जम्मू क्षेत्र में राहत कार्य
.
. आज
आपदा के लगभग दो महिने बाद जब
यह लिख रहा हुँ तब किसी के मन
में सवाल आ सकता है कि क्या
वाकई इतना लिखना चाहिए?
इसकी
आवश्यकता है भी?
इसकी
आवश्यकता जरूर है|
क्यों
कि जम्मू कश्मीर में राहत
कार्य में सहभाग लेते समय कईं
बातें देखने में आई|
इन
बातों को समझना और अधिक से
अधिक लोगों तक पहुँचाना आवश्यक
है|
यह
लिखते समय कश्मीर में कुछ जगह
प्रदर्शन हो रहे हैं|
मिलेटरी
द्वारा फायरिंग में कुछ दिन
पहले दो युवां के मारे जाने
के बाद काफी लोगों ने उसका
विरोध किया|
मिलेटरी
ने भी गलती मानी और उन जवानों
पर कानूनी कारवाई की|
सीआरपीएफ
के प्रति भी कुछ लोग नाराज
हैं| पर
कश्मीर के लिए यह नया नही है|
वहाँ
हमेशा ही कुछ ना कुछ तनाव होता
है| वहाँ
के कश्मिरीयों से-
स्टेट
सब्जेक्ट होनेवाले कश्मिरियों
से पूछेंगे तो वह कहते है कि
यह मसला तो रोज का है;
कुछ
ना कुछ चलता है|
कश्मीर
के लिए तो यह business
as ususal है|
फिर
भी ऐसीं बातें अस्वस्थ करती
हैं|
८
अक्तूबर की सुबह जम्मू बिलकुल
शांत है|
कल
की तुफानी बरसात का आसमान में
कोई चिह्न नही है|
लेकिन
अब जमीन पर काफी चिह्न दिख रहे
हैं| पेड़
टूटा है;
जगह
जगह रखी चीजें बिखर गईं हैं;
खिडकियों
को नुकसान हुआ है;
बाहर
वाहनों को भी नुकसान हुआ है|
लेकिन
अब मौसम बिलकुल साफ है|
आज
के दिन में रिपोर्ट एवम्
पाम्प्लेट को फायनल करना है|
वैसे
तो वह बन गया है;
कुछ
छोटे करेक्शन्स चल रहे हैं|
फोटो
डाले जाने हैं|
सुबह
के कार्य के क्रम में इसी पर
दादाजी के साथ बातचीत हुई|
इस
तरह का काम जब करते हैं;
तो
सावधानी बरतनी पड़ती है|
राहत
कार्य के कई सारे पहलू होते
हैं| चाहे
चार- पाँच
पेज का ही रिपोर्ट हो,
उसमें
सब बातें सम्मीलित करनी होती
हैं|
इसलिए
उस पर अब भी काम चल रहा है|
और
कुछ जानकारी ऐसी है जो रेडिमेड
उपलब्ध नही है|
उसके
लिए सम्बन्धित कार्यकर्ताओं
से बात करनी है|
और
जब बार बार उस ड्राफ्ट को देखते
हैं तो नए सुझाव सामने आते
हैं|
इसलिए
कुछ रिवर्क भी होता है|
इस
काम में भी काफी कुछ सीखने
सरिखा है|
जम्मू
क्षेत्र के सीमा से सटे इलाकों
में कुछ दिनों से फायरिंग हो
रही है|
इसके
कारण कुछ गाँवों के लोगों को
पलायन भी करना पड़ा|
ऐसा
ही एक इलाका अरणिया सेक्टर
है| पहले
वहाँ बरसात के कारण लोगों को
दिक्कतें झेलनी पड़ी|
अब
उनके घरों के पास फायरिंग हो
रही है|
आज
कुछ डॉक्टर अरणिया सेक्टर
जाएँगे और वहाँ चिकित्सा शिविर
लेंगे|
लोगों
से बातचीत करेंगे और उनका
हौसला बढाएँगे|
सेवा
भारती कार्यालय में एक कम्प्युटर
इन्स्टिट्युट भी है|
उसमें
कम्प्युटर के कई पाठ्यक्रम
चलाए जाते हैं|
सुबह
से वहाँ के छात्र आने लगे|
दफ्तर
में काम करनेवाले कार्यकर्ताओं
से भी परिचय हुआ|
संस्था
की सचिव अनसूया मॅडम से भी परिचय हुआ|
दादाजी
का परिचय कराने का तरिका अनुठा
है| किसी का परिचय कराते समय वे कहते
हैं, ये
है यहाँ की चौकीदार|
क्यों
कि वो दिदी दफ्तर का काम देखती
है| रवि
जी को वे साईकल मास्टर कहते
हैं,
क्यों
कि रवि जी बड़े ऑल राउंडर हैं;
सभी
तरह के काम करते हैं-
खाना
बनाना,
दफ्तर
देखना,
सामान
खरिदना,
राहत
कार्य में लोगों से मिलना,
सरकारी
अफसरों से मिलना,
बड़ी
गाडी ले कर लोगों को देर रात
रिसिव्ह करना और छोडना आदि
आदि. .
सब
साथियों से दोस्ती हुई|
रिपोर्ट
के लिए जानकारी इकठ्ठा हो रही
है| दोपहर
इसी में चली गई|
अब
वहीं वहीं रिपोर्ट पर फिर काम
करने में बड़ी कठिनाई हो रही
है| कई
बार लगता हैं कि रिपोर्ट बन
गया; पर
जब और लोग उसे देखते हैं तो कई
चीजें नईं डालनी पड़ती हैं;
कई
बदलनी पड़ती है|
ऐसे
में मन असहकार करता है|
एक
काम होता है एक घाव दो टुकडे
करनेवाला|
उसमें
कोई अड़चन नही आती है|
पर
ऐसे काम तो बड़े धैर्य के साथ
करने पड़ते हैं|
बार
बार ठीक करने पड़ते है|
कठिनाई
के बावजूद एक बात पक्की कि
जितना रिवर्क हो रहा हैं,
उतना
ही अधिक पहलूओं का आंकलन हो
रहा है|
जम्मू
क्षेत्र में भी आपदा ने बड़ा
नुकसान किया|
तवी,
चिनाब
और अन्य नदियों का पानी कई
गाँवों में फैला था|
उधमपूर
में लैंड स्लाईड भी हुआ|
देखा
जाए तो मानवीय क्षति जम्मू
क्षेत्र में ही ज्यादा है|
जम्मू
क्षेत्र के जम्मू,
उधमपूर,
राजौरी,
पूँछ
आदि जिले भी काफी प्रभावित
हुए थे|
राजौरी
जिले के नोशहरा गाँव में शादी
पर जा रहे बारातियों की बस बाढ़
की चपेट में आ गई और लगभग ४४
लोगों की मौत हो गई|
जम्मू
में तवी पर बन्धा एक पूल टूटने
के कारण पानी की धारा दिशा बदल
कर गाँवों की तरफ मूड गई|
अत:
कई
गाँव पूरी तरह तबाह हो गए|
समाज
के अलग अलग हिस्सों को काफी
क्षति झेलनी पड़ी|
किसानों
को बड़ा नुकसान हुआ|
सेवा
भारती ने यथा सम्भव सहायता
की|
बाद
में जम्मू क्षेत्र का अधिक
दायित्व जम्मू राहत सेवा समिति
को दिया और सेवा भारती ने कश्मीर
क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिया|
यद्यपि
अधिक ध्यान चिकित्सा शिविरों
पर दिया जा रहा हैं,
कपडें,
फूड
पॅकेटस जैसी कुछ सामग्री भी
बाँटी गई|
बाढ़
के बाद आनेवाले ठण्डे मौसम
को देखते हुए कई गाँवों में
कम्बल भी बाँटे गएँ|
इसके
बारे में ताज़ा जानकारी और अभी
तक के रिपोर्टस सेवा भारती के फेसबूक पेज पर मिल सकते
हैं|
आज
शाम को हमें मिल के खाना बनाना
है| संस्था
में सभी काम साथ करना होता है|
आज
रसोई का दायित्व हम तीन-
चार
लोगों पर है|
अपने
अपने हुनर के हिसाब से काम
बाँट लिया|
प्लैन
बनाया और काम शुरू हुआ|
रवि
जी भी मार्गदर्शक के तौर पर
साथ में है|
साथ
में खाना बनाते समय बड़ा मजा
आ रहा है|
अलग
अलग शैलियों का मिश्रण हो रहा
है| खाना
तैयार होने तक अरणिया गए
डॉक्टर और साथी भी लौटें|
उन्होने
बताया कि वहाँ शिविर लेने से
लोगों को अच्छा लगा|
आज
भी फायरिंग हुई और फायरिंग
के कारण शिविर को जल्द समाप्त
करना पड़ा|
रात
में खाना खाते समय सभी साथी
अपने अनुभव शेअर कर रहे हैं|
कुछ
युवा साथियों के मन में कई
सवाल हैं|
कश्मीर
में देश के अन्य इलाकों से अलग
हालात क्यों हैं,
तनाव
क्यों होता हैं,
ऐसे
उनके सवालों का समाधान दादाजी
कर रहे हैं|
दादाजी
ने उनकी जानकारी के लिए संक्षेप
में कश्मीर का इतिहास बताया|
स्वतंत्रता-
१९४७
और उसके पहले की स्थिति के
बारे में भी प्रकाश डाला|
कश्मीर
यह मूलत:
अध्यात्म
साधना की भूमि है|
यह
सामान्य आवास का क्षेत्र नही
था| कश्यप
ऋषी के साधना के कारण इसे कश्मीर
नाम मिला|
मध्य
युग में यहाँ कई आक्रमण हुए
और धीरे धीरे मूल हिन्दु जनता
मुस्लीम बन गई|
उन्नीसवी
शताब्दि में महाराजा रणजितसिंह
के समय में एक बार कश्मीर के
लोग उनके पास गए और फिर से
हिन्दु होने की इच्छा उन्होने
बतायीं|
तब
कश्मीर के पण्डितों ने कहाँ
कि यदि वे हिन्दु होते है तो
धर्म डूब जाएगा और इसलिए उन्होने
ऐसा नही होने दिया|
इसके
कारण कश्मीर में मुस्लीम आबादी
बढती गई और स्वतंत्रता आने
तक जम्मू-
कश्मीर
राज्य में मुस्लीम अधिक मात्रा
में बन गए|
फिर
कश्मीर के देश के विलय से
सम्बन्धित बातें;
तत्कालीन
भारत सरकार द्वारा की गई
गलतियाँ,
कश्मीर
के लोगों को गुमराह करने के
प्रयास और उन्हे लाचार बनाए
रखने की केंद्र सरकार की नीति
पर चर्चा हुई|
कश्मीर
के करीब पाँच जिलों में आज भी
कुछ लोग भारत को शत्रू जैसा
समझते हैं|
आर्मी
को दुश्मन मानते हैं|
पर
यह पूरी सच्चाई नही हैं|
जम्मू-
कश्मीर
का जम्मू क्षेत्र अलग सोच रखता
है| वह
भारत से नाता रखता है|
बौद्ध
बहुमत का लदाख क्षेत्र भी
भारत से गहरा जुड़ा है|
कश्मीर
वादी में भी कई जिलों में भारत
के प्रति आत्मीय भाव है|
और
एक तरह से देखा जाए तो जहाँ पर
भी कुछ कटुता हैं;
कुछ
कडवाहट हैं;
वह
मात्र कम्युनिकेशन गॅप के
कारण है|
यदि
लोग एक दूसरे से मिलेंगे नही;
एक
दूसरे को जानेंगे ही नही;
एक
दूसरे को ठीक से समझेंगे नही,
तो
धीरे धीरे दूरी बढती है|
और
पूर्वग्रह या मिसकन्सेप्शन्स
दोनों तरफ होते हैं|
कितने
भारतीय ऐसे होंगे जो कश्मिरीयों
के बारे में जाने अनजाने में
गलत सोचते होंगे;
जैसे
हम लोग नॉर्थ ईस्ट के भाई-
बहनों
को चिनी समझ लेते हैं|
तो
इस पूरी समस्या का मूल कारण
आपस में संवाद की कमीं और मिलना-
जुलना
कम होना है और समाधान भी इसी
सूत्र में छिपा हैं|
हिन्दु-
मुस्लीम
यह भेद तो बहुत उपरी है|
किसी
को मजहब के नजर से देखना गहरी
सोच नही है|
ये
तो महज लेबल जैसे हैं|
जैसी
की डीग्री होती है|
कोई
बीए डीग्रीवाला होता है तो
कोई दसवीं पढ़ा हुआ होता है|
जिंदगी
वहीं रूकती नही हैं|
यात्रा
आगे भी जाती है|
अब
जो जिस डीग्री का पढ़ा लिखा
होगा,
उसे
उसी डीग्री के नजरिए से तो
नही देखा जा सकता है!
इसलिए
चाहे हिन्दु घर में जन्म हुआ
हो या कोई मुस्लीम पृष्ठभूमि
में बड़ा हुआ हो,
यह
भेद उपरी ही है|
सच्चाई
तो अधिक गहन है|
इन्सान
होना यह बड़ी सच्चाई है|
जैसे
हम यदी किसी नीचले स्थान पर
खडे हों तो हमें दूर के शिखर
नही दिखेंगे|
जैसे
हम धीरे धीरे ऊँचाई पर बढने
लगते हैं;
दूर
के शिखर दिखाई पडने लगते हैं|
इसी
लिए बात लेबल की नही हैं;
दृष्टि
की है|
और
इस यात्रा पर एक एक कदम चलने
की है|
और
चाहे कितना भी तनाव हो;
कितने
भी मतभेद हो;
कटुता
हो; युवा
पिढी में यह दृष्टि बढती हुई
देखी जा सकती हैं.
. .
.
. . विस्तार
से बातचीत होने के बाद सभी के
मन में पनप रहें प्रश्नों का
समाधान हुआ|
भोजन
पश्चात् गुजरात की डॉ.
प्रज्ञा
दिदी द्वारा लाया गए छाछ का
सभी ने आनंद लिया|
रिलिफ
कार्य गम्भीर जरूर हैं;
पर
उसे करते हुए हर समय गम्भीर
मुद्रा रखने की जरूरत नही है|
यहीं
काम मुस्कुराते हुए भी किया
जा सकता है और यही हो रहा है|
दादाजी
के कार्य की एक विशेषता
यह भी है कि वे वातावरण को
बड़ा रिलॅक्स्ड रखते हैं|
बीच
बीच में नोक-
झोंक
भी होती रहती है|
उससे
थकें शरीर रिचार्ज होते हैं|
आज
रात आसमाँ बिलकुल साफ है|
पर कल भी
दस बजे तक आसमाँ साफ था और फिर
अचानक जैसे तुफान बरसा|
लेकिन
आज देर रात तक मौसम साफ है.
. .
सेवा भारती के प्रवेश द्वार पर अन्दर की तरफ यह लिखा हुआ है| |
राजौरी जिले के नौशेरा गाँव में सेवा भारती ने सहायता पहुँचाई| फोटो- https://www.facebook.com/sewabhartijk |
क्रमश:
जन्नत बचाने के लिए अब भी सहायता की आवश्यकता है. . .
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बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteसार्थक पहल ....
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