Thursday, May 2, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ७: पहली और अन्तिम हाफ मैरेथॉन ईवेंट

७: पहली और अन्तिम हाफ मैरेथॉन ईवेंट

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

इस लेख माला को शुरू से पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए|

नवम्बर २०१७ में अच्छे समय में सोलो हाफ मैरेथॉन दौड़ने के बाद फुल मैरेथॉन का इन्तजार था| लेकीन उस समय मेरी एक साईकिल यात्रा की तैयारी चल रही थी| इसलिए कुछ दिनों तक सिर्फ छोटे रन्स पर ही ध्यान दिया| फुल मैरेथॉन के लिए सात घण्टों का कट ऑफ समय होता है, इसलिए मन में लगता था कि जब ढाई घण्टों में आधी दूरी पार हो रही है, तो बाकी दूरी भी समय में ही पूरी हो सकती है| लेकीन यह सिर्फ एक भ्रम था| अभी फुल मैरेथॉन के लिए बहुत बड़ी यात्रा करनी बाकी थी| जनवरी २०१८ में जिस साईकिल यात्रा की योजना थी, उसे कुछ कारण से ऐन समय पर रद्द करना पड़ा| लेकीन उस यात्रा की तैयारी में जो सीखने को मिला, वह तो लाभ रहा| और रनिंग भी उसी की तैयारी का एक हिस्सा था| जब वह यात्रा न हो पाई, तब पहली बार हाफ मैरेथॉन ईव्हेंट के बारे में सोचा| और जल्द ही ११ फरवरी २०१८ को हाफ मैरेथॉन के लिए रजिस्ट्रेशन भी किया| उसके लिए कोई क्वालिफिकेशन नही होता है (कुछ ईव्हेंटस में होता भी है, ऐसा बाद में पता चला)| इसकी तैयारी के लिए मेरे पास बीस दिन हैं|

रनिंग ठीक कर तो पाता हूँ, लेकीन अभी इसमें उतना नियमित नही हूँ| हफ्ते में सिर्फ दो बार और महिने में सात- आठ बार दौड़ता हूँ| हालांकी साईकिल- योगा भी करता हूँ, जो रनिंग में लाभ देते हैं| जब हाफ मैरेथॉन का बूकिंग किया, तब रनिंग में नियमितता लाई| कुछ छोटे रन किए और फिर एक बार हाफ मैरेथॉन के लिए निकला| हाफ मैरेथॉन इवेंट के पन्द्रह दिन पहले की यह दौड़ कुछ अलग रही| एक तरह से काफी गलतियाँ भी हुई| फिर समझ में आया कि मै हाफ मैरेथॉन को बड़ा ही छोटा मान रहा था, नियमितता कम थी, इसलिए तकलीफ हुई| एक तो इस हाफ मैरेथॉन के लिए कट ऑफ लिमिट से अधिक समय लगा, २:४५ के बजाय २:४८ समय लगा जिससे कुछ दर्द हुआ| इसके साथ अन्त में रफ्तार भी कम हुई थी, तकलीफ भी हुई थी और अन्तिम चारसौ मीटर चलने की नौबत आई थी| इसके बाद काफी कुछ सोचा| मेरे रनिंग के गुरू और मित्र संजय बनसकर जी से मार्गदर्शन लिया| उन्होने हाफ मैरेथॉन लगभग दो घण्टों में की है| उनके साथ चर्चा करते हुए कुछ बातें समझ में आई|




पहली बात यह थी कि मेरी नियमितता बहुत कम थी| उसे ठीक किया| अब बड़े रन छोड कर हर रोज १० या ५ किलोमीटर के रन करना शुरू किया| और अधिक चलने भी लगा| प्रोटीन डाएट के लिए अण्डे भी शुरू किए| जल्द ही इसका परिणाम दिखने भी लगा| लगातार कुछ दिन छोटे रन्स करने के बाद जब ११ किलोमीटर दौड़ा, तो पहले से कम समय लगा| पहली बार लगभग ९ किलोमीटर की स्पीड और लगभग ६.४ मिनट/ किमी पेस से दौड़ पाया! ११ फरवरी को पुणे के निगडी में रनेथॉन ऑफ होप थी, उसके पहले दो दिन पूरा विश्राम किया| थोड़ा योग- प्राणायाम करता रहा और थोड़े दूर तक चलता रहा|

१० फरवरी की रात बड़ी कठिन गई| पहली बार इस तरह की कोई इवेंट में सहभाग ले रहा हूँ| इस कारण नीन्द न के बराबर आई| बीच बीच में जगता रहा| और ऐसा होना स्वाभाविक भी है| क्यों कि सुबह जब २१ किलोमीटर दौड़ना हो और इस तरह की इवेंट में पहली बार जाना हो, तो नीन्द ठीक आ नही सकती| एक तरह से कुछ ऐसे जैसे अगर बहुत बड़ा दिया दूर भी रखा हो या किसी पर्दे के भीतर भी रखा हो, तो भी रोशनी आएगी ही| इस वजह से एक तरह से सजगता रात भर बनी रही| सुबह की ईवेंट का एहसास पहले से होने लगा| सुबह छह बजे हाफ मैरेथॉन शुरू होनेवाली थी| उसके आधे घण्टे पहले वहाँ पहुँचना चाहिए था| उसके लिए बाईक से लगभग चालीस मिनट ड्राईव्ह किया| मज़े की बात यह थी कि बाईक की चाबी मिल ही नही रही थी| घर में सब जगह ढूँढ लिया और लगा कि शायद बाईक पर ही होगी| और चाबी वहीं पर मिली! भोर के अन्धेरे में ही हाफ मैरेथॉन के स्थान पर पहुँचा!

शुरूआत में स्ट्रेचिंग हुआ, म्युजिक के साथ डान्स भी चल रहा था| यह देख के १६ दिसम्बर फिल्म में दिखाया गया म्युजिक प्रोग्राम का सीन याद आया! अच्छी खासी संख्या में लोग आए हैं| आसमाँ में बादल भी हैं! जल्द ही दौड़ शुरू हुई| शुरू होने के पहले थोड़ा सा डर जरूर लगा, लेकीन उस माहौल में वह खो गया| पहले कुछ मिनटों तक भीड़ के कारण धीरे दौड़ हुई| जल्द ही लोग आगे- पीछे हो गए| पहले दो बार हाफ मैरेथॉन सोलो दौड़ने के कारण मेरा गणित तैयार है| आठ किलोमीटर पर चिक्की खाऊँगा, थोड़ा ही पानी पिऊंगा| आराम से दौड़ता गया| मेरे लिए यह माहौल, बीच बीच में चीअर करने वाले वॉलंटीअर्स और बीच बीच होनेवाले सपोर्ट के इन्तजाम- सब कुछ नया है| कुछ देर तक रूट पर तैनात पुलिस कर्मियों को गूड मॉर्निंग भी बोला| बाद में जब साँस फूली, तब छोड दिया!

इस मैरेथॉन में सिर्फ एक ही ब्रेक/ पॉज लिया- दस किलोमीटर पर| उसके बाद बीच में पानी और एनर्जाल उठाए, लेकीन रूका नही| करीब करीब आसानी से ही दौड़ता रहा| अन्तिम चार- पाँच किलोमीटर में हल्की चढाई थी, वहाँ गति तो कम हुई, लेकीन आसानी से ही बढ़ता रहा| अन्त में फिनिश लाईन के पहले बैंड- बाजा बज रहा था, काफी बच्चे वेलकम कर रहे थे| उससे भी हौसला मिलता रहा और अन्तिम किलोमीटर भी आसान गए| और जब फिनिश लाईन क्रॉस की, तो समय देखा, टायमिंग देखा और कुछ देर के लिए विश्वास ही नही हुआ| आयोजकों के अनुसार मुझे हाफ मैरेथॉन के लिए सिर्फ २ घण्टे १३ मिनट लगे| जबकी मेरे मोबाईल पर २ घण्टे १४ मिनट दिखाई दे रहा था (क्यों कि app कुछ सेकैंड पहले चालू किया था)| अपेक्षा तो कम से कम ढाई घण्टे लगेंगे ऐसी थी| क्यों कि इससे कम समय कभी भी नही लगा था| और रात लगभग नीन्द के बिना गई थी| लेकीन बहुत ही तेज़ गति से- लगभग साढ़े नौ किलोमीटर/ घण्टा स्पीड से यह दूरी पार की| जैसा बनसकर सर ने कहा था, उस माहौल के कारण मेरे परफॉर्मंस में करीब करीब बीस प्रतिशत सुधार होगा, बिल्कुल वैसे ही हुआ!!





और इस सोने पे सुहागा तब मिला जब मेरे रनिंग दिग्गज मित्र हर्षद पेंडसे जी भी मुझे वहाँ मिले! वे भी इस दौड़ में दौड़ रहे थे| उनके साथ और एक मित्र मिल गए- सुधाकर शिंदे जी| वे मेरे लेखन के कारण मुझे जानते थे! और भी अच्छा लगा! उनसे थोड़ी देर मिलना हुआ और फिर वहाँ से निकला| बहुत बेहतरीन अनुभव रहा मेरे लिए! मेरी यह पहली ही स्पोर्टस ईवेंट थी| बहुत एंजॉय किया| मेरी तैयारी कितने स्तर की है, यह भी पता चला| और सबसे फतह की बात, मेरे इस टायमिंग ने मुझे फुल मैरेथॉन के लिए क्वालिफाय भी किया!! और क्या चाहिए! अब इसके बाद हाफ मैरेथॉन ईवेंट में सहभाग लेने की आवश्यकता नही रही| हाफ मैरेथॉन तो दौड़ता रहूँगा, २१ किलोमीटर से आगे भी दौड़ूंगा, लेकीन अब ईवेंट में सहभाग लेने की इच्छा नही रही| क्यों कि जब कभी भी सुबह उठ कर मै इतना दौड़ सकता हूँ, तो उसके लिए ईवेंट में पैसे खर्च करने की क्या जरूरत है! कुछ लोग यह भी कहते हैं कि एक बार किसी हिल हाफ मैरेथॉन में जाओ या कोई बीच पर हाफ मैरेथॉन में जाओ| तो उसके लिए मै सिंहगढ़ पर कभी भी दौड़ सकता हूँ| समुद्र तट पर भी दौड़ सकता हूँ, उसके लिए ईवेंट की क्या जरूरत! शायद मेरे सोलो सायकलिंग के स्वभाव के कारण ऐसा लगता होगा| दूसरों की सोच इससे अलग भी हो सकती है और उनके लिए वह ठीक भी हो सकता है| मै जरूर मानता हूँ कि एक बार यह हाफ मैरेथॉन ईवेंट करने जैसी है, इसमें बहुत सीखने को भी मिला| लेकीन यह करने के बाद मै हाफ मैरेथॉन का फिनिशर बन गया, मेरे लिए एक ईवेंट के तौर पर यह बात फिनिश हुई| हाँ, कभी लगे तो वॉलंटीयर के तौर पर जरूर सहभाग लूँगा| यहाँ से मेरे रनिंग का एक नया स्तर शुरू हो गया| फुल मैरेथॉन की तैयारी शुरू हो गई!

अगला भाग: “भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ८: हाफ मॅरेथॉन से आगे का सफर

No comments:

Post a Comment

आपने ब्लॉग पढा, इसके लिए बहुत धन्यवाद! अब इसे अपने तक ही सीमित मत रखिए! आपकी टिप्पणि मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है!