Thursday, March 3, 2016

दोस्ती साईकिल से १७: एक ड्रिम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार

दोस्ती साईकिल से १: पहला अर्धशतक
दोस्ती साईकिल से २: पहला शतक
दोस्ती साईकिल से ३: नदी के साथ साईकिल सफर
दोस्ती साईकिल से ४: दूरियाँ नज़दिकीयाँ बन गईं. . . 
दोस्ती साईकिल से ५: सिंहगढ़ राउंड १. . . 
दोस्ती साईकिल से ६: ऊँचे नीचे रास्ते और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 
दोस्ती साईकिल से ७: शहर में साईकिलिंग. . . 
दोस्ती साईकिल से ८: सिंहगढ़ राउंड २! 
दोस्ती साईकिल से ९: दूसरा शतक. . . 
दोस्ती साईकिल से १०: एक चमत्कारिक राईड- नर्वस नाइंटी!  
दोस्ती साईकिल से ११: नई सड़कों पर साईकिल यात्रा!  
दोस्ती साईकिल से १२: तिसरा शतक- जीएमआरटी राईड 
दोस्ती साईकिल से १३: ग्रामीण सड़कों पर साईकिल राईड
दोस्ती साईकिल से: १४ "नई साईकिल" से नई शुरुआत
दोस्ती साईकिल से: १५: औंढा नागनाथ के साथ चौथा शतक
दोस्ती साईकिल से: १६: पाँचवा शतक- लोअर दुधना डैम


एक ड्रिम माउंटेन राईड- साक्री से नन्दुरबार

जब जून- जुलाई २०१४ में महाराष्ट्र के नन्दुरबार में फिल्ड एसाईनमेंट कर रहा था, तब कई बार आसपास के पहाड़ में साईकिल चलाने का सपना देखता था| सातपुड़ा पर्वत शृंखला वहाँ से दूर न थी! काफी डे ड्रिमिंग करता रहा| आखिर वैसा मौका आया| फिल्ड एसाईनमेंट के आखरी चरण में जाने के लिए परभणी से निकला तब साईकिल भी साथ थी| १७ अगस्त को अच्छा शतक होने से हौसला बढ़ा है| २० अगस्त की दोपहर को परभणी से निकला| यहाँ से सिधी बस नंदुरबार नही जाती है| नंदुरबार के पास साक्री नाम के गाँव तक जाती है| वहाँ तक साईकिल बस पर लाद कर ले जाऊँगा और वहाँ से साईकिलिंग शुरू करूँगा| पहली बार बस से इतनी दूर राईड के लिए साईकिल ले जा रहा हूँ!

रास्ते में जहाँ कभी देखने का मौका मिले, साईकिल की स्थिति देखने की कोशिश कर रहा हूँ| छाँव से पता चले की साईकिल सकुशल उपर बँधी है या किसी शोरूम की ग्लास से दिखे की साईकिल ठीक है, तब थोड़ा सुकून मिलता है| सरकारी बस के झटके साईकिल कैसे झेल रही होगी, यह प्रश्न जरूर मन में है! लेकिन यात्रा ठीक रही| अपेक्षाकृत सुबह चार बजे साक्री गाँव के बस अड्डे पर पहूँचा| अब पहला सवाल साईकिल नीचे उतारने का है| घोर रात होने के कारण बस बस अड्डे के बाहर ही रूकी है| साईकिल नीचे उतारने के लिए कोई भी नही है! मैने उपर जा कर उतारने का सोचा| लेकिन कोई आयडीया नही था| फिर कंडक्टर ने ही थोड़ी सहायता की| उसने उपर जा कर साईकिल नीचे मेरे हाथ में दी| जैसे तैसे साईकिल नीचे आ गई| वहाँ कुछ सैलानी बैठे हैं| उनकी सहायता माँगी, पर वे भौचक्के देखते रहें| खैर|









साईकिल की जाँच की| कुछ भी गड़बड नही है| सब ठीक है| टायर्स, ब्रेक, गेअर आदि सब सकुशल| अब भोर की रोशनी प्रतीक्षा करनी होगी| यहाँ से करीब ६७ किलोमीटर दूर मुझे पहूँचना है और वह भी सुबह के साढ़े नौ बजे तक| क्यों कि उसके बाद प्रोजेक्ट का शेड्युल तय है| इसलिए विश्राम करने का भी समय नही है| चाय- बिस्कुट का नाश्ता कर लिया और सवा पाँच होते होते साईकिल चालू की| रास्ता गूगल मैप पर ठीक से देख रखा है| सड़क सीधी ही जाएगी, बस दो- तीन मोड़ होंगे| और सड़क छोटी पहाडी से गुजरेगी, लेकिन बड़े घाट नही हैं| एक बहुत ही रोमँटिक राईड शुरू हुई!







करीब आधे घण्टे तक लगभग अन्धेरे में साईकिल चलायी| जैसे ही इंटेरिअर में जानेवाली सड़क लगी, आवाजाही एकदम कम हो गई| लेकिन बड़ा मज़ा आ रहा है| बरसाती मौसम की खुशनुमा सुबह! धीरे धीरे उजियाला हुआ और धीरे धीरे वाहन मिलने लगे| और अब बहुत सुन्दर नजारे भी शुरू हुए! गज़ब की बात तो यह है कि तेरह घण्टों की सिटिंग बस की यात्रा करने के बाद भी शरीर ताज़ा है| बिल्कुल भी थकान नही लग रही है| आज पहली बार समयसीमा में राईड कर रहा हूँ| साढ़े नौ तक नंदुरबार के थोड़ा आगे पहुँचना है! और रास्ते में रूकने योग्य कोई स्थान भी नही है, इसलिए आगे बढ़ता गया| यह इलाका मुख्य रूप से ट्रायबल बेल्ट है| लेकिन सड़क बहुत अच्छी बनी है| दूर विंड मिल्स दिखने लगी| एक के बाद एक पहाड़ उजागर हो रहे हैं|







अब तो यह सड़क विंड मिल्स के बीच में से ही गुजर रही है! पहले कभी विंड मिल को इतने करीब से नही देखा था| बड़ा मज़ा आया| विंड मिल के मशीन की हल्की सी गूँज! हालाकि बीच में एक छोटा क्लाइंब भी मिला| उसकी अपेक्षा नही थी| रूट पर मामुली सी चढाई देखी‌ थी| लेकिन तो यह एक छोटा ही सही, लेकिन क्लाइंब निकला| हालाकि गति अच्छी है और आगे ढलान भी मिलेगी| मन में स्वयं को अनेक बार धन्यवाद दे रहा हूँ कि ऐसी अपूर्व राईड करने की इच्छा हुई और यहाँ आ भी गया!







एक तिराहे पर सड़क पूछनी पड़ी| अब सड़क पर लोग भी दिखाई दे रहे हैं| निजामपूर नाम का एक कस्बा लगा| उसमें एक बाईकवाले ने साईकिल को तिरछी टक्कर मारी! सामने और आसपास न देख कर चलानेवाले लोग! हालाकि कुछ भी नही हुआ और बिना रूके आगे बढ़ा| अभी आधी दूरी तय की है और लगभग तीस किलोमीटर और बाकी हैं| अब धीरे धीरे कुछ खाने की इच्छा हो रही है| लेकिन यहाँ गाँव ही नही लग रहे हैं, होटल तो दूर| और एक चढाई और आयी! यह भी‌ एक छोटा सा क्लाइंब था| सबसे छोटे स्तर का क्लाइंब| अब शायद इसके बाद सिर्फ उतराई ही हो| लेकिन सड़क तो सीधा आगे जा रही है| सुन्दर नजारों के कारण धीरे ही सही, लेकिन अब थकान होने लगी है| आगे जाने पर आखिर कर ढलान शुरू हुई| अब यह ढलान कम से कम पन्द्रह- बीस किलोमीटर तक रहेगी|






रूट मैप


क्लाइंब

ढलान से और जोश आया और रफ्तार भी बढ़ गई| उसके कारण लगभग तीन घण्टों में पचास किलोमीटर पहूँच गया और एक जगह नाश्ते का होटल भी मिल गया|‌ जल्दी में नाश्ता कर लिया और आगे बढ़ा| नौ बज चुके हैं| अब भी ढलान जारी है, लेकिन आगे थोड़ी दूरी भी है| नन्दुरबार शहर पास आता गया| ढलान जारी रही| नन्दुरबार शहर क्रास किया और गन्तव्य स्थान पर पहुँचा| साढ़े नौ हुए हैं| अर्थात् मात्र सवा चार घण्टों में मैने यह ६७ किलोमीटर पूरे किए! विश्वास ही नही हो रहा है! देखा जाए तो बहुत बड़ी जोखम भी ली थी| अगर साईकिल पंक्चर होती तो समय पर पहुँच ही नही सकता था! लेकिन मैने मेरे इरादे को बल दिया और निकल आया! अब फ्रेश हो कर तुरन्त असाईनमेंट के लिए निकलना है| वहाँ के लोग भी चकित है- साक्री से नन्दुरबार साईकिल पर? अब आगे के पहाड़ बुला रहे हैं| और संयोग से उसी दिन सातपुड़ा के फिल्ड में ही जाना हुआ! सच में सपने जैसी राईड रही यह! मुझे कितनी सद्बुद्धी हुई यहाँ साईकिल लाने की!


अगला भाग १८: तोरणमाळ हिलस्टेशन पर साईकिल ट्रेक!

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (04-03-2016) को "अँधेरा बढ़ रहा है" (चर्चा अंक-2271) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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