Saturday, March 19, 2016

दोस्ती साईकिल से २२: सिंहगढ़ राउंड ३ सिंहगढ़ पर फतह!


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!
दोस्ती साईकिल से: १९: हौसला बढ़ानेवाली राईडस!
दोस्ती साईकिल से: २०: इंज्युरी के बाद की राईडस
दोस्ती साईकिल से: २१: चढाई पर साईकिल चलाने का आनन्द


सिंहगढ़ राउंड ३ सिंहगढ़ पर फतह!

चढाई पर साईकिल चलाने का विश्वास बढ़ा है| अब बड़ी परीक्षा देनी है- सिंहगढ़! लेकिन तुरन्त सिंहगढ़ पर साईकिल चलाने की हिम्मत नही हुई| उसके पहले और थोड़ा अभ्यास करना चाहता हूँ| और राईडस जारी रही| राष्ट्रीय महामार्ग ४ पर कुछ राईडस की| टनेल के भीतर साईकिल चलाने का आनन्द लिया| टनेल के भीतर की लाईटस बन्द होने के कारण लगभग पूरे अन्धेरे में चलायी! फिर जैसे जैसे टनेल समाप्त होता है, धीरे धीरे रोशनी आ जाती है! सिंहगढ़ के बेस की राईड की| इस राईड के दौरान लगा कि साईकिल की गति अब भी कम है| राईडस का क्रम निरंतर जारी रखना चाहिए|






१६ मार्च २०१५! आज सिंहगढ़ की परीक्षा देनी है| पहली की तुलना में अब स्टैमिना बहुत बढ़ गया है| आज पता चल ही जाएगा| और राईड शुरू की| सिंहगढ़ के बेस के पास नाश्ता किया और आगे बढ़ चला| कोई भी परेशानी नही आ रही है| बिल्कुल आराम से- एफर्टलेस तरिके से- आगे बढ़ता जा रहा हूँ| चढाई की तुलना में गति भी अच्छी मिल रही है| धीरे धीरे सड़क उपर जा रही है और नीचे जमीन दूर जाने लगी| जहाँ सड़क में तेज़ चढाई है, वहाँ बहुत बायी तरफ या राँग साईड से जा रहा हूँ जिससे चढाई का कोण कम हो जाता है| पीछे देखने पर खडकवासला डैम का पानी और पुणे के उपनगर दिखने लगे| देखते देखते चालिस मिनट में चार किलोमीटर पूरे हो गए! यकिन नही हो रहा है! अब दो किलोमीटर की हल्की ढलान मिलेगी|

अद्भुत नजारे! जिसकी अब तक प्रतीक्षा थी, वह सिंहगढ़ पास आता जा रहा है! अब आखरी साढ़ेतीन किलोमीटर बचे हैं और चढाई शुरू हो कर सिर्फ पचास मिनट हुए हैं| शायद मै डेढ घण्टे के पहले उपर पहूँच जाऊँगा! जैसे यह पता चला, हौसला और बढ़ा| अब आखरी साढ़ेतीन किलोमीटर और यहाँ चढाई का कोण अधिक है| और इतनी चढाई चलने के कारण अब थकान होने लगी है| स्पीड कम होने लगी| अधिक बार रूकना पड़ रहा है| लेकिन साईकिल चलाने में कोई दिक्कत नही है| बस गति कम हुई है|









आखरी चरण में ज्यादा बार रूकना पड़ा लेकिन साईकिल पर ही उपर पहूँच गया! और समय देखा तो सिर्फ सवा घण्टा! खुशी का ठिकाना नही है! सिंहगढ़ साईकिल चलाते चलाते ही पहूँच गया- और सिर्फ सवा घण्टे में पहूँचा- ये दोनो बातें अविश्वसनीय सी लग रही है!! चाय पी, उपर से दिखनेवाले नजारे का आनन्द लिया और साईकिल शुरू की| अब उतराई का थोड़ा सा टेन्शन है| इस राईड में पहली बार चढाई के बजाय उतराई का टेन्शन हुआ! वाकई यह राईड मेरे लिए माईलस्टोन साबित होगी|








सिंहगढ़ की चढाई

लदाख़ में साईकिल चलाने के लिए सिंहगढ़ डेढ घण्टे में पार करना एक पात्रता मानी जाती है! तो अब मै लदाख़ में साईकिल चलाने के लिए पात्र हूँ! अब मैने क्वालिफाय कर लिया है! लेकिन इससे अब और आगे जाना होगा! शिखर पर कदम रखना आसान हैं, वहाँ बने रहना बहुत कठिन| यह स्टैमिना आगे जारी रखना होगा| अतीत में जब एक बार गोरखगढ़ का ट्रेक किया था, तब बड़ी मुश्किल से चोटी पर पहूँच गया था| वहाँ सचिन और राहुल द्रविड की याद आयी- जब शिखर पर ठहरना इतना कठिन है, तो वे सालों तक कैसे शिखर पर बने रहते हैं!!





अगला भाग २३: नई हैं मन्जिलें नए हैं रास्ते. . नया नया सफर है तेरे वास्ते. .

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