राजौरी के रास्ते श्रीनगर
११
अक्तूबर को प्रात:
५
बजे जम्मू से श्रीनगर के लिए
निकले|
इतनी
सुबह रवि जी ने कड़क चाय बना
दी|
बनिहालवाले
रोड का हाल अभी भी ठीक नही
है| इसलिए
मुघल रोड से जाएँगे|
अन्धेरे
में जम्मू से बाहर अखनूर रोड
पर निकले|
एम्ब्युलन्स
में कल शाम ही सारा सामान
डाला है|
दवाईयाँ
है और कल आए हुए लाईटस हैं|
मै,
दादाजी
और चाचूजी है जो गाड़ी चला रहे
हैं| आज
राजौरी में सेवा भारती के कुछ
कार्यकर्ताओं से मिलना है|
वहाँ
भी राहत कार्य चल रहा है|
७
अक्तूबर में आयी बारीश के बाद
मौसम साफ है|
लुभावनेवाली
ठण्ड है|
अखनूर
के पास रास्ते में बहुत अधिक
धुन्द है|
ऐसा
लग रहा है जैसे बादलों से गुजर
गए| फिर
धीरे धीरे सूरज ने आ कर ऊर्जा
प्रदान की|
दादाजी
से कल-
परसो
हुई चर्चा आगे हुई|
दादाजी
कहते हैं कश्मिरी पण्डितों
में स्वयं को श्रेष्ठ मानने
का एक भाव होता है जो हर समाज
में नही होता|
इसलिए
वे स्वयं को सबसे अलग मानते
हैं|
कश्मीर
को विशेष मानने का मूल इसी
विचारधारा में है|
बात
तो सही है|
लेकिन
सिर्फ कश्मिरी पण्डित ही
क्यों;
सभी
लोग कम अधिक मात्रा में यही
सोचते हैं|
जब
भी हम कहीं एक दूसरे से मिलते
हैं तो हम में से कितने लोग
'मेरा
जॉब फलाँ फलाँ है;
मै
ऐसी ड्रायव्हिंग करता हुँ;
मैने
ऐसी ऐसी दुनिया देखी है'
आदि
बातों द्वारा स्वयं का श्रेष्ठत्व
ही तो बताते हैं|
या
फिर 'मेरा
भारत महान'
धारणा
हो, या
'सारे
जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ'
भी
यही तो सोच हैं|
भारत
महान और सारे जहाँ से अच्छा
क्यों क्यों कि वह मेरा है!
खैर|
इन
सब बातों को समझते समय एक बात
जरूर ध्यान में रखनी चाहिए|
एक
पुरानी कहानि है कि कुछ अन्धे
लोग हाथी के पास गए|
उन्होने
हाथी क्या है,
यह
समझने का प्रयास किया|
जिसका
हाथ सूंड को लगा,
उसे
हाथी सूंड जैसा लगा|
जिसका
हाथ पूछ को लगा,
उसे
हाथी डोरी जैसा लगा|
ऐसा
यहाँ भी है|
हम
जिन चीजों को देखते है या समझ
पाते है वे मात्र एक छोटा सा
टुकड़ा है|
सच्चाई
बहुत गहन और व्यापक होती है|
इसलिए
दादाजी कहते है कि कहीं पर कोई
जजमेंट मत करो;
चीजों
को समझने का प्रयास करते रहो|
दादाजी
ने यह भी कहा कि अब कश्मिरी
मुसलमानों की सोच बदल रही
है| कुछ
हद तक पहले से ही उनकी सोच
अलग होती है|
कश्मीर
में महिलाएँ बुर्का कम ही
पहनती है|
महिलाओं
के प्रति इतना पक्षपात यहाँ
नही है|
और
युवा पिढी में तो एक परिवार
में दो या तीन तक ही बच्चें
होते हैं|
युवा
पिढी अधिक डायनॅमिक है|
कश्मीर
के क्रीम क्लास से आनेवाले
सभी युवा जम्मू,
दिल्ली
या भारत के अन्य शहर या विदेश
में पढ़ते हैं|
जाहिर
है उनकी सोच थोड़ी बढेगी|
पर
इसमें दिक्कत यह भी है कि ऐसे
शहरों में पढ़ने के बाद उनका
कश्मीर से नाता एक तरह से
कुण्ठित होता हैं;
वे
सेटल बाहर ही होते हैं.
. .
दादाजी
ने आगे के कार्य की रुपरेखा
भी बतायी|
अब
धीरे धीरे डॉक्टरों के शिविर
कम होंगे|
इसके
बाद एम्ब्युलन्स- मोबाईल क्लिनिक को चलाना
है| उसके
लिए देशभर से डॉक्टर बारी बारी
से आए,
यह
प्रयास चल रहा है|
साल
में पचास हप्ते होते है|
देश
के अलग अलग स्थानों से एक एक
हप्ते के लिए भी डॉक्टर आते
है तो भी एम्ब्युलन्स साल भर
चल सकती हैं|
अर्थात्
उसके साथ ड्रायव्हर और मेंटेनन्स
का भी प्रबन्ध करना है|
अभी
इस दिशा में कई लोगों से बात
चल रही है|
और
उसके पश्चात् राहत के लिए
जितनी सहायता सेवा भारती के
पास आती रहेगी,
उतना
उसका काम चलता रहेगा|
यहाँ
ध्यान में रखना चाहिए कि सेवा
भारती धरातल तक पहुँची हुई
एक स्थानीय एनजीओ है|
वो
मात्र जरिया बना|
राहत
कार्य के कार्यकर्ता आम जनता
से आए और देशभर की जनता से आए;
राहत
सामग्री या दवाईयाँ आदि भी
बाहर से आया|
अत:
आगे
जितना आएगा उतना काम जारी
रहेगा|
इसके
साथ आजीविका के लिए भी कुछ काम
करना है|
लोगों
को आजीविका फिर से शुरू करने
के लिए क्या कर सकते हैं इस पर
विचार हो रहा है|
राजौरी
में इस विषय पर भी चर्चा होगी|
दादाजी
यह जरूर मानते हैं कि बाहर से
सहायता ले कर निरन्तर नही काम
कर सकते हैं|
पर
स्थिति की आवश्यकता देखते
हुए बाहर से थोड़ी मदद तो लेनी
होगी|
एक
शुरुवात होने पर काम आगे बढ़
सकता है|
राजौरी
पहुँचने तक अच्छी धूप खिली
हुई है|
जगह
जगह मिलिटरी के युनिटस दिखे|
राजौरी
में राणे हेलिपॅड ऐसा बोर्ड
दिखा|
यह
जरूर राघोबा राणे नाम के जवान
के स्मरण में होगा जिसने १९४७
के युद्ध के समय राजौरी की
रक्षा के लिए जान दी थी|
कश्मीर
एक विशाल भूमि है-
बलिदान
की- शौर्य
की और राजनीतिक नासमझी की
भी| खैर|
राजौरी!
जम्मू
क्षेत्र का एक मुख्य जिला|
गाँव
बड़ा हैं;
पर
रास्ते छोटे और संकरी गलियाँ|
यहाँ
सेवा भारती जम्मू-
कश्मीर
के उपाध्यक्ष रहते हैं|
उनके
ही घर जाना है|
यहाँ
सेवा भारती की राजौरी शाखा
चलती हैं हालांकि उसकी बॉडी
अलग है|
सेवा
भारती का प्रयास है कि एक
एम्ब्युलन्स राजौरी में भी
चले| यहाँ
के दूर दराज गाँवों में बाढ़
से काफी नुकसान हुआ है|
इसलिए
एम्ब्युलन्स चलेगी तो लोगों
को मदद मिलेगी|
यहाँ
पहले चरण में शिविर चलाए गए
हैं| इस
एम्ब्युलन्स के संचालन का
दायित्व राजौरी के सेवा भारती
सदस्यों ने देखना चाहिए,
ऐसा
दादाजी मानते हैं|
इसके
लिए कहाँ से फंड्स मिल सकते
हैं, यह
भी देखा जा रहा है|
जिन
लोगों के घर टूटे है या नष्ट
हुए हैं,
उनके
लिए भी कुछ फंडस चाहिए जो उन्हे
घर बनाने में थोडी सहायता कर
सकें|
इसके
लिए प्रस्ताव बनाए जा रहे हैं|
आजीविका
के लिए एक प्रस्ताव यह है कि
ठेले या स्टॉल के साथ लोग अपना
दुकान फिर से शुरू कर सकते
हैं|
इसलिए
इन प्रस्तावों पर थोड़ा विचारमन्थन
कर उन्हे सम्भाव्य सहायता
करनेवाली संस्थाओं के पास
भेजना है|
श्रीनगर में
अजित कदम की राउंड टेबल फाउंडेशन नाम
की एक पुणे की एनजीओ कई
एम्ब्युलन्सेस चला रही हैं
ऐसा सुनने में आया|
गूँज
भी कार्यरत है|
गूँज
ने कुछ दवाईयाँ सेवा भारती
को दी भी है|
राजौरी
में मोहनलाल जी के घर काफी
बातचीत हुई और अच्छा नाश्ता
भी हुआ|
आगे
रास्ते पर थाना मंडी से सड़क
छोटी होती है|
शायद
श्रीनगर का मुख्य रास्ता बन्द
और जाम होने से काफी छोटे वाहन
यहाँ से ही जा रहे हैं और इसलिए
रास्ते की स्थिति थोडी बिगड़ी
हुई दिख रही है|
डीकेजी
नाम से एक जगह है|
यहाँ
से दूर पहाड़ पर कुछ सफेद चमक
दिखाई दे रही है|
क्या
यह बर्फबारी है?
आगे
जा कर ही पता चलेगा|
वहाँ
से बाफ्लियाज तक सड़क नीचे
उतरती है|
बाफ्लियाज
से मुघल रोड शुरू हुआ|
नजारा
अद्भुत है|
वाकई
सामने चोटी पर बर्फबारी हुई
है!
रास्ते
में भी दादाजी इस पूरे अभियान
के लिए लोगों से बात कर रहे
हैं| आगे
भी डॉक्टर आए इसलिए एनएमओ और
अन्य डॉक्टरों से बात कर रहे
हैं|
दादाजी
की आयु करीब सत्तर के पास है;
पर
वे है बहुत सक्रिय और युवा
जैसे!
ईमेल,
लॅपटॉप
और व्हॉटस अप जैसे साधनों का
भी बड़ा उपयोग करते हैं|
सभी
स्थानों का समन्वयन वही करते
हैं और बच्चों जैसी सरलता से
कहते हैं,
'हम
तो कुछ नही करते बीरे!'
बातचीत
में यदि उनसे कुछ अनावश्यक
प्रश्न पूछा जाए-
जैसे
क्या किश्तवाड़ से हिमाचल जाने
का रास्ता ठीक है या फिर बनिहाल
रोड़ कब तक खुलेगा-
तो
वे दो टूक कहते हैं,
ऐसे
बेकार के सवाल मत पूछो|
होगा
नही होगा,
उससे
क्या होगा?
ऐसी
नोक झोक चलती रहती है|
बड़ा
मजा आता है|
दादाजी
कश्मीर को बेहद अन्दर से जानते
हैं|
लदाख,
झांस्कर
समेत सभी जगह रहें है|
साँस
लेने पर दाढी में बर्फ जमती
हो ऐसे ठण्डे मौसम में भी रहे
हैं| एका
बात छत्तीसिंगपूरा की निकली|
२००१
में जब बिल क्लिंटन भारत आए
थे, तब
छत्तीसिंगपूरा में आतंकवादियों
ने ३६ सीक्खों का कत्ल किया
था| दादाजी
ने बताया की यह गाँव अनन्तनाग
जिले में है और अब भी सीक्ख
परिवार यहाँ रहते हैं|
पीछले
बार श्रीनगर गया था तब ही पता
चला था की,
अनन्तनाग
तो अधिकृत नाम है;
स्थानीय
लोगों की बोली में इसे अब
इस्लामाबाद कहा जाता है क्योंकि
अलगाववादियों ने उसे इस्लामाबाद
कहना चालू कर दिया|
खैर|
पीर
की गली पास आते आते नजारा और
बड़ा होता गया|
पीर
की गली में अच्छी खासी बर्फ
मिली|
यह
दोपहर न हो कर सुबह होती तो
बर्फ हाथ में लिया जा सकता था|
अब
इसके बाद सीधा उतराई है|
शोपियाँ
और पुलवामा के रास्ते श्रीनगर|
रास्ते
में एक बार दादाजी की कुपवाड़ा
में शिविर ले रही डॉ.
प्रज्ञा
दिदी से बात हुई|
उनको
शायद कुछ कठिनाई आ रही थी|
गाँव
में रूकना या श्रीनगर लौटना
इस पर वे विचार कर रही थी|
तब
दादाजी ने फैसला उन्ही पर
सौंपा और कहा कि आपको जो ठीक
लगता हो वह करो|
दादाजी
लोगों को बखूबी पढ़ते है और
उन्हे काम भी देते है|
कई
बार सिनिअर लोगों को निर्णय
दूसरे के हाथों में सौपना नही
आता है|
लेकिन
दादाजी व्यक्ति को परख कर
निर्णय उसे करने देते हैं|
आवश्यक
हो तो वे सिर्फ अपनी राय देते
हैं|
श्रीनगर
पहुँचने में शाम के पाँच बज
गए| लेकिन
नजारा और अन्दरूनी कश्मीर
देखने के आनन्द में देर का पता
नही चला|
अभी
दफ्तर में कुछ स्थानीय कार्यकर्ता
है-
जावेदजी,
नज़ीरभाई
और संस्था के मयूरभाई,
मुरैना
के सुरेंद्र त्यागी जी,
फार्मसिस्ट
चेतनजी और वर्मा जी भी कुपवाड़ा
से पहुँच गए हैं|
शायद
उनका वाहन वहीं बन्द पड़ने के
कारण उन्हे वापस आना पड़ा|
आज
रात शायद डॉक्टर लोग कुपवाड़ा
से दूसरे वाहन से लौटेंगे|
श्रीनगर
में गाडी सर्विसिंग की दिक्कत
है| वाहन
पानी के चपेट में आने के कारण
तीन महिनों तक सभी सर्विस
सेंटर्स बूक हो चुके हैं|
अब
या तो उस वाहन को किसी प्रकार
चालू कर जम्मू तक ले जाना पड़ेगा|
खैर|
अब
कार्यालय एकदम सुनसान लगता
हैं| चार
दिन पहले यहाँ कई डॉक्टर लोग
थे; आश्रम
में भी कई कार्यकर्ता ठहरे
थे| लेकिन
अब तो बहुत से लोग वापस जा चुके
हैं| और
डॉक्टर शायद दो ही है|
इसलिए
श्रीनगर में रेसिडन्सी रोड़
पर आश्रम में शिविर कुछ दिन
नही हो सका|
लेकिन
दूसरे डॉक्टर आते ही होंगे|
अब
आगे फिल्ड में जाना है|
और
आज राजौरी में हुई चर्चा के
अनुसार कुछ प्रस्ताव भी बनाने
हैं|
सुरेंद्र
जी ने बनाया हुआ व्हिडिओ बहुत
अच्छा है|
इस वर्ष बर्फ का प्रथम दर्शन! |
क्रमश:
जन्नत बचाने के लिए अब भी सहायता की आवश्यकता है. . .
सहायता हेतु सम्पर्क सूत्र:SEWA BHARTI J&K
Vishnu Sewa Kunj, Ved Mandir Complex, Ambphalla Jammu, J&K.
www.sewabhartijammu.com
Phone: 0191 2570750, 2547000
e-mail: sewabhartijammu@gmail.com, jaidevjammu@gmail.com
No comments:
Post a Comment
आपने ब्लॉग पढा, इसके लिए बहुत धन्यवाद! अब इसे अपने तक ही सीमित मत रखिए! आपकी टिप्पणि मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है!