Thursday, November 13, 2014

जन्नत को बचाना है: जम्मू कश्मीर राहत कार्य के अनुभव ९

राहत कार्य में सहभाग का मध्यान्तर: अनन्तनाग और पहलगाम

२०१० में कुपवाड़ा के फर्जी मूठभेड़ मामले में ५ सेना के व्यक्तियों को उम्र कैद घोषित होने का समाचार मिलने के पश्चात् अनुभव की अगली कड़ी लिख रहा हुँ. . . १२ अक्तूबर के सुबह ठण्ड काफी बढ़ चुकी है| हालांकि श्रीनगर में बर्फबारी होने में अभी समय है| आज के दिन का काम एक तो राजौरी में कल चर्चा किए गए प्रोपोझल्स बनाना है और उसके साथ दादाजी ने सेवा भारती के राहत कार्य को दर्शानेवाले व्हिडिओ के लिए कमेंटरी भी लिखने के लिए कहा है| और अब फिल्ड में जाना है|

सेवा भारती के दफ्तर में इन दिनों गिरनार चाय चल रही हैं| जिनको खाना बनाना आता हैं, ऐसे कार्यकर्ता नाश्ता- भोजन बनाते हैं| इसके साथ कुछ स्थानीय कार्यकर्ता भी भोजन बनाने का काम करते हैं| सुबह दादाजी आज अनन्तनाग जाएँगे यह बताया गया| थोड़ी देर में दादाजी ने मुझे भी तैयार रहने के लिए कहा| जरूर आज वहाँ कुछ फूड पॅकेटस, फर्स्ट एड सहायता बॉक्स, राशन, दवाईयाँ आदि सामग्री ले जानी है|

पता चला की आश्रम के स्वामीजी भी साथ आ रहे हैं| श्रीनगर के लाल चौक के पास रेसिडन्सी रोड़ पर यह आश्रम है- श्री चन्द्र चिनार बड़ा आखाडा उदासीन आश्रम| यहीं पर श्रीनगर शहर के चिकित्सा शिविर हुए, कार्यकर्ता भी यहीं ठहरें थे और कई बार भोजन के लिए भी यहाँ पर कार्यकर्ता आते हैं| आश्रम जा कर स्वामीजी साथ आए और कुछ सामग्री भी‌ गाड़ी में रखी गई| स्वामीजी से परिचय था; क्योंकि वे भोजन समय सेवा करते थे और स्पष्ट स्वर में भोजन पूर्व प्रार्थना भी बताते थे| उनके साथ एक फोटोग्राफर भी‌ है| और हमारे आज के चालक हिलालभाई हैं| दादाजी को आज के काम के बारे में पूछा तो उन्होने इतना ही बताया कि अनन्तनाग में सामग्री बाँटनी है और कार्यकर्ताओं से मिलना है| जैसे श्रीनगर से पाम्पोर- अवन्तीपुरा रोड़ पर निकले रास्ते पर जमा हुआ पानी दिखा| फ्लड का पानी अब भी जमा है और एक- दो जगहों पर तो अब भी पम्प द्वारा निकाला जा रहा है| कई मकानों और दुकानों को हुआ नुकसान भी दिखाई दे रहा है| बताया गया कि मिलिटरी युनिटस को भी‌ बड़ा नुकसान हुआ| कई आस्थापनों की दीवारें ढह गईं|

सुबह कुछ स्थानों पर बड़ी धुन्ध है| ठण्ड तो है ही| अवन्तीपुरा में मिलिटरी के कई लोग दिखे| यहाँ एक प्राचीन सौर मन्दीर भी है| संगम स्थान के पास बड़ा कोहरा है| यहाँ झेलम का एक अन्य नदी से संगम होता है| पूरी नदी कोहरे में है| कौनसी नदी कहाँ से आती है इस पर कुछ बात हुई| संगम के पास ही सड़क पर क्रिकेट बॅट बनानेवाले कई दुकान दिखे| केसर और सेब के भी कई बागान दिखे| पहला पड़ाव अनन्तनाग ही है| वहाँ एक कार्यकर्ता के घर जाना हुआ| उनसे वहाँ की आवश्यकता पूछ कर एक बोरी दी गई जिसमें राशन आदि है| इन कार्यकर्ता के घर पर ही एक मस्जीद है और वहीं मन्दीर भी है| अनन्तनाग में प्राचीन अनन्तनाग मन्दीर भी गए| वहाँ भी दादाजी के परिचित लोग है; उनका भी हाल पूछा और थोडी सामग्री इधर भी‌ दी|‌ मन्दीर के बाहर मिलिटरी के जवान खडे हैं|‌ अनन्तनाग बड़ा शहर है; लेकिन गलियाँ बड़ी संकरीं है| कई जगह भीड है और कुछ मॉब भी बड़ी आवाज में बातें कर रहा हैं|

यहाँ से एक सड़क किश्तवाड़ जाती है| दूर पीर पंजाल की चोटियों पर बर्फ दिख रहा है| अगला पड़ाव अचाबल के पास विवेकानन्द केन्द्र की कश्मीर शाखा है| यहाँ पर भी‌ आवश्यकता को देखते हुए कुछ सामग्री दी गई| कुछ देर रूकना भी हुआ| यहाँ एक रामकृष्ण मिशन का आश्रम भी है| बताया गया की इस आश्रम के हाल ही में पंचत्व में विलीन हुए स्वामीजी को मिलने के लिए फारूख अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती जैसी हस्तियाँ भी आती थी|

यह सब देखते हुए मन में सवाल आ रहा है कि क्या यह सामग्री बाँटना need based है? कुछ तरिके से आंकलन तो नही किया गया है| जहाँ जहाँ लग रहा है कि आवश्यकता है, वहाँ मदद दी जा रही है| सामाजिक विज्ञान तो कहता है कि पहले सर्व्हे करो; लोगों से मिल कर जरूरतों का मूल्यांकन करो; उनकी बातों से और निरीक्षण से जरूरतें तय कर उनके लिए काम करो| यहाँ ऐसा नही हो रहा है| और सम्भव भी नही है| राहत सरिखा काम करते समय कई काम इकठ्ठा करने होते है| सब कुछ किताबी तरिके से और परिपूर्णता में जा कर करने का समय नही होता| इसलिए common sense के आधार पर मदद बाँटी गई| और यदी कुछ सर्व्हे जैसे साधन का भी प्रयोग करते; तो उस पर भी निर्भर तो होना ही पड़ता| कुछ भी साधन/ तकनीक हो; तो उसपर यकीन करना पड़ता| शायद इससे अपने कॉमन सेन्स और समझ का सहारा लेना ठीक है|

कई काम इकठ्ठा हो रहे हैं; इसलिए दादाजी जगह जगह कार्यकर्ताओं और मित्रों से मिल भी‌ रहे हैं| आगे पहलगाम जाना है| रास्ते में ही मट्टन या मार्तण्ड गाँव है; अत: उसे भी देखने गए| यहाँ जाने के पहले छत्तीसिंगपूरा गाँव लगा जिसकी कल ही‌ बात हुई थी! कल उस समय उम्मीद नही थी कि अगले दिन सीधे उसी गाँव में‌ जाना होगा| दादाजी ने वहाँ जाने पर पूछा देखो कितने सरदार हैं| वाकई कई सारे सरदार दिखाई‌ दे रहे हैं| आगे मार्तण्ड में प्राचीन मन्दीर से सटा हुआ गुरूद्वारा भी‌ है| इसे पाँच मिनिट में देख लिया|

आगे लिद्दर नदी के पास से गुजरनेवाली सड़क से पहलगाम की ओर जाना हुआ! जगह जगह बर्फानी बाबा और हर हर महादेव लिखा है| यात्रा सीजन तो सितम्बर के पहले ही समाप्त हुआ था| एक बार लगा कि यहाँ भी कुछ कार्यकर्ताओं के पास जाना है| लेकिन वहाँ स्वामीजी का काम है और हमारी गाड़ी उन्हे ले जा रही है| वहाँ के एक होटल में उनके कोई परिचित है; जिनसे उनका कुछ काम है| एक तरह से आज राहत कार्य से हट कर अलग ही यात्रा हो रही है| मन में एक बार विचार आया कि ऐसा नही होना चाहिए| पर सोचा कि अच्छा काम करने के लिए एकाध दिन ब्रेक भी लिया तो कोई गलत नही है| इसीलिए फिर उस पर्यटन का आनन्द लिया| कश्मीर जाने के लिए निकला तब मित्र बोल भी‌ रहे थे कि तुम वाकई राहत कार्य के लिए जा रहे हो या पर्यटन के लिए? आज उनकी बात कुछ समय के लिए सच होगी! वैसे आनेवाले कई कार्यकर्ता आखरी एक- दो दिन घूमने गए थे| जब पहले बार दादाजी से मिलना हुआ, तब वे कुछ कार्यकर्ताओं को लदाख दिखाने के लिए लेह में ही बात कर रहे थे! उसी समय एक तरह से लदाख का स्मरण दर्शन हो गया (जैसे कभी कभी स्मरण स्नान करना पड़ता है; वैसे ही स्मरण दर्शन होता है!); आज पहलगाम की सुन्दरता देखना का अवसर है!

पहलगाम में वाकई अद्भुत नजारा है| चारों दिशाओं में  बर्फाच्छादित चोटियाँ और पास में ही लिद्दर की गर्जना| जिस होटल में कुछ समय रूके वह एक थ्री स्टार होटल है| काफी रमणीय बना हुआ है| वाकई शान्ति छायी है| होटल के अन्दर धीमे स्वर में बजाया जा रहा लाईट इन्स्ट्रुमेंटल म्युझिक भी इस शांति को और प्रगाढ बना रहा है. . . स्वामीजी के कारण इस बड़े ही हाय- फाय होटल में भोजन के लिए रूके| दादाजी इस महंगे होटल को बडे एंजॉय कर रहे हैं और वेटर लोगों को सेवा भारती के बारे में बता रहे हैं|

बाद में होटल के मालिक ने बताया की यहाँ पर भी आपदा ने कहर बरपाया है| पहलगाम में नुकसान कुछ भी नही हुआ; पर यहाँ का पूरा बिजनेस अब ठप पड़ा है| होटल में कई लाखों का बूकिंग हुआ था; सब कैंसल हुआ| अगर ग्राहक नही आए तो यह बड़ा सा हाय- फाय होटल चलाना लोहे के चने चबाने जैसा होगा| दिवाली के बाद ग्राहक आएँगे ऐसी उम्मीद वे कर रहे हैं| उनके श्रीनगर के होटल भी सुनसान है|‌ आपदा ने कॉरपोरेट क्षेत्र पर भी बड़ा कहर ढाया है|

लौटते समय लिद्दर पार कर के एक दूसरे रास्ते से बिजबेहेड़ा गए| सुनने में आया कि इस इलाके में आतंकियों का और अलगाववादियों का बड़ा क्षेत्र है| टुरिस्ट वाहन यहाँ से जाते हैं तो लोगों को कॅमरें बन्द करने के लिए और शीशें उपर रखने के लिए कहा जाता हैं और टुरिस्ट वाहन बीच में रुक भी नही सकते है| बिजबेहेड़ा से आगे फिर अवन्तीपुरा और पाम्पोर पहुँचे| एक जगह एक दादाजी की परिचित दिदी है; उनके घर गए| उनके पिताजी विवेकानंद केंद्र का काम करते थे| उनके घर में भी काफी नुकसान हुआ है| पहली मंजिल पर तो सब बह गया| जैसे तैसे वहाँ वे रह रहे हैं| दादाजी से उनका पुराना नाता है| वाकई दादाजी सबके दादाजी हैं! उनके यहाँ केसरयुक्त चाय मिली| यहाँ भी सामग्री की एक बोरी दी|

श्रीनगर में लौटते समय शाम हो गई है| आज का आधा दिन काम में और आधा दिन पर्यटन में गया| कश्मीर के कुछ दूसरे स्थान यात्रा हुई| शाम को दफ्तर में लौट कर कुछ देर दवाईयों को लगाने का काम हुआ| रात में डॉक्टर लोग भी आए- डॉ. प्रज्ञा दिदी और डॉ. अर्पित| कल वे जा रहे हैं| साथ में कई कार्यकर्ता भी है| स्थानीय लड़कें और लड़कियाँ भी आज दफ्तर में रूकेंगे| रात इकठ्ठा बैठ कर गुणदर्शन का कार्यक्रम भी हुआ| कई कार्यकर्ताओं ने गाए गाने यादगार लगे| कश्मिरी गाना- 'लब पे आती है बन के दुवाएँ तमन्ना मेरी' बढिया लगा| सभी ने कुछ ना कुछ गाया| 'बुम्बरो बुम्बरो शाम रंग बुम्बरो शाम रंग बुम्बरो आए हो किस बगिया से ओ ओ तुम' और कुछ कश्मिरी गाने भी गाए गएं जो वाकई सुन्दर लगे| उनकी मिठास के क्या कहने| दादाजी और चाचूजी ने जोक्स बताए और सहभाग लिया| जब डॉ. प्रज्ञा दिदी से अनुभवों के बारे में पूछा तो उन्होने इतना ही बताया कि बहुत कुछ सीखने को और देखने को मिला| कार्यकर्ताओं के बोलने में आ रहा था कि कुपवाड़ा में कुछ लोग अलगाववादियों से ताल्लुकात रखते हैं| इसलिए वहाँ जा कर शिविर लेना बड़ी बात है|

आज प्रोपोजल और कमेंटरी बनाने का काम नही हुआ| वह कल होगा| देखते हैं|
दरिया ए जेलम और पानी का स्तर



































अनन्तनाग मन्दीर























मार्तण्ड में मन्दीर और गुरुद्वारा

पहलगाम में लिद्दर नदी


पाम्पोर के कार्यकर्ता का क्षतिग्रस्त घर
अटका हुआ पानी और पहाड़ पर किए जानेवाले जुल्म


क्रमश

जन्नत बचाने के लिए अब भी सहायता की आवश्यकता है. . .   
सहायता हेतु सम्पर्क सूत्र:
SEWA BHARTI J&K
Vishnu Sewa Kunj, Ved Mandir Complex, Ambphalla Jammu, J&K.
www.sewabhartijammu.com 
Phone:  0191 2570750, 2547000
e-mail: sewabhartijammu@gmail.com, jaidevjammu@gmail.com




1 comment:

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