Thursday, November 29, 2018

एचआयवी एड्स इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा के अनुभव: १. चाकण से केडगांव (८४ किमी)

१. चाकण से केडगांव (८४ किमी)
 

नमस्ते! हाल ही में महाराष्ट्र में १४ दिनों में ११६५ किलोमीटर की साईकिल यात्रा पुरी की| अब उसके अनुभव आपके साथ शेअर करता हूँ| संक्षेप में इस यात्रा की योजना कैसे बनी, यह बताता हूँ| मई २०१८ में योग प्रसार हेतु मैने साधारण सी एटलस साईकिल पर ५९५ किलोमीटर की यात्रा की थी| उस दौरान एक सामाजिक माध्यम के तौर पर साईकिल क्षमता का एहसास हुआ था| इस तरह की और यात्रा करने की इच्छा हुई| और साईकिल चलानी है तो किसी सामाजिक उद्देश्य और सामाजिक सन्देश के साथ ऐसी यात्रा करूँ, यह लगा था| परभणी के मेरे साईकिल मित्र डॉ. पवन चाण्डक कई सालों से एचआयवी इस विषय को लेकर साईकिल यात्रा करते हैं, कई एचआयवी बाल गृहों को सहायता भी करते हैं| इसके साथ मेरी पत्नि आशा पीछले दस सालों से एचआयवी क्षेत्र में कार्य कर रही है| इन दोनों बातों को मिला के इस साईकिल यात्रा की योजना बनी| १ दिसम्बर को विश्व एचआयवी निर्मूलन दिन है, तो उसके उपलक्ष्य में इस यात्रा की तैयारी की गई| यात्रा के उद्देश्य एवम् उसका स्वरूप पहले ही आपको बताया है|





Saturday, November 10, 2018

एचआयवी एडस इस विषय को लेकर जागरूकता हेतु एक साईकिल यात्रा

नमस्ते! पीछली बार मैने जब योग- प्रसार हेतु साईकिल यात्रा की थी, तब एक माध्यम के तौर पर साईकिल की क्षमता का अहसास हुआ था| साईकिलिंग तो अक्सर करता रहता हूँ, लेकीन सोचा कि अगर एक माध्यम के तौर पर साईकिल इतनी उपयुक्त है, तो क्यों ना किसी सामाजिक विषय को ले कर साईकिल चलाई जाए| जब ऐसा सोच रहा था, तो मेरे सामने दो बातें थी- मेरी पत्नि आशा एचआयवी- एडस इस विषय पर रिलीफ फाउंडेशन संस्था के साथ कई सालों से काम कर रही हैं| रिलीफ फाउंडेशन महाराष्ट्र राज्य एडस नियंत्रण सोसायटी के अन्तर्गत एचआयवी के बारे में जागरुकता और मायग्रंट वर्कर्स इन विषयों पर काम करती है| उसके अलावा परभणी के मेरे साईकिलिस्ट मित्र डॉ. पवन चाण्डक जी भी कई सालों से एचआयवी होनेवाले बच्चों के बाल गृहों को सहायता करते हैं| इन दोनों बातों को मिला कर महाराष्ट्र में एक सोलो साईकिल एक्स्पीडीशन की योजना बनाई| रिलीफ फाउंडेशन इस साईकिल यात्रा का को- ऑर्डीनेशन करेगा|‌ यह योजना इस प्रकार है|

हर सुबह लगभग ८०+ किलोमीटर साईकिल चलाऊँगा| एचआयवी होनेवाले बच्चों के बाल गृह चलानीवाली चार संस्थाओं में भेंट करूँगा| वहाँ चल रहा कार्य, वहाँ के कार्यकर्ताओं के अनुभव इस पर चर्चा होगी|‌ उसके अलावा बच्चों से गपशप और संवाद होगा| इसके अलावा दुसरी भेंट कार्यकर्ताओं से होगी| उनके अनुभव, उनकी सक्सेस स्टोरीज आदि पर चर्चा होगी| ये चार संस्थाएँ ऐसी है- पंढरपूर- पालवी प्रोजेक्ट, बीड- इन्फँट इंडिया संस्था, हसेगांव (लातूर)- सेवालय संस्था और अकोला- सर्वोदय एडस बालगृह|

इन संस्थाओं के बीच दूरी बड़ी है, इसलिए यात्रा के कई चरण होंगे| इस यात्रा में वहाँ के स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिलूँगा, एचआयवी एडस के बारे में जागरुकता से जुड़े ब्रॉशर्स लोगों को दूँगा| जहाँ अवसर मिलेगा, वहाँ मै छोटे ग्रूप के साथ चर्चा करूँगा- एचआयवी होनेवाले लोगों को ट्रीटमेंट का बेहतर लाभ मिले, इसलिए स्वास्थ्य का ख्याल कैसा रखना चाहिए, उसके लिए जीवन शैलि किस प्रकार की होनी चाहिए, योग और फिटनेस का इस सन्दर्भ में महत्त्व आदि पर बोलूँगा| मेरी साईकिल डायरी में ये अनुभव समाज के सामने रखूँगा| कितनी विपरित परिस्थिति में ये लोग कार्य करते हैं, यह समाज के सामने आना भी तो चाहिए|

उद्देश्य
१. अच्छा कार्य करनेवाले लोगों के अनुभव सुनना, उनसे मिलना और उनसे बातचीत करना, यह उनके लिए बहुत बड़ा 'पॉझिटीव्ह स्ट्रोक' होता है|
२. एचआयवी होनेवाले बच्चों के साथ उन्हे रिफ्रेश करनेवाला अनौपचारिक संवाद|
३. इस विषय के विविध पहलू, उसकी जटिलताएँ, दिक्कतें सामने रखना और समाज की जागरूकता बढाने की आवश्यकता पर बल देना|
४. विविध तरह की सक्सेस स्टोरीज और दिक्कतों से चल रहा संघर्ष समाज के सामने रखना|


यात्रा का रूट 

१४ नवम्बर को बाल दिन है| उस दिन पहले बाल गृह में पहुँचने की योजना है| इसलिए १२ नवम्बर को निकलूँगा| इस यात्रा में महाराष्ट्र के दस जिलों में साईकिल चलाऊँगा|

दिन १ १२ नवम्बर, सोमवार: चाकण से केडगांव: ८४ किमी
दिन २ १३ नवम्बर, मंगळवार: केडगांव से इंदापूर: ८५ किमी
दिन ३ १४ नवम्बर, बुधवार: इंदापूर से पंढरपूर: ७२ किमी
दिन ४ १५ नवम्बर, गुरुवार: पंढरपूर से बार्शी: ८२ किमी
दिन ५ १६ नवम्बर: शुक्रवार: बार्शी से पाली, बीड: १०४ किमी
दिन ६ १७ नवम्बर: शनिवार: बीड से अंबेजोगाई: ९० किमी
दिन ७ १८ नवम्बर: रविवार: अंबेजोगाई- लातूर- हसेगांव: ८४ किमी
दिन ८ १९ नवम्बर: सोमवार: हसेगांव से अहमदपूर: ७५ किमी
दिन ९ २० नवम्बर: मंगळवार: अहमदपूर से नांदेड: ६७ किमी
दिन १० २१ नवम्बर: बुधवार: नांदेड से हिंगोली: ९२ किमी
दिन ११ २२ नवम्बर: गुरुवार: हिंगोली से वाशिम: ५१ किमी
दिन १२ २३ नवम्बर: शुक्रवार: वाशिम से अकोला: ७६ किमी
दिन १३ २४ नवम्बर: शनिवार: अकोला से रिसोड: ९७ किमी
दिन १४ २५ नवम्बर: रविवार: रिसोड से परभणी: १०० किमी

कुल दिन १४ और कूल दूरी लगभग ११६५ किलोमीटर|

२५ नवम्बर को यह यात्रा समाप्त होगी| विश्व एचआयवी दिन अर्थात् १ दिसम्बर को मेरे अनुभव शेअर करूँगा| यह काम किस तरह चल रहा है, क्या दिक्कते हैं, इस पर लिखूँगा (जैसे संस्था के कार्यकर्ताओं को लोगों द्वारा मारना- पीटना, संस्था की इमारत गिरायी जाना और अन्य भी)| एचआयवी का मतलब सिर्फ लोगों को पता होनेवाली चार चीज़ें ही नही, बल्की उसमें कई जटिलताएँ होती हैं, एचआयवी होनेवाले व्यक्तियों की कई समस्याएँ होती हैं और उन पर सोल्युशन्स भी होते हैं (जैसे एआरटी थेरपी के साथ 'पॉजिटिव' जीवन शैलि) ये सब मै समाज के सामने रख सकूँगा| और किसी भी सामाजिक समस्या के पीछे गहराई में अज्ञान, गलत तरह की सोच, जागरुकता और दायित्व का अभाव होते हैं| उन पर भी चर्चा होने में सहायता होगी|
 

अगर आपकी जानकारी में इस यात्रा के रूट पर एचआयवी विषय पर काम करनेवाली कोई संस्था है, तो उसके बारे में आप बता सकते हैं| यात्रा शुरू होने पर हर दिन का अपडेट भी आपको देता रहूँगा| बहुत बहुत धन्यवाद|

मेरी पीछली साईकिल यात्राओं के बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं: www.niranjan-vichar.blogspot.com (मेरा मोबाईल नंबर:  094221088376)

इस साईकिल यात्रा का समन्वयन रिलीफ फाउंडेशन, भोसरी, पुणे द्वारा किया जा रहा है| सम्पर्क: 07350016571


Sunday, November 4, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ८ (अन्तिम): देवगड़ से वापसी...

८ (अन्तिम): देवगड़ से वापसी...
 

इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए|

कोस्टल रोड़ से कुणकेश्वर जाने के बाद अगले दिन सबके साथ और कुछ जगह पर घूमना हुआ| साईकिल के बिना देवबाग बीच और तारकर्ली बीच देखना हुआ| समय की कमी के कारण साईकिल पर और कहीं जाना नही हुआ| कम से कम देवगड़- आचरा बीच जाने की इच्छा थी| बीच के साथ कोंकण के अन्दरूनी गाँवों का दर्शन होता| पर वह सम्भव नही हो सका| पत्नि और बेटी साथ में‌ होने की वजह से वापसी के रूट पर कम से कम गगनबावडा तक जाने की इच्छा भी‌ अधूरी रह गई| उनके साथ ही जाना पड़ा| वैसे तो कुणकेश्वर- जामसंडे की सड़क पर जो तिखी चढाई आती है, वह मैने साईकिल पर पार की‌ थी| पीछली बार गाडी पर जाते समय यही चढाई गगनबावडा घाट से भी अधिक खतरनाक मालुम पड़ी थी| इसलिए गगनबावडा घाट साईकिल पर न जाने का मलाल नही हुआ| वैसे भी इन दिनों में इतनी चढाईयाँ पार की है कि एक घाट इतना मायने नही रखता है|‌ खैर|










Friday, November 2, 2018

साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ७: कोस्टल रोड़ से कुणकेश्वर भ्रमण

भाग ७: कोस्टल रोड़ से कुणकेश्वर भ्रमण
 

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१२ सितम्बर का दिन साईकिल चलाए बिना समाप्त हो गया| मेरी पत्नि और बेटी को लाने के लिए मुझे जाना पड़ा| इससे साईकिल यात्रा का और एक दिन कम हुआ| अब शायद सिर्फ एक ही दिन साईकिल चला पाऊँगा| मेरे रिश्तेदार, भाई और अब पत्नि- बेटी आने के बाद इस सुनसान घर में चहल पहल हुई है| अब यहाँ कुछ ठीक महसूस कर रहा हूँ| पुरानी यादें तो हैं ही, अब बेटी साथ होने से नई यादें भी जुड़ रही हैं| यह फार्म हाऊस समुद्र तट से लगभग नौ किलोमीटर दूर आता है| लेकीन सुना है कि जब बरसाती दिनों में भीषण बारीश होती है, समंदर में तुफान जैसी स्थिति बनती है, तब यहाँ तक उसकी गूँज सुनाई देती है| अगर इस बार तेज़ बरसात होती, तो यह मौका मिलता! इसके लिए बरसात के चरम समय में यहाँ आना होगा|