन में ज्यादा समय विश्राम करना पड़ा| शायद इसका एक कारण मौसम में होनेवाली ह्युमिडिटी होगा| 



 



अगले हफ्ते ५ अगस्त को ३० किलोमीटर दौड़ने के लिए तैयार हुआ| यह मेरे रनिंग के मार्गदर्शक बनसकर सर का जन्मदिन भी है, तो चाहता था कि उन्हे छोटी सी गुरूदक्षिणा दूं! यह दौड़ भी अच्छी रही| २५ किलोमीटर तक ठीक दौड़ पाया, लेकीन बाद में अन्तिम पाँच किलोमीटर पैदल चलने पड़े| मूविंग टाईम ३:४३ रहा और एलैप्स्ड टाईम ४:११ रहा| पाँच किलोमीटर पैदल चलने से तकलीफ तो हुई| शायद अभी स्टैमिना अभी ज्यादा नही है| इसे धीरे धीरे बढ़ाना होगा| शायद बीच में और दिन का ब्रेक लेना चाहिए था| लेकीन इन २५ किलोमीटर और ३० किलोमीटर के रन के बाद यह तो जरूर पता चला कि, २१ किलोमीटर तो ठीक है, लेकीन उसके बाद का एक एक किलोमीटर कठिन होगा| और इस अर्थ में २१ और २१ मिला कर ४२ नही होंगे| शायद २१ के ढाई गूना ४२ होंगे! यहाँ पर ठीक अर्थ में पहली बार फुल मैरेथॉन का घाट दिखाई दिया| अब तक का सफर सिर्फ समतल सड़क पर, लेकीन इस घाट के बेस तक का था| अब असली घाट शुरू हुआ है! अब मज़ा आएगा!

अगला भाग: “भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी: १० फुल मैरेथॉन फिटनेस के करीब


1 comment:

  1. रोचक...कार्डिओ के लिए मैं चलने को ही महत्व देता हूँ। कोशिश रहती है कि 16 से 17 हज़ार कदम चल लूँ।

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