राहत
कार्य सहभाग का अन्तिम दिन
१८
अक्तूबर की सर्द सुबह|
शंकराचार्य
मंदीर देखने के लिए जल्दी उठें
और करीब सवा पाँच बजे बाहर भी
निकले|
डॉ.
देसाई
सर और मै दोनो पैदल निकले|
यहाँ
से करीब तीन किलोमीटर पर दल
लेक के पास शंकराचार्य हिल
की चढाई शुरू होती है|
वह
साढ़े पाँच किलोमीटर की चढाई
है|
अर्थात्
कुल दूरी करीब आठ किलोमीटर
होगी|
अर्थात्
जाने में करीब दो-
ढाई
घण्टे लगेंगे|
करीब
चार घण्टों में लौटना है और
नौ बजे के बाद आश्रम के शिविर
के लिए तैयार होना है|
यह
यात्रा काफी सुन्दर रही|
सवेरे
के घने अन्धेरे की ठण्ड में
टॉर्च के साथ चल दिए|
रास्ता
मालुम ही हुआ था|
सुबह
ट्रॅफिक न के बराबर है|
अन्धेरे
में भी चोटी पर स्थित शंकराचार्य
मंदीर का प्रकाश दिशा दिखा
रहा है|
अन्धेरे
में ही दल लेक शुरू हुआ|
करीब
सवा छह बजे मंदीर की ओर जानेवाले
रस्ते पर पहुँचे|
मंदीर
एक बड़ी चोटी पर है और सुरक्षा
के कारणों से वहाँ शाम को पाँच
बजे के बाद जाने की अनुमति नही दी
जाती|
इसलिए
सुबह जल्द जाना तय किया|
उजाला
आना शुरू ही हो रहा है|
वहाँ
सीआरपीएफ की पोस्ट है|
वहाँ
के जवान ने अन्दर जाने की अनुमति
नही दी|
कहा
कि साढे छह बाद आओ|
मिलिटरीवालों
से अनुरोध करना नही चाहिए;
लेकिन
न रह कर कहा गया कि,
आरती
तो सुबह चार से ही चालू होती
है,
फिर क्यों नही जाने दे रहे हैं?
उसने
बड़े ही मिठे और प्यार भरे स्वर
में कहा कि आरती तो शाम को आठ
बजे भी होती है;
फिर
भी हम किसी को नही जाने देते!
कुछ
समय दल लेक के किनारे टहलें|
अभी
अन्धेरा है;
इसलिए
दल लेक नही देख सकते|
हालांकि
वहाँ होने का अनुभव भी काफी
है|
स्ट्रीट
लाईट
की रोशनी में एक बॅनर दिखा-
सेव्ह
गाजा|
कुछ
देर बाद वहाँ रूक कर आगे बढ़े|
साढे
छह बजे आगे बढ़ने की अनुमति
मिली|
और
जाने के लिए क्यो रोका यह तुरन्त
स्पष्ट हुआ|
आगे
रास्ता जंगल से हो कर जाता है|
धीरे
धीरे दल लेक और श्रीनगर नीचे
छूट गया|
मन्दीर
परिसर के दो वॉचमेन उपर जा रहे
हैं;
उन्होने
हमे देख कर तुरन्त पूछा कि
कैमरा है क्या?
पहले
मन में डर लगा कि क्या ये
कॅमेरा ले लेंगे?
क्यों
कि मन्दीर में मोबाईल कैमरा
भी ले जाना मना है|
हालांकि
मन्दीर अभी बहुत उपर है|
वास्तव
में उन्होने एक भालू देखा है|
और
थोड़ी ही देर में हमें भी दिखा!
सड़क
एक जगह पार कर वह जंगल में चला
गया!
इन
दो वॉचमेन के साथ चार बड़े कुत्ते
भी हैं|
उन्होने
हमें उनके साथ ही रहने के लिए
कहा|
बाद
में सड़क पर भालू की बड़ी टट्टी
भी दिखाई पड़ी|
तब
अन्दाजा हुआ कि क्यों उस जवान
ने हमें प्रकाश आने से पहले
आगे नही बढने दिया|
रास्ता
एकदम अच्छा है|
पर
उन लोगों के निर्देशानुसार
हम लोगों ने एक जगह पक्की सड़क
को छोड कर शॉर्ट कट लिया|
यह
बिलकुल जंगल के बीच से और सिधी
चढ़ाई पर जा रहा है|
लेकिन
इससे हमारी दूरी कम हो गई और
समय भी बच गया|
करीब
पन्द्रह मिनट तेज चढाईभरे
रास्ते से बढ़ने पर पक्की सड़क
तक पहुँच गए|
तब
तक नीचे का कुछ भी नही दिखाई
दे रहा है|
बाद
में एक जगह से अच्छा नजारा
दिखा|
दूर
पीरपंजाल में बरफ दिखाई दे
रही है|
जल्द
ही मंदीर पहुँच गए|
वहाँ
मोबाईल्स रखने पड़े|
यहाँ
से २५०
कदम उपर मन्दीर है|
उपर
मन्दीर बहुत शान्त है|
वहीं
शंकराचार्य की साधना गुफा भी
है|
उपर
से बहुत रमणीय नजारा दिखा|
एक
तरह से पूरे कश्मीर वादी का
दर्शन हुआ|
एक
तरफ पीरपंजाल कि बर्फाच्छादित
चोटियाँ,
दूसरी
तरफ सोनमर्ग की दिशा में भी
धवल चोटियाँ दिखी|
दक्षिण
में भी बरफ दिखाई
दे रही है|
काफी
रोमांचक रहा वह अनुभव|
मोबाईल
नीचे रखने के कारण फोटो नही
खींच सके|
आते
समय भी सड़क पर घना कोहरा लगा|
फिर
शॉर्ट कट से आए|
तेज
ढलान पर उतरना थोड़ा कठिन है;
फिर
भी उतर गए|
एकदम
नीचे आने पर ही कोहरा चला गया
और फिर दल लेक का मनोहारी दर्शन
हुआ|
वाकई
यह एक दरिया है!
शिविर
के लिए थोड़ा लेट होने की सम्भावना
के कारण दल लेक पर कुछ दूरी चल
के ऑटो कर ली|
उतरते
समय पैर में मोच आयी है|
इसलिए
चलने में थोड़ी कठिनाई हो रही
है|
खैर|
आज
अन्तिम शिविर है;
कल
सवेरे श्रीनगर से जो निकलना
है|
डॉक्टर
सर कह रहे है कि मेरे जाने के
पश्चात् वे इस शिविर को अकेले
सम्भलेंगे|
वे
सम्भल तो सकते हैं;
पर
उसमें समय जाएगा|
क्यों
कि वे जब तक रुग्ण को देखते
हैं;
तब
तक हम लोग दवाईयाँ निकालते
हैं|
इसलिए
मेरे स्थान पर कोई कार्यकर्ता
उनके साथ होना चाहिए|
शिविर
यथा क्रम हुआ|
इतने
दिनों के शिविरों में करीब
एकजैसे ही रुग्ण आते रहें|
कुछ
लोगों को बाढ़ के कारण त्वचा
या चेहरे पर दाग आते हैं|
बदन
दर्द होता है|
एक-
दो
बार डॉक्टर सर ने इन्जेक्शन
भी दिए;
लेकिन
वे रुग्ण द्वारा स्वयं लाए
गए थे|
आज
सत्तर रुग्ण आए|
कई
दिनों से रोज यहाँ आते रहने
के कारण यहाँ पर एक जुड़ाव हो
गया है|
चिनार
का यह विशाल वृक्ष!
लेकिन
अब चलना है|
वापस
जाते समय घुटने में काफी दर्द
होने लगा|
चल
तो सकता था;
पर
रफ्तार एकदम धिमी हो गई|
और
डॉक्टर सर जिनकी आयु ६४ हैं;
बिलकुल
फिट हैं!
उनके
पैर बिलकुल भी नही दर्द कर रहे
हैं|
खैर|
दोपहर
में थोड़ी देर पैरों को आराम
दिया|
थोड़ा
ठीक होने के पश्चात डॉक्टर
सर के साथ दवाईयों को लगाने
का काम किया|
कार्यकर्ताओं
से बातचीत भी हो रही है|
आज
डॉक्टर सर गांदरबल जाएँगे|
कल
सुबह वहीं वे शिविर लेंगे|
और
पवनजी तो कल ही चले गए हैं|
इसका
मतलब आज यहाँ बस तीन लोग रूकेंगे|
शाम
को अब तक के शिविरों का संक्षिप्त
रिपोर्टिंग भी कर दिया|
आगे
डॉक्टर सर उसे मेंटेन करेंगे|
शाम
को कार्यकर्ताओं से मिलना
हुआ|
नज़ीर
भाई,
फयाज़
भाई,
हिलाल
भाई,
बिलाल
भाई,
जावेद
भाई आदि सब से एक बार मिलना
हुआ|
जावेद
भाई का तो गाना भी रेकॉर्ड कर
लिया है!
वाकई
उनके गाने में एक भाव है|
थोड़े
से दिनों में ही ये सब लोग दोस्त
बन गए थे|
कई
दिन साथ रहें|
साथ
में काम किया और किमती पल साथ
बिताए.
. .
सबके
जाने के बाद दफ्तर सुना हो गया
है|
रह
रह कर मन में कल की बातचीत आ
रही है|
अंकलजी
और एक कार्यकर्ता द्वारा बतायी
गई और भी कुछ बातें याद है|
एक
कार्यकर्ता ने कहा था कि,
सभी
स्थानीय कार्यकर्ता यहाँ पर
रुकते हैं;
यहीं
भोजन करते हैं;
सोते
हैं;
लेकिन
कभी अपने बिस्तर ठीक नही
रखेंगे|
कभी
यहाँ का काम नही करेंगे|
बाकी
सब बातें ठीक हैं;
पर
मन ही मन इस दफ्तर से बाहर जाने
पर हम लोग अलग अलग ही महसूस
करते हैं|
श्रीनगर
में आने पर ऑटोवाले ने पहले
यही पूछा था-
मुसलमान
या हिन्दु?
यहाँ
दादाजी मिठा बोल कर सबसे काम
करवाते हैं;
लेकिन
वे जब यहाँ पर नही होते हैं तब
इन लोगों का व्यवहार भी ढिला
होता है|
बात
थोड़ी सही जरूर है|
लेकिन
कार्यकर्ताओं को साथ रखना और
उनसे काम लेना वाकई टेढी खीर
है|
अक्सर
ऐसा होता है कि कुछ कार्यकर्ता
एक दो मामलों में बड़े अच्छे
होते हैं;
रात
को दो बजे पुकारो तो तैयार
होते हैं;
लेकिन
उनकी कुछ आदतें अड़चन खड़ी करती
हैं|
ये
द्वंद्व तो रहता ही है और उसमें
से ही आगे जाना पड़ता है|
एक
बात मन में बार बार आ रही हैं|
यहाँ
जो प्रतिक्रियाएँ देखने को
मिली;
जो
भी विचार सामने आए;
वे
सब बहुत मानवीय हैं;
बहुत
स्वाभाविक हैं|
और
वे व्यक्ति विशिष्ट न हो कर
परिस्थिति विशिष्ट है|
यदि
ऐसी ही परिस्थिति में किसी
फला व्यक्ति को डाला दिया जाए,
तो
बीस में उन्नीस बार उसका व्यवहार
भी ऐसा ही होगा|
इसलिए
इन प्रतिक्रियाओं के बारे
में या इन मतभेदों के बारे में
व्यक्तिगत नजरिए से देखना
नही चाहिए|
जैसे
तनाव एक सार्वजनिक चीज है;
किसी
व्यक्ति के लिए वह विशिष्ट
नही हो सकता है|
वैसे
ही ये सब प्रतिक्रियाएँ;
ये
मतभेद भी सार्वजनिक है;
individual न
हो कर universal
हैं|
दूसरी
बात मन में बार बार आई कि जो
भिन्नताएँ हैं;
जो
मतभेद हैं;
जो
देखने के अलग अलग दृष्टिकोण
हैं;
उसमें
एक बाद ध्यान में रखनी चाहिए|
जो
कुछ भी विचार हो;
जो
अलग अलग दृष्टिकोण हो;
उन्हे
जैसे हैं वैसे ही देखना चाहिए|
कई
बार हम हमेशा दूसरे का मत
परिवर्तन करने की कोशिश करते
हैं;
दूसरे
के भिन्न विचार का स्वीकार
नही कर सकते हैं|
लेकिन
ऐसा नही करना चाहिए|
हर
एक दृष्टिकोण का स्वीकार एवम्
आदर होना चाहिए|
दूसरे
का मत परिवर्तन करने का या
किसी बात के लिए convince
करने
का प्रयास एक तरह से असुरक्षा
से आता है|
एक
अच्छा हिन्दी गाना है-
समझनेवाले
समझ रहे हैं नासमझें है वो
अनाड़ी हैं|
जो
लोग देख सकते हैं;
समझ
सकते हैं;
वे
समझ जाएँगे;
और
जो देख नही पा रहे हैं;
वे
बाद में भी नही देख पाएँगे|
अत:
किस
बात के लिए विवाद करना या झगड़ना?
हर
एक दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण
है और कुछ सच्चाई
वहाँ है इतना जानना काफी है|
खैर|
शाम
को डॉक्टर सर और अन्य कार्यकर्ता
चले गए|
डॉक्टर
सर की आयु अधिक होते हुए भी इन
दिनों में अच्छी दोस्ती हो
गई थी|
वे
अपने काम के के प्रति काफी
committed
थे|
गोवा
में उनका नर्सिंग होम है|
वहाँ
वे अब
युवा डॉक्टरों को प्रॅक्टिस
करने का अवसर देते हैं|
गोवा
आने का हार्दिक आमन्त्रण दे
कर वे निकल गए|
आज
रात मै,
मयूरभाई
और अंकलजी तीनों ही रहेंगे|
कल
सवेरे जल्दी निकलना है|
कल
रात जम्मू रूक कर दादाजी से
मिलना और फिर आगे चलना है|
शाम
को सबके साथ मिल कर भोजन बनाया|
ठण्ड
में नीचे जा कर पानी ले आने
में भी काफी मज़ा आया|
बस
अब कल निकलना है.
. .
फिर से जीवित हो उठे शिकारें |
दर्या ए जेलम और एक मन्दीर |
क्रमश:
जन्नत बचाने के लिए अब भी सहायता की आवश्यकता है. . .
SEWA BHARTI J&K Vishnu Sewa Kunj, Ved Mandir Complex, Ambphalla Jammu, J&K.
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