योग ध्यान के लिए साईकिल यात्रा २: पहला दिन- चाकण से धायरी (पुणे)
योग ध्यान के लिए साईकिल यात्रा १: असफलता से मिली सीख
२:
पहला
दिन-
चाकण
से धायरी (पुणे)
२८
सितम्बर| सुबह
जल्द उठ कर निकलना है|
आज पहला दिनहै, लेकीन
सामान बान्धना,
सब चीज़ें
साथ में रखना इसकी तैयारी पहली
की है| इसलिए
सुबह आराम से निकला|
मन बिल्कुल
शान्त है| कल
से कुछ भी तनाव नही है|
बिजनेस एज
युज्वल जैसा ही लग रहा है|
पूरा उजाला
होने के पहले पौने छे बजे निकला
हूँ| आज
का पड़ाव वैसे बहुत छोटा है|
पहले कई बार
यह दूरी पार भी की है|
करीब सवा
तीन घण्टों में पहुँचूंगा
ऐसी उम्मीद है|
सुबह
का सन्नाटा, हल्की
सी ठण्ड और ताज़गी!
और एक अन्जान
यात्रा का आरम्भ!
मन में अपनेआप
गीत गूँजने लगा-
तुम इतना
जो मुस्कुरा रहे हो,
क्या ग़म है
जिसको छुपा रहे हो!
उसके बाद
अपने आप पूरा गाना बजता गया
और मै सुनता गया|
अगर कोई
गाना- सिर्फ
उसके बोल नही,
उसका पूरा
संगीत अगर याद हो,
तो मन ही मन
ऐसा गाना सुनने में बड़ा मज़ा
आता है| इसके
बाद दूसरा गाना मन में बजने
लगा- तू
मेरे साथ साथ आसमाँ से आगे चल,
तुझे पुकारता
है तेरा आनेवाला कल,
नई हैं
मन्जिलें, नए
हैं रास्ते, नया
नया सफर है तेरे वास्ते!
|
पहली नदी- इन्द्रायणी! |
हाल ही में की गई कुछ राईडस याद आ रही है| भीमाशंकर की यात्रा विफल होने पर भी वहाँ मेरा स्टॅमिना बढ़ा था| और पैर भी बिल्कुल नही दुखे थे| और दूसरे दिन जल्द रिकवर भी महसूस कर रहा था| शायद ऐसा हो सकता है कि रनिंग से मेरा स्टॅमिना थोड़ा बढा जरूर होगा, लेकीन कुछ दिनों तक साईकिल लगातार न चलाई हुई होने के कारण पैर उतने तैयार नही थे| इसीलिए उस राईड में तकलीफ हुईं और मै बढ़ा स्टॅमिना साईकिल चलाने में महसूस नही कर पाया होऊंगा| लेकीन उसके बाद पीछले दिनों में जो छोटी २०- ३० किलोमीटर की राईडस की, उसमें धीरे धीरे पैर खुलते गए| और दूसरी यह बात भी है कि स्टॅमिना/ फिटनेस बढ़ाना भी कोई अचानक होनेवाली बात तो नही है| वह भी घाट का रास्ता चढ़ने जैसा ही है| धीरे धीरे ऊँचे स्तर पर जाना होता है| सीधा रास्ता नही होता| जो भी हो, आज और आनेवाले दिनों में पता चल ही जाएगा|
ऊर्जा
स्तर बनाए रखने के लिए यह पहले
से ही सोच रखा है कि पन्द्रह
बीस किलोमीटर बाद कुछ ना कुछ
खाता रहूँगा और पच्चीस-
तीस किलोमीटर
पर बड़ा नाश्ता भी करूँगा|
इसलिए पहले
पन्द्रह किलोमीटर पूरे होने
के बाद चिक्की खाई|
पानी में
भी इलेक्ट्रॉल डाल रखा है,
वही पीऊँगा|
पच्चीस
किलोमीटर पर आधा पड़ाव है|
वहाँ मेरे
मित्र के साथ हेवी नाश्ता
किया| इसके
बाद अब रास्ता हायवे से जाएगा|
हायवे से
जाने का एक थोड़ा टेन्शन भी है
और एक लाभ भी है|
टेन्शन यह
कि बड़े बड़े वाहन बड़ा हायवे
होने पर भी बहुत नजदीक से दौड़े
जाते हैं| साईकिल
के लिए कभी कभी जगह नही रहती
है| और
लाभ यह है कि इतने तेज़ी से
जानेवाले वाहन देख कर अन्जाने
में मन भी और तेज़ी से चलने की
कोशिश करता है|
अनकॉन्शस
मन में कंपिटीशन जैसी बात होती
है| इसलिए
अक्सर मैने अतीत में देखा है
कि हायवे पर रास्ता जल्दी पार
होता है| खैर|
अभी भी सुबह
के आठ ही बजे है,
इसलिए यातायात
कम है| आराम
से निकल पड़ा| अब
भी थोड़ी थोड़ी ठण्डक है!
एक जगह पर
हायवे पर धुन्द भी मिली!
धूप निकलने
के बावजूद धुन्द मिली|
अच्छा
नाश्ता करने का लाभ हुआ और
चालिस किलोमीटर के बाद भी
कोई थकान नही हुई|
उसी गति
से आगे बढता गया|
अब एक बहुत
छोटा पाँचवे ग्रेड का घाट
लगेगा| पहले
जब मेरा स्टॅमिना बहुत ही
अच्छा था, तब
मैने उसे २-१
पर पार किया था|
अब भी मै
कोशिश करूँगा कि उसी गेअर पर
उसे पार करूँ और देखते देखते
कर भी पाया| एक-
दो जगह पर
थोड़ी सी दिक्कत हुई,
लेकीन फिर
भी आराम से ही पहुँच गया|
समय रहते
९.४०
को धायरी, डिएसके
में पहुँच गया|
बीच में पौन
घण्टा रूका था,
तो ४९ किलोमीटर
की दूरी करीब करीब सवा तीन
घण्टे में ही पार की!
वाह!
लेकीन
अभी आज का दिन खतम नही हुआ है|
अब अच्छा
विश्राम करना है और फिर मेरा
रूटीन काम करना है|
फ्रेश हो
कर भोजन करने के बाद बहुत नीन्द
आने लगी| लेकीन
इसका कारण थकान नही,
बल्की कल
रात सोने में हुई देरी है|
रात में
मुश्कील से पाँच-
छह घण्टे
सोया था| इसलिए
दोपहर में थोड़ी देर लेटना पड़ा|
लेकीन उसके
बाद दिन अच्छा गया|
शाम को भी
एक बार साईकिल चलायी और इस हिल
के नीचे जा कर वापस आया|
भीतर से
बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ|
दिन कुल
मिला कर अच्छा ही गया,
लेकीन रात
में नीन्द ठीक न होने से नीन्द
की कमी महसूस हो रही है|
इसलिए रात
को बहुत जल्द सोना है|
एक एक मिनट
की नीन्द किमती है!
अब कल यहाँ
से लगभग पचास किलोमीटर दूर
होनेवाले पुणे जिले के भोर
गाँव जाना है|
देखते हैं|
पहला दिन
तो अपेक्षाकृत रहा|
और भाई के
घर में ही आने से एक तरह का
कम्फर्ट झोन भी है|
असली यात्रा
कल से शुरू होगी|
आज
की यात्रा-
४९
+
२
=
५१
किमी|
आज
चढाई कम थी|
अगला
भाग-
योग
ध्यान के लिए साईकिल यात्रा
३:
दूसरा
दिन-
धायरी
(पुणे) से
भोर
साइकिल की सवारी, सबसे न्यारी।
ReplyDeleteन प्रदूषण, न खर्चा।
टिप्पणियों के लिए धन्यवाद!!
ReplyDelete