Saturday, November 15, 2014

जन्नत को बचाना है: जम्मू कश्मीर राहत कार्य के अनुभव ११

स्वास्थ्य शिविर में सहभाग और अन्य कार्य

१४ अक्तूबर की सुबह दादाजी से काफी बातें हुई| कल के अनुभव के बाद काफी प्रश्न मन में हैं; जिनका समाधान अब करना है| पहले दादाजी को गाँव का अनुभव विस्तार से बताया| दादाजी ने शांतिपूर्वक सुना और अपनी बात कही| उन्होने कहा कि सेवा भारती के कार्यकर्ता काफी टेस्टेड हैं; परिपक्व है| राहत कार्य के आरम्भ में ही उनको बड़ी एनजीओज द्वारा ऑफर दी गई थी; पर वे सेवा भारती के साथ ही जुड़े रहे| इसलिए उन्होने जिन लोगों को लाईटस और कँबल बाँटें; वह सोच समझ कर ही बाँटें| उन्होने बताया कि क्षतिग्रस्त गाँवों के परिवारों को लाईटस मिले और कँबल मिलें, यही बात हमें देखनी चाहिए| इसके बारे में चिन्ता की आवश्यकता नही है, ऐसा उन्होने कहा|‌ साथ में यह भी कहा कि, ९०% काम तो ठीक हैं; थोड़े से १०% काम में कुछ इधर- उधर हो सकता है जो कि स्वाभाविक है| और अगर ९९ लोगों को सहायता मिलती है और एक व्यक्ति को नही मिलती, तो वह अकेला व्यक्ति बहुत बड़ा शोरगुल करता है| इसलिए उसे अलग ढंग से देखना होगा| कश्मीर में सैलाब के बाद लोगों तक सहायता पहुँचाना इतना सरल भी नही है| फिर उनसे कंपनी की भुमिका के बारे में पूछा| उन्होने कहा कि मै तो ऐसा देखता हुँ कि उस कंपनी का यह नौजवान बन्दा हमारे काम में जुड़ गया है|‌ यहाँ पर फॉगिंग करनेवाला कोई नही था; वह इंजिनिअर है और फॉगिंग कर सकता है; अब कंपनी कुछ मार्केटिंग करती हो तो करें| आखिर यहाँ सभी लोग अपना अपना मार्केटिंग तो कर ही रहे हैं| उनकी बात जची|

पवनजी ने बाद में फॉगिंग कर के दिखाया| स्प्रेयिंग जैसा ही, पर एक अलग यंत्र से वह यह काम कर रहे हैं| उन्होने उसका डेमो भी दिया| कंपनी की ड्युटी पर होने के बावजूद वह सेवा भारती के काम में भी सम्मीलित हो रहे हैं|

सुबह में सुरेंद्रजी के साथ बैठ कर व्हिडिओ मिक्सिंग का काम भी हुआ| उन्होने अच्छा व्हिडिओ बना लिया है| फोटोज को कॅप्शन भी दिए गए हैं| जल्द ही यह पूरा हो जाएगा| मेरे कुछ प्रपोझल्स बनाने अभी बाकी हैं; कल रात में लेट आने से वह काम बाकी हैं| आज समय मिला तो उसे करेंगे| डॉ. देसाई सर के साथ में सुबह के शिविर के लिए दवाईयों के कुछ सेट बनाए| दोपहर के गाँव के शिविर के बारे में अभी कुछ तय नही हुआ है|‌ फयाज़ भाई बताएँगे|

आश्रम का शिविर अच्छा हुआ| कोई कार्यकर्ता न होने पर भी डॉक्टर सर और वहाँ के लोगों के सहयोग से ठीक हुआ| आज करीब ७७ रुग्ण आए| काफी बातें देखने को मिली| एक तो वहाँ आश्रम परिसर में काम करनेवाले लोग सबसे पहले आए| वे रोज ही पहले चेक अप करवाते हैं| वास्तव में हँसी आयी उनका एक तरह से बचकाना रूख देख कर| वे रुग्ण नही हैं; फिर भी शिविर शुरू होता देख कर उनको कुछ दर्द आदि होने लगते हैं! वे रुग्ण नही हैं; पर यह मानसिकता जरूर थोडी रुग्ण है| गाँवों में भी यही हुआ था| लोग छोटी छोटी चीजों के लिए बड़े उतावले होते थे| कोई पावडर दो; ओआरएस दो या बँडेड दो| या फिर वे लाईटस भी|‌ लाईटस की किमत दो हजार रूपए थी| और लोगों के घरों को घर कम बंगला कहना ज्यादा ठीक होता| इतने सम्पन्न होने के बावजूद बच्चों जैसे उतावले हो रहे थे| यह एक लेने की मानसिकता से उत्पन्न हुई बड़ी पुरानी बीमारी के लक्षण लगते हैं| इसके कई कारण भी होंगे|

शिविर में बँडेड, मास्क, मल्हम, टॉनिक आदि चीजें भी कुछ मात्रा में रखते हैं| लोग उन्हे भी लेना चाहते हैं| एक साथ कई मास्क लेना चाहते हैं| थोड़ा आवश्यक होगा ही; पर आवश्यकता से अधिक भी लोगों को चाहिए| और उनको मना करने पर नाराज होते हैं| उनको बताना पड़ता है कि अन्य जगहों के शिविरों के लिए यह हैं; तो भी ऐसे देखते हैं कि ये चीजें‌ लेना उनका अधिकार है| फिर डॉ. सर बड़े ही शांत स्वर में उनको समझाते है कि ये दवाईयाँ लोगों की डोनेशन्स से आयी हैं; अत: जो आया उसी में हमें देना है|

दोपहर तक गाँव के शिविर के बारे में फयाज़ भाई आदि कार्यकर्ताओं ने कुछ नही बताया इसलिए वापस दफ्तर में लौटें| दोपहर में दवाईयों के सेट बनाने का काम डॉ. सर के साथ मिल कर किया| प्राथमिक चिकित्सा के बक्से बनाएँ जिनमें ओआरएस, स्किजर, ऑइंटमेंट, क्लोरिन टॅबलेटस, बँडेड, कॉटन, बीपी एपरॅटस, दर्द का मल्हम आदि वस्तुएँ है| डॉ. सर बता रहे हैं कि कई महंगे इन्जेक्शन्स भी यहाँ है जो शिविर में उपयोग में नही लाए जा सकते हैं| उन्हे बड़े सरकारी हॉस्पिटल में देना पड़ेगा| कुछ दवाईयों का एक्सपायरी दिनांक भी करीब आ रहा है| डॉक्टर सर गूँज संस्था के एक केन्द्र पर भी जा कर कुछ दवाईयाँ ले कर आए| दोपहर में दवाईयों को ओर्गनाईझ करते रहें| आज शाम गाँव का शिविर नही होगा| कुछ अड़चन है, ऐसा कार्यकर्ता ने बताया| एक अड़चन यह भी है कि एम्ब्युलन्स चलाना जाननेवाले कई कार्यकर्ता हैं; पर हिलालभाई अकेले हैं जिनके पास लाईसन्स है| और उनके पिताजी कुछ दिनों से हॉस्पिटल में हैं|

दोपहर में ही दादाजी, फयाज़ भाई और जावेदजी के साथ कुछ चर्चा भी हुई| ये जावेदजी टंगमर्ग से हैं| उनकी एक एनजीओ भी है- नई किरन| वे एमएसडब्ल्यू कर रहे हैं और सेवा भारती के पुराने कार्यकर्ता है| गाना भी बढिया गाते हैं| उनकी‌ एनजीओ वूलर लेक की सफाई करना चाहती हैं| यह दल लेक जैसा ही एक बड़ा तालाब है जो कुछ सालों से घनी आबादी और निर्माण के कारण एकदम सीकुड़ गया है| बाढ़ आने के कुछ कारणों में कई कारण पानी पर किए हुए निर्माण कार्यों से भी जुड़े है|‌

चर्चा में कई बातें‌ तय हुईं| दादाजी कल शायद जम्मू जाएँगे| अब रिलिफ कार्य का मुख्य चरण समाप्त हुआ है| अब कार्यकर्ता भी धीरे धीरे लौटेंगे| इसलिए वे कुछ चीजें फयाज़ भाई और जावेदभाई को बता रहे हैं| श्रीनगर के स्वास्थ्य विभाग को राहत कार्य का रिपोर्ट देना है| तथा इन्जेक्शन्स किसी बड़े हॉस्पिटल में देने है| अगले छह माह के लिए एम्ब्युलन्स पर काम करने के लिए कोई डॉक्टर यहाँ आए ऐसा प्रयास चल रहा है| उसके लिए आवास सुविधा का आवेदन प्रशासन के पास देना है| क्यों कि अधिक समय आते हैं तो डॉक्टरों के लिए अच्छा आवास होना चाहिए| लाल चौक में एक यात्री निवास हैं; वहाँ पर भी राहत सामग्री का एक सेट देना है|‌ ये काम आनेवाले दिनों में करने है|

शाम का समय वह आवेदन लिखने में और प्रपोझल्स का काम करने में गया| आज दोपहर में पवनजी ने कई सरकारी दफ्तरों में फॉगिंग किया| वहाँ पर भी अफसरों ने उन्हे खूब काम दिया और कई जगह जा कर फॉगिंग करवाया| शाम को एक डिएसपी सेवा भारती में भी आए| उनसे दादाजी का अच्छा रॅपो है| उन्होने दवाईयों के सेट भी देखें| सेवा भारती दफ्तर के मकान मालिक निवृत्त पुलिस अफसर मिर्जा जी भी कुछ समय आ कर मिले| दफ्तर के पड़ोसी अंकल भी आज मिले| उनके कमरे में ही सभी दवाईयाँ रखी गईं हैं|

अब धीरे धीरे राहत कार्य का मुख्य चरण समाप्ति की ओर बढ़ रहा है| कार्यकर्ता भी‌ वापस जा रहे हैं| कल दादाजी, वर्मा जी, चाचू जी और सुरेंद्र जी लौट जाएँगे| आज रात का भोजन पवनजी ने बनाया| वाकई स्वादिष्ट बनाया है| उनके पास अनुभव की कमीं जरूर है; पर हुनर की नही| डॉ. सर से भी काफी बातें हो रही हैं| वे गोवा से आए हैं| पहले भी डॉ. प्रथमेश कर्पे गोवा से आए थे| देसाई सर गोवा के एक सम्भाग में रोटरी क्लब के प्रमुख है और आने से पहले उन्होने काफी धन भी इस कार्य हेतु जुटाया है| अब यहाँ पर वे दस दिन तक सहभाग देंगे|

श्रीनगर में एफएम रेडिओ अच्छा चलता है| आकाशवाणी के समाचार अच्छे सुनाई देते हैं| रात को सुफी संगीत भी होता है| मोबाईल नेटवर्क ठीक काम करता हैं| डेटा नेटवर्क मात्र श्रीनगर के कुछ स्थानों पर ही मिलता है| बाकी देखा जाए तो रिलिफ कार्य करने के स्थान में रहने और खाने- सोने की सुविधाएँ काफी अच्छी हैं| अब रिलिफ में‌ सहभाग के चार दिन और बचे हैं| 

रुग्ण सेवा करते हुए डॉ. देसाई सर



















शिविर के पास में ही श्रीनगर का मशहूर लाल चौक




































 





क्रमश:

जन्नत बचाने के लिए अब भी सहायता की आवश्यकता है. . .   

सहायता हेतु सम्पर्क सूत्र:
SEWA BHARTI J&K
Vishnu Sewa Kunj, Ved Mandir Complex, Ambphalla Jammu, J&K.
www.sewabhartijammu.com 
Phone:  0191 2570750, 2547000
e-mail: sewabhartijammu@gmail.com, jaidevjammu@gmail.com

1 comment:

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