Thursday, March 24, 2016

दोस्ती साईकिल से २३: नई हैं मन्जिलें नए हैं रास्ते. . नया नया सफर है तेरे वास्ते. .


दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम
दोस्ती साईकिल से: १७: एक ड्रीम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार
दोस्ती साईकिल से: १८: तोरणमाळ हिल स्टेशन पर साईकिल ट्रेक!
दोस्ती साईकिल से: १९: हौसला बढ़ानेवाली राईडस!
दोस्ती साईकिल से: २०: इंज्युरी के बाद की राईडस
दोस्ती साईकिल से: २१: चढाई पर साईकिल चलाने का आनन्द
दोस्ती साईकिल से: २२: सिंहगढ़ राउंड ३ सिंहगढ़ पर फतह!


नई हैं मन्जिलें नए हैं रास्ते. . नया नया सफर है तेरे वास्ते. .

१६ मार्च २०१५ को सिंहगढ़ सवा घण्टे में करने के बाद हौसला बहुत बढ़ा| साईकिल पर लदाख़ यात्रा सम्भव लगने लगी| विश्वास आ गया| अब इस दिशा में आगे बढ़ना है| मेरे साईकिल गुरू नीरज जाट उसके लिए मार्गदर्शन दे रहे हैं| वे बता रहे हैं कि अब साईकिल का स्टैमिना बढ़ाने के साथ साथ साईकिल का रिपेअरिंग भी सीखना चाहिए| पंक्चर, गेअर सेटिंग, ब्रेक सेटिंग आदि आना चाहिए| यह भी तैयारी का उतना ही महत्त्वपूर्ण पहलू है|

अगले दिनों में साईकिलिंग चालू रहा| परभणी के आसपास की सड़कों पर कई अर्धशतक हो गए| परभणी के एक साईकिल मैकेनिक से सहायता ले कर रिपेअरिंग भी सीखना चालू किया| साईकिल के दोनो टायर्स कैसे अलग करते हैं, यह समझ लिया| दोनो टायर्स और सीट अलग करने पर साईकिल बिल्कुल अलग दिखाई देती है| इससे बस पर उसे ले जाने में भी सहायता होगी| अब साईकिल का मड गार्ड हटा दिया है| ट्रक पर जैसे लाल इंडीकेटर लगा होता हैं, वैसा ही इंडिकेटर साईकिल पर भी लगाया है जिससे रात में भी‌ साईकिल दूर से दिख जाए| हालाकि अब रिपेअरिंग भी पूरी सीखनी है|





बढे स्टैमिना में एक लम्बी पारी खेलना चाहता हूँ| वैसे मार्च की गर्मी तो है, लेकिन साईकिल चलानें में परेशानी नही आ रही है| शतक होने के बाद पाँच- छह माह हो गए हैं| इसलिए अब एक बड़ा शतक करना है| परभणी से १६४ किलोमीटर दूर स्थित विश्व प्रसिद्ध लोणार सरोवर तक जाने का प्लैन बनाया| शाम को वही रुकूँगा या फिर बस से वापस आऊँगा, ऐसा सोच रहा हूँ| २७ मार्च २०१५! क्रिकेट विश्व कप का अन्तिम मुकाबला! लेकिन भारत सेमी फायनल हार गया है, इसलिए अब मैच देखने में रस नही| आज तो मुझे मेरी पारी खेलनी है| सब कुछ ठीक रहा तो मेरी सबसे बड़ी पारी हो जाएगी|

सुबह निकलने के कुछ ही‌ देर बाद हवा कम हुई| साथ में पंप और पंक्चर किट है, इसलिए हवा भर दी| लेकिन फिर थोड़ी देर में कम हुई| यह तो पंक्चर है! मेरे पास पंक्चर का पूरा किट है, लेकिन अभी तक मैने पंक्चर बनाना सीखा नही है| थोड़ी हवा डाल कर साईकिल चलाता गया| जल्द ही एक मैकेनिक का दुकान मिला| पहले तो उसने साईकिल का पंक्चर निकलने से मना कर दिया| लेकिन जब मैने टायर अलग किया, पंक्चर का किट निकाला, पन्ने निकाले और जब टायर से ट्युब बाहर निकालने की कोशिश की, तो वह चौंक गया और फिर तैयार भी हुआ| मेरे पास इंतजाम पूरा है, इसलिए उसे कोई कठिनाई नही हुई| इस बार पंक्चर ठीक करने की विधि का सूक्ष्म निरीक्षण किया| इस चक्कर में एक घण्टा चला गया| अब क्या मै मेरी योजना के अनुसार आगे बढ़ पाऊँगा?

आगे कहीं भी दिक्कत नही आयी| फिर पंक्चर भी नही हुआ| अच्छी गति से आगे बढ़ता गया| धूप बहुत तेज़ हैं, लेकिन लिक्विड ओआरएस ले रहा हूँ| पानी भी बार बार पी रहा हूँ| दो- तीन घण्टे होने के बाद भी रफ्तार अच्छी रही| साढ़े पाँच घण्टों में- दोपहर के एक बजे मण्ठा नाम की जगह पहुँच गया| साढ़ेचार घण्टों में ७६.५ किलोमीटर पार किए हैं| यहाँ से लोणार सरोवर ४५ किलोमीटर दूर है| अगर जाता हूँ तो शायद वापसी की‌ बस नही मिलेगी| और मेरा एक घण्टा भी पंक्चर में चला गया है| घर से भी फोन आया कि शाम को कुछ काम है| इसलिए लोणार को जाने के बजाय यहीं से वापस चलता हूँ|




इस यात्रा का मैप- सड़क समतल थी

लौटते समय भी साईकिल ने पूरा साथ दिया| ओआरएस लेते रहने से क्रैंप भी नही आया, पैर भी नही थके| छोटे छोटे टारगेटस रख कर बढ़ता रहा| शाम ढलते ढलते परभणी में पहूँच गया| मेरा पहला डेढ शतक! १५३ किलोमीटर हो गए| आने के बाद फ्रेश हो कर थोड़ी देर कार चलायी और शाम को और ४ किलोमीटर साईकिल चलायी| हालाकि अब कुछ थकान और पैरों में दर्द महसूस हो रहा है| १५७ किलोमीटर हो गए! यकिन ही नही हो रहा है! अगर ऐसा ही स्टैमिना आगे रहा तो २०० किलोमीटर भी कर सकूँगा!



अगला भाग २४: अप्रैल की गरमी में १४८ किलोमीटर

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