दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . .
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . .
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . .
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . .
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २!
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . .
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५ दोस्ती साईकिल से १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
१२ अगस्त २०१४ को नई साईकिल से पहला शतक करने के बाद साईकिलिंग जारी रही| छोटी छोटी राईडस लगातार करता रहा| जल्द ही अगले शतक के लिए साईकिल उठायी| इस बार करीब ६० किलोमीटर दूर स्थित लोअर दुधना डैम देखने जाऊँगा| कुल मिला कर १२० किलोमीटर होंगे| लगातार कई दिन साईकिल चलाने के कारण अब शरीर काफी हद तक अभ्यस्त भी हो गया है|
१७ अगस्त की भोर में निकला| अब पंक्चर किट साथ में ले कर जा तो रहा हूँ, लेकिन उसका प्रयोग करना ही नही जानता! सुबह की ठण्ड में मेरे साथ और भी कुछ साईकिलबाज हैं जो कुछ देर तक साथ रहेंगे| चलने के कुछ देर बाद लगा की साईकिल की सीट और उपर करनी चाहिए जिससे पेडल पर अधिक बल आएगा| सीट अधिकतम ऊँची कर ली| शुरू में बैठने में और साईकिल चलाने में दिक्कत हुई| लेकिन जल्द ही जैसे पैर लय में आ गए, पहले से अधिक बल मिलने लगा| अधिक ऊँचाई से पैर नीचे आने के दो लाभ अब मिलेंगे- एक तो पेडल पर फोर्स अधिक होगा और दूसरा पैर पूरा नीचे आएगा और इसलिए घूटने में दर्द भी नही होगा| हालाकि अब इतनी साईकिलिंग करने के बाद कुछ गुर्र तो सीख गया हूँ| साईकिल चलाते चलाते बीच बीच में बारी बारी से एक एक हाथ और पैर को थोड़ा विश्राम भी देता हूँ| उतराई हो तब बारी बारी से पैर नीचे सीधा कर के रखता हूँ| बारीश तो नही है, लेकिन बारीश जैसा खुशनुमा मौसम जरूर है|