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Tuesday, July 23, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी- १४ (अन्तिम): जीवनशैलि में दौड़ने का अन्तर्भाव

१४ (अन्तिम): जीवनशैलि में दौड़ने का अन्तर्भाव
 

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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मुम्बई मैरेथॉन पूरी होने के बाद यह तय किया कि रनिंग तो जारी रखनी ही है, लेकीन महिने में एक लाँग रन करना है| तभी मैरेथॉन फिटनेस/ स्टैमिना बरकरार रहेगा| इसलिए जनवरी के बाद मार्च में एक बार २५ किलोमीटर दौड़ की और उसके बाद अप्रैल में २२ किलोमीटर दौड़ की| छोटे रन्स भी जारी रहे| और साईकिल चलाना,  चलना, योग, स्ट्रेंदनिंग आदि तो अब जीवन का हिस्सा बन चुके हैं| और अब उन्हे 'करने की' जरूरत नही पड़ती है| बल्की अब उन्हे न किए बिना चलता ही नही है|  



Friday, June 28, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी- ११: दोबारा नई शुरुआत

११: दोबारा नई शुरुआत
 

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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सितम्बर २०१८ में मेरी पहली फुल मैरेथॉन थी| २ सितम्बर को ३६ किलोमीटर दौड़ने से अच्छा हौसला आया| ३० सितम्बर के मैरेथॉन के पहले अब सिर्फ छोटे छोटे रन ही करने है| सिर्फ पैरों को हल्का सा अभ्यास देते रहना है| इसी दौरान मेरी साईकिल पर कोंकण जाने की योजना है| साईकिल रनिंग के मुकाबले बहुत हल्का व्यायाम है, इसीलिए ज्यादा सोचने की जरूरत नही समझी| सितम्बर में आठ दिन की साईकिल यात्रा कोंकण में की| वाकई यह बहुत रोमैंटिक यात्रा रही| एक तरह से एक सपना साकार हुआ| इस यात्रा से लौटते समय साईकिल वहीं पर रखनी पड़ी| बाद में उसे लेने के लिए जाना पड़ा| साईकिल यात्रा में तो नही, पर शायद उसके बाद की हुई कुछ यात्रा में कहीं इन्फेक्शन हो गया और मैरेथॉन के एक हफ्ते पहले वायरल बुखार हुआ| बाद में वीकनेस भी‌ आया| इसके चलते बड़े दु:ख के साथ महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में बूक की हुई मैरेथॉन रद्द करनी पड़ी| पहला मौका हाथ से गया| लेकीन इसका बहुत ज्यादा बुरा भी नही लगा| पहली बात मेरे विचार में ईवेंटस सिर्फ रिजल्ट डे होते हैं, परिणाम के दिन होते हैं| और परिणाम के दिनों से प्रक्रिया के दिन बड़े होते हैं| मैरेथॉन पूरी करने के स्तर तक मेरा स्टैमिना बढ़ गया था| अगर यह मैरेथॉन बूक नही करता तो वह नही हो पाता| भला मैच चूक गई, लेकीन मै मैच फिटनेस के करीब तो पहुँचा था| खैर|




Wednesday, May 15, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी: १० फुल मैरेथॉन फिटनेस के करीब

१० फुल मैरेथॉन फिटनेस के करीब
 

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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अगस्त २०१८ में फुल मैरेथॉन की तैयारी के लिए २५ किलोमीटर और ३० किलोमीटर के लाँग रन्स कर रहा था| सितम्बर के अन्त में फुल मैरेथॉन के लिए बूकिंग किया है| इसी दौरान मुंबई के फुल मैरेथॉन के लिए भी बूकिंग किया| लेकीन इसका उद्देश्य अलग था| पीछली बार २०१८ की मुंबई मैरेथॉन के फोटोज देखे थे तब लोगों को बांद्रा- वरली सी- लिंक पर दौड़ते देखा था| वैसे तो सी लिंक पर कभी साईकिल चलाने की या चलने की अनुमति भी नही होती है| लेकीन मैरेथॉन के समय यहाँ दौड़ सकते हैं| इसलिए इस मैरेथॉन में दौड़ने की इच्छा हुई| साथ ही यह बहुत प्रसिद्ध मैरेथॉन है, इसलिए भी इच्छा थी| जनवरी २०१९ की इस मैरेथॉन का बूकिंग किया था, लेकीन उसके पहले सितम्बर २०१८ की त्र्यंबकेश्वर मैरेथॉन की तैयारी कर रहा था|

५ अगस्त को ३० किलोमीटर दौड़ना था, २५ ही दौड़ पाया और अन्तिम पाँच किलोमीटर चल कर पूरे किए| इससे कुछ बातों पर गौर किया| २८ जुलाई के बाद एक हफ्ते के भीतर यह लम्बी दौड़ की थी| इसलिए अगला बड़ा रन चौदह दिनों के अन्तराल के बाद तय किया| साथ ही इंटरनेट पर कुछ जगह पर यह पढ़ा कि बीच बीच में रनिंग के बजाय कुछ दूरी चल कर पार की, तो उससे पैरों में कम दर्द होता है| इसलिए इस बार योजना बनाई कि हर आठ किलोमीटर के बाद का नौवा किलोमीटर चलूंगा|

Monday, May 6, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ८: हाफ मॅरेथॉन से आगे का सफर

८: हाफ मॅरेथॉन से आगे का सफर

डिस्क्लेमर: यह लेख माला कोई भी टेक्निकल गाईड नही है| इसमें मै मेरे रनिंग के अनुभव लिख रहा हूँ| जैसे मै सीखता गया, गलती करता गया, आगे बढता गया, यह सब वैसे ही लिख रहा हूँ| इस लेखन को सिर्फ रनिंग के व्यक्तिगत तौर पर आए हुए अनुभव के तौर पर देखना चाहिए| अगर किसे टेक्निकल गायडन्स चाहिए, तो व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर सकते हैं|

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फरवरी २०१८ में हाफ मैरेथॉन ईवेंट बेहतर तरीके से हुआ| अब निगाहें है फुल मैरेथॉन पर| लग रहा है कि जब सवा दो घण्टों में हाफ मैरेथॉन कर सकता हूँ, तो फुल मैरेथॉन भी कट ऑफ (७ घण्टे) के भीतर आराम से कर लूंगा| पहले तो फुल मैरेथॉन के डेटस देखे| पहला ओपन बूकिंग जून में था वो भी सातारा नाईट मैरेथॉन का| तब मेरे परिचित दिग्गज रनर्स का मार्गदर्शन लिया| और धीरे धीरे उनके मार्गदर्शन में कई सारी चीजें पता चली| और इसके साथ हाफ मैरेथॉन तक मेरी जो यात्रा बहुत अर्थ में ad hoc थी, वह धीरे धीरे व्यवस्थित होने लगी| मेरे रिश्तेदार और दिग्गज रनर परागजी जोशी ने मुझे विस्तार से बताया और कहा कि फुल मैरेथॉन के लिए मुझे पहले कोअर- स्ट्रेंदनिंग करना चाहिए| दौड़ने में शरीर के जो मुख्य अंग होते हैं- उन्हे मजबूत करना चाहिए| उसके लिए इंटरनेट पर विडियो देखे और जल्द ही वह करने लगा| स्टैमिना/ एंड्युरन्स सिर्फ ऊर्जा की नही, बल्की मसल्स मजबूत होने की भी बात है| इसके लिए उन मसल्स को सही‌ व्यायाम दे कर तैयार करना जरूरी होता है|

शुरू में ये एक्सरसाईज बहुत कठिन लगे| लेकीन ७- मिनट के ये एक्सरसाईज धीरे धीरे ठीक से करने लगा| और कुछ दिनों में उनके परिणाम भी मिले| मानो ऐसा लगा कि अगर ये एक्सरसाईज नियमित अन्तराल से (हफ्ते में दो- तीन बार) करता रहूँ, तो रनिंग में कुछ गैप हुआ, तो भी वह महसूस नही हो रहा है| मै जो ७ मिनट के ७ एक्सरसाईजेस कर रहा था वे ये थे- ४५ सेकैंड के स्ट्रेंदनिंग- बॉडी वेट स्क्वॅटस, बॅकवर्ड लंज, साईड लेग रेझ, प्लँक, साईड प्लँक, ग्लूट ब्रिज, बर्ड- डॉग एक्सरसाईजेस| हर एक्सरसाईज के बाद १५ सेकैंड का विराम| इसमें बहुत विविधताएँ भी हैं, विकल्प भी हैं| मुझे जो ठीक लगे, वो मै करता गया| उसके साथ योग- प्राणायाम- ध्यान में भी नियमितता लाई| क्यों कि सिर्फ वर्क- आउट करना ठीक नही, उसे सन्तुलित करने के लिए वर्क- इन भी करना चाहिए| साईकिलिंग तो चल ही रहा है|

Saturday, April 27, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ५: सिंहगढ़ पर रनिंग!

५: सिंहगढ़ पर रनिंग!
 

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इस लेख माला को शुरू से पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए|अगस्त २०१७ के अन्त में पहली निजी हाफ मैरेथॉन पूरी की| इससे काफी कुछ हौसला मिला| हालांकी अभी बहुत कुछ बाकी भी है| जैसे २१ के बजाय १९ किलोमीटर तक ही‌ दौड़ पाया था और समय भी बहुत ज्यादा लगा| जैसे जैसे रनिंग करता रहूँगा, वैसे इसमें सुधार होगा| लेकीन चाहे समय अधिक लगा हो, इस दौड़ से ज्यादा दूरी दौड़ने का हौसला जरूर आया| और यह सिर्फ शारीरिक नही‌ होता है| मन का टेंपरामेंट भी धीरे धीरे ही‌ आता है| किसी भी चीज़ को आगे बढ़ाना हो, तो उसके लिए कुछ उद्देश्य मन में रखने चाहिए| क्यों कि अक्सर अगर हमारे सामने टारगेट हो, तो ही हम कोशिश करते हैं| शायद मेरे सामने साईकिलिंग में सुधार करने का टारगेट न होता, तो मै कभी रनिंग भी नही करता!





Thursday, March 28, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी ३: धिमी रफ्तार से बढते हुए

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जून २०१७ की गर्मी में बहुत दिनों के बाद रनिंग किया| रनिंग सीख तो गया हूँ, लेकीन फिर भी अभी भी इतना आसान नही लगता है| जैसे साईकिल कभी भी चला सकता हूँ, सोचने की भी जरूरत नही है, वैसे रनिंग का नही है| लेकीन एक बार जिस चीज़ का स्वाद मिला हो, उसे कैसे छोड सकते हैं... इसलिए अगस्त में रनिंग में कुछ नियमितता आ गई| और मेरा रनिंग नियमित और अधिक व्यवस्थित होने में दो रनर मित्रों का बहुत योगदान रहा| उनके बारे में भी बताता हूँ| परभणी के एक मित्र हैं- संजयराव बनसकर जी| पेशे से स्कूल के शिक्षक हैं, लेकीन दिल से बहुत कुछ हैं! वे मेरे रनिंग के मित्र और मार्गदर्शक बने| हालांकी उनके साथ रनिंग करना कठीन था, क्यों कि वे तो मलझे हुए रनर थे| और मै बिल्कुल नौसिखिया था| फिर भी उनके साथ दौड़ने से हौसला बढ़ा| एक तरह से पार्टनरशिप सी शुरू हुई| रनिंग करने की मन की तैयारी होती गई|





Friday, January 25, 2019

“भाग दौड़" भरी ज़िन्दगी २: लडखडाते कदम

२: लडखडाते कदम
 

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मार्च २०१६ में एक साईकिल यात्रा की तैयारी के लिए पहली बार रनिंग शुरू की| इसमें बहोत सारी दिक्कतें आई| कई सालों से मेरी माँ कहती थी, भोर दौड़ने जाओ, लेकीन कभी मन नही हुआ| लेकीन जब २०१३ में साईकिल शुरू की थी, तब धीरे धीरे फिटनेस के प्रति लगाव होने लगा| बाद में साईकिल के ग्रूप्स में कई लोग रनिंग करते नजर आते थे| और साईकिल चलाने में स्टॅमिना बढ़ाने की बहुत इच्छा थी| तब जा कर रनिंग करना तय किया| क्यों कि रनिंग में कम समय में ही ज्यादा एनर्जी लगती है| आम भाषा में तो साईकिल चलाने से दोगुनी ऊर्जा लगती है| इसलिए अगर रनिंग का अभ्यास किया तो स्टॅमिना बढता है| और अगर रनिंग का अच्छा अभ्यास हुआ, रनिंग से स्टॅमिना बढा तो साईकिल चलाने में आसानी होती है| क्यों कि शरीर अगर अधिक थकान को आदि हो गया तो फिर साईकिल में वह कम थकता है| इस सोच से मार्च २०१६ में रनिंग का आगाज़ किया|